Opinion - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 16 Sep 2024 11:45:13 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Opinion - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 संविधान की मूल भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जोर. https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/basic-spirit-of-the-constitution-and-lo/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/basic-spirit-of-the-constitution-and-lo/#respond Mon, 16 Sep 2024 11:45:13 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4915 नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान की मूल भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्थाएं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती हैं, लेकिन उनके खिलाफ हानिकारक और भड़काऊ बयान उन्हें निराश कर सकते हैं। धनखड़ …

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नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान की मूल भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्थाएं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती हैं, लेकिन उनके खिलाफ हानिकारक और भड़काऊ बयान उन्हें निराश कर सकते हैं। धनखड़ ने यह भी कहा कि राजनीतिक भड़काऊ बहसें हमारे संस्थानों के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं और ऐसी चर्चाओं से बचा जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि राज्य के सभी अंगों का उद्देश्य एक है – संविधान की मूल भावना को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना कि आम आदमी को उसके सभी अधिकार प्राप्त हों। उन्होंने कहा, “भारत को प्रगति और विकास की ओर ले जाने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक आदर्शों का पालन करना बेहद जरूरी है। हमें मिलकर एकजुट होकर काम करना होगा ताकि हमारा लोकतंत्र सुदृढ़ बना रहे और देश में हर व्यक्ति को उसके अधिकार मिल सकें।”

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धनखड़ ने कहा कि जो संस्थान कठिन परिस्थितियों में भी अपना कार्य पूरी निष्ठा से करते हैं, उनके खिलाफ हानिकारक बयानबाज़ी न केवल उन्हें कमजोर करती है बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी विपरीत असर डालती है। उन्होंने कहा, “संस्थाएं स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और हमें उनका समर्थन करना चाहिए। हमें उनके खिलाफ कोई ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो उन्हें कमजोर करे या राजनीतिक बहस को बढ़ावा दे।” उपराष्ट्रपति ने भारत की आर्थिक प्रगति का भी उल्लेख किया और कहा कि देश अब प्रगति की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत की तरक्की को अब कोई नहीं रोक सकता। देश आर्थिक रूप से उभर रहा है और वैश्विक स्तर पर एक पसंदीदा निवेश स्थल बन रहा है।” अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अनुसार, भारत निवेश और अवसरों के मामले में सबसे आगे है और यह भविष्य में और अधिक अवसरों की ओर अग्रसर है।

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धनखड़ ने भ्रष्टाचार की समस्या पर भी चर्चा की और कहा कि पहले के समय में भ्रष्टाचार हर स्तर पर फैला हुआ था, लेकिन अब स्थिति में सुधार आया है। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार ने हमारे समाज को अंदर से खोखला कर दिया था। नौकरियों से लेकर ठेकों तक, हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त था। अब, देश में युवाओं के लिए अवसर खुल गए हैं और उन्हें अपनी क्षमता का उपयोग करने के बेहतर मौके मिल रहे हैं।”

उपराष्ट्रपति ने शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि शिक्षा एक सेवा है, व्यापार नहीं। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य समाज की सेवा करना होना चाहिए, न कि उसे एक व्यावसायिक गतिविधि के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और छात्रों को समुद्र विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अवसरों को तलाशना चाहिए। अपने भाषण के अंत में, धनखड़ ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि AI सुशासन के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रौद्योगिकी प्रशासन में सुधार करने और जनसेवा में गुणवत्ता लाने के लिए महत्वपूर्ण है।

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कोल्हान में JMM की स्थिति पर चंपई सोरेन का प्रभाव, विस चुनाव में पार्टी को झटका लगने की संभावना. https://chaupalkhabar.com/2024/08/19/status-of-jmm-in-kolhan/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/19/status-of-jmm-in-kolhan/#respond Mon, 19 Aug 2024 06:41:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4360 चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में एक महत्वपूर्ण और लंबा राजनीतिक सफर रहा है, लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनका यह सफर समाप्ति की ओर है। चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों में झामुमो की जड़ें जमाने में एक मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं। अलग राज्य आंदोलन के …

