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हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट से मिली जमानत, रांची जमीन घोटाला मामले में थे आरोपी

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो नेता हेमंत सोरेन को रांची जमीन घोटाले के मामले में हाईकोर्ट द्वारा जमानत मिलने के बाद विवाद का नया मोड़ आ गया है। इस फैसले के बाद, सोरेन बेल बॉन्ड भरने के बाद जेल से बाहर आ सकेंगे।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो नेता हेमंत सोरेन को रांची जमीन घोटाले के मामले में हाईकोर्ट द्वारा जमानत मिलने के बाद विवाद का नया मोड़ आ गया है। इस फैसले के बाद, सोरेन बेल बॉन्ड भरने के बाद जेल से बाहर आ सकेंगे। यह मामला अनधिकृत रूप से 8.86 एकड़ जमीन कब्जे करने के आरोपों से जुड़ा हुआ है, जिसे पीएमएलए एक्ट के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज किया गया है। जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान, ईडी की ओर से पेश किए गए तथ्यों के अनुसार, वरिष्ठ अधिवक्ता एसवी राजू ने अदालत में बयान दिया कि हेमंत सोरेन ने अवैध तरीके से बड़गाईं अंचल में जमीन पर कब्जा किया है। यह अनुमान ईडी के द्वारा पीएमएलए एक्ट के तहत विधिक मान्यताओं के उल्लंघन को दर्शाता है।

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इस मुद्दे पर सोरेन की ओर से दी गई बयान में, सुप्रीम कोर्ट की वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया कि यह मामला केवल राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है और इसे मनी लॉन्ड्रिंग के तर्क से देखना गलत होगा। उन्होंने इसे केंद्र सरकार द्वारा ईडी के दुरुपयोग के तरीके से किया गया दावा बताया। अदालत ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और 13 जून को फैसला सुरक्षित रखा था। इस फैसले के बाद, सोरेन को जमानत मिलने का समाचार राजनीतिक दायरे में गहरी चर्चाओं का कारण बना। उन्होंने जमानत के लिए लंबे समय से प्रयास किए थे, जो अब सफलतापूर्वक समाप्त हो गए हैं।

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झारखंड की राजनीतिक दीवारों में इस मामले की महत्वपूर्ण स्थिति बनी हुई है, जिसमें सोरेन और ईडी के बीच की जंग व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थों के संघर्ष को दर्शाती है। विवादित जमीन कब्जे के बारे में तकनीकी और कानूनी पहलू निपटाने के लिए अदालती प्रक्रिया अब आगे बढ़ेगी।

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