हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: सियासी हलचल तेज़, गठबंधनों और उम्मीदवारों की तैयारियों पर सबकी नजर.
हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखें नज़दीक आने के साथ ही राज्य में सियासी गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए 1 अक्तूबर को मतदान होना तय है, और इसके लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखें नज़दीक आने के साथ ही राज्य में सियासी गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए 1 अक्तूबर को मतदान होना तय है, और इसके लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए बैठकों का दौर तेज़ कर दिया है। वहीं, कांग्रेस भी अपने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया में जुटी हुई है। इन दो प्रमुख दलों के अलावा, राज्य में अन्य राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं, जिनमें जननायक जनता पार्टी (जजपा), इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), और हाल में गठित आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) शामिल हैं।
हाल ही में, जजपा ने सांसद चंद्रशेखर आजाद की अगुवाई वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन का ऐलान किया है। इस गठबंधन के तहत 70 सीटों पर जजपा और 20 सीटों पर आजाद समाज पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी। जजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती थीं और 14.9% वोट हासिल किए थे। इसके साथ ही जजपा 10 अन्य सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। 2018 में बनी जजपा का यह पहला विधानसभा चुनाव था और उसके प्रदर्शन ने उसे एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया था। दूसरी ओर, आजाद समाज पार्टी के लिए यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। चंद्रशेखर आजाद, जो हाल ही में उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद बने हैं, अब हरियाणा की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं।
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इनेलो और बसपा के बीच भी गठबंधन हुआ है। इस गठबंधन के तहत 53 सीटों पर इनेलो और 37 सीटों पर बसपा अपने उम्मीदवार उतारेगी। बसपा ने पहले ही चार उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि इनेलो भी जल्द ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने वाली है। इनेलो का पिछला प्रदर्शन निराशाजनक रहा था, जहां पार्टी ने मात्र एक सीट जीती थी और 2.5% वोट शेयर हासिल किया था। इसके विपरीत, 2014 के चुनाव में इनेलो के 19 विधायक विधानसभा पहुंचे थे और 24.2% वोट मिले थे। 2009 में इनेलो ने 31 सीटें जीती थीं और 25.8% वोट शेयर हासिल किया था।
बसपा का प्रदर्शन भी पिछले चुनावों में खास नहीं रहा। 2019 के चुनाव में पार्टी ने 87 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी और केवल 4.2% वोट मिले थे। इससे पहले, 2014 में पार्टी को 4.4% और 2009 में 6.7% वोट मिले थे, जिसमें से पार्टी को एक-एक सीट मिली थी। आम आदमी पार्टी (आप) भी हरियाणा चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरेगी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा है कि आप सभी 90 सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारेगी और अच्छा प्रदर्शन करेगी। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 0.5% वोट हासिल किए थे, जो पार्टी का राज्य में पहला विधानसभा चुनाव था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने कुरुक्षेत्र सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
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हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ अन्य दलों के प्रदर्शन पर भी खास नजरें रहेंगी। चुनाव आयोग ने 16 अगस्त को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था। हरियाणा में 5 सितंबर को अधिसूचना जारी की जाएगी, 12 सितंबर नामांकन की अंतिम तारीख होगी, 1 अक्तूबर को मतदान होगा, और 4 अक्तूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।