लेटरल एंट्री पर विपक्ष का हमला, दलित, ओबीसी और एसटी आरक्षण के खिलाफ साजिश का आरोप.
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति की योजना बनाई गई है। इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को सीधे तौर पर ओबीसी, एससी और एसटी आरक्षण के खिलाफ बताया है।
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति की योजना बनाई गई है। इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को सीधे तौर पर ओबीसी, एससी और एसटी आरक्षण के खिलाफ बताया है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। भाजपा का यह कदम संविधान को कमजोर करने और बहुजन समाज से आरक्षण छीनने की कोशिश है।” इससे पहले, राहुल गांधी ने इसी मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के माध्यम से लोकसेवकों की भर्ती कर रहे हैं, जिससे संविधान पर हमला हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती करके एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।
राहुल गांधी ने कहा, “मैंने हमेशा यह बात कही है कि देश के शीर्ष पदों पर वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं है। इसे सुधारने के बजाय, सरकार लेटरल एंट्री के माध्यम से उन्हें और अधिक दूर कर रही है। यह न केवल UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के अधिकारों पर हमला है, बल्कि सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर भी चोट है।” कांग्रेस नेता के इस बयान पर विपक्ष के अन्य प्रमुख नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि इन पदों को निचले स्तर के कर्मचारियों को पदोन्नति देकर भरा जाना चाहिए। मायावती ने कहा कि एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग के लिए कोटा व्यवस्था लागू करके इन पदों पर भर्ती होनी चाहिए। अगर केंद्र सरकार ऐसा नहीं करती है, तो यह संविधान का उल्लंघन होगा।
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समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह अपनी विचारधारा के लोगों को यूपीएससी के उच्च पदों पर बैठाने का षडयंत्र कर रही है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की यह साजिश पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) से उसका आरक्षण और अधिकार छीनने की है।
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अखिलेश यादव ने युवाओं और अधिकारियों से अपील की है कि अगर सरकार अपने फैसले को नहीं बदलती है, तो वे इस मुद्दे पर सपा द्वारा दो अक्टूबर से शुरू किए जाने वाले आंदोलन में शामिल होकर विरोध करें। लेटरल एंट्री के मुद्दे पर विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रियाओं ने इसे एक गंभीर राजनीतिक विवाद बना दिया है। सरकार के इस कदम के खिलाफ आवाजें और तेज हो रही हैं, और आगामी समय में यह मामला और गर्मा सकता है।