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धनखड़ ने कहा कि जो संस्थान कठिन परिस्थितियों में भी अपना कार्य पूरी निष्ठा से करते हैं, उनके खिलाफ हानिकारक बयानबाज़ी न केवल उन्हें कमजोर करती है बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी विपरीत असर डालती है। उन्होंने कहा, “संस्थाएं स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और हमें उनका समर्थन करना चाहिए। हमें उनके खिलाफ कोई ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो उन्हें कमजोर करे या राजनीतिक बहस को बढ़ावा दे।” उपराष्ट्रपति ने भारत की आर्थिक प्रगति का भी उल्लेख किया और कहा कि देश अब प्रगति की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत की तरक्की को अब कोई नहीं रोक सकता। देश आर्थिक रूप से उभर रहा है और वैश्विक स्तर पर एक पसंदीदा निवेश स्थल बन रहा है।” अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अनुसार, भारत निवेश और अवसरों के मामले में सबसे आगे है और यह भविष्य में और अधिक अवसरों की ओर अग्रसर है।
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धनखड़ ने भ्रष्टाचार की समस्या पर भी चर्चा की और कहा कि पहले के समय में भ्रष्टाचार हर स्तर पर फैला हुआ था, लेकिन अब स्थिति में सुधार आया है। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार ने हमारे समाज को अंदर से खोखला कर दिया था। नौकरियों से लेकर ठेकों तक, हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त था। अब, देश में युवाओं के लिए अवसर खुल गए हैं और उन्हें अपनी क्षमता का उपयोग करने के बेहतर मौके मिल रहे हैं।”
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि शिक्षा एक सेवा है, व्यापार नहीं। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य समाज की सेवा करना होना चाहिए, न कि उसे एक व्यावसायिक गतिविधि के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और छात्रों को समुद्र विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अवसरों को तलाशना चाहिए। अपने भाषण के अंत में, धनखड़ ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि AI सुशासन के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रौद्योगिकी प्रशासन में सुधार करने और जनसेवा में गुणवत्ता लाने के लिए महत्वपूर्ण है।
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]]>The post भाजपा की आलोचना और जन सुराज की चुनौती,प्रशांत किशोर की राजनीति पर चर्चा. first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>भाजपा को किशोर के मुसलमानों को प्राथमिकता देने के आरोप से अधिक चिंता ऊंची जातियों के उनकी ओर आकर्षित होने की संभावनाओं को लेकर है। किशोर ने बिहार में कम से कम 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने का वादा किया है। इसके अलावा, किशोर ने जुलाई में 40 महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारने की घोषणा की है, जो भाजपा और उसके सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है। भाजपा के नेतृत्व को किशोर की संगठनात्मक तैयारी और 1 करोड़ सदस्यों के साथ जन सुराज को लॉन्च करने की घोषणा ने ‘घबराहट’ में डाल दिया है। यह घटना उस समय हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बावजूद भाजपा ने बिहार की पांच लोकसभा सीटें — पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, औरंगाबाद और सासाराम — खो दी थीं।
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किशोर की घोषणा को राजद के मुस्लिम-यादव वोट बैंक को लक्षित करने की योजना के रूप में देखा गया है। बिहार की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है और वह सब बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय जनता दल को वोट देते हैं, केवल नीतीश कुमार की जेडी(यू) के समर्थकों के। इसके अलावा किशोर के भाषण का दूसरा हिस्सा यह रहा जिसमें उन्होंने कहा, की “भाजपा को हराने के लिए मुसलमानों को गांधी, आंबेडकर, लोहिया और जेपी (जयप्रकाश नारायण) की विचारधारा को अपनाना होगा” जिसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को गंभीरता से लिया है। किशोर ने 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत में योगदान दिया था, लेकिन 2015 से 2021 तक उन्होंने भाजपा के खिलाफ लड़ने वाली पार्टियों और नेताओं की जीत में योगदान किया। किशोर का कहना है कि भाजपा ने केवल 37 प्रतिशत वोटों के साथ दिल्ली में सरकार बनाई, जबकि हिंदू आबादी 80 प्रतिशत है, इसका मतलब है कि 40 प्रतिशत हिंदुओं ने भाजपा के खिलाफ और नफरत की राजनीति के खिलाफ वोट दिया।
