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जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनावी संघर्ष, बीजेपी की कड़ी चुनौती

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इन चुनावों में खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि पार्टी को दोनों राज्यों में अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इन चुनावों में खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि पार्टी को दोनों राज्यों में अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा में 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए बीजेपी के सामने एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) का बड़ा संकट है। पिछले दस साल से राज्य में बीजेपी सत्ता में है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने बेरोजगारी, महंगाई, अग्निवीर योजना और किसान आंदोलन जैसे मुद्दों के जरिए बीजेपी पर प्रहार किया है। कांग्रेस लगातार राज्य में लोगों के सामने इन मुद्दों को उठा रही है और बीजेपी को इनका जवाब ढूंढने में अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।

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बीजेपी के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लगातार हरियाणा में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, लेकिन पार्टी को इस बार पहले से अधिक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। राज्य में भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए जनता को फिर से विश्वास में लेना होगा, खासकर तब जब कांग्रेस अपने अभियानों के जरिए लोगों के बीच प्रभाव बना रही है। जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पहले चरण का चुनाव 15 सितंबर को हो चुका है, जबकि दूसरा चरण 25 सितंबर को संपन्न हो रहा है। राज्य में तीसरे और आखिरी चरण का चुनाव 1 अक्टूबर को होगा। बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अकेले चुनाव लड़ रही है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस, इंडिया गठबंधन के तहत एक साथ चुनावी मैदान में हैं।

इंडिया गठबंधन ने सुरक्षा, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी को घेरने का प्रयास किया है, जिससे गठबंधन को बढ़त मिल रही है। अगर बीजेपी को इन मुद्दों पर प्रभावी जवाब नहीं मिलता, तो जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर हो सकता है, जिससे पार्टी को आगामी चुनावी राज्यों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस साल के अंत तक झारखंड और महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, जो बीजेपी के लिए अगली बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। झारखंड की 82 सीटों वाली विधानसभा में फिलहाल इंडिया गठबंधन की सरकार है। हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, बीजेपी को इस घटनाक्रम से थोड़ा फायदा हुआ है, लेकिन राज्य में इंडिया गठबंधन अभी भी मजबूत स्थिति में है।

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दूसरी तरफ, महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर बीजेपी की अगुआई वाली महायुति सरकार है। राज्य में महाविकास आघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना-उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी) का मनोबल लोकसभा चुनाव के अच्छे प्रदर्शन के बाद ऊंचा है। अगर बीजेपी जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में बेहतरीन प्रदर्शन नहीं करती है, तो इसका सीधा असर महाराष्ट्र और झारखंड में पार्टी के चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। इन चार राज्यों के चुनाव बीजेपी के लिए बड़े राजनीतिक संकेत हो सकते हैं।

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