Exclusive - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 18 Oct 2024 10:13:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Exclusive - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद किया, बंधक बनाने का आरोप झूठा पाया. https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/supreme-court-ne-isha-foun/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/supreme-court-ne-isha-foun/#respond Fri, 18 Oct 2024 10:13:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5266 सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दो महिलाओं को बंधक बनाए जाने के मामले में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज ने दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर स्थित आश्रम में जबरन बंधक बनाकर रखा …

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सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दो महिलाओं को बंधक बनाए जाने के मामले में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज ने दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर स्थित आश्रम में जबरन बंधक बनाकर रखा गया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों महिलाएं बालिग हैं और अपनी स्वेच्छा से आश्रम में रह रही हैं। इस मामले में कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण पाया कि दोनों बेटियों, गीता और लता, की उम्र क्रमशः 42 और 39 वर्ष है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वे बिना किसी बाहरी दबाव के आश्रम में रह रही हैं। गीता और लता ने अपनी ओर से दिए गए बयान में यह स्पष्ट किया कि वे स्वेच्छा से ईशा फाउंडेशन के साथ जुड़ी हैं और वहां रहना उनका व्यक्तिगत निर्णय है। इस बयान के बाद, कोर्ट ने पिता के आरोपों को निराधार मानते हुए मामले को बंद कर दिया।

एस कामराज ने आरोप लगाया था कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी दोनों बेटियों को मानसिक रूप से प्रभावित (ब्रेनवॉश) किया है, जिसके चलते वे अपनी मर्जी से परिवार से दूर रह रही हैं। उन्होंने 30 सितंबर को मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस मामले की जांच की मांग की थी। कामराज का कहना था कि उनकी बेटियों को जबरन आश्रम में रोका गया है और उन्हें परिवार से संपर्क करने से भी रोका जा रहा है। मद्रास उच्च न्यायालय ने कामराज के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए तमिलनाडु पुलिस को ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद, 150 पुलिसकर्मियों की एक टीम ने ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर स्थित आश्रम में जांच की। पुलिस की इस जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि आश्रम में कोई गैरकानूनी गतिविधि तो नहीं हो रही है और वहां रहने वाले लोग अपनी मर्जी से रह रहे हैं या नहीं।

ईशा फाउंडेशन ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और दावा किया कि गीता और लता आश्रम में अपनी मर्जी से रह रही हैं। फाउंडेशन ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया कि पुलिस जांच अनावश्यक और बिना किसी ठोस आधार के की जा रही है। तीन अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस जांच पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, सुनवाई के दौरान दोनों बहनों ने एक बार फिर से यह कहा कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं और किसी भी प्रकार का दबाव उन पर नहीं है। उन्होंने अपने पिता पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले आठ सालों से वे उन्हें परेशान कर रहे हैं।

सभी तथ्यों और बयानों को सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए केस को बंद कर दिया कि दोनों महिलाएं बालिग हैं और अपनी मर्जी से जहां रहना चाहें, रह सकती हैं। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में बंधक बनाने या किसी प्रकार के जबरदस्ती का कोई प्रमाण नहीं है। इस निर्णय से ईशा फाउंडेशन को बड़ी राहत मिली है, और यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों महिलाएं बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही थीं।

By Neelam Singh.

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आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के ठिकानों पर ED की छापेमारी. https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/common-man-party-rajya-sabha/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/common-man-party-rajya-sabha/#respond Mon, 07 Oct 2024 08:44:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5243 सोमवार सुबह को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के जालंधर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। संजीव अरोड़ा को आप ने पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद राज्यसभा सांसद के रूप में नामित किया था। अरोड़ा के साथ राघव चड्ढा, हरभजन सिंह और अशोक मित्तल …

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सोमवार सुबह को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के जालंधर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। संजीव अरोड़ा को आप ने पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद राज्यसभा सांसद के रूप में नामित किया था। अरोड़ा के साथ राघव चड्ढा, हरभजन सिंह और अशोक मित्तल को भी राज्यसभा के लिए चुना गया था। संजीव अरोड़ा का प्रमुख पेशा टेक्सटाइल व्यवसाय है और वह कृष्णा प्राण ब्रेस्ट कैंसर चैरिटेबल ट्रस्ट का भी संचालन करते हैं। ईडी सूत्रों के अनुसार, इस छापेमारी का संबंध अरोड़ा के व्यवसायिक गतिविधियों से है। आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी कर जमीन पर अवैध कब्जा किया है, जिसके चलते यह कार्रवाई की जा रही है। हालांकि, ईडी ने इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह मामला भूमि कब्जे से संबंधित धोखाधड़ी का है।

