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तिरुपति लड्डू केस, दो दिग्गज कलाकारों के बीच जुबानी जंग.

तिरुपति मंदिर के प्रसाद, लड्डू में मिलावट के आरोपों को लेकर देश में एक बार फिर चर्चा गरम हो गई है।

तिरुपति मंदिर के प्रसाद, लड्डू में मिलावट के आरोपों को लेकर देश में एक बार फिर चर्चा गरम हो गई है। इस मुद्दे ने तब और तूल पकड़ लिया जब दो बड़े कलाकार, पवन कल्याण और प्रकाश राज, इसके केंद्र में आ गए। जहां पवन कल्याण ने इस मुद्दे पर 11 दिवसीय ‘प्रायश्चित’ करने का फैसला लिया, वहीं प्रकाश राज ने उनके इस कदम पर सवाल उठाए और इसे बेवजह का विवाद बताया। प्रकाश राज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पवन कल्याण को सीधे संबोधित करते हुए लिखा, “डियर पवन कल्याण, यह घटना उस राज्य में हुई है जहां आप उपमुख्यमंत्री हैं। कृपया इस मामले की जांच कराएं, दोषियों को पकड़ें और उचित कार्रवाई करें। आप इस मुद्दे को क्यों बड़ा बना रहे हैं और इसे राष्ट्रीय स्तर पर क्यों ले जाना चाहते हैं? देश में पहले से ही बहुत सामुदायिक तनाव है, कृपया इसे और बढ़ावा न दें।”

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प्रकाश राज के इस बयान के बाद पवन कल्याण की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन उनका 11 दिवसीय ‘प्रायश्चित’ इसी मुद्दे से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। पवन कल्याण के समर्थकों का कहना है कि यह उनका धार्मिक आस्था से जुड़ा व्यक्तिगत निर्णय है और इसे लेकर किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। मामले की जड़ तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में कथित मिलावट से जुड़ी है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि मंदिर के लड्डू प्रसाद में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंची है। हालांकि, इस मामले में जांच की मांग जोर-शोर से की जा रही है, लेकिन अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है।

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प्रकाश राज ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने के खिलाफ चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मुद्दों को धार्मिक या सामुदायिक तनाव का कारण नहीं बनाना चाहिए। उनका मानना है कि पहले इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए। दूसरी ओर, पवन कल्याण के समर्थक इस विवाद को उनकी छवि और आस्था पर सीधा हमला मानते हैं। वे कहते हैं कि पवन कल्याण ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर इसलिए उठाया है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और तिरुपति जैसे पवित्र स्थल की प्रतिष्ठा को कोई ठेस न पहुंचे।

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