कोलकाता रेप-मर्डर केस: CJI के सवालों पर ममता की ओर से सवालों का जवाब नहीं दे पाए कपिल सिब्बल, शव मिलने से अब तक की पूरी कहानी।
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में FIR दर्ज करने में 14 घंटे की देरी पर गंभीर चिंता जताई है।
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में FIR दर्ज करने में 14 घंटे की देरी पर गंभीर चिंता जताई है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से पूछा कि आखिर FIR दर्ज करने में इतनी देरी क्यों हुई। इस पूरे मामले में पुलिस और अस्पताल प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। घटना के बारे में सबसे पहले 9 अगस्त 2024 की सुबह 9:30 बजे पता चला, जब आरजी कर अस्पताल की एक प्रशिक्षु डॉक्टर ने महिला डॉक्टर की बॉडी को देखा। इसके बाद उन्होंने अपने वरिष्ठ डॉक्टरों को जानकारी दी, जिन्होंने तुरंत अस्पताल प्रशासन को सतर्क किया। सुबह 10:10 बजे, अस्पताल की पुलिस चौकी ने टाला पुलिस थाने को घटना की जानकारी दी। बताया गया कि आपातकालीन भवन की तीसरी मंजिल पर एक सेमिनार कक्ष में एक महिला अचेत अवस्था में पड़ी है। पुलिस ने इसे जनरल डायरी एंट्री के तौर पर दर्ज किया और घटनास्थल के लिए रवाना हो गई। सुबह 10:30 बजे पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद सीनियर अधिकारियों को सूचित किया गया और अपराध स्थल को सील कर दिया गया।
अस्पताल के सहायक अधीक्षक ने सुबह 10:52 बजे पीड़िता के परिवार को सूचना दी और जल्दी आने का आग्रह किया। इसके बाद दोपहर 12:44 बजे, ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने महिला डॉक्टर की मौत की पुष्टि की। इस बीच, पुलिस ने दोपहर 1:47 बजे अस्पताल से मेडिकल सर्टिफिकेट और डेथ सर्टिफिकेट प्राप्त किए और अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया। पीड़िता के परिवार और सहकर्मियों ने तुरंत पोस्टमार्टम की मांग की, जो न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में शाम 6:10 बजे से 7:10 बजे के बीच किया गया। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई। रात 8:00 बजे डॉग स्क्वाड मौके पर पहुंचा और रात 8:37 बजे से 8:52 बजे के बीच अपराध स्थल की 3डी मैपिंग की गई। इसके बाद फॉरेंसिक टीम ने 40 से अधिक वस्तुओं को जांच के लिए सुरक्षित किया।रात 11:45 बजे, पीड़िता के पिता की शिकायत पर रेप और मर्डर के आरोपों में FIR दर्ज की गई। पुलिस ने कहा कि पीड़िता के सहकर्मियों से पूछताछ और संदिग्धों की जांच 9 अगस्त से ही शुरू कर दी गई थी, और अगले दिन सुबह 10 बजे आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना के दौरान हुई प्रक्रियाओं में विसंगतियों पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने खासकर पोस्टमार्टम के बाद अप्राकृतिक मौत की एंट्री दर्ज किए जाने को लेकर सरकार की आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि अगर पोस्टमार्टम हो चुका है, तो इसका मतलब है कि अप्राकृतिक मौत की पुष्टि हो चुकी है, फिर एंट्री पोस्टमार्टम के बाद क्यों हुई? जस्टिस पार्डीवाला ने भी इस पर टिप्पणी की कि उनके 30 साल के करियर में उन्होंने ऐसा मामला नहीं देखा है। कोर्ट के सवालों पर बंगाल सरकार की ओर से पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल कई बार निरुत्तर दिखे।
कलकत्ता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने एफआईआर दर्ज करने में देरी को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने पूछा कि अप्राकृतिक मौत के रूप में मामला दर्ज होने के बावजूद FIR दर्ज करने में 14 घंटे क्यों लगे? ऐसे गंभीर मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब पीड़िता का शव सुबह 9:30 बजे देखा गया था, तो मौत की पुष्टि में तीन घंटे का समय क्यों लगा? डॉक्टर ने पुलिस को महिला के अचेत अवस्था में होने की सूचना दी थी, फिर इलाज की कोशिश क्यों नहीं की गई? कोलकाता पुलिस का दावा है कि क्राइम सीन को सुबह 10:30 बजे सील कर दिया गया था। लेकिन सीबीआई ने इसे नकारते हुए कहा कि जब हमने पांच दिन बाद जांच शुरू की, तब अपराध स्थल को बदल दिया गया था, जिससे जांच में चुनौती आ रही है।
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मृतक डॉक्टर के माता-पिता ने कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा कि उन्हें तीन घंटे तक इंतजार कराया गया और फिर बॉडी देखने की इजाजत दी गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें सुबह 10:53 बजे फोन पर बेटी की बीमारी की सूचना दी गई और फिर 11:15 बजे आत्महत्या की बात कही गई, जबकि पुलिस की टाइमलाइन में आत्महत्या का कोई जिक्र नहीं है। कोलकाता रेप और मर्डर केस में हुए घटनाक्रम और पुलिस की देरी पर ममता सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मामला करार देते हुए बंगाल सरकार को जल्द से जल्द जवाब देने का निर्देश दिया है। मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है, जिससे पीड़िता के परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद है।