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चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में एक महत्वपूर्ण और लंबा राजनीतिक सफर रहा है, लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनका यह सफर समाप्ति की ओर है। चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों में झामुमो की जड़ें जमाने में एक मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं। अलग राज्य आंदोलन के दौरान से ही वे ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से लोकप्रिय रहे हैं और उनका जनमानस पर प्रभाव व्यापक रहा है। चंपई सोरेन ने मजदूर आंदोलनों में भी एक अहम भूमिका अदा की है, जिसमें उन्होंने बड़े औद्योगिक घरानों को सम्मानजनक समझौतों के लिए मजबूर किया। उनके इस प्रभाव के कारण ही झामुमो ने कोल्हान प्रमंडल में एक अभेद्य गढ़ बना रखा था, जैसा कि संताल प्रमंडल में भी देखने को मिलता है। यह प्रभाव ही था जिसके चलते विपरीत परिस्थितियों में उन्हें मुख्यमंत्री पद भी सौंपा गया।

हालांकि, चंपई सोरेन के राजनीतिक सफर में एक मोड़ तब आया जब उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में उनकी नाराजगी की खबरें छनकर आने लगीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस नाराजगी के चलते वे झामुमो से अलग रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। लेकिन जब उन्हें हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, तो यह संभावना बनी कि वे पार्टी में ही बने रहेंगे। अब सवाल यह है कि यदि चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं, तो झामुमो को कोल्हान प्रमंडल में किस प्रकार का झटका लग सकता है? खासकर तब, जब पिछली विधानसभा चुनावों में झामुमो ने इस प्रमंडल में भाजपा का खाता भी नहीं खुलने दिया था। कोल्हान प्रमंडल के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। यहां तक कि जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी पराजित होना पड़ा था।

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भाजपा ने इस बार कोल्हान क्षेत्र को लेकर अपनी रणनीति को मजबूत किया है और चंपई सोरेन के संभावित भाजपा में शामिल होने को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा के बड़े रणनीतिकारों ने कोल्हान क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चंपई सोरेन के प्रभाव का लाभ उठाने की योजना बनाई है। बंगाल भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की मध्यस्थता ने इस प्रक्रिया को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। चंपई सोरेन ने हाल ही में दिल्ली रवाना होने से पहले कोलकाता के एक बड़े होटल में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की, जिसके बाद वे दिल्ली की ओर रवाना हुए। इस घटनाक्रम ने झारखंड की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। अगर चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं, तो यह झामुमो के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर कोल्हान प्रमंडल में, जहां उनकी अनुपस्थिति में झामुमो के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चंपई सोरेन का यह कदम झारखंड की राजनीति में क्या बदलाव लाता है। झामुमो के लिए यह एक कठिन दौर साबित हो सकता है, जबकि भाजपा के लिए यह एक बड़ी सफलता हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें इस पूरे घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह झारखंड की राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है।

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राज्यसभा में विनेश फोगाट मुद्दे पर हंगामा, विपक्ष के विरोध से नाराज हुए सभापति धनखड़. https://chaupalkhabar.com/2024/08/08/vinesh-phogat-in-rajya-sabha/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/08/vinesh-phogat-in-rajya-sabha/#respond Thu, 08 Aug 2024 07:55:15 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4213 आज संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में एक बार फिर से हंगामे का माहौल देखने को मिला, जब महिला रेसलर विनेश फोगाट का मामला उठाया गया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए, जिससे सभापति जगदीप धनखड़ बेहद नाराज हो गए। विपक्ष ने कहा कि सरकार ने विनेश के मामले …