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ईडी की इस कार्रवाई के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं ने तुरंत मोदी सरकार पर हमला बोला। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी। सिसोदिया ने लिखा, “आज फिर मोदीजी ने अपने तोता-मैना को खुला छोड़ दिया है। पिछले दो सालों में इन्होंने अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन और मेरे घर पर भी छापेमारी की, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। अब संजीव अरोड़ा जी के घर ईडी रेड कर रही है। ये लोग आम आदमी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम न डरेंगे, न रुकेंगे और न ही बिकेंगे।” सिसोदिया ने यह भी कहा कि यह छापेमारी केंद्र सरकार की आम आदमी पार्टी को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है। उनका दावा है कि बार-बार छापेमारी करने के बावजूद कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, लेकिन फिर भी एजेंसियां फर्जी केस बनाकर पार्टी पर दबाव डालने की कोशिश कर रही हैं।

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आप के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी ईडी की कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। सिंह ने कहा, “मोदीजी की फर्जी केस बनाने वाली मशीन 24 घंटे आप के पीछे पड़ी हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई बार झूठे मामलों को लेकर इन एजेंसियों को फटकार लगाई है, लेकिन वे न्यायालय की सुनने के बजाय केवल अपने आकाओं की सुनते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के हौसले बुलंद हैं और मोदी सरकार की इन चालों से वे डरने वाले नहीं हैं।

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 18वीं किस्त आज होगी जारी, 9.4 करोड़ किसानों को मिलेगा लाभ. https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/prime-minister-farmer-respect/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/prime-minister-farmer-respect/#respond Sat, 05 Oct 2024 11:02:20 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5225 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 18वीं किस्त जारी करेंगे। यह किस्त महाराष्ट्र के वाशिम जिले से प्रत्यक्ष अंतरण (DBT) के माध्यम से किसानों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी। 18वीं किस्त के तहत पात्र किसानों के खाते में 2,000 रुपये जमा किए जाएंगे। इससे देशभर के 9.4 करोड़ से अधिक …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 18वीं किस्त जारी करेंगे। यह किस्त महाराष्ट्र के वाशिम जिले से प्रत्यक्ष अंतरण (DBT) के माध्यम से किसानों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी। 18वीं किस्त के तहत पात्र किसानों के खाते में 2,000 रुपये जमा किए जाएंगे। इससे देशभर के 9.4 करोड़ से अधिक किसानों को 20 हजार करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा। इससे पहले 18 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने 17वीं किस्त जारी की थी। इस योजना के तहत हर साल भूमि धारक किसानों को तीन बराबर किस्तों में कुल 6,000 रुपये की सहायता दी जाती है। प्रत्येक किस्त में किसानों को 2,000 रुपये दिए जाते हैं। जब आज की 18वीं किस्त जारी की जाएगी, तो इस योजना के तहत अब तक कुल 3.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि पात्र किसानों के खातों में पहुंच जाएगी।
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का उद्देश्य देश के सभी भूमिधर किसान परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इस योजना के तहत किसानों को आय सहायता दी जाती है, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके और कृषि क्षेत्र मजबूत हो। इसके माध्यम से छोटे और मझोले किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने की दिशा में काम किया गया है। यदि आप पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी हैं, तो आप आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपने भुगतान की स्थिति और नाम की जांच कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित स्टेप्स फॉलो करें:
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1.सबसे पहले पीएम किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट pmkisan.gov.in पर जाएं।
2.होम पेज पर आपको ‘Farmer Corner’ नामक विकल्प मिलेगा, उसे चुनें।
3.नए पेज पर, ‘Beneficiary List’ पर क्लिक करें।
4.इसके बाद आपको राज्य, जिला, ब्लॉक और गांव का चयन करना होगा।
5.‘Get Report’ पर क्लिक करें।
6.अब लाभार्थियों की सूची खुल जाएगी, जिसमें आपको अपना नाम देखना होगा।
अगर आपका नाम सूची में है, तो इसका मतलब है कि आपको योजना का लाभ मिलेगा। अगर आपका नाम सूची में नहीं है, तो आप अपने आवश्यक दस्तावेजों के साथ संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं और अपनी पात्रता को फिर से जांच सकते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की आर्थिक समस्याओं को कम करना और उन्हें खेती के लिए वित्तीय सहायता देना है। इससे किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उनकी खेती की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलती है। सरकार की यह पहल किसानों की भलाई और देश की कृषि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस योजना के माध्यम से अब तक करोड़ों किसानों को सीधा लाभ मिला है, जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने में सहायक है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से किसानों की आय में वृद्धि हुई है और उन्हें खेती में निवेश के लिए मदद मिली है। आज जब 18वीं किस्त जारी की जाएगी, तो यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों को उनकी मेहनत का सही फल मिले और वे आत्मनिर्भर बन सकें।
https://youtu.be/GP-QxK7TSCc?si=cA5y_DZ0Be20OE7r

