नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान की मूल भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्थाएं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती हैं, लेकिन उनके खिलाफ हानिकारक और भड़काऊ बयान उन्हें निराश कर सकते हैं। धनखड़ ने यह भी कहा कि राजनीतिक भड़काऊ बहसें हमारे संस्थानों के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं और ऐसी चर्चाओं से बचा जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि राज्य के सभी अंगों का उद्देश्य एक है – संविधान की मूल भावना को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना कि आम आदमी को उसके सभी अधिकार प्राप्त हों। उन्होंने कहा, “भारत को प्रगति और विकास की ओर ले जाने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक आदर्शों का पालन करना बेहद जरूरी है। हमें मिलकर एकजुट होकर काम करना होगा ताकि हमारा लोकतंत्र सुदृढ़ बना रहे और देश में हर व्यक्ति को उसके अधिकार मिल सकें।”
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धनखड़ ने कहा कि जो संस्थान कठिन परिस्थितियों में भी अपना कार्य पूरी निष्ठा से करते हैं, उनके खिलाफ हानिकारक बयानबाज़ी न केवल उन्हें कमजोर करती है बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी विपरीत असर डालती है। उन्होंने कहा, “संस्थाएं स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और हमें उनका समर्थन करना चाहिए। हमें उनके खिलाफ कोई ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो उन्हें कमजोर करे या राजनीतिक बहस को बढ़ावा दे।” उपराष्ट्रपति ने भारत की आर्थिक प्रगति का भी उल्लेख किया और कहा कि देश अब प्रगति की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत की तरक्की को अब कोई नहीं रोक सकता। देश आर्थिक रूप से उभर रहा है और वैश्विक स्तर पर एक पसंदीदा निवेश स्थल बन रहा है।” अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अनुसार, भारत निवेश और अवसरों के मामले में सबसे आगे है और यह भविष्य में और अधिक अवसरों की ओर अग्रसर है।
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धनखड़ ने भ्रष्टाचार की समस्या पर भी चर्चा की और कहा कि पहले के समय में भ्रष्टाचार हर स्तर पर फैला हुआ था, लेकिन अब स्थिति में सुधार आया है। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार ने हमारे समाज को अंदर से खोखला कर दिया था। नौकरियों से लेकर ठेकों तक, हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त था। अब, देश में युवाओं के लिए अवसर खुल गए हैं और उन्हें अपनी क्षमता का उपयोग करने के बेहतर मौके मिल रहे हैं।”
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि शिक्षा एक सेवा है, व्यापार नहीं। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य समाज की सेवा करना होना चाहिए, न कि उसे एक व्यावसायिक गतिविधि के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और छात्रों को समुद्र विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अवसरों को तलाशना चाहिए। अपने भाषण के अंत में, धनखड़ ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि AI सुशासन के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रौद्योगिकी प्रशासन में सुधार करने और जनसेवा में गुणवत्ता लाने के लिए महत्वपूर्ण है।