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बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा, केंद्रीय मंत्री ने दिया लिखित जवाब….

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लंबे समय से चली आ रही मांग एक बार फिर ठुकरा दी गई है। केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से साफ मना कर दिया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से जानकारी दी कि अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लंबे समय से चली आ रही मांग एक बार फिर ठुकरा दी गई है। केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से साफ मना कर दिया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से जानकारी दी कि अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता। इस उत्तर ने राज्य सरकार और जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है और बिहार के विशेष राज्य का दर्जा पाने की दिशा में एक और बाधा खड़ी कर दी है। नीतीश कुमार ने कई बार इस मुद्दे को उठाया है और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। उनका कहना है कि इस दर्जे से बिहार को केंद्र से अधिक वित्तीय सहायता और विकास के अवसर मिलेंगे, जो कि राज्य की पिछड़ी स्थिति को सुधारने में मददगार साबित होंगे। नीतीश कुमार ने इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर उठाया है और केंद्र सरकार से बार-बार इस पर विचार करने की अपील की है। बावजूद इसके, उनकी मांग को बार-बार ठुकराया जा रहा है।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अपने लिखित उत्तर में स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार की नीति के अनुसार विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए किसी भी राज्य को अतिरिक्त लाभ या सहायता देने की योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि 2012 में आईएमजी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की कोई आवश्यकता नहीं है और वर्तमान स्थिति में ऐसा कोई भी निर्णय लेना सही नहीं होगा। आईएमजी की 2012 की रिपोर्ट में बिहार की विकास आवश्यकताओं और उसकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का गहन विश्लेषण किया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि बिहार की पिछड़ी स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करने की जरूरत है, और विशेष दर्जा देने से इस मुद्दे का समाधान नहीं होगा। रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया था कि विशेष राज्य का दर्जा देने से राज्य के विकास में एक स्थायी समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि यह सिर्फ एक अस्थायी उपाय साबित हो सकता है।

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बिहार के विभिन्न हिस्सों में इस निर्णय को लेकर निराशा और आक्रोश का माहौल है। कई लोग मानते हैं कि बिहार की विशेष स्थिति को देखते हुए उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि विशेष दर्जा मिलने से राज्य को आर्थिक सहायता और अन्य संसाधन प्राप्त होते, जिससे राज्य की विकास दर में तेजी आ सकती थी। राज्य सरकार और स्थानीय नेताओं ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को बिहार की स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए और राज्य को विशेष दर्जा देने के मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर बिहार को विशेष दर्जा नहीं दिया जाता है, तो राज्य सरकार को और अधिक संघर्ष करना पड़ेगा और बिहार के विकास के लिए अन्य उपायों की तलाश करनी होगी।

 

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