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भाजपा से टिकट कटने पर कविता जैन के समर्थकों में आक्रोश, 8 सितंबर को बड़े फैसले की चेतावनी.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा आगामी चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी करने के बाद, हरियाणा की पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन के समर्थकों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा आगामी चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी करने के बाद, हरियाणा की पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन के समर्थकों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। भाजपा द्वारा टिकट कटने के फैसले के बाद से ही जैन के समर्थक आक्रोशित हैं। बुधवार को उनके समर्थकों ने एक बैठक आयोजित की, जिसमें कविता जैन भावुक होकर फूट-फूटकर रो पड़ीं।

इस बैठक में कविता जैन ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी के इस निर्णय से उन्हें गहरा धक्का लगा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से धैर्य रखने की अपील की, लेकिन उनके समर्थक इस फैसले से खासे नाराज दिखे। बैठक में उपस्थित कार्यकर्ताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा उम्मीदवार निखिल मदान के खिलाफ नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं ने खुलेआम भाजपा से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की और कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे 8 सितंबर को आयोजित होने वाली अगली बैठक में “बड़ा फैसला” लेंगे।

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बैठक में कविता जैन के समर्थकों ने पार्टी के भीतर की राजनीति पर नाराजगी जताई और टिकट कटने की वजह से उनके निवास पर समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हो गई। बताया जा रहा है कि जैन के सेक्टर-15 स्थित आवास पर मायूसी का माहौल है और समर्थक लगातार उनके समर्थन में इकट्ठा हो रहे हैं। इस दौरान कई पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है, जिसमें पार्षद इंदु वलेचा और उनके पति संजीव वलेचा भी शामिल हैं। इनके साथ ही 28 अन्य पार्टी पदाधिकारियों ने भी इस्तीफा दे दिया है, जिससे पार्टी के अंदर संकट की स्थिति पैदा हो गई है।

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कविता जैन के समर्थकों का मानना है कि उनका टिकट काटकर पार्टी ने गलत निर्णय लिया है और वे इस पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं। भाजपा को चेतावनी दी गई है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आगामी चुनावों में इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस मामले पर भाजपा की ओर से अभी कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कार्यकर्ताओं की नाराजगी और बड़े नेताओं के खिलाफ हो रही नारेबाजी ने भाजपा के अंदरूनी हालातों को उजागर कर दिया है। पार्टी नेतृत्व के सामने अब चुनौती है कि वह किस तरह से इस असंतोष को दूर करती है और आगामी चुनावों में पार्टी की एकता को कैसे बनाए रखती है।

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