ट्रम्प और माइक जॉनसन ने पेरिस ओलंपिक उद्घाटन समारोह की आलोचना की । Trump and Mike Johnson Slam Paris Olympics Opening Ceremony
यह आलोचना खासकर एक दृश्य को लेकर की गई है जो लियोनार्डो दा विंची की प्रसिद्ध पेंटिंग "द लास्ट सपर" की नकल करता है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने हाल ही में पेरिस में आयोजित ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह की आलोचना की है। यह आलोचना खासकर एक दृश्य को लेकर की गई है जो लियोनार्डो दा विंची की प्रसिद्ध पेंटिंग “द लास्ट सपर” की नकल करता है।
डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिक्रिया:
डोनाल्ड ट्रम्प ने इस उद्घाटन समारोह को “अपमानजनक” करार दिया है। उन्होंने सोमवार रात फॉक्स न्यूज के शो ‘द इंग्राहम एंगल’ पर कहा, “मुझे लगा कि उद्घाटन समारोह वास्तव में अपमानजनक था। मुझे लगता है कि उन्होंने जो किया वह अपमानजनक था।” ट्रम्प ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि वह आम तौर पर खुले विचारों वाले व्यक्ति हैं, लेकिन इस विशेष दृश्य ने उन्हें आपत्ति की। उनका मानना है कि यह घटना ईसाई समुदाय के धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करती है।
माइक जॉनसन की निंदा:
हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने भी इस दृश्य की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि “पिछली रात लास्ट सपर का मजाक उड़ाना दुनिया भर के ईसाई लोगों के लिए चौंकाने वाला और अपमानजनक था।” जॉनसन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में ऐसा दृश्य दिखाना विश्वास और पारंपरिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “हमारे विश्वास और पारंपरिक मूल्यों पर युद्ध आज कोई सीमा नहीं जानता। लेकिन हम जानते हैं कि सत्य और सदाचार हमेशा जीतेंगे। प्रकाश अंधेरे में चमकता है, और अंधेरे ने इसे दूर नहीं किया है।”
समारोह का विवादित दृश्य:
उद्घाटन समारोह के दौरान प्रदर्शित दृश्य में लियोनार्डो दा विंची की “द लास्ट सपर” की झलक देखी गई, जो ईसाई धर्म में एक महत्वपूर्ण चित्र है। इस दृश्य को लेकर लोगों का कहना है कि इसका उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना था। इस दृश्य ने कई लोगों के धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाई और इसका विरोध शुरू हो गया।
प्रतिक्रियाएँ और प्रभाव:
इस विवाद ने व्यापक चर्चा और विरोध को जन्म दिया है। पेरिस ओलंपिक आयोजकों ने इस आलोचना पर अभी तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, यह विवाद ओलंपिक आयोजनों की धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के मुद्दे को उजागर करता है, जो भविष्य के आयोजनों में विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु हो सकता है।
इस विवाद ने यह सवाल भी उठाया है कि सार्वजनिक समारोहों में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग कैसे किया जाता है और इसके संभावित प्रभाव क्या हो सकते हैं।
By – Brajesh Kumar Gaurav
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