दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आज मनीष सिसोदिया को राउज ऐवन्यू कोर्ट में पेश किया गया। इस सुनवाई में कोर्ट ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 15 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया। सिसोदिया को इस फैसले से बड़ा झटका लगा है, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि शायद आज कुछ राहत मिलेगी। मनीष सिसोदिया, जो आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री हैं, पिछले साल 26 फरवरी से न्यायिक हिरासत में हैं। उनकी गिरफ्तारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की गई थी। सीबीआई ने उन पर दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है। इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग और अनियमितताओं के आरोप हैं।
सुनवाई के दौरान, सिसोदिया के वकील विवेक जैन ने अदालत में तर्क दिया कि सीबीआई अदालत को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि सीबीआई नए सबूत पेश कर रही है जो पहले से मौजूद नहीं थे। इसके जवाब में, सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने कहा कि जून के बाद नए सबूत सामने आए हैं और वे इस मामले की जानकारी सुप्रीम कोर्ट में भी देंगे। इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी राउज ऐवन्यू कोर्ट में दिल्ली शराब घोटाले के तीनों आरोपियों को पेश किया था। ईडी ने अदालत से इनकी हिरासत अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था। अदालत ने ईडी की दलीलों को सुनने के बाद अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को 12 जुलाई तक और मनीष सिसोदिया तथा के. कविता की न्यायिक हिरासत को 25 जुलाई तक बढ़ा दिया था।
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आज की सुनवाई में सिसोदिया को निराशा ही हाथ लगी। अदालत ने उनके पक्ष के तर्कों को खारिज करते हुए सीबीआई की दलीलों को स्वीकारा और उनकी हिरासत अवधि को बढ़ा दिया। यह निर्णय सिसोदिया के लिए एक और बड़ा झटका है, जो पहले से ही लम्बे समय से हिरासत में हैं। इस मामले में सीबीआई और ईडी दोनों ही एजेंसियां सक्रिय हैं और नए-नए सबूतों के आधार पर आरोपियों की हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग कर रही हैं। अदालत के इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि जांच एजेंसियों के पास कुछ ठोस सबूत हैं जिनके आधार पर वे अदालत को संतुष्ट कर पा रहे हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले में और क्या नए मोड़ आते हैं और सिसोदिया को कब तक न्यायिक हिरासत में रहना पड़ता है।