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राहुल गांधी की अमेरिका यात्र, आरक्षण और सिखों पर बयान से उपजा विवाद

राहुल गांधी की इस अमेरिका यात्रा ने भारतीय राजनीति में कई मुद्दों को जन्म दिया। आरक्षण पर उनके विचार और सिख समुदाय को लेकर दिए बयान ने विवादों को हवा दी, जबकि इल्हान उमर से उनकी मुलाकात ने राजनीतिक समीकरणों को और जटिल बना दिया। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन विवादों का कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य पर क्या असर पड़ता है, खासकर तब जब 2024 के आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं।

कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपनी तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा पूरी कर दिल्ली लौट चुके हैं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर विचार व्यक्त किए, जिनमें से आरक्षण और सिख समुदाय को लेकर दिए गए उनके बयान भारत में विवाद का विषय बन गए। साथ ही, अमेरिकी कांग्रेस सदस्य इल्हान उमर से उनकी मुलाकात ने भी खासा ध्यान आकर्षित किया। राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान आरक्षण को लेकर जो बयान दिया, उसने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ी बहस छेड़ दी। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में दिए गए इस बयान में उन्होंने कहा, “हम आरक्षण समाप्त करने के बारे में तभी सोच सकते हैं, जब भारत पूरी तरह से निष्पक्ष हो जाएगा।” उनके इस बयान के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह बयान दलितों और पिछड़ों के अधिकारों पर हमला है।

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मायावती के बाद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और अन्य विपक्षी दलों ने भी राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया। बीजेपी के नेताओं ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी मानसिकता रखने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि कांग्रेस के शासनकाल में कई ऐसे मौके आए, जब आरक्षण की सिफारिशों को अनदेखा किया गया। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि काका कालेलकर आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया और मंडल आयोग की रिपोर्ट को भी कांग्रेस सरकार ने वर्षों तक ठंडे बस्ते में डाला। इन बातों का जिक्र करते हुए कई नेताओं ने कहा कि आजादी के बाद से कांग्रेस पार्टी आरक्षण के खिलाफ रही है।

राहुल गांधी के सिख समुदाय को लेकर दिए गए बयान ने भी विवाद को जन्म दिया। उन्होंने नेशनल प्रेस क्लब में कहा, “भारत में सिख समुदाय अब डरने लगा है कि उन्हें पगड़ी और कड़ा पहनने की अनुमति मिलेगी या नहीं।” उनके इस बयान ने भारतीय सिख समुदाय में हलचल मचा दी और कई लोगों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाने वाला बताया।सिख समुदाय के कुछ नेताओं ने इस बयान की सराहना की, जबकि अन्य ने इसे गैर-जरूरी और विभाजनकारी बताया। उनका कहना था कि भारत में सिखों को अपनी धार्मिक पहचान के साथ जीने का अधिकार है और ऐसा कोई मुद्दा नहीं है जिससे वे डरें। इस बयान को लेकर कई नेताओं ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह विदेश में जाकर भारत की छवि को धूमिल कर रहे हैं और ऐसे बयान देकर देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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राहुल गांधी की अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य इल्हान उमर से मुलाकात भी विवाद का कारण बनी। इल्हान उमर को उनके भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता है, खासकर कश्मीर और अल्पसंख्यक अधिकारों पर उनके बयानों के चलते। इस मुलाकात को लेकर भारतीय राजनीतिक गलियारों में राहुल गांधी की कड़ी आलोचना हुई। कई नेताओं ने इसे कांग्रेस की “भारत विरोधी” नीति के तौर पर देखा और आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने एक ऐसी नेता से मुलाकात की, जो भारत के खिलाफ लगातार बयान देती रही हैं। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इस मुलाकात को एक सामान्य राजनीतिक वार्ता बताया और कहा कि यह दोनों नेताओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान था, जिसका भारत की घरेलू राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन इस मुलाकात ने राहुल गांधी के आलोचकों को एक और मुद्दा दे दिया, जिस पर वह उन्हें घेरने का प्रयास कर रहे हैं।

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