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सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच PAC के सामने पेश होंगी, हिंडनबर्ग के आरोपों पर भी हो सकते हैं सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/sebi-chief-madhabi-puri-bu/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/sebi-chief-madhabi-puri-bu/#respond Sat, 05 Oct 2024 09:57:38 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5226 सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की प्रमुख माधबी पुरी बुच को गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं आरोपों के चलते संसद की लोक लेखा समिति (PAC) ने उन्हें 24 अक्टूबर को अपने समक्ष पेश होने के लिए कहा है। माधबी पुरी बुच के साथ-साथ सेबी के कुछ अन्य अधिकारियों को भी …

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सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की प्रमुख माधबी पुरी बुच को गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं आरोपों के चलते संसद की लोक लेखा समिति (PAC) ने उन्हें 24 अक्टूबर को अपने समक्ष पेश होने के लिए कहा है। माधबी पुरी बुच के साथ-साथ सेबी के कुछ अन्य अधिकारियों को भी तलब किया गया है। PAC का उद्देश्य सेबी के कामकाज की समीक्षा करना है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के अकाउंट्स का विशेष तौर पर निरीक्षण किया जाएगा।

संसद की इस समिति का नेतृत्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल कर रहे हैं। PAC सेबी के कामकाज और उसके द्वारा लिए गए फैसलों की समीक्षा कर रही है, और इसी सिलसिले में सेबी प्रमुख को तलब किया गया है। PAC हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों पर भी सवाल-जवाब कर सकती है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति की अडानी समूह के विदेशी फंड में हिस्सेदारी है, जिससे निष्पक्ष जांच पर सवाल उठाए गए थे।

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PAC के सामने आने वाले सवालों में प्रमुख रूप से यह होगा कि सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच किस प्रकार की। अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने कुछ गंभीर आरोप लगाए थे, जिनमें कहा गया था कि अडानी ने अपने स्टॉक्स की कीमतें बढ़ाने के लिए अनैतिक तरीके अपनाए। सेबी ने इस मामले में जांच शुरू की थी, लेकिन उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद, कांग्रेस ने भी सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर कई आरोप लगाए। कांग्रेस का दावा है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति की अडानी से नजदीकियां हैं और यह सेबी की जांच को प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा, कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच के द्वारा प्रमोट की गई कंसल्टेंसी कंपनी, अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड, को सेबी द्वारा लगभग 3 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जो हितों के टकराव का मामला है। हालांकि, बुच ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है और इसे झूठा बताया है।

खबर भी पढ़ें : हरियाणा विधानसभा चुनाव: 90 सीटों के लिए मतदान जारी, 1031 उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद

संसद की लोक लेखा समिति द्वारा सेबी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस की जांच की जा रही है, जो अपने आप में एक अनूठी घटना है। PAC सेबी के अकाउंट्स का बारीकी से निरीक्षण कर रही है, और यह पहली बार है कि समिति ने सेबी के कामकाज पर इतनी गंभीरता से ध्यान दिया है। 29 अगस्त को हुई PAC की बैठक में सेबी के अकाउंट्स का निरीक्षण करने का फैसला लिया गया था, और इसी के बाद से सेबी प्रमुख और अधिकारियों को तलब किया गया है।

