‘राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपने वचन निभाते हुए दिया इस्तीफा’
गुरुवार को राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। किरोड़ी लाल मीणा, जो भजनलाल शर्मा की सरकार में वरिष्ठ मंत्री थे, ने यह निर्णय अचानक नहीं लिया। उनके एक सहयोगी ने बताया कि उन्होंने दस दिन पहले ही मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
गुरुवार को राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। किरोड़ी लाल मीणा, जो भजनलाल शर्मा की सरकार में वरिष्ठ मंत्री थे, ने यह निर्णय अचानक नहीं लिया। उनके एक सहयोगी ने बताया कि उन्होंने दस दिन पहले ही मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इस अवधि में पार्टी के कई नेता उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मीणा अपने निर्णय पर अडिग रहे। किरोड़ी लाल मीणा वर्तमान में सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। उन्होंने इस्तीफा देने के अपने निर्णय से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट भी किया। इस पोस्ट में उन्होंने श्रीरामचरितमानस की दो पंक्तियों का उल्लेख किया: “रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्राण जाई पर बचन न जाई।” इस पोस्ट ने स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने अपने वचन के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है।
यह ध्यान देने योग्य है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में किरोड़ी लाल मीणा ने घोषणा की थी कि अगर उनके प्रभाव क्षेत्र की सात लोकसभा सीटों में से किसी एक पर बीजेपी हारती है, तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। यह वचन उन्होंने पूरी गंभीरता के साथ लिया था। दुर्भाग्यवश, बीजेपी दौसा सीट पर चुनाव हार गई, जो कि मीणा का गृह क्षेत्र है। किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा राज्य की राजनीति में एक बड़ा धक्का माना जा रहा है। उनके इस्तीफे के पीछे के कारणों को लेकर भी कई अटकलें लगाई जा रही हैं। उनके सहयोगियों और पार्टी के नेताओं का मानना है कि इस्तीफे का मुख्य कारण पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी और असंतोष है। मीणा को अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
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मीणा के इस्तीफे से पहले की घटनाओं पर गौर करें तो यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने अपने निर्णय को बहुत सोच-समझकर लिया है। उनके प्रभाव क्षेत्र में आने वाली सात लोकसभा सीटों पर उनका मजबूत पकड़ है और वे पार्टी के लिए महत्वपूर्ण माने जाते थे। लेकिन दौसा सीट पर बीजेपी की हार ने उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई और उन्होंने अपने वचन के अनुसार इस्तीफा दे दिया। मीणा के इस्तीफे के बाद पार्टी में हलचल मच गई है। उनके सहयोगियों ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अब भी उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मीणा ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने निर्णय पर अडिग हैं। उनके इस निर्णय ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और भविष्य में इसके क्या परिणाम होंगे, यह देखना अभी बाकी है।
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किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा न केवल राज्य की राजनीति पर असर डालेगा, बल्कि यह आगामी चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उनके इस्तीफे से सवाई माधोपुर और दौसा क्षेत्र में बीजेपी को नए सिरे से अपनी रणनीति बनानी होगी। पार्टी को अब ऐसे नेता की तलाश करनी होगी जो मीणा की कमी को पूरा कर सके और पार्टी को एकजुट रख सके। राजस्थान की राजनीति में इस घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि राजनीति में वचन की कितनी महत्ता होती है। किरोड़ी लाल मीणा का यह निर्णय राजनीति के क्षेत्र में एक मिसाल बन सकता है, जहां वचन को निभाने की प्रतिबद्धता सर्वोपरि है।