शपथग्रहण के बाद अरुण गोविल ने ‘बेईमानी से जीते…’ कहा, तो सपा सांसदों ने ‘जय अवधेश’ के नारे लगाए।
भाजपा सांसद अरुण गोविल ने संस्कृत में सांसद पद की शपथ ली और उसके बाद जय श्री राम के नारे लगाए। शपथ के बाद जब वे वापस लौटने लगे तो समाजवादी पार्टी के सांसदों ने जय अवधेश के नारे लगाने शुरू कर दिए।
भाजपा सांसद अरुण गोविल ने संस्कृत में सांसद पद की शपथ ली और उसके बाद जय श्री राम के नारे लगाए। शपथ के बाद जब वे वापस लौटने लगे तो समाजवादी पार्टी के सांसदों ने जय अवधेश के नारे लगाने शुरू कर दिए। हालांकि, अरुण गोविल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे पहले सपा सांसदों ने अरुण गोविल के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि उन्होंने बेईमानी से जीत हासिल की है लोकसभा चुनाव में मेरठ संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज करने के बाद भाजपा सांसद अरुण गोविल ने नई दिल्ली स्थित संसद भवन में शपथ ली। उन्होंने सांसद पद की शपथ संस्कृत भाषा में ली और शपथग्रहण के बाद जय श्री राम के नारे भी लगाए।
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जब भाजपा सांसद अरुण गोविल शपथ लेने के लिए आगे बढ़े, तो समाजवादी पार्टी के सांसदों ने उन पर कटाक्ष किया और कहा, “बेईमानी से जीते-बेईमानी से जीते।” अरुण गोविल ने इन टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और शपथ के लिए आगे बढ़ गए। संस्कृत में शपथ लेने के बाद भाजपा सांसद ने जय श्री राम के नारे लगाए, जिस पर सपा सांसदों ने एक बार फिर कटाक्ष करते हुए ‘जय अवधेश-जय अवधेश’ के नारे लगाए। इस दौरान समाजवादी पार्टी के फैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद अवधेश प्रसाद ने खड़े होकर सांसदों का अभिवादन किया। अरुण गोविल, जिन्होंने रामानंद सागर के टीवी धारावाहिक ‘रामायण’ में भगवान राम की भूमिका निभाई थी, ने अपने राजनीतिक करियर में इस तरह की प्रतिक्रियाओं का सामना किया।
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संसद भवन में इस प्रकार के घटनाक्रम ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया। एक तरफ जहां भाजपा समर्थक अरुण गोविल के संस्कृत में शपथ लेने और जय श्री राम के नारे लगाने को उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति उनकी निष्ठा के रूप में देख रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सपा सांसद इस पर कटाक्ष कर रहे थे और इसे राजनीतिक अवसरवादिता के रूप में देख रहे थे। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, “यह 18वीं लोकसभा लोकतंत्र का विश्व का सबसे बड़ा उत्सव है। अन्य चुनौतियों के बावजूद 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने पूरे उत्साह के साथ चुनाव में भाग लिया। मैं सदन की ओर से उनका और देश की जनता का आभार व्यक्त करता हूं।”
ओम बिरला ने आगे कहा, “लोकसभा में विभिन्न विचारधाराओं और क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का स्वागत है। हमें आपसी सहमति और संवाद के माध्यम से देश के विकास में योगदान देना है।” अरुण गोविल की जीत और उनके शपथग्रहण का यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों के उपयोग पर एक नई बहस छेड़ गया है। समर्थकों का कहना है कि यह उनकी व्यक्तिगत आस्थाओं और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है, जबकि आलोचकों का मानना है कि इसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर विरोधाभास ने संसद में एक नया विवाद उत्पन्न किया है। भविष्य में इस प्रकार के घटनाक्रमों का राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना बाकी है। लेकिन एक बात साफ है कि अरुण गोविल की संस्कृत में शपथ और जय श्री राम के नारे भारतीय राजनीति में एक नई दिशा और दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहे हैं।