दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी का बड़ा फैसला, केजरीवाल के लिए खाली रखी मुख्यमंत्री की कुर्सी, भाजपा ने उठाए सवाल.
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने राजधानी की कमान संभालते ही एक अहम घोषणा की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अरविंद केजरीवाल के लिए खाली रखी जाएगी। आतिशी ने कहा कि वे दिल्ली की जिम्मेदारी जरूर संभालेंगी, लेकिन उनका मानना है कि यह कुर्सी असल में अरविंद केजरीवाल की है, और वही दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे।
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने राजधानी की कमान संभालते ही एक अहम घोषणा की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अरविंद केजरीवाल के लिए खाली रखी जाएगी। आतिशी ने कहा कि वे दिल्ली की जिम्मेदारी जरूर संभालेंगी, लेकिन उनका मानना है कि यह कुर्सी असल में अरविंद केजरीवाल की है, और वही दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे। आतिशी ने कहा, “मेरे मन में वही भावना है, जैसी भगवान राम के वनवास पर जाने के बाद भरत के मन में थी। उन्होंने भगवान राम की खड़ाऊं रखकर शासन चलाया था। मैं भी उसी तरह से केजरीवाल के लिए यह कुर्सी खाली रखूंगी। उन्होंने जिस मर्यादा का पालन करते हुए इस्तीफा दिया, वह सराहनीय है। मुझे विश्वास है कि आगामी विधानसभा चुनावों में दिल्ली की जनता उन्हें फिर से भारी बहुमत से विजयी बनाएगी और वे दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे।”
आतिशी के इस फैसले पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आतिशी के इस कदम को संविधान और मुख्यमंत्री पद का अपमान करार दिया है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री की कुर्सी पर इस तरह से दोहरी स्थिति पैदा करना असंवैधानिक है। आतिशी जी का यह कदम आदर्श का पालन नहीं बल्कि साफ तौर पर चापलूसी है। इससे मुख्यमंत्री पद की गरिमा और दिल्ली की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है।” वीरेंद्र सचदेवा ने आप पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्या अरविंद केजरीवाल अब रिमोट कंट्रोल से दिल्ली की सरकार चलाना चाहते हैं? उन्होंने आगे कहा कि ऐसा करना सरकार की संस्थाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। भाजपा ने इस मामले में केजरीवाल से स्पष्ट जवाब की मांग की है।
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मुख्यमंत्री पद संभालने के साथ ही आतिशी ने 13 प्रमुख विभागों की जिम्मेदारी भी अपने पास रखी है। इनमें लोक निर्माण विभाग (PWD), बिजली, शिक्षा, राजस्व, वित्त, योजना, सेवाएं, सतर्कता और जल जैसे विभाग शामिल हैं। ये सभी ऐसे विभाग हैं जिनमें कामकाज की अधिकता होती है और इन विभागों का सीधा संबंध दिल्ली की जनता से है। आने वाले समय में इन विभागों में सुधार और गति लाना आतिशी के सामने बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, आतिशी के साथ मंत्रिमंडल में चार और वरिष्ठ और अनुभवी नेता शामिल हैं। इनमें गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत प्रमुख नाम हैं। मुकेश अहलावत सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं और पहली बार दिल्ली के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं। इन अनुभवी साथियों की मदद से आतिशी को दिल्ली के विकास और जनता से जुड़े मुद्दों पर काम करने का अवसर मिलेगा।
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आतिशी का मुख्यमंत्री बनना दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में शिक्षा और बिजली के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है, जिससे उन्हें जनता के बीच एक पहचान मिली है। आतिशी के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली की सरकार को सुचारू रूप से चलाना और आगामी चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत सुनिश्चित करना है। वहीं दूसरी ओर, भाजपा और अन्य विपक्षी दलों की तीखी नजरें उन पर टिकी रहेंगी। भाजपा पहले ही आतिशी के इस फैसले को असंवैधानिक करार दे चुकी है, और आगे भी इस मामले पर राजनीतिक जंग छिड़ सकती है।