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कोलकाता डॉक्टर हत्याकांड: सीबीआई जांच में बड़े खुलासे, सामूहिक पिटाई के 26 गंभीर जख्म. https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/kolkata-doctor-murder/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/kolkata-doctor-murder/#respond Thu, 03 Oct 2024 11:56:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5207 कोलकाता में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में सीबीआई जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। गुरुवार को सीबीआई ने दावा किया कि मृत महिला डॉक्टर के शरीर पर 26 गंभीर चोटों के निशान थे, जो सामूहिक पिटाई के कारण हुए थे। जांचकर्ताओं ने कहा कि किसी …

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कोलकाता में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में सीबीआई जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। गुरुवार को सीबीआई ने दावा किया कि मृत महिला डॉक्टर के शरीर पर 26 गंभीर चोटों के निशान थे, जो सामूहिक पिटाई के कारण हुए थे। जांचकर्ताओं ने कहा कि किसी एक व्यक्ति के लिए इतनी चोटें अकेले पहुंचाना मुश्किल है, जिससे संदेह होता है कि इसमें एक से अधिक लोग शामिल हो सकते हैं। सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि इस घटना का उद्देश्य साफतौर पर महिला डॉक्टर की हत्या करना था, और दुष्कर्म की बात को सामने लाकर मामले में धुंध पैदा करने की कोशिश की गई है। प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिलता है कि हत्या के साथ ही दुष्कर्म का आरोप सिर्फ जांच को भटकाने के लिए लाया गया है।

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स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में डराने-धमकाने और प्रशासनिक जांच में अनियमितताओं की शिकायतें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा, “हमारे पास अभी तक सटीक आंकड़े नहीं हैं, लेकिन कई शिकायतें राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति को भेजी गई हैं।” एक अन्य स्वास्थ्य अधिकारी ने जानकारी दी कि राज्य के 25 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में से छह जगहों से ऐसी शिकायतें आई हैं। जूनियर डॉक्टरों के आंशिक रूप से काम पर लौटने के बाद, पिछले महीने के अंत से इन शिकायतों की संख्या बढ़ी है। शिकायतें सीधे राज्य के स्वास्थ्य सचिव के पास या राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय में भेजी गई हैं।

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स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि कुछ शिकायतों का समाधान किया जा चुका है और उन पर जरूरी कार्रवाई की गई है। “हमने अब सभी शिकायतों की सूची तैयार कर ली है और उन्हें राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति को भेज दिया है,” एक अधिकारी ने बताया। इसी बीच, नादिया जिले के कॉलेज ऑफ मेडिसिन और जेएनएम अस्पताल में 40 डॉक्टरों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है। इन पर साथी छात्रों को धमकाने का आरोप था। निलंबित डॉक्टरों को केवल परीक्षा के समय कॉलेज परिसर में आने की अनुमति दी गई है।

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मोहम्मद अजरुद्दीन को ईडी का समन, हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन के 20 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला. https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/mohammad-azruddin-co-ed/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/mohammad-azruddin-co-ed/#respond Thu, 03 Oct 2024 10:17:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5201 भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजरुद्दीन एक बार फिर कानूनी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन भेजा है। यह मामला एसोसिएशन के फंड से 20 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी का है। …

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजरुद्दीन एक बार फिर कानूनी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन भेजा है। यह मामला एसोसिएशन के फंड से 20 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी का है। अजरुद्दीन को आज, 3 अक्टूबर 2024 को हैदराबाद में ईडी के सामने पेश होना है। ईडी के सूत्रों के अनुसार, हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। एसोसिएशन के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी फंड का दुरुपयोग किया और उसे निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया। इसी को लेकर ईडी ने एसोसिएशन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी गई है। तीन एफआईआर भी इस मामले में दर्ज की गई हैं।

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यह मामला हैदराबाद के राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम के लिए डीजल जनरेटर, अग्निशमन प्रणाली और छतरियों की खरीद में हेराफेरी से जुड़ा है। एसोसिएशन के लिए आवंटित 20 करोड़ रुपये की राशि में कथित तौर पर गड़बड़ी की गई है। आरोप है कि एसोसिएशन के अधिकारियों ने निजी कंपनियों को ऊंची कीमतों पर ठेके दिए, जिससे एसोसिएशन को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। अजरुद्दीन, जो एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं, को इस मामले में पहला समन जारी किया गया है।

