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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय, मस्जिद पक्ष की अर्जियां खारिज

मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने मस्जिद पक्ष की तरफ से दायर अर्जियों को खारिज करते हुए मंदिर पक्ष के सिविल वादों को पोषणीय माना।

मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने मस्जिद पक्ष की तरफ से दायर अर्जियों को खारिज करते हुए मंदिर पक्ष के सिविल वादों को पोषणीय माना। इस फैसले को मंदिर पक्ष ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। इस विवाद का इतिहास पुराना है और इसमें कई कानूनी मुद्दे जुड़े हुए हैं। मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, मियाद कानून, और वक्फ संपत्ति का हवाला देकर यह दावा किया था कि सिविल कोर्ट को इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। हालांकि, मंदिर पक्ष ने इन आपत्तियों को निराधार बताया और अपनी दलीलें मजबूती से रखीं।

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने इस फैसले को महत्वपूर्ण जीत करार दिया। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के सीपीसी के आदेश सात, रूल-11 के आवेदन को खारिज कर दिया है, जिससे मंदिर पक्ष के दावे को बल मिला है। मस्जिद पक्ष की तरफ से इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के संकेत दिए गए हैं, जिससे यह मामला और लंबा खिंच सकता है। मामले की पृष्ठभूमि में 18 सिविल वाद हैं, जिनमें से 15 की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने की थी। यह सभी वाद लगभग एक ही प्रकृति के थे। 31 मई 2024 को कोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था, लेकिन मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने सुनवाई के अधिकार की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया और 6 जून को मामले की पुनः सुनवाई की गई।

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मंदिर पक्ष की ओर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा सहित 18 पक्षकारों ने वाद दायर किया था। 26 मई 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन वादों को जिला न्यायालय मथुरा से मंगाकर हाई कोर्ट में चलाए जाने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर कोई स्टे नहीं दिया, जिससे हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रही। हाई कोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को विवादित संपत्ति के सर्वे के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ मस्जिद पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और स्टे की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट इलाहाबाद की कार्यवाही को जारी रखने के आदेश दिए थे। इसके बाद 7 नियम 11 की सुनवाई में कुल 32 तारीखें लगीं।

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मंदिर पक्ष का कहना है कि ईदगाह के पक्ष में कोई भी ठोस दस्तावेज विरोधी पक्ष के पास नहीं है, जिससे मंदिर पक्ष का दावा और मजबूत होता है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी, जिसमें दोनों पक्षों की दलीलों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। मस्जिद पक्ष की चुनौती और सुप्रीम कोर्ट में संभावित अपील इस मामले को और भी जटिल बना सकती है।

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