UGC NET 2024 पेपर लीक मामले में CBI का एक्शन मोड: युवा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की तैयारी
UGC NET 2024 की परीक्षा पेपर लीक के कारण रद्द कर दी गई थी, और अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले में एक्शन मोड में नजर आ रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 19 जून को यह परीक्षा रद्द कर दी थी, जिसके बाद इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी। अब CBI उस युवक के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की योजना बना रही है, जिसने कथित तौर पर टेलीग्राम पर UGC-NET प्रश्नपत्र का छेड़छाड़ किया हुआ स्क्रीनशॉट वायरल किया था।
UGC NET 2024 की परीक्षा पेपर लीक के कारण रद्द कर दी गई थी, और अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले में एक्शन मोड में नजर आ रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 19 जून को यह परीक्षा रद्द कर दी थी, जिसके बाद इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी। अब CBI उस युवक के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की योजना बना रही है, जिसने कथित तौर पर टेलीग्राम पर UGC-NET प्रश्नपत्र का छेड़छाड़ किया हुआ स्क्रीनशॉट वायरल किया था। शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि 18 जून को आयोजित इस परीक्षा के लिए 11 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था। यह परीक्षा जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता निर्धारित करती है।
CBI की जांच में पाया गया कि पेपर लीक के स्क्रीनशॉट से एक स्कूली छात्र ने छेड़छाड़ की थी। उसने स्क्रीनशॉट की तारीख बदलकर 17 जून कर दी थी ताकि यह आभास हो सके कि उसकी पहुंच प्रश्नपत्र तक है और उसने इसे कुछ पैसे कमाने के लिए किया था। CBI ने फोरेंसिक विशेषज्ञों से परामर्श लिया, जिन्होंने पुष्टि की कि स्क्रीनशॉट के साथ छेड़छाड़ की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय की भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से मिले इनपुट के आधार पर शिक्षा मंत्रालय ने 19 जून को परीक्षा रद्द कर दी थी। मंत्रालय को जानकारी मिली थी कि पेपर डार्कनेट पर उपलब्ध है और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर कथित तौर पर 5-6 लाख रुपये में बेचा जा रहा है।
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CBI की अनौपचारिक जांच के निष्कर्षों के मुताबिक, इसमें कोई बड़े पैमाने पर साजिश नहीं मिली है। आरोप पत्र धोखाधड़ी के प्रयास या धोखाधड़ी के अपराधों तक सीमित रखा जाएगा। जांच में यह भी पाया गया कि युवक ने स्क्रीनशॉट को ऐप के माध्यम से छेड़छाड़ कर बनाया था ताकि लोगों को यह आभास हो सके कि वह बाद में होने वाले विषय-विशिष्ट पेपर की व्यवस्था कर सकता है। इस साल यह परीक्षा पेन-पेपर मोड में आयोजित की गई थी, जबकि पहले इसे ऑनलाइन मोड में आयोजित किया जाता था। 18 जून को आयोजित परीक्षा देश के 317 शहरों में 83 विषयों में हुई थी, जिसमें 11.21 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था, लेकिन लगभग 81% ने ही परीक्षा दी थी।
मामले की जांच CBI को सौंपे जाने के बाद, शिक्षा मंत्रालय ने कहा था कि गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से प्राप्त इनपुट्स के आधार पर परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है। इसके बाद ही परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया था। अब UGC-NET 21 अगस्त से 4 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम अपडेट्स के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर ध्यान दें।
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इस पूरे घटनाक्रम ने परीक्षा प्रणाली की सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल छात्रों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि परीक्षा आयोजित करने वाले निकायों के लिए भी एक महत्वपूर्ण सबक है। UGC और शिक्षा मंत्रालय को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। इस पेपर लीक मामले ने यह साबित कर दिया है कि परीक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है और तकनीकी दृष्टिकोण से इसे और मजबूत बनाने की जरूरत है। उम्मीदवारों की मेहनत और उनके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि परीक्षा प्रणाली की सुरक्षा को और पुख्ता किया जाए।