सितंबर 2019 में अजरुद्दीन को हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था। लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान एसोसिएशन में अनियमितताओं की खबरें सामने आईं। 2021 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। एसोसिएशन के सीईओ सुनीत कांत बोस ने अजरुद्दीन और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी, जिसके बाद यह मामला प्रकाश में आया। हालांकि, अजरुद्दीन ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि उन्हें बेवजह इस मामले में घसीटा जा रहा है और उन्होंने किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता में भाग नहीं लिया है। इससे पहले भी अजरुद्दीन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लग चुके हैं, लेकिन बाद में अदालत ने उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया था।

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अजरुद्दीन का नाम भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में गिना जाता है। उन्होंने भारत के लिए 99 टेस्ट और 334 वनडे मैच खेले हैं। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 45.04 की औसत से 6215 रन बनाए, जबकि वनडे में 36.92 की औसत से 9378 रन बनाए। कप्तान के रूप में उन्होंने 47 टेस्ट और 174 वनडे मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व किया है। क्रिकेट से संन्यास के बाद अजरुद्दीन ने राजनीति में कदम रखा और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर मुरादाबाद से सांसद चुने गए। 2018 में उन्हें तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष भी बनाया गया। अब देखना होगा कि ईडी की जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और अजरुद्दीन इन आरोपों से कैसे निपटते हैं।

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पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स का फिर से काम बंद, सुरक्षा और अन्य मांगों पर सरकार से जवाब की मांग. https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/west-bengal-in-junior-d/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/west-bengal-in-junior-d/#respond Tue, 01 Oct 2024 10:10:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5177 पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स ने मंगलवार को एक बार फिर काम बंद कर दिया है। यह फैसला ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि उनकी सुरक्षा और अन्य मांगों पर सरकार से स्पष्ट और ठोस जवाब मिल सके। इस आंदोलन में शामिल डॉक्टर्स का कहना है कि जब …

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पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स ने मंगलवार को एक बार फिर काम बंद कर दिया है। यह फैसला ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि उनकी सुरक्षा और अन्य मांगों पर सरकार से स्पष्ट और ठोस जवाब मिल सके। इस आंदोलन में शामिल डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे। इससे पहले भी जूनियर डॉक्टर्स ने 42 दिनों तक काम बंद रखा था और फिर 21 सितंबर को ड्यूटी पर लौटे थे। इससे जुड़ी प्रमुख घटना 9 अगस्त को हुई, जब कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ऑन-ड्यूटी ट्रेनी डॉक्टर का रेप और मर्डर हुआ। इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। जूनियर डॉक्टर्स ने अपनी सुरक्षा और अन्य मांगों के लिए काम रोक दिया था।

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आंदोलन के 52वें दिन, जूनियर डॉक्टर्स की मांगें अभी भी पूरी नहीं हुई हैं। एक जूनियर डॉक्टर अनिकेत महतो ने बताया कि राज्य सरकार उनकी सुरक्षा से जुड़ी मांगों को लेकर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दे रही है। उन्होंने कहा, “हमारे ऊपर अब भी हमले हो रहे हैं और राज्य सरकार ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक के बावजूद हमें हमारी समस्याओं का समाधान नहीं मिला है। इसलिए अब हमारे पास काम बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।” डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक राज्य सरकार उनकी मांगों पर स्पष्ट कार्रवाई नहीं करती, तब तक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे।

पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से भी कुछ समय पहले बयान जारी किया गया था। राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा कि सरकार हॉस्पिटल्स में डॉक्टर्स की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है और जल्द ही इसका परिणाम देखने को मिलेगा। हालांकि, आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स से पंत ने अपील की कि वे धैर्य बनाए रखें और अपनी जिम्मेदारियों को समझें। 9 अगस्त की घटना के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने भी असंतोष जताया है। कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और शौचालयों एवं रेस्टरूम्स का निर्माण करने में राज्य सरकार की धीमी गति पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 15 अक्टूबर तक काम पूरा करने का निर्देश दिया है।

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मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाई जाए और इस दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टर्स से यह भी उम्मीद जताई कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए मरीजों का इलाज जारी रखेंगे। पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स का यह आंदोलन उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग को लेकर है। डॉक्टर्स ने साफ किया है कि जब तक राज्य सरकार उनकी मांगों पर अमल नहीं करती, तब तक वे काम पर लौटने के लिए तैयार नहीं हैं।

