आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ और हत्या, तृणमूल नेताओं के करीबी पर आरोप, पुलिस पर भी पक्षपात के आरोप.
आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 14 अगस्त की रात हुई हिंसा और तोड़फोड़ को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। घटना के बाद से इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है, और इस मामले में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं के करीबी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 14 अगस्त की रात हुई हिंसा और तोड़फोड़ को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। घटना के बाद से इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है, और इस मामले में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं के करीबी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस जानबूझकर हमलावरों को गिरफ्तार नहीं कर रही है, क्योंकि वे तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के नजदीकी लोग हैं। बताया जा रहा है कि इस हमले के आरोपियों में से कुछ बेलगछिया और दमदम के रहने वाले हैं। जनता का मानना है कि पुलिस का रवैया पक्षपातपूर्ण है और वह सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को बचाने का प्रयास कर रही है।
इस पर पुलिस ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले की जांच अभी चल रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे गिरफ्तार किया जाएगा। इस बीच, आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में सीबीआई ने जांच तेज कर दी है। इस सिलसिले में अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष से लगातार पूछताछ की जा रही है। शनिवार को सीबीआई ने उनसे दूसरे दिन भी पूछताछ की।
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डॉक्टर संदीप घोष सुबह सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित सीबीआई के कार्यालय पहुंचे, जहां उनसे कई घंटों तक पूछताछ हुई। शुक्रवार को भी उनसे अपराह्न से लेकर देर शाम तक पूछताछ की गई थी। इस घटना के सामने आने के बाद डॉक्टर घोष ने अपने प्रिंसिपल के पद से इस्तीफा दे दिया था। इस पूरे मामले ने अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों में दहशत का माहौल है, और वे प्रशासन से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। इस घटना ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर भी राजनीतिक बहस छेड़ दी है, जिसमें विपक्षी दल पुलिस और सत्ताधारी पार्टी की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।
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अस्पताल में हुई तोड़फोड़ और महिला डॉक्टर की हत्या के मामले ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र और कानून व्यवस्था को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि इस मामले में कानून का शासन कैसे बहाल किया जाता है और दोषियों को कब तक सजा मिलती है।