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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की मुश्किलें बढ़ीं, लोकायुक्त पुलिस ने MUDA घोटाले में FIR दर्ज की।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की मुश्किलें एमयूडीए (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) घोटाले में बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को सीएम सिद्दारमैया और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की मुश्किलें एमयूडीए (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) घोटाले में बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को सीएम सिद्दारमैया और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में सीएम सिद्दारमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू का भी नाम एफआईआर में दर्ज किया गया है। देवराजू वह व्यक्ति हैं, जिनसे मल्लिकार्जुन स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी। बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बुधवार को लोकायुक्त पुलिस को इस मामले में जांच का आदेश दिया था। यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत के आधार पर दिया गया, जिसमें एमयूडीए द्वारा सीएम की पत्नी को कथित तौर पर अवैध तरीके से 14 भूखंड आवंटित करने का आरोप है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस शिकायत पर दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत जांच की जाए और 24 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को सीएम और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।

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इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा सीएम सिद्दारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी के फैसले को बरकरार रखा था। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की पत्नी बी. एम. पार्वती को एमयूडीए द्वारा 14 भूखंडों के अवैध आवंटन के आरोपों की जांच की अनुमति दी थी। उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद विशेष अदालत ने लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच शुरू करने का आदेश दिया। आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की शिकायत के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और अन्य व्यक्तियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके भूखंडों का आवंटन करवाया। आरोप है कि ये भूखंड कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना आवंटित किए गए थे, जिससे सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ और सामान्य नागरिकों के लिए तय प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ।

अदालत के आदेश के बाद, लोकायुक्त पुलिस ने सीएम सिद्दारमैया, उनकी पत्नी, साले और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस को तीन महीने के भीतर जांच पूरी करके रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है। यह कार्रवाई दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत होगी। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर और इस मामले में चल रही जांच का राजनीतिक प्रभाव भी व्यापक हो सकता है। विपक्षी दलों ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। जहां एक ओर सिद्दारमैया ने इन आरोपों को खारिज किया है और खुद को निर्दोष बताया है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहा है।

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लोकायुक्त पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और 24 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। अब देखना होगा कि इस मामले की जांच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं और इसका मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उनकी सरकार पर क्या असर पड़ता है। इस प्रकार, एमयूडीए घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उनके परिवार के खिलाफ बढ़ती कानूनी कार्रवाई ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है, और इसके परिणाम आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।

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