किशोर का उद्देश्य विपक्ष की जगह लेने का है, जैसा कि राजद के तेजस्वी यादव पर उनके लगातार हमलों से स्पष्ट है। साथ ही, उनकी नजर भाजपा के ऊंची जातियों के वोट बैंक पर भी है। राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने किशोर पर आरोप लगाया है कि वह भाजपा की ‘बी टीम’ हैं। “यह लोकसभा चुनावों से स्पष्ट है जब उन्होंने भाजपा और मोदी की प्रशंसा की, लेकिन उन्हें हमारे आधार का कोई वोट नहीं मिलेगा।” जन सुराज के एक पदाधिकारी द्वारा कहा गया की नीतीश कुमार एक घटती हुई ताकत हैं।और नीतीश के जाने के बाद बिहार में दो पार्टियां ही बची रहेंगी जिनमें से एक है राजद और दूसरी है भाजपा। और देखा जाए तो भाजपा अपनी विचारधारा और लोकप्रिय नेतृत्व वाले विशाल संगठन के सहारे ही वहाँ अपनी मज़बूती को बनाये हुए है। तेजस्वी के स्थान पर (जन सुराज के लिए) अधिक गुंजाइश है।”
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जुलाई में, राजद के दिग्गज नेता जगदानंद सिंह ने एक पत्र लिखकर जन सुराज को भाजपा की ‘टीम बी’ करार दिया था और राजद के सदस्यों के किशोर के प्रति निष्ठा बदलने की चिंता जताई थी। पिछले पांच महीनों में कई प्रमुख राजद नेता जैसे देवेंद्र प्रसाद यादव, रामबली चंद्रवंशी, अब्दुल मजीद और रिवाज अंसारी जन सुराज में शामिल हो चुके हैं। किशोर के साथ जुड़ने वालों में से है कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉ. जागृति और पूर्व आईपीएस अधिकारी रही आनंद मिश्रा एव अभिनेत्री अक्षरा सिंह शामिल हैं। बीजेपी के उपाध्यक्ष ने एक मीडिया रिपोर्ट में बताया की “प्रशांत किशोर के पास पैसा और जगह है। और हर पार्टी के नेता जो नाराज़ हैं या जिन्हें टिकट नहीं मिल रहा है, वह यह सब देखकर उनके साथ आ जाएंगे। लालू के समर्थक प्रतिबद्ध हैं; यादव भाजपा को वोट नहीं देंगे। और यहां तक कि मुसलमान वोटर भी उन्हें वोट नहीं देंगे क्योंकि उन्हें मालूम है कि वह भी भाजपा को नहीं हरा सकते।”
उन्होंने कहा कि किशोर उच्च जाति के मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए वे गांधी और आंबेडकर की प्रशंसा कर रहे हैं। भाजपा के एक महासचिव ने कहा कि किशोर की यात्रा चंपारण, सारण और मिथिला जैसे भाजपा के गढ़ों में भी घूमी है। उन्होंने कहा, “वो पहले आरजेडी के गढ़ मगध और सीमांचल क्यों नहीं गए? वो जानते हैं कि ऊंची जातियों के पास राजनीति के लिए संसाधन हैं और उन्हें जीता जा सकता है।”
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भाजपा प्रदेश इकाई के एक नेता ने कहा कि किशोर बिहार में बदलाव की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए अरविंद केजरीवाल की राह पर चल रहे हैं। उन्होंने कहा, “किशोर बदलाव की कहानी का इस्तेमाल कर रहे हैं और कह रहे हैं कि बिहारियों ने पिछले 40 सालों में सभी पार्टियों को आजमाया है — चाहे वो आरजेडी हो, जेडी(यू) हो या भाजपा। वो बदलाव, रोजगार, युवाओं के पलायन, शिक्षा की कमी और एनडीए के 25 साल के शासन के बावजूद उद्योग की कमी के बारे में अपनी बात रख रहे हैं और यह गति पकड़ रहा है।”
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]]>The post राहुल गांधी को केवल कुर्सी से प्यार, टोटल मैस हैं; इंदिरा और कांग्रेस सांसद की तुलना पर कंगना रनौत का बयान. first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>कंगना रनौत वर्तमान में अपनी नई फिल्म ‘इमरजेंसी’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। इसी फिल्म के प्रमोशन के दौरान कंगना ने राहुल गांधी की आलोचना की। उनका कहना है कि इंदिरा गांधी और राहुल गांधी के बीच गहरा अंतर है। कंगना के अनुसार, इंदिरा गांधी का मार्गदर्शन और नेतृत्व की दृष्टि स्पष्ट थी, जबकि राहुल गांधी की विचारधारा निरंतर बदलती रहती है। कंगना ने यह भी कहा कि राहुल गांधी की तुलना इंदिरा गांधी से करना एक मजाक है, क्योंकि वह केवल कुर्सी पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
