SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच पर कांग्रेस के आरोप, वोकहार्ट से किराए के लेन-देन पर उठे सवाल.
हाल ही में कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं। ये आरोप मुख्य रूप से एक कंपनी वोकहार्ट की सहयोगी कंपनी कैरोल इंफो सर्विसेज से संबंधित हैं, जिसने कथित तौर पर बुच को उनकी संपत्ति के किराए के रूप में एक बड़ी रकम का भुगतान किया है।
हाल ही में कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं। ये आरोप मुख्य रूप से एक कंपनी वोकहार्ट की सहयोगी कंपनी कैरोल इंफो सर्विसेज से संबंधित हैं, जिसने कथित तौर पर बुच को उनकी संपत्ति के किराए के रूप में एक बड़ी रकम का भुगतान किया है। कांग्रेस के अनुसार, यह मामला SEBI के वर्तमान प्रमुख द्वारा वोकहार्ट से जुड़े मामलों की जांच के दौरान एक हितों के टकराव का संकेत देता है। हालांकि, वोकहार्ट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें बेबुनियाद करार दिया है। कांग्रेस के मीडिया और पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के प्रमुख पवन खेड़ा ने 6 सितंबर 2023 को माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2018 से 2024 के बीच, पहले SEBI की होल-टाइम सदस्य और बाद में चेयरपर्सन रहते हुए, अपनी एक संपत्ति कैरोल इंफो सर्विसेज को किराए पर दी। खेड़ा का दावा है कि इस अवधि में बुच को कैरोल इंफो सर्विसेज से 2.16 करोड़ रुपए की किराए की राशि मिली।
आरोपों के अनुसार, 2018 में SEBI की होल-टाइम सदस्य बनने के बाद बुच ने अपनी संपत्ति को किराए पर देना शुरू किया। 2018-19 में उन्हें इस संपत्ति से 7 लाख रुपए का किराया मिला, जबकि 2019-20 में यह राशि बढ़कर 36 लाख हो गई। वर्तमान वर्ष में यह राशि और अधिक बढ़कर 46 लाख रुपए हो गई। कांग्रेस का कहना है कि इस तरह की वित्तीय लेन-देन SEBI के नियमों और नैतिकता के खिलाफ है, क्योंकि SEBI उस कंपनी की जांच कर रहा है जिससे बुच ने यह किराया प्राप्त किया।
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वोकहार्ट ने कांग्रेस के इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। कंपनी ने बयान जारी कर कहा कि आरोपों का SEBI द्वारा उस पर की जा रही किसी भी जांच से कोई लेना-देना नहीं है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने हमेशा कानूनों का पालन किया है और यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी नियम का उल्लंघन न हो। हालांकि, कंपनी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या उसने वास्तव में बुच से कोई प्रॉपर्टी किराए पर ली थी या नहीं। यदि वोकहार्ट ने स्पष्ट रूप से यह कह दिया होता कि उसने बुच से कोई संपत्ति किराए पर नहीं ली और इसका प्रमाण भी पेश किया होता, तो इन आरोपों का प्रभाव शायद कम हो सकता था।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है कि जिस कंपनी को बुच ने अपनी संपत्ति किराए पर दी, वह कैरोल इंफो सर्विसेज है, जो वोकहार्ट की सहयोगी कंपनी है। यह वही वोकहार्ट है जिसके खिलाफ SEBI कई मामलों की जांच कर रहा है। इन मामलों में 2023 में हुए इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला भी शामिल है। कांग्रेस का आरोप है कि बुच का किराए का यह सौदा वोकहार्ट के साथ SEBI की जांच के दौरान हितों के टकराव का एक उदाहरण है, जो उनकी भूमिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
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यह पहला मौका नहीं है जब SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को लेकर विवाद सामने आया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से उनके खिलाफ कई प्रकार के आरोप और आलोचनाएं हो चुकी हैं। SEBI के अंदर भी कई अधिकारी उनकी कार्यशैली से असंतुष्ट हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुच के कुछ फैसले और कार्यशैली को लेकर उनके अपने कर्मचारी भी सवाल उठा रहे हैं।
इस पूरे मामले में वोकहार्ट ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार बताया है और यह सुनिश्चित किया है कि कंपनी ने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। हालांकि, वोकहार्ट ने आरोपों के मुख्य बिंदु, यानी प्रॉपर्टी किराए पर लेने की बात पर स्पष्टता नहीं दी है। कांग्रेस के आरोपों ने SEBI के प्रमुख की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं, खासकर तब जब SEBI वोकहार्ट की जांच कर रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर SEBI और वोकहार्ट के बीच क्या संवाद होता है और जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है।