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दिल्ली हाईकोर्ट से सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को मिली राहत, गिरफ्तारी 7 दिन के लिए टली.

दिल्ली हाईकोर्ट ने सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को 7 दिनों के लिए टाल दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी कोटा का गलत तरीके से फायदा उठाया और अपने बारे में झूठी जानकारी दी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सस्पेंडेड ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को 7 दिनों के लिए टाल दिया है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी कोटा का गलत तरीके से फायदा उठाया और अपने बारे में झूठी जानकारी दी थी। इस मामले में कोर्ट ने फिलहाल 4 अक्टूबर तक पूजा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। पूजा खेडकर की पिछली गिरफ्तारी से मिली राहत अब समाप्त हो गई है, और अब कोर्ट ने उन्हें 7 दिनों की और मोहलत दी है। पूजा ने 15 दिनों का समय मांगा था, लेकिन अदालत ने उन्हें केवल 7 दिनों की ही मोहलत दी है। पूजा खेडकर ने अपने डॉक्यूमेंट्स जमा करने और मामले की तैयारियों के लिए कोर्ट से 15दिनों का समय मांगा था। उनके वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि पूजा पर लगे आरोप गंभीर हैं और वह अपने डॉक्यूमेंट्स की पूरी तैयारी के लिए अधिक समय चाहती थीं। हालांकि, कोर्ट ने 15 दिनों की मांग को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया और केवल 7 दिन की ही मोहलत दी है। अब पूजा को इस दौरान अपने दस्तावेज़ों और मामले से जुड़े सभी जरूरी कागज़ात अदालत में जमा करने होंगे।

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पूजा खेडकर 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने साल 2022 में यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा दी थी और 841वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद उन्हें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। लेकिन उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने आरक्षण का फायदा उठाने के लिए अपने बारे में गलत जानकारी दी थी। पूजा पर यह आरोप है कि उन्होंने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटे का फायदा उठाने के लिए यूपीएससी को गलत जानकारी दी थी। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने विकलांग व्यक्तियों के लिए निर्धारित मानदंडों का गलत फायदा उठाया। इन आरोपों के बाद यह भी खुलासा हुआ कि उनके पिता, जो महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं, के पास करीब 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इस संपत्ति के चलते पूजा गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी कोटे के लिए योग्य नहीं थीं।

पूजा के वकीलों ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि पूजा को मीडिया और सार्वजनिक दबाव के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पूजा कहीं भागी नहीं हैं, बल्कि वे पुणे में ही हैं और सभी कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग कर रही हैं। उनके वकीलों का कहना था कि उन पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें अपनी स्थिति को सही ढंग से पेश करने का समय मिलना चाहिए। इसी के आधार पर उन्होंने कोर्ट से 15 दिनों की मोहलत मांगी थी। हालांकि, कोर्ट ने 15 दिनों का समय देने की बजाय सिर्फ 7 दिन का समय दिया है। कोर्ट ने पूजा को आदेश दिया है कि वह इस दौरान अपने सभी दस्तावेज जमा करें और मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक गिरफ्तारी से बची रहेंगी। कोर्ट का यह फैसला इस शर्त पर आधारित है कि पूजा इस दौरान जांच एजेंसियों और अदालत की सभी शर्तों का पालन करेंगी।

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कोर्ट ने पूजा खेडकर को 7 दिनों की राहत दी है, लेकिन इसके बाद उनका अगला कदम काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी 4 अक्टूबर के बाद संभव है, जब तक कि वे अदालत में अपने पक्ष को और मजबूती से पेश नहीं कर पातीं। पूजा पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह मामला अभी और लंबा खिंच सकता है। पूजा खेडकर के खिलाफ लगाए गए आरोपों के पीछे कई कानूनी और सामाजिक सवाल उठते हैं। आरक्षण का गलत फायदा उठाने के आरोप, खासकर तब जब वह गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी कोटे के लिए योग्य नहीं थीं, एक बड़े विवाद का मुद्दा बन सकता है। इस बीच, कोर्ट के अगले फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, जो पूजा के भविष्य और करियर को निर्धारित करेगा।

 

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