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कंगना ने बीजेपी से मिली चेतावनी के बारे में भी खुलासा किया। उन्होंने बताया कि पार्टी ने उन्हें अपने बयानों में शब्दों के चयन को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है। हाल ही में, कंगना ने किसान आंदोलन और बांग्लादेश हिंसा पर टिप्पणियाँ की थीं, जिन पर विवाद खड़ा हो गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कंगना ने स्वीकार किया कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें फटकार लगाई है, लेकिन वह इसे लेकर चिंतित नहीं हैं। उनका कहना है कि वह पार्टी की अंतिम आवाज नहीं हैं और उन्हें अपनी बात कहने की स्वतंत्रता है, बशर्ते वह सतर्कता बरतें।
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कंगना रनौत के ये बयान भाजपा की आंतरिक राजनीति और राहुल गांधी की राजनीतिक रणनीति पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। उनके बयान इस बात को उजागर करते हैं कि पार्टी के भीतर विभिन्न विचारधाराओं और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान हो रहा है, जबकि कंगना खुद अपनी स्वतंत्र राय रखने में यकीन करती हैं।
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]]>The post जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किये वैष्णो देवी के दर्शन, 28 साल बाद की यात्रा, POK पर दिया बड़ा बयान first appeared on chaupalkhabar.com.
]]>जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि इससे पहले वे वर्ष 1996 में मां वैष्णो देवी के दर्शन करने आए थे। इस बार वे दोपहर को आधार शिविर कटड़ा पहुंचे और थोड़ी देर एक निजी होटल में विश्राम करने के बाद बैटरी कार से मां वैष्णो देवी के भवन के लिए रवाना हुए। उन्होंने शाम को भवन पर मां वैष्णो देवी की दिव्य आरती में शामिल होकर आराधना की और इसके उपरांत पवित्र गुफा में माथा टेका। जगद्गुरु रामभद्राचार्य रात को भवन पर ही रुके और बुधवार सुबह कटड़ा वापस आकर जम्मू के लिए रवाना हो जाएंगे। उन्होंने पिछले वर्ष श्री अमरनाथ यात्रा भी की थी और पवित्र गुफा में माथा टेका था। जगद्गुरु ने कहा कि वे देश में सुख-शांति और समृद्धि के लिए हमेशा प्रार्थना करते हैं।
मां वैष्णो देवी के दर्शन के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें इस पवित्र यात्रा से बहुत शांति और संतुष्टि मिली। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भी माता के दर्शन करें और देश में शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। इस यात्रा के दौरान उन्होंने देश के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और लोगों को प्रेरित किया। जगद्गुरु रामभद्राचार्य का यह दौरा उनके अनुयायियों और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था। उन्होंने अपने प्रवचनों और बातों से सभी को प्रेरित किया और देश के लिए अपने समर्पण को प्रकट किया। इस दौरान उन्होंने माता वैष्णो देवी के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और विश्वास को भी व्यक्त किया।
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]]>मोदी सरकार का फोकस समुद्र में व्यापार को सरल बनाने और मैरीटाइम लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाने पर भी है। प्रधानमंत्री ने डीप ड्राफ्ट इनर हार्बर के त्वरित निर्माण और लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ग्रेट निकोबार में ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट के निर्माण के प्रस्ताव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इससे बड़े जहाज लंगर डाल सकेंगे और समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी, साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। ग्रेट निकोबार द्वीप भारत की मुख्य भूमि से करीब 1,800 किलोमीटर दूर स्थित है और यह इंडोनेशिया के सुमात्रा के पास है। इस द्वीप में फिलहाल आठ हजार लोग रहते हैं और यह चार “आपस में जुड़ी” परियोजनाओं का संयोजन है, जो मिलकर एक नया ग्रीनफील्ड शहर बनाएंगे। ये चार परियोजनाएं पोर्ट, एयरपोर्ट, पावर प्लांट और टाउनशिप की हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वीपों को मुख्य भूमि और दुनिया से जोड़ने में अद्वितीय तत्परता और पैमाना दिखा रही है, जिससे 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को मजबूत किया जा सके। उनकी सरकार ने रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर स्वराज द्वीप कर दिया, ताकि इन्हें नई पहचान मिल सके। 