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वन नेशन, वन इलेक्शन, इलेक्शन’, भारतीय चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव?

वन नेशन, वन इलेक्शन' एक ऐसा विचार है, जो चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ-साथ संसाधनों की बचत करने का दावा करता है। हालांकि, इसके लिए राजनीतिक सहमति और संवैधानिक बदलावों की आवश्यकता होगी। अगर यह विधेयक पारित होता है, तो यह भारतीय चुनाव प्रणाली में एक बड़ा बदलाव हो सकता है।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रमुख एजेंडों में से एक है। इस विचार का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। सरकार तेजी से इस दिशा में काम कर रही है, और उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी सरकार अपने वर्तमान कार्यकाल (मोदी 3.0) में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश कर सकती है। इसका मतलब यह है कि देशभर के सभी चुनाव एक ही समय पर होंगे, जो बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रिया को सरल बना सकता है। मोदी सरकार वर्तमान में अपने सहयोगियों के समर्थन पर निर्भर है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ जेडीयू (JDU) और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) जैसी प्रमुख पार्टियों का सहयोग भी है। ये पार्टियां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा हैं और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के विचार पर सरकार का समर्थन कर रही हैं। बताया जा रहा है कि एनडीए में शामिल सभी दल इस अवधारणा के पक्ष में हैं और इसके कार्यान्वयन के लिए तैयार हैं।

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यह विचार केवल सरकार का एजेंडा ही नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बार-बार जनता और अन्य राजनीतिक दलों के समक्ष प्रस्तुत किया है। बीजेपी के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का वादा किया गया था। इस साल स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में पीएम मोदी ने राजनीतिक दलों से इस दिशा में साथ आने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि “समय की मांग है कि हम एक राष्ट्र, एक चुनाव के संकल्प को हासिल करें।” इससे चुनावों की प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध बनाने की उम्मीद जताई जा रही है।

सरकार ने इस मुद्दे पर अध्ययन और विचार के लिए एक समिति गठित की, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की। इस समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने सुझाव दिया है कि पहले लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे सभी स्तरों के चुनाव एक निश्चित समय सीमा में संपन्न हो सकें।

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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मुख्य उद्देश्य चुनावों की आवृत्ति को कम करना और संसाधनों की बचत करना है। बार-बार चुनाव कराने से सरकार और जनता दोनों पर वित्तीय और प्रशासनिक बोझ पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से प्रशासनिक लागत कम होगी और विकास योजनाओं के संचालन में भी रुकावटें कम होंगी। हालांकि, इस प्रस्ताव के खिलाफ भी कुछ तर्क दिए जा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इससे क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान हो सकता है और स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय मुद्दों के नीचे दबा दिया जाएगा। इसके अलावा, यह भी तर्क दिया जा रहा है कि एक साथ चुनाव कराने से संसदीय और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।

 

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