महाराष्ट्र चुनाव के पहले विवादित बयानों से सियासत गरमाई, नितेश राणे के बयान पर वारिस पठान का कड़ा पलटवार
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं। चुनावी माहौल के बीच नेताओं की बयानबाजी ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। बीजेपी नेता नितेश राणे ने एक बार फिर ऐसा विवादित बयान दिया है, जिससे राज्य की राजनीति गरमा गई है।
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं। चुनावी माहौल के बीच नेताओं की बयानबाजी ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। बीजेपी नेता नितेश राणे ने एक बार फिर ऐसा विवादित बयान दिया है, जिससे राज्य की राजनीति गरमा गई है। 20 सितंबर को संगोली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राणे ने कहा, “अगर केवल 24 घंटे के लिए पुलिसकर्मियों को छुट्टी दे दी जाए, तो हम अपनी ताकत दिखा देंगे।” नितेश राणे का यह बयान तेजी से विवादों का केंद्र बन गया है। एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान ने इस पर पलटवार करते हुए बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता जानबूझकर इस तरह के विवादित बयान दे रहे हैं ताकि चुनाव से पहले राज्य का माहौल बिगाड़ा जा सके।
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वारिस पठान ने अपने बयान में कहा, “राणे ने पहले भी विवादित बयान दिए हैं। उन्होंने कहा था कि हम मुसलमानों को मस्जिद में घुसकर मारेंगे। मैं यह कहता हूं कि मस्जिद में आएगा दो टांगों पर, लेकिन वापस स्ट्रेचर पर जाएगा।” पठान ने नितेश राणे के हालिया बयान पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “अगर मैं (वारिस पठान) ऐसा बयान देता, तो मुझे जेल में डाल दिया जाता।” उन्होंने आगे कहा कि राणे का बयान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है, फिर भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। “पुलिस की चुप्पी यह दिखाती है कि बीजेपी राज्य में सांप्रदायिक तनाव और दंगे-फसाद भड़काना चाहती है। वह जानबूझकर ऐसा माहौल पैदा कर रही है ताकि लोगों का ध्यान असली मुद्दों से हटाया जा सके,” पठान ने कहा।
यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी नेताओं के विवादित बयानों पर सवाल उठे हैं। कुछ समय पहले रामगिरी ने भी एआईएमआईएम के नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उस समय भी एआईएमआईएम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वारिस पठान ने यह आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव के मद्देनजर राज्य में सांप्रदायिक विभाजन को भड़काने की कोशिश कर रही है, क्योंकि वह विकास के नाम पर कुछ नहीं कर पाई है।
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महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मी के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी भी बढ़ गई है। बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच तीखी नोकझोंक जारी है। जहां बीजेपी अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इस तरह के बयानों का सहारा ले रही है, वहीं विपक्ष इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश के रूप में देख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र में इस बार के चुनाव काफी संवेदनशील होंगे, जहां न केवल विकास के मुद्दे, बल्कि सांप्रदायिक और सामाजिक विभाजन भी प्रमुखता से सामने आएंगे।