Global - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 24 Oct 2024 08:20:29 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Global - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव, पार्टी के भीतर उठ रही विरोध की आवाजें. https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/canadian-prime-just/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/canadian-prime-just/#respond Thu, 24 Oct 2024 08:20:29 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5270 कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। हाल ही में खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के साथ बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच ट्रूडो सरकार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इस विवाद के बाद कनाडा में प्रधानमंत्री …

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। हाल ही में खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के साथ बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच ट्रूडो सरकार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इस विवाद के बाद कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की स्थिति कमजोर हो गई है, और अब पार्टी के कई सांसद उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देने का सुझाव दे रहे हैं। भारत से बिगड़ते रिश्तों के कारण जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के लिए राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। हाल ही में हुए कई सर्वेक्षणों से पता चला है कि लिबरल पार्टी का समर्थन तेजी से घट रहा है, जबकि विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी की लोकप्रियता बढ़ रही है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यदि अभी चुनाव होते हैं, तो कंजरवेटिव पार्टी जीत के करीब होगी, जबकि लिबरल पार्टी पिछड़ जाएगी।

23 अक्टूबर को लिबरल पार्टी के सांसदों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री ट्रूडो के नेतृत्व पर गंभीर चर्चा की गई। बैठक के दौरान दर्जनों सांसदों ने ट्रूडो से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की। सांसदों का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो पार्टी को अगले चुनावों में जीत दिलाने में सक्षम नहीं होंगे, इसलिए उन्हें समय रहते पद छोड़ देना चाहिए। लिबरल पार्टी के सांसद केन मैकडोनाल्ड ने खुले तौर पर ट्रूडो को सलाह दी कि उन्हें जनता की बातें सुननी चाहिए और पार्टी के भविष्य के बारे में विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “लोकप्रियता में हो रही गिरावट के चलते ट्रूडो को अगले चुनाव से पहले अपना पद छोड़ देना चाहिए।” मैकडोनाल्ड उन 20 सांसदों में शामिल हैं जो ट्रूडो के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

हालांकि, जस्टिन ट्रूडो ने अपने बयान में पार्टी को एकजुट रखने की बात कही और पार्टी के सांसदों से समर्थन बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह समय पार्टी को और अधिक मजबूत और संगठित करने का है, न कि विभाजन का। लेकिन पार्टी के भीतर बगावत के संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं। लगभग 20 सांसदों ने ट्रूडो के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और वह चाहते हैं कि ट्रूडो चौथे कार्यकाल के लिए अपनी दावेदारी पेश न करें। ट्रूडो की स्थिति इस समय काफी मुश्किल भरी है। वे एक तरफ अगले चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी के अंदर से ही इस्तीफे की आवाजें तेज हो रही हैं। कनाडा के राजनीतिक समीकरणों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रूडो पार्टी के भीतर हो रहे इस विरोध को समय रहते संभाल नहीं पाए, तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

कनाडा में जस्टिन ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण समय आ गया है। भारत के साथ राजनयिक विवाद और गिरती लोकप्रियता ने ट्रूडो की सरकार की स्थिरता को खतरे में डाल दिया है। पार्टी के कई सांसद अब ट्रूडो को इस्तीफा देने के लिए कह रहे हैं, और यदि यह दबाव जारी रहा तो आगामी चुनावों में लिबरल पार्टी की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।

By Neelam Singh.

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मालदीव के लिए भारत की दरियादिली, मुइज्जू के रुख में बदलाव के बाद कई महत्वपूर्ण समझौते. https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/maldives-to-india-sea/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/maldives-to-india-sea/#respond Mon, 07 Oct 2024 10:51:09 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5249 मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मोड़ आया है। अपने पहले भारत दौरे पर मुइज्जू का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है। पहले चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू, जो ‘इंडिया आउट’ अभियान के तहत राष्ट्रपति बने थे, अब भारत को एक महत्वपूर्ण सहयोगी और …

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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में एक नया मोड़ आया है। अपने पहले भारत दौरे पर मुइज्जू का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है। पहले चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू, जो ‘इंडिया आउट’ अभियान के तहत राष्ट्रपति बने थे, अब भारत को एक महत्वपूर्ण सहयोगी और मित्र के रूप में देख रहे हैं। यह दौरा भारत और मालदीव के संबंधों में तनावपूर्ण दौर के बाद एक नई शुरुआत का संकेत दे रहा है, जहां दोनों देशों ने कई अहम समझौते किए हैं।

