चिराग पासवान ने गृह मंत्री अमित शाह से की मुलाकात, बिहार चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन पर जताई प्रतिबद्धता.
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दिया है, खासकर जब से चिराग पासवान की पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार से अलग रुख रखती है।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दिया है, खासकर जब से चिराग पासवान की पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार से अलग रुख रखती है। जातिगत जनगणना, लैटरल एंट्री आरक्षण, और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चिराग पासवान के विचारों ने कई बार सत्ताधारी दल के साथ असहमति के संकेत दिए हैं।
हालांकि, इन अटकलों के बीच चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच संबंध अविभाज्य हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा, “नरेंद्र मोदी के प्रति मेरा प्यार अटल है। जब तक वह प्रधानमंत्री हैं, मैं उनसे अविभाज्य हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी और भाजपा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें। यह बयान उन अफवाहों को खारिज करता है जिनमें कहा जा रहा था कि चिराग पासवान और भाजपा के बीच संबंधों में खटास आ गई है।
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चिराग पासवान ने बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन पर अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, “हमारी पार्टी का बिहार और केंद्र में भाजपा के साथ गठबंधन है, और हम इस गठबंधन धर्म का पालन करेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी झारखंड जैसे राज्यों में भी एनडीए के अन्य साथियों के साथ गठबंधन के लिए तैयार है। “हम राष्ट्रीय स्तर पर और अपने गृह राज्य में गठबंधन धर्म का पालन करेंगे। हालांकि झारखंड जैसे राज्यों में हमारे पास कोई बंधन नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम वहां भाजपा के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं। अगर भाजपा और एनडीए के अन्य साथी हमें अपने साथ चाहते हैं, तो हम तैयार हैं,” चिराग ने कहा।
अपने चाचा और लोक जनशक्ति पार्टी के अलग हुए गुट के नेता, पशुपति पारस, के बारे में चिराग पासवान ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “उन्होंने (पारस) जनता का सारा समर्थन खो दिया है। वह लोकसभा चुनाव से पहले भी सभी लोगों से मिल रहे थे, लेकिन यह कवायद कोई फायदा नहीं पहुंचा पाई।” चिराग की यह टिप्पणी पारस की राजनीतिक स्थिति और उनके पार्टी में प्रभाव को लेकर एक स्पष्ट संदेश देती है।
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चिराग पासवान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति में असमंजस का माहौल है। बिहार में जातिगत जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दे केंद्र और राज्य सरकार के बीच मतभेद पैदा कर रहे हैं। इन मुद्दों पर चिराग पासवान का स्पष्ट रुख और भाजपा के साथ उनकी प्रतिबद्धता, बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। आगामी चुनाव में भाजपा और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के गठबंधन की संभावना इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों दल इन जटिल मुद्दों को कैसे संभालते हैं।