“पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात में महिला ट्रांसलेटर ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका”
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मातृभाषा में बातचीत करना पसंद करते हैं। उनकी संवाद की इस प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए, बातचीत के दौरान दोनों नेताओं को एक-दूसरे की बात समझने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए एक महिला अनुवादक (द्विभाषी) की व्यवस्था की गई थी।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मातृभाषा में बातचीत करना पसंद करते हैं। उनकी संवाद की इस प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए, बातचीत के दौरान दोनों नेताओं को एक-दूसरे की बात समझने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए एक महिला अनुवादक (द्विभाषी) की व्यवस्था की गई थी। यह महिला ट्रांसलेटर रूसी पक्ष द्वारा नियुक्त की गई थीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे हैं। उनके आगमन पर राष्ट्रपति पुतिन ने अपने सरकारी निवास में बाहें फैलाकर गर्मजोशी से स्वागत किया। इस मुलाकात के दौरान एक महिला अनुवादक भी दोनों नेताओं के साथ देखी गईं, जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। बहुत से लोग इस महिला के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं।
महिला अनुवादक का काम राष्ट्रपति पुतिन की बातों को रूसी भाषा से हिंदी में अनुवाद कर प्रधानमंत्री मोदी तक पहुंचाना था, जिससे कि दोनों नेताओं के बीच संचार में कोई बाधा न आए। इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। सरकारी मीडिया स्पूतनिक के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को पांच प्रकार के व्यंजन परोसे। मुलाकात के बाद, पुतिन और मोदी ने नोवो-ओगारियोवो में पुतिन के निवास के आसपास चहलकदमी की और एक इलेक्ट्रिक कार में ड्राइव का भी आनंद लिया।
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तास की एक रिपोर्ट के अनुसार, “रूसी नेता ने अपने भारतीय अतिथि को निवास दिखाया और उन्हें इलेक्ट्रिक कार में ड्राइव कराया। अधिकांश समय वे दुभाषियों के माध्यम से बात करते थे। हालांकि, जब वह कार से नीचे उतरकर बगीचे की तरफ जा रहे थे, तो उन्होंने संभवतः अंग्रेजी में एक संक्षिप्त बातचीत की।”
राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच इस महत्वपूर्ण बातचीत को सफल बनाने के लिए महिला अनुवादक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उनके समर्पण और कुशलता के कारण दोनों नेताओं के बीच संवाद सुगम और प्रभावी रहा, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत हो सके। इस मुलाकात ने यह साबित किया कि भाषा की बाधाएं संबंधों को बाधित नहीं कर सकतीं, बशर्ते कि संवाद के सही माध्यम उपलब्ध हों।