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बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि, अतिक्रमण हटाने के निर्देश https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/bulldozer-action-on-sup/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/bulldozer-action-on-sup/#respond Tue, 01 Oct 2024 07:56:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5173 सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर फिर से सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और अतिक्रमण चाहे सड़क पर हो, जल निकायों पर हो या फिर रेल …

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सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर फिर से सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और अतिक्रमण चाहे सड़क पर हो, जल निकायों पर हो या फिर रेल पटरियों के आसपास, उसे हटाना आवश्यक है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी धार्मिक ढांचे को अतिक्रमण के नाम पर बख्शा नहीं जाएगा, और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, और कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बुलडोजर कार्रवाई या अतिक्रमण विरोधी अभियानों के दौरान किसी विशेष धर्म या समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। ये निर्देश हर धर्म के लोगों के लिए समान रूप से लागू होंगे।

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कोर्ट में अपराध के आरोपी लोगों के खिलाफ की जाने वाली बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी। कई राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर लगातार विवाद हो रहा है, जिसे ‘बुलडोजर न्याय’ के रूप में भी संदर्भित किया जा रहा है। राज्य सरकारों का कहना है कि केवल अवैध संरचनाओं को ही ध्वस्त किया जा रहा है, लेकिन कुछ समुदायों का आरोप है कि इस कार्रवाई में उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश सरकारों की ओर से अदालत में पेश हुए, ने कहा कि अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई किसी भी आरोपी व्यक्ति के अपराध की स्थिति पर निर्भर नहीं करती है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यहां तक कि जघन्य अपराधों जैसे बलात्कार या आतंकवाद के मामलों में भी बुलडोजर का इस्तेमाल कानून के अनुसार ही किया जाता है और केवल अवैध निर्माणों को ही हटाया जाता है।

न्यायालय ने इस पर सवाल उठाया कि क्या किसी व्यक्ति का अपराधी होना या उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना, अवैध निर्माण ध्वस्त करने का आधार हो सकता है? इस पर मेहता ने साफ तौर पर कहा, “बिल्कुल नहीं।” न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अवैध निर्माणों के लिए कानून स्पष्ट होना चाहिए और यह किसी व्यक्ति की आस्था, धर्म या विश्वास पर निर्भर नहीं होना चाहिए। साथ ही, नोटिस जारी करने की प्रक्रिया पर भी जोर दिया गया। अदालत ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई से पहले संबंधित लोगों को उचित समय के भीतर नोटिस दिया जाना चाहिए। इस पर मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि नगरपालिकाओं के कानून में नोटिस जारी करने का प्रावधान है, लेकिन इसे और सुसंगठित करने की जरूरत है।

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कोर्ट ने सुझाव दिया कि नगरपालिकाओं और पंचायतों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था होनी चाहिए, जहां लोग अपने मामलों की जानकारी प्राप्त कर सकें और यह प्रक्रिया पारदर्शी हो सके। इससे अवैध निर्माण और अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारी या अन्यायपूर्ण कार्रवाई से बचा जा सकेगा।

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आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की मौत, सीबीआई जांच में पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया पर सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/rg-kar-hospital-in-junior/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/rg-kar-hospital-in-junior/#respond Sat, 28 Sep 2024 08:15:21 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5147 आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर की दर्दनाक मौत के बाद हुई पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया में गंभीर सवाल उठाए गए हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में जांच करते हुए पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को अस्पताल के …

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर की दर्दनाक मौत के बाद हुई पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया में गंभीर सवाल उठाए गए हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में जांच करते हुए पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को अस्पताल के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष ने पूरी तरह नियंत्रित किया था। उन्होंने अपने करीबी और विश्वसनीय डॉक्टरों के जरिए यह सुनिश्चित किया कि पोस्टमॉर्टम की पूरी प्रक्रिया उनके हिसाब से हो।