मालदीव के विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करने के लिए भारत और मालदीव ने 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता मालदीव को विदेशी मुद्रा संकट से उबरने में मदद करेगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू ने मालदीव में रुपे कार्ड लॉन्च किया, जिससे दोनों देशों के आर्थिक और वित्तीय संबंध और प्रगाढ़ होंगे। इस कदम से मालदीव के नागरिकों को भारत में सरलता से लेन-देन करने में सुविधा होगी।

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प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच हुई बातचीत के दौरान कई बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं पर चर्चा की गई। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना, जो मालदीव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, को और तेजी से आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है। इसके साथ ही थिलाफुशी में एक नए वाणिज्यिक बंदरगाह के विकास के लिए भारत का समर्थन भी जारी रहेगा, जिससे मालदीव की व्यापारिक क्षमता बढ़ेगी।

भारत ने मालदीव को एक्जिम बैंक की क्रेता ऋण सुविधाओं के तहत निर्मित 700 सामाजिक आवास इकाइयां भी सौंप दी हैं। यह कदम मालदीव में बेहतर जीवन स्तर के निर्माण में मदद करेगा और भारत-मालदीव के बीच आपसी संबंधों को और मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि यह साझेदारी दोनों देशों की गहरी दोस्ती का प्रतीक है और इससे द्विपक्षीय सहयोग को नई दिशा मिलेगी।

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आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारत और मालदीव ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चर्चा शुरू करने का फैसला किया है। इस समझौते के जरिए दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में मजबूती आएगी और मालदीव के आर्थिक विकास में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव को भारत की पड़ोस नीति और सागर विजन में एक घनिष्ठ मित्र बताया।

पिछले साल भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आई थी, जब राष्ट्रपति मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ अभियान के तहत चुनाव जीता था और भारत के सैन्यकर्मियों को देश से हटाने की मांग की थी। साथ ही, मालदीव के मंत्रियों द्वारा दिए गए विवादित बयानों से भी संबंधों में तनाव बढ़ा। हालांकि, समय के साथ मुइज्जू ने अपने भारत विरोधी रुख को नरम किया और भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए। उन मंत्रियों को बर्खास्त करना और भारत को सहयोगी देश के रूप में मान्यता देना, मुइज्जू की नई रणनीति का हिस्सा है।

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एससीओ बैठक में हिस्सा लेने पाकिस्तान जाएंगे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, 9 साल बाद पहली बार भारत का कोई मंत्री करेगा यात्रा https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/sco-meeting-in-part-lane/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/sco-meeting-in-part-lane/#respond Mon, 07 Oct 2024 06:53:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5237 भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर 15-16 को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) की होगी, जिसकी अध्यक्षता इस बार पाकिस्तान कर रहा है। इस बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इसलिए खास मानी जा …

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर 15-16 को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) की होगी, जिसकी अध्यक्षता इस बार पाकिस्तान कर रहा है। इस बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि बीते 9 सालों में यह पहला मौका होगा जब भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेगा। इससे पहले, दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं, लेकिन उसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में काफी तनाव रहा है और कोई भी भारतीय मंत्री वहां नहीं गया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस यात्रा की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि यह दौरा एससीओ चार्टर के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “भारत एससीओ चार्टर को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और विदेश मंत्री की यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस चार्टर के तहत दिए गए दायित्वों को निभाना है।” साथ ही उन्होंने इस यात्रा को भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों के सुधार से जोड़कर देखने से मना कर दिया। उन्होंने साफ किया कि यह दौरा केवल एससीओ के संदर्भ में है और इसका कोई अन्य राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

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पाकिस्तान ने एससीओ की इस बैठक के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा था। अगस्त 2024 में पाकिस्तान की विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस बैठक के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा गया है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान दौरे को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस निमंत्रण पर स्पष्ट शब्दों में कहा था कि “पाकिस्तान से बातचीत का समय समाप्त हो चुका है”। जयशंकर ने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद अब इस मुद्दे का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है और भारत पाकिस्तान के साथ किसी प्रकार के रिश्ते पर विचार करने की स्थिति में नहीं है।

भारत और पाकिस्तान दोनों एससीओ के सदस्य देश हैं और इस संगठन के तहत दोनों देशों के अधिकारियों ने समय-समय पर बैठकें की हैं। पिछले साल जुलाई 2023 में भारत ने वर्चुअल माध्यम से एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑनलाइन हिस्सा लिया था। इसके अलावा मई 2023 में गोवा में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने हिस्सा लिया था। यह उनके भारत दौरे का दुर्लभ मौका था, लेकिन दोनों देशों के बीच कड़वाहट उस समय भी स्पष्ट थी।

