केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करने का फैसला लिया है। इस निर्णय की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति’ के संकल्प से प्रेरित होकर लिया गया है। अमित शाह ने इस महत्वपूर्ण बदलाव की जानकारी एक्स (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से साझा की। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत गुलामी के सभी प्रतीकों से खुद को मुक्त करने के अभियान में आगे बढ़ रहा है। इस दिशा में, गृह मंत्रालय ने आज पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। यह नाम हमारे स्वतंत्रता संग्राम और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के अमूल्य योगदान का प्रतीक है।”
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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गहरा और ऐतिहासिक संबंध रहा है। इस द्वीप का नाम बदलना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को सच्ची श्रद्धांजलि भी है। यह वही स्थान है जहाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर 1943 को सबसे पहले भारतीय तिरंगा फहराया था, जिसे उन्होंने ‘आजाद हिंद सरकार’ के अंतर्गत ‘स्वतंत्र भारत’ का पहला प्रतीकात्मक कार्य कहा था।इसके अलावा, अंडमान का कुख्यात सेलुलर जेल, जिसे ‘काला पानी’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत के कई स्वतंत्रता सेनानियों की गवाही देता है, जिन्होंने वहां ब्रिटिश शासन के दौरान अपनी जान की परवाह न करते हुए संघर्ष किया। वीर सावरकर और अनेक स्वतंत्रता सेनानी यहां कैद रहे और भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपनी जान न्योछावर की।
गृह मंत्री अमित शाह ने अंडमान और निकोबार के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह द्वीप चोल साम्राज्य के समय से ही नौसेना अड्डे की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। आज भी यह क्षेत्र भारत की सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। समुद्री सुरक्षा और व्यापार के लिए यह द्वीप रणनीतिक दृष्टि से अहम भूमिका निभाता है। शाह ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि यह नामकरण भारत की सांस्कृतिक धरोहर और गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम न केवल द्वीप की समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है, बल्कि यह भारत के भविष्य की सुरक्षा और विकास में इसकी बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करता है।
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पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करना केवल एक प्रतीकात्मक कदम नहीं है। यह उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों और नायकों का सम्मान है जिन्होंने इस द्वीप पर आकर देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होने’ और भारतीय सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने के प्रयासों का हिस्सा है।