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दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही आतिशी, जानिए दिल्ली की सियासत में महिलाओं का सफर

दिल्ली की राजनीति में आज का दिन एतिहासिक है। मौजूदा मंत्री आतिशी को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं।

दिल्ली की राजनीति में आज का दिन एतिहासिक है। मौजूदा मंत्री आतिशी को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में अब तक किन महिला नेताओं ने मुख्यमंत्री पद संभाला है और किस राजनीतिक दल से उनका जुड़ाव था? आइए, इस ऐतिहासिक सफर पर नज़र डालते हैं।

आतिशी दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रही तीसरी महिला नेता हैं। मौजूदा दिल्ली सरकार में सबसे अधिक विभागों का जिम्मा संभाल रही आतिशी आम आदमी पार्टी की एक प्रमुख चेहरा हैं। अरविंद केजरीवाल के नजदीकी सहयोगियों में से एक मानी जाने वाली आतिशी, समाजसेवा के क्षेत्र में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरकर आई थीं। उनके नाम की चर्चा अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद से ही हो रही थी, और आज आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से आतिशी को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया।

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आतिशी की शिक्षा और पृष्ठभूमि भी खासा ध्यान आकर्षित करती है। वह एक पंजाबी राजपूत परिवार से आती हैं और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता तब निखर कर सामने आई जब दिल्ली की शराब नीति के मामले में अरविंद केजरीवाल जेल गए थे और तब से आतिशी ने सरकार की जिम्मेदारी बखूबी संभाली। मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम के अलावा कैलाश गहलोत, गोपाल राय, और सौरभ भारद्वाज जैसे प्रमुख नेताओं के नाम भी सामने आए थे, लेकिन पार्टी ने अंततः आतिशी पर भरोसा जताया।

आतिशी से पहले, दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज थीं। साल 1998 में उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का जिम्मा सौंपा गया था। उस समय प्याज की बढ़ती कीमतों और भाजपा सरकार के खिलाफ बढ़ते असंतोष ने तब के मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था। भाजपा आलाकमान ने सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी, लेकिन उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। वह केवल 52 दिनों तक ही इस पद पर रहीं, क्योंकि विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। 1998 के चुनावों से पहले, 1993 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 49 सीटें जीती थीं। लेकिन 1998 में सत्ता विरोधी लहर के चलते पार्टी केवल 15 सीटों पर सिमट गई, और सुषमा स्वराज की जगह शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली।

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दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री और सबसे लंबे समय तक इस पद पर बनी रहीं शीला दीक्षित, कांग्रेस की एक प्रमुख नेता थीं। उन्होंने 1998 में भाजपा की हार के बाद दिल्ली की सत्ता संभाली। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 1998 के चुनावों में शानदार जीत दर्ज की और दिल्ली में स्थिर सरकार बनाई। शीला दीक्षित का राजनीतिक करियर बेहद प्रभावशाली रहा। 2003 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने फिर से सत्ता हासिल की, जब पार्टी को 47 सीटों पर जीत मिली, जबकि भाजपा को केवल 20 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इसके बाद, 2008 के चुनावों में भी कांग्रेस ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की और भाजपा को 23 सीटों पर सीमित कर दिया। शीला दीक्षित 1998 से लेकर 2013 तक, कुल 15 वर्षों तक लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं, जो अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है। उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली में बुनियादी ढांचे में सुधार, मेट्रो का विस्तार और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय विकास हुआ।

दिल्ली की राजनीति में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और आतिशी के मुख्यमंत्री बनने से यह परंपरा आगे बढ़ेगी। सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित जैसे नेताओं ने दिल्ली की राजनीति में महिलाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। जहां सुषमा स्वराज का कार्यकाल भले ही छोटा रहा हो, लेकिन उनके राजनीतिक योगदान को देशभर में सराहा जाता है। वहीं, शीला दीक्षित ने अपने लंबे कार्यकाल में दिल्ली को एक आधुनिक महानगर के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आतिशी का मुख्यमंत्री बनना न केवल आम आदमी पार्टी के लिए एक नई दिशा का संकेत है, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को भी मजबूती प्रदान करता है। उनके सामने कई चुनौतियां होंगी, लेकिन उनके शिक्षा और अनुभव के बल पर उम्मीद है कि वह इन चुनौतियों का सामना कर सकेंगी और दिल्ली को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।

 

 

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