CBI ने मुर्दाघर सहायक से पूछताछ के दौरान पाया कि पोस्टमॉर्टम के समय सहायक को शव के पास आने तक नहीं दिया गया था। उसे कमरे के एक कोने में बिठाकर रखा गया, जबकि सामान्य स्थिति में उसका काम होता है शव के क्षतिग्रस्त अंगों को चिन्हित करना और पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया को पूरा करने में डॉक्टरों की मदद करना। इसके अलावा, सहायक का काम शव को सिलने का भी होता है, लेकिन इस बार उसे यह करने से रोका गया।

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CBI की इस जांच से यह संकेत मिलता है कि पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया गया था, जो कि इस घटना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। पोस्टमॉर्टम के समय की यह परिस्थितियाँ यह दर्शाती हैं कि मामले को दबाने या छिपाने की कोशिश की जा रही थी। इस घटना के बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की छात्र शाखा से जुड़े प्रांतिक चक्रवर्ती और राजन्या हलदर ने इस घटना पर आधारित “आगमनी तिलोत्तमार गल्पो” नामक एक लघु फिल्म तैयार की है, जिसे लेकर पार्टी के भीतर विवाद उत्पन्न हो गया है। फिल्म का पोस्टर सामने आने के बाद TMC ने इन दोनों को पार्टी से निलंबित कर दिया है।

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हालांकि, दोनों का कहना है कि फिल्म का पोस्टर देखकर इसके कंटेंट पर कोई निष्कर्ष निकालना गलत होगा। उनका कहना है कि वे फिल्म के जरिए किसी भी तरह का अन्याय उजागर करना चाहते हैं, और वे फिल्म को प्रदर्शित करने के अपने निर्णय पर अडिग हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि फिल्म का तृणमूल कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है और पार्टी का इसमें कोई हाथ नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी आरजी कर अस्पताल में हुई घटना के मामले में न्याय चाहती है और वह इस मुद्दे को लेकर गंभीर है।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की मुश्किलें बढ़ीं, लोकायुक्त पुलिस ने MUDA घोटाले में FIR दर्ज की। https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/muda-scam-in-karnataka/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/muda-scam-in-karnataka/#respond Fri, 27 Sep 2024 12:52:08 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5139 कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की मुश्किलें एमयूडीए (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) घोटाले में बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को सीएम सिद्दारमैया और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में सीएम सिद्दारमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू का …

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की मुश्किलें एमयूडीए (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) घोटाले में बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को सीएम सिद्दारमैया और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में सीएम सिद्दारमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू का भी नाम एफआईआर में दर्ज किया गया है। देवराजू वह व्यक्ति हैं, जिनसे मल्लिकार्जुन स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी। बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बुधवार को लोकायुक्त पुलिस को इस मामले में जांच का आदेश दिया था। यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत के आधार पर दिया गया, जिसमें एमयूडीए द्वारा सीएम की पत्नी को कथित तौर पर अवैध तरीके से 14 भूखंड आवंटित करने का आरोप है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस शिकायत पर दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत जांच की जाए और 24 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को सीएम और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।

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इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा सीएम सिद्दारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी के फैसले को बरकरार रखा था। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की पत्नी बी. एम. पार्वती को एमयूडीए द्वारा 14 भूखंडों के अवैध आवंटन के आरोपों की जांच की अनुमति दी थी। उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद विशेष अदालत ने लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच शुरू करने का आदेश दिया। आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की शिकायत के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और अन्य व्यक्तियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके भूखंडों का आवंटन करवाया। आरोप है कि ये भूखंड कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना आवंटित किए गए थे, जिससे सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ और सामान्य नागरिकों के लिए तय प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ।

अदालत के आदेश के बाद, लोकायुक्त पुलिस ने सीएम सिद्दारमैया, उनकी पत्नी, साले और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस को तीन महीने के भीतर जांच पूरी करके रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है। यह कार्रवाई दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत होगी। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर और इस मामले में चल रही जांच का राजनीतिक प्रभाव भी व्यापक हो सकता है। विपक्षी दलों ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। जहां एक ओर सिद्दारमैया ने इन आरोपों को खारिज किया है और खुद को निर्दोष बताया है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहा है।

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लोकायुक्त पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और 24 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। अब देखना होगा कि इस मामले की जांच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं और इसका मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उनकी सरकार पर क्या असर पड़ता है। इस प्रकार, एमयूडीए घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उनके परिवार के खिलाफ बढ़ती कानूनी कार्रवाई ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है, और इसके परिणाम आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।

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