बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा के विरोध में शिक्षाविदों और इतिहासकारों का प्रदर्शन, संसद में प्रस्ताव लाने के लिए खुला पत्र लिखा.
बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। हिंदुओं के घरों और मंदिरों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, और इस हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने में अंतरिम सरकार की निष्क्रियता ने स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया है।
बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। हिंदुओं के घरों और मंदिरों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, और इस हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने में अंतरिम सरकार की निष्क्रियता ने स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया है। हाल ही में, बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों से ऐसी घटनाओं की रिपोर्टें आई हैं जिनमें हिंदू समुदाय पर हमले किए गए हैं। मेहरपुर में स्थित इस्कॉन मंदिर को जलाना, देशभर में कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़, और हिंदुओं की लिंचिंग के जश्न मनाते हुए दंगाइयों के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं। ये घटनाएं न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन चुकी हैं।
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बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को लंबे समय से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, खासकर तब जब देश में राजनीतिक अस्थिरता होती है। 1971 में बांग्लादेश के गठन के समय से ही हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं जारी हैं। पाकिस्तानी शासन के दौरान लाखों हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी, और आज भी हिंसा की ये लहर जारी है। इन घटनाओं के खिलाफ विभिन्न शिक्षाविदों और इतिहासकारों ने आवाज उठाई है। उन्होंने भारतीय संसद को एक खुला पत्र लिखकर हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय द्वारा सामना की जा रही हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ एक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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इस खुले पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने भारतीय संसद से अपील की है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और बांग्लादेश में हो रही हिंसा के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे। पत्र में यह भी कहा गया है कि अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने और न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता है, ताकि इस हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के इस नए और खतरनाक पैटर्न ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश सरकार को इस हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाना चाहिए। अंतरिम सरकार की निष्क्रियता के कारण ही इस तरह की हिंसात्मक घटनाएं बढ़ रही हैं, और यदि सरकार जल्द से जल्द कदम नहीं उठाती है, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है।