2023 में, सरकार ने परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर 21 द्वीपों का नामकरण किया, जिससे युवाओं को प्रेरणा मिले और देशभक्ति का उत्साह बढ़े। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उनकी कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण परंपरा है कि जब भी कोई बिल संसद में लाया जाता है, तो उसके साथ ग्लोबल स्टैंडर्ड का एक नोट भी आता है। इससे दुनिया के बेहतरीन कानून और नियमों की जानकारी मिलती है और हमें अपनी व्यवस्था को उन मानकों तक ले जाने की दिशा मिलती है। उदाहरण के लिए, 1300 द्वीपों का सर्वेक्षण स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके करवाया गया। इन द्वीपों में से कुछ सिंगापुर के आकार के हैं, जिससे भारत के लिए नए सिंगापुर बनाना मुश्किल नहीं है, यदि हम प्रयास करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर का सही उपयोग सुनिश्चित करना है। उन्होंने देखा कि पहले इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं कागज पर या शिलान्यास तक सीमित रह जाती थीं। उन्होंने प्रगति नामक एक नियमित प्रोजेक्ट रिव्यू सिस्टम शुरू किया और परियोजनाओं को गति दी। उनका मानना है कि स्कोप, स्केल, स्पीड और स्किल का सही समन्वय करके बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पहले कैबिनेट नोट बनने में तीन महीने लगते थे, जिसे अब 30 दिनों तक कम कर दिया गया है। रेलवे में भी आधुनिकरण की दिशा में काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अनमैन क्रॉसिंग की समस्या को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। उन्होंने रेलवे स्टेशनों की सफाई पर भी ध्यान दिया है और लगभग 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन पर बल दिया है। उन्होंने यात्री ट्रेनों की परंपरा को भी पुनः आरंभ किया है, जिसमें रामायण सर्किट ट्रेन, जैन तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा और द्वादश ज्योर्तिर्लिंग की यात्रा शामिल है। उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर के अधिकतम उपयोग की योजना बनाई है, जिससे देश को अधिकतम लाभ हो सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इंटरव्यू में बताया कि उनकी सरकार अफसरों को यह समझाने पर भी जोर दे रही है कि उनके जीवन का उद्देश्य क्या है। उन्होंने कहा कि ह्यूमन रिसोर्स के लिए सरकार टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही है और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी फिजिकल, सोशल और टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दे रही है। मोदी सरकार का लक्ष्य देश में सिंगापुर जैसे शहर खड़े करने का है। इसके लिए उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर का स्कोप बहुत बड़ा होना चाहिए, टुकड़ों में नहीं। स्केल भी बड़ा होना चाहिए, स्पीड भी तेज होनी चाहिए और स्किल का भी समुचित उपयोग होना चाहिए। यही चारों चीजें मिलकर देश को विकास की ओर ले जाएंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि उनकी सरकार ने रेलवे में आधुनिकरण के लिए कई कदम उठाए हैं। अनमैन क्रॉसिंग को खत्म करके रेलवे स्टेशनों की सफाई पर जोर दिया गया है। लगभग 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया है और यात्री ट्रेनों की परंपरा शुरू की गई है। उन्होंने रामायण सर्किट ट्रेन, जैन तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा और द्वादश ज्योर्तिर्लिंग यात्रा जैसी योजनाओं का भी उल्लेख किया, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर का अधिकतम उपयोग हो सके। मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई इन परियोजनाओं का उद्देश्य देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है। उनका मानना है कि सही योजना और सही दिशा में काम करके भारत को विश्व में एक प्रमुख स्थान पर लाया जा सकता है। उनके नेतृत्व में, भारत के द्वीपों का विकास, समुद्री व्यापार में वृद्धि और रोजगार के नए अवसरों का सृजन होने की संभावना है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और समग्र विकास को बल मिलेगा।
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