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एससीओ का गठन 2001 में हुआ था और यह संगठन सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जाना जाता है। इसमें आठ स्थायी सदस्य देश हैं, जिनमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में इस संगठन के स्थायी सदस्य बने थे।

हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर और सीमा पर तनाव जैसे मुद्दों ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को और जटिल बना दिया है। इसके बावजूद एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंच पर दोनों देशों की भागीदारी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह दोनों देशों के अधिकारियों को एक साथ लाने का अवसर प्रदान करता है। इस बार पाकिस्तान द्वारा आयोजित की जा रही एससीओ बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत इस संगठन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से लेता है।

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा, वार्ता का कोई इरादा नहीं https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/indian-foreign-minister-s-jay/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/indian-foreign-minister-s-jay/#respond Sat, 05 Oct 2024 11:27:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5234 भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर आगामी 15 और 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता का कोई इरादा …

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर आगामी 15 और 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं। इस यात्रा के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा एक बहुपक्षीय आयोजन के लिए की जा रही है और इसे केवल एससीओ शिखर सम्मेलन की अनिवार्यता के कारण ही किया जा रहा है।

जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया, “यह यात्रा एक बहुपक्षीय आयोजन के लिए होगी। मैं वहां भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मेरा उद्देश्य एससीओ का एक सक्रिय सदस्य बनना है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस यात्रा को लेकर मीडिया का ध्यान आकर्षित होना स्वाभाविक है, लेकिन यह यात्रा किसी वार्ता के लिए नहीं है।

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पाकिस्तान इस बार एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेज़बानी कर रहा है, और इस बैठक में सभी सदस्य देशों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। जयशंकर ने अपने दौरे के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह यात्रा एक परंपरा के अनुसार है, जिसमें प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री उच्च स्तरीय बैठक के लिए जाते हैं। “इस वर्ष, यह बैठक इस्लामाबाद में हो रही है, और यह एक नया अनुभव है, जैसा कि हम पहले भी देख चुके हैं,” उन्होंने कहा।

जयशंकर ने एससीओ की कार्यप्रणाली और इसके सदस्यों की अपेक्षाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि एससीओ अपने उद्देश्यों को पूरा करने में विफल रहा है। इसके पीछे की मुख्य वजह आतंकवाद का मुद्दा है। उन्होंने यह भी बताया कि एक पड़ोसी देश आतंकवाद को समर्थन दे रहा है, जो इस क्षेत्र में स्थिरता के लिए खतरा बन रहा है। उन्होंने कहा, “आतंकवाद को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारे पड़ोसी देश की गतिविधियों के परिणामस्वरूप स्थिति में बदलाव आएगा। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में सार्क की बैठकें नहीं हुई हैं।”

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हालांकि, जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि क्षेत्रीय गतिविधियां ठप हो गई हैं। वास्तव में, पिछले 5-6 वर्षों में भारतीय उपमहाद्वीप में क्षेत्रीय एकीकरण के कई संकेत मिले हैं। उन्होंने कहा, “अगर आप बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका के साथ हमारे संबंधों का अवलोकन करें, तो आपको पता चलेगा कि रेलवे लाइनों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है, सड़कों का विकास हो रहा है, और बिजली ग्रिड का निर्माण हो रहा है।”

इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि जयशंकर की यात्रा का मुख्य उद्देश्य एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी को सुनिश्चित करना है, न कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता करना। उन्होंने अपनी बातों में यह भी जोड़ते हुए कहा कि वह एक सभ्य व्यक्ति के रूप में व्यवहार करेंगे और सम्मेलन के दौरान सभी देशों के नेताओं के साथ बातचीत का अवसर उठाएंगे।

इस यात्रा के संदर्भ में जयशंकर ने यह भी कहा, “हम क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन आतंकवाद के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।” इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के प्रति सजग है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक मजबूत रुख बनाए रखेगा।

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ईरान-इजरायल तनाव, भारत पर संभावित असर और दोनों देशों के साथ व्यापारिक संबंध https://chaupalkhabar.com/2024/10/04/iran-israel-tension-on-india/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/04/iran-israel-tension-on-india/#respond Fri, 04 Oct 2024 07:26:16 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5212 मिडिल ईस्ट में चल रही ताजा घटनाओं से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ गया है। हाल ही में, मंगलवार की रात ईरान ने इजरायल पर 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय और वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मच गई है। इस संघर्ष के चलते तेल की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना …

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मिडिल ईस्ट में चल रही ताजा घटनाओं से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ गया है। हाल ही में, मंगलवार की रात ईरान ने इजरायल पर 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय और वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मच गई है। इस संघर्ष के चलते तेल की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है, जिसका प्रभाव सीधे तौर पर भारत जैसे देशों पर पड़ सकता है। भारत, जो दोनों देशों के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंध रखता है, इस तनाव के परिणामस्वरूप आर्थिक दबाव का सामना कर सकता है।

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भारत और इजरायल के बीच 1992 में राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई थी। तब से लेकर आज तक दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत होते गए हैं। वर्ष 2022-23 के दौरान, भारत और इजरायल के बीच व्यापार 10.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा। भारत, एशिया में इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और विश्व स्तर पर सातवें स्थान पर है। भारत से इजरायल को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में मोती और कीमती पत्थर, स्पेस इक्विपमेंट, पोटेशियम क्लोराइड और मैकेनिकल उपकरण शामिल हैं। इसके अलावा, लगभग 300 इजरायली कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं, जो भारत-इजरायल संबंधों को और मजबूती प्रदान करती हैं।

भारत और ईरान के बीच भी लंबे समय से व्यापारिक संबंध रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यह संबंध कमजोर हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत और ईरान के बीच कई आर्थिक समझौते और परियोजनाएं चल रही हैं। वर्ष 2022-23 में, ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा था। भारत ईरान से कच्चे तेल के साथ-साथ सूखे मेवे, रसायन और कांच के बर्तन खरीदता है। वहीं, भारत की ओर से ईरान को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में बासमती चावल, चाय और कॉफी शामिल हैं। पिछले साल, भारत ने ईरान को लगभग 15,300 करोड़ रुपये का निर्यात किया था। इसके बावजूद, ईरान के साथ भारत का व्यापार पिछले कुछ वर्षों में घटा है।

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ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते इस तनाव का असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है। भारत, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए काफी हद तक कच्चे तेल पर निर्भर है, ईरान से तेल की आपूर्ति में रुकावट का सामना कर सकता है। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसी तरह, इजरायल के साथ व्यापार में भी रुकावट आ सकती है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है। दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक संबंध होने के बावजूद, इस युद्ध का प्रभाव भारत की व्यापारिक गतिविधियों पर भी पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, इस तनाव के कारण वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ेगी, जिससे भारतीय शेयर बाजार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष, हिजबुल्लाह चीफ के दामाद की मौत और दक्षिणी लेबनान में बढ़ती जंग. https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/israel-hezbollah-conflict/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/israel-hezbollah-conflict/#respond Thu, 03 Oct 2024 05:45:38 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5187 इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जारी संघर्ष के बीच इजरायली सेना को एक और बड़ी सफलता मिली है। हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह के दामाद हसन जाफर अल-कासिर को इजरायली सेना ने एक हमले में मार गिराया है। इस घटना ने पहले से ही उग्र संघर्ष को और भड़का दिया है, क्योंकि इससे कुछ दिन …

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इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जारी संघर्ष के बीच इजरायली सेना को एक और बड़ी सफलता मिली है। हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह के दामाद हसन जाफर अल-कासिर को इजरायली सेना ने एक हमले में मार गिराया है। इस घटना ने पहले से ही उग्र संघर्ष को और भड़का दिया है, क्योंकि इससे कुछ दिन पहले ही हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की बेरूत में मौत हो गई थी। इसके बाद दमिश्क में हुए हमले में उनके दामाद की मौत हुई, जिसमें दो और लेबनानी नागरिकों की जान चली गई। लेबनान के अल-मायदीन नेटवर्क, जो हिजबुल्लाह के साथ जुड़ा हुआ है, ने बताया कि इन हमलों के बाद सीरिया के एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय कर दिया गया है। सीरिया के लटाकिया और टार्टस शहरों में भी धमाकों की आवाजें सुनी गई हैं। इस घटनाक्रम से इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है।

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इस समय युद्ध का मुख्य केंद्र दक्षिणी लेबनान बना हुआ है, जहां इजरायली सेना और हिजबुल्लाह के लड़ाके आमने-सामने हैं। गुरुवार को इजरायली सेना ने मध्य बेरूत में भारी बमबारी की, जिसमें हिजबुल्लाह के कम से कम छह लड़ाके मारे गए और सात अन्य घायल हो गए। इससे पहले हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने इजरायल के आठ सैनिकों की हत्या की थी, जिसके बाद इजरायली सेना ने यह जवाबी हमला किया। इस संघर्ष में ईरान की भी बड़ी भूमिका है। मंगलवार देर रात ईरान ने इजरायल पर 181 बैलिस्टिक मिसाइल दागे थे। ईरