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कांग्रेस ने आम चुनाव में उम्मीदवारों को दी गई फंडिंग का खुलासा किया, राहुल गांधी समेत कई प्रत्याशियों को मिला बड़ा आर्थिक समर्थन

कांग्रेस पार्टी ने इस साल हुए आम चुनाव में अपने उम्मीदवारों को पार्टी फंड से दी गई धनराशि की जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपी है। इस विवरण के अनुसार, पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से बीजेपी की उम्मीदवार और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले विक्रमादित्य सिंह पर सबसे ज्यादा खर्च किया।

कांग्रेस पार्टी ने इस साल हुए आम चुनाव में अपने उम्मीदवारों को पार्टी फंड से दी गई धनराशि की जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपी है। इस विवरण के अनुसार, पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से बीजेपी की उम्मीदवार और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले विक्रमादित्य सिंह पर सबसे ज्यादा खर्च किया। विक्रमादित्य को पार्टी फंड से कुल 87 लाख रुपये मिले, जो कांग्रेस के अन्य प्रत्याशियों की तुलना में सबसे अधिक है। हालांकि, इस चुनाव में विक्रमादित्य को हार का सामना करना पड़ा था। राहुल गांधी को भी कांग्रेस पार्टी से चुनाव प्रचार के लिए बड़ी धनराशि मिली। राहुल गांधी ने इस चुनाव में उत्तर प्रदेश की रायबरेली और केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था। इन दोनों सीटों के लिए उन्हें कुल 1.40 करोड़ रुपये की धनराशि पार्टी फंड से मिली, जिसका मतलब है कि प्रत्येक सीट के लिए उन्हें 70 लाख रुपये मिले। चुनाव परिणाम में, राहुल गांधी ने इन दोनों ही सीटों पर शानदार जीत दर्ज की, प्रत्येक सीट पर करीब 4 लाख वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की। वर्तमान में, राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी ने अपने अन्य प्रमुख उम्मीदवारों को भी चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त धनराशि मुहैया कराई। उदाहरण के लिए, यूपी की अमेठी सीट से चुनाव लड़ने वाले किशोरी लाल शर्मा को पार्टी से 70 लाख रुपये दिए गए थे। किशोरी लाल शर्मा ने इस चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता स्मृति ईरानी को पराजित किया था। इसके अलावा, केरल की अलाप्पुझा सीट से चुनाव लड़ने वाले केसी वेणुगोपाल और मणिकम टैगोर को भी पार्टी फंड से 70-70 लाख रुपये मिले थे। मध्यप्रदेश की राजगढ़ सीट से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को पार्टी फंड से 50 लाख रुपये दिए गए थे। हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह, कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा को भी 46 लाख रुपये की राशि पार्टी फंड से प्राप्त हुई थी, लेकिन उन्हें भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

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चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, लोकसभा चुनाव में एक प्रत्याशी अधिकतम 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है, जबकि विधानसभा चुनाव में यह सीमा 40 लाख रुपये तक होती है। हालांकि, यह सीमा कुछ राज्यों में अलग-अलग हो सकती है। कांग्रेस पार्टी के इस चुनावी फंड के विवरण से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी ने अपने प्रमुख उम्मीदवारों को पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की, ताकि वे चुनावी अभियान को प्रभावी तरीके से संचालित कर सकें। गौरतलब है कि प्रत्याशी खर्च की एक सीमा होती है, लेकिन राजनीतिक दलों के लिए ऐसी कोई सीमा नहीं होती। कांग्रेस द्वारा घोषित इस फंडिंग से यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी ने विभिन्न सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की कोशिश की। हालांकि, पार्टी द्वारा दी गई इस आर्थिक सहायता के बावजूद, कुछ प्रमुख उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सिर्फ धनराशि ही चुनावी सफलता की गारंटी दे सकती है या नहीं।

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कुल मिलाकर, कांग्रेस पार्टी ने इस आम चुनाव में अपने उम्मीदवारों को प्रभावी चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता दी। इस फंडिंग से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को हर संभव मदद देने की कोशिश की, ताकि वे चुनावी मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। इसके बावजूद, चुनावी परिणाम मिश्रित रहे, जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने भारी मतों से जीत दर्ज की, जबकि कुछ को हार का सामना करना पड़ा।

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