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आज संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में एक बार फिर से हंगामे का माहौल देखने को मिला, जब महिला रेसलर विनेश फोगाट का मामला उठाया गया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए, जिससे सभापति जगदीप धनखड़ बेहद नाराज हो गए। विपक्ष ने कहा कि सरकार ने विनेश के मामले में कुछ नहीं किया, जिससे सदन में जोरदार हंगामा हुआ और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सभापति को सदन छोड़कर बाहर जाना पड़ा। विनेश फोगाट का मामला संसद में पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है, और विपक्ष लगातार इस पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। आज की कार्यवाही में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सरकार ने विनेश फोगाट के मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने पूछा कि ऐसी क्या परिस्थितियाँ थीं, जिनके कारण विनेश फोगाट को इस स्थिति का सामना करना पड़ा और सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। खरगे के इस बयान के बाद विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया, जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई।

सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के इस आचरण पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पूरा देश विनेश फोगाट के साथ है और इस मामले पर सभी को गहरा दुख है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उन्होंने खुद भी पहले बयान दिया है। सभापति ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस पर विपक्ष ने विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। धनखड़ ने कहा कि विपक्ष द्वारा सदन में जो आचरण किया गया, उससे उन्हें गहरा आघात पहुंचा है। उन्होंने सदन की गरिमा का सम्मान नहीं किया और इसे आराजकता का केंद्र बना दिया। सभापति ने आगे कहा कि उन्हें विपक्ष से वह सहयोग नहीं मिल रहा जो इस सदन की गरिमा के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वह कई दिनों से देख रहे हैं कि उनके खिलाफ गलत बयानों और पत्रों के जरिए निशाना साधा जा रहा है। धनखड़ ने यह भी कहा कि उन्हें आज की घटना के बाद खुद को सदन की कार्यवाही जारी रखने के लिए सक्षम नहीं महसूस हो रहा है, और इसीलिए उन्होंने कुछ समय के लिए सदन से बाहर जाने का निर्णय लिया।

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विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के सवालों के बाद टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने भी सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले पर चुप क्यों है और क्यों कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। उनके इस बयान से सदन में हंगामा हो गया और माहौल गरमा गया। विपक्ष के सदस्यों ने जोर-जोर से नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे सभापति धनखड़ और भी नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि सदन में सभापति को चुनौती दी गई है और उनके साथ सही व्यवहार नहीं किया गया। इससे आहत होकर उन्होंने सदन छोड़ने का निर्णय लिया।

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संसद में आज का दिन हंगामे और विरोध प्रदर्शनों से भरा रहा। विनेश फोगाट के मामले पर विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए, जबकि सभापति ने विपक्ष के आचरण को गैरजिम्मेदाराना बताया। इस घटनाक्रम के बाद सदन की कार्यवाही बाधित रही और कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा नहीं हो पाई। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में भी संसद का यह सत्र राजनीतिक गतिरोध और आरोप-प्रत्यारोपों से भरा रहेगा।

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ICMR ने जारी की 17 प्वाइंट की गाइडलाइन स्टडी के मुताबिक़ भारत में 56% बीमारियां अनहेल्दी डाइट के कारण. https://chaupalkhabar.com/2024/05/09/icmr-released-17-point-key-guide/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/09/icmr-released-17-point-key-guide/#respond Thu, 09 May 2024 06:27:48 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3155 राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) ने हाल ही में एक अहम रिसर्च पर ध्यान दिया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि हेल्दी डाइट और शारीरिक गतिविधि कैसे कोरोनरी हृदय रोग (CHD), हाइपरटेंशन (HTN), और टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित कर सकती है। उनके अनुसार, एक स्वस्थ जीवनशैली अनेक बीमारियों को दूर रख सकती है और जीवन …

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राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) ने हाल ही में एक अहम रिसर्च पर ध्यान दिया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि हेल्दी डाइट और शारीरिक गतिविधि कैसे कोरोनरी हृदय रोग (CHD), हाइपरटेंशन (HTN), और टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित कर सकती है। उनके अनुसार, एक स्वस्थ जीवनशैली अनेक बीमारियों को दूर रख सकती है और जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकती है।कोरोनरी हृदय रोग, हाइपरटेंशन, और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों का सम्बंध आधुनिक जीवनशैली और खान-पान के प्रचलन से है। अपार तनाव, गलत खान-पान, और अल्प-शारीरिक गतिविधि के कारण ये बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं। लेकिन, राष्ट्रीय पोषण संस्थान के अनुसार, स्वस्थ आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि से इन बीमारियों का जोड़ा कम किया जा सकता है।

उन्होंने इस  रिसर्च में बताया कि हेल्दी डाइट का सही संतुलन रखना और नियमित व्यायाम करना कैसे ये बीमारियों को रोक सकता है। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि ये कदम टाइप 2 मधुमेह को 80 फीसदी तक रोक सकते हैं, जो वास्तव में एक बड़ी संख्या है। कोरोनरी हृदय रोग और हाइपरटेंशन के लिए एक स्वस्थ डाइट में कम लहसुन, मटर, अनाज, हरी सब्जियां, फल, दालें, तथा प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना शामिल है। इसके साथ ही, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि अनिवार्य है।

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टाइप 2 मधुमेह के मरीजों के लिए भी इस जानकारी का महत्व है। इस रोग के लिए भी स्वस्थ डाइट और नियमित व्यायाम बेहद उपयोगी होते हैं। यह रोग ज्यादातर अपवादों और खान-पान की गलत आदतों के कारण होता है, जिसमें अधिक मिठा, तला हुआ और प्रसिद्ध जंक फूड शामिल है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान के अनुसार, एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने से न केवल बीमारिया कम होती है, बल्कि व्यक्ति की भौमिक भी सुधारती है। नियमित व्यायाम और सही खान-पान से वजन नियंत्रण में मदद मिलती है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

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ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को लगा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका….. https://chaupalkhabar.com/2024/02/26/%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%9e%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%b8%e0%a5%8d/ https://chaupalkhabar.com/2024/02/26/%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%9e%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%b8%e0%a5%8d/#respond Mon, 26 Feb 2024 08:00:08 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2396 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिससे मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। अदालत ने व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष के पूजा करने के अधिकार को बरकरार रखने का फ़ैसला लिया है। यह फैसला वाराणसी जिला अदालत के आदेश के बाद हुआ, जिसे मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती दी …

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिससे मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। अदालत ने व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष के पूजा करने के अधिकार को बरकरार रखने का फ़ैसला लिया है। यह फैसला वाराणसी जिला अदालत के आदेश के बाद हुआ, जिसे मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार जारी रखने का आदेश दिया। इससे पहले वाराणसी जिला अदालत ने भी हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर गया था। हालांकि, यहां से भी मुस्लिम पक्ष को निराशा ही हाथ लगी और हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष की पूजा का अधिकार सुरक्षित रखा। ज्ञानव्यापी मस्जिद के सर्वे के बाद तहखाना खोल दिया गया था। इस मामले में शैलेंद्र कुमार पाठक ने वाद दायर किया था, जिसके बाद 31 जनवरी को जिला जज के आदेश पर हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दे दिया गया था। जिला जज के आदेश के बाद काशी विश्वनाथ ट्रस्ट ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी।

31 जनवरी को जिला जज के आदेश पर हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया गया था

ज्ञानवापी तहखाने को लेकर विवाद की मूल कहानी यह है कि पूजा शुरू होने से पहले हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि नवंबर 1993 से पहले व्यास तहखाने में पूजा-पाठ को उस वक्त की प्रदेश सरकार ने रुकवा दिया था, जिसको शुरू करने का पुनः अधिकार दिया जाए। मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को अस्वीकार करते हुए हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ का अधिकार दे दिया। मुस्लिम पक्ष का दावा था कि डीएम को वाराणसी कोर्ट ने रिसीवर नियुक्त किया है, जो पहले से काशी विश्वनाथ मंदिर के सदस्य हैं, इसलिए उनको नियुक्त नहीं किया जा सकता है। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा था कि दस्तावेज में किसी तहखाने का जिक्र नहीं है और व्यासजी ने पहले ही पूजा का अधिकार ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया था, इसलिए उन्हें अर्जी दाखिल करने का अधिकार नहीं है।

हाईकोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अंजुमन इंतजामिया कमेटी की तरफ से वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूजा पर स्टे लगाने की बात कही गई थी। मुस्लिम पक्ष अब सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प धरेगा। ज्ञानवापी मामले में हुए इस फैसले से सामाजिक विवाद की आग और बढ़ गई है। यह फैसला न केवल समाज में द्वंद्व उत्पन्न करता है, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता और संविधानिक मूल्यों के संबंध में भी सवाल उठाता है। इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो सकती है, जिससे यह विवाद और गहरा हो सकता है।

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Chandrayaan-3: क्या प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर फिर से सक्रिय हो पाएंगे? इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने चुनौतियों की चर्चा की https://chaupalkhabar.com/2023/09/22/former-isro-chairman-g-madhavan-stated-that-will-vikram-lander-pragyan-rover-be-activated-again/ https://chaupalkhabar.com/2023/09/22/former-isro-chairman-g-madhavan-stated-that-will-vikram-lander-pragyan-rover-be-activated-again/#respond Fri, 22 Sep 2023 06:38:13 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1691 आज इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे भारत के रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम से फिर से संपर्क करने का प्रयास कर सकता है। नीलेश देसाई, इसरो के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक, ने कहा कि अगर भाग्य ने साथ दिया, तो दोनों से फिर से संपर्क होगा और उनके उपकरण …

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आज इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे भारत के रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम से फिर से संपर्क करने का प्रयास कर सकता है। नीलेश देसाई, इसरो के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक, ने कहा कि अगर भाग्य ने साथ दिया, तो दोनों से फिर से संपर्क होगा और उनके उपकरण भी उपयोग करेंगे। लेकिन इसके सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। इस विषय पर इसरो के पूर्व अध्यक्ष श्री माधवन नायर ने कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणी कीं।

 

 

 

 

जी माधवन नायर ने बताया कि प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर लगभग दो सप्ताह से सो रहे हैं। यहाँ तापमान न्यूनतम 150 डिग्री से अधिक हो सकता है। यह फ्रीजर से कुछ निकालने की कोशिश करने के समान है। उस तापमान पर बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और तंत्र की एक्टिविटी वास्तव में चिंताजनक है।उनका कहना था कि ऐसे हालात पर पर्याप्त परीक्षण किए गए हैं। इसमें कोई संदेह नहीं। यह भी सुनिश्चित किया गया कि ऐसे हालात में भी काम करते रहें। लेकिन हमें सावधान रहना होगा। हमें भाग्य चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि सूर्योदय के बाद चांद भी सौर ताप उपकरणों और चार्जर बैटरियों को गर्म करेगा। यदि दोनों आवश्यकताएं सफलतापूर्वक पूरी हो जाती हैं, तो  संभावना है कि सिस्टम फिर से शुरू हो जाएगा। एक बार यह शुरू हो जाएगा, तो यह काफी संभव है कि हम अगले 14 दिनों में अधिक दूरी तक घूम सकेंगे और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उसकी सतह पर अधिक जानकारी जुटा सकेंगे।

 

सितंबर दो और चार को इन दोनों को पूरी तरह चार्ज करने के बाद, इसरो ने उन्हें स्लीप मोड में डाल दिया क्योंकि चंद्रमा पर रात्रि काल शुरू हो गया था, जिसमें उन्हें भयानक सर्दी और विकिरण से गुजरना पड़ा था। दोनों ने पिछले दो सप्ताह में न्यूनतम 120 से न्यूनतम 200 डिग्री सेल्सियस की सर्दियों का सामना किया है। 20 सितंबर की शाम से पृथ्वी के समय अनुसार सूर्योदय अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर होने लगा है।

Brajesh Kumar 

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ED की पूछताछ के ख़िलाफ़ हेमंत सोरेन की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई, कहा- पहले हाई कोर्ट जाएं https://chaupalkhabar.com/2023/09/18/ed-sent-notice-to-hemant-soren-for-fourth-time-summons-challenging-petition-heard-in-supreme-court-today-plea-denied-by-the-court/ https://chaupalkhabar.com/2023/09/18/ed-sent-notice-to-hemant-soren-for-fourth-time-summons-challenging-petition-heard-in-supreme-court-today-plea-denied-by-the-court/#respond Mon, 18 Sep 2023 12:24:57 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1646 Jharkhand के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें घटने का नाम ही नही ले रही है . हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ के लिए इसबार चौथी बार समन भेजा है. ED ने समन भेजते हुए झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजधानी रांची स्थित ED कार्यलय में आगामी …

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Jharkhand के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें घटने का नाम ही नही ले रही है . हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ के लिए इसबार चौथी बार समन भेजा है. ED ने समन भेजते हुए झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजधानी रांची स्थित ED कार्यलय में आगामी 23 सितंबर को पूछताछ के लिए मौजूद होने का आदेश दिया है. ED द्वारा भेजे गए इस समन से प्रदेश में सियासत तेज हो गई है.

प्रवर्तन निदेशालय के समन को चुनौती देते हुए झारखण्ड के मुख्यमंत्री  हेमंत सोरेन ने पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल किया था, जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें झटका दे दिया. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया की ,मामला राज्य से जुड़ा है तो पहले आप हाई कोर्ट जाइए.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इससे पहले भी ईडी रांची जमीन घोटाले मामेल तीन बार समन नोटिस भेज चुकी है. लेकिन हर बार निजी कारणों का हवाला देकर हेमंत सोरेन ने ईडी के सामने पेश होने में असमर्थतता जताई है. इसबार ED ने संबंधित केस में सीएम सोरेन को चौथी बार  समन भेजा था, लेकिन इसबार समन को चुनौती देते हुए हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए थे. जहाँ  सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पहले हाई कोर्ट जाने का आदेश दे दिया.

बता दें कि पिछले बार ईडी द्वारा भेजे गए समन के जवाब में सीएम सोरेन ने जी20 में राष्ट्रपति के द्वारा भेजे गए निमंत्रण भोज में शामिल होने का हवाला देते हुए, पूछताछ के लिए उपस्थित होने में अपनी असमर्थतता जताई थी.

मीडिया में प्रकाशित हुई एक खबर के मुताबिक, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की ओर से मांगे गये संपत्ति के ब्यौरे के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने यह कहके बात को टाल दिया कि वह पहले ही ईडी को संपत्ति का पूरा ब्यौरा दे चुके हैं. लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो वह फिर से एक कॉपी दे सकते हैं.  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में ई़़डी द्वारा की जा रही कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है की , पुरे मामले में मालिकाना हक और उन पर कब्जा वाली प्रोपर्टी के सोर्स को लेकर पीएमएलए के तहत जांच की आड़ में उनको लगातार परेशान किया जा रहा है. हालांकि इस पुरे मामले में विस्तृत जानकारी ईडी और सीबीआई को पहले ही दी जा चुकी है.

 

Brajesh Kumar

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने में संसद की भूमिका स्पष्ट की https://chaupalkhabar.com/2023/09/02/whole-parliament-was-taken-into-confidence-during-abrogating-article-370-from-jammu-kashmir/ https://chaupalkhabar.com/2023/09/02/whole-parliament-was-taken-into-confidence-during-abrogating-article-370-from-jammu-kashmir/#respond Sat, 02 Sep 2023 09:48:01 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1569 अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्पष्ट किया कि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को रद्द करने का निर्णय केवल एक कार्यकारी नहीं था। यह निर्णय संपूर्ण भारतीय संसद के परामर्श से लिया गया है। हस्तक्षेपकर्ता …

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अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्पष्ट किया कि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को रद्द करने का निर्णय केवल एक कार्यकारी नहीं था। यह निर्णय संपूर्ण भारतीय संसद के परामर्श से लिया गया है। हस्तक्षेपकर्ता अश्विनी उपाध्याय का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष कार्यवाही के दौरान यह दावा किया।

 

द्विवेदी ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370 में “सिफारिश” शब्द से संकेत मिलता है कि जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के लिए संविधान सभा की सहमति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की प्रक्रिया के दौरान जम्मू-कश्मीर के सदस्यों सहित पूरी संसद को विश्वास में लिया गया था।इसके अलावा, राकेश द्विवेदी ने भारत की संविधान सभा और जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के बीच अंतर बताने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर के लिए संविधान का मसौदा तैयार करते समय, इसकी संविधान सभा को अपने भारतीय समकक्ष के समान स्वतंत्रता का आनंद नहीं मिला।

कानूनी बहस अनुच्छेद 370(3) के इर्द-गिर्द घूमती रही, जिसमें द्विवेदी ने तर्क दिया कि लेख में “सिफारिश” शब्द को निरस्त करने के लिए संविधान सभा की सहमति की आवश्यकता नहीं है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों की पीठ 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 14वें दिन की सुनवाई कर रही थी। 2019. राकेश द्विवेदी ने आगे बताया कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा भारतीय संविधान के कई प्रावधानों सहित विभिन्न आदेशों से बंधी हुई थी। यह न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए बाध्य था और पैराग्राफ एक के अधीन भी था।

संविधान सभा को यह घोषित करने का कोई अधिकार नहीं था कि यह भारत की संघीय इकाई नहीं है या इसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से को भारत से बाहर रखा जा सकता है। अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को निरस्त करने के कदम का बचाव करते हुए, द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि अनुच्छेद 370 को हमेशा एक अस्थायी प्रावधान माना गया है। उन्होंने अपने तर्क का समर्थन करने के लिए डॉ. बीआर अंबेडकर, एनजी अयंगर (संविधान सभा में), जवाहरलाल नेहरू और गुलजारीलाल नंदा (संसद में) के भाषणों का हवाला दिया, जिससे संकेत मिलता है कि जम्मू और कश्मीर को अन्य राज्यों के बराबर लाने की शुरुआत से ही कल्पना की गई थी। उन्होंने कहा, यही कारण है कि भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 को अस्थायी कहा गया था। जैसा कि कानूनी कार्यवाही जारी है, यह नवीनतम तर्क अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर केंद्र सरकार के परिप्रेक्ष्य में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसने जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दिया।

 

हर्षित सांखला

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पटना हाईकोर्ट ने चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी और बिहार में जातिगत गणना पर लगा रोक हटा दिया। https://chaupalkhabar.com/2023/08/01/bihar-caste-based-surevey/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/01/bihar-caste-based-surevey/#respond Tue, 01 Aug 2023 08:35:20 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1293 Bihar की जाति पर आधारित सर्वेक्षण: बिहार सरकार के जातिगत सर्वे कराने के निर्णय पर पहले पटना हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी थी।   पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को राहत दी है। पटना हाई कोर्ट ने आज बिहार सरकार द्वारा आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण और जातिगत सर्वेक्षण पर लगाई गई रोक को …

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Bihar की जाति पर आधारित सर्वेक्षण: बिहार सरकार के जातिगत सर्वे कराने के निर्णय पर पहले पटना हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी थी।

 

पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को राहत दी है। पटना हाई कोर्ट ने आज बिहार सरकार द्वारा आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण और जातिगत सर्वेक्षण पर लगाई गई रोक को हटाया है। इसके अलावा, इस मामले में सभी दायर याचिका खारिज कर दी गई है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थसारथी की खंडपीठ ने यह निर्णय लिया।

 

सात जुलाई को मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। राज्य सरकार के सर्वे कराने के फैसले पर पटना हाई कोर्ट ने पहले ही अंतरिम रोक लगा दी थी। जाति आधारित गणना को असंवैधानिक मानते हुए पटना हाईकोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

 

आपको बता दें कि नीतीश सरकार ने जातिगत गणना की मांग की है। नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और 27 फरवरी 2020 को बिहार विधानसभा और विधान परिषद में जातीय जनगणना का प्रस्ताव पारित किया है। 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच बिहार में पहले चरण की जातिगत गणना हुई। वहीं, दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल को शुरू हुई थी और 15 मई तक पूरी होनी चाहिए थी।

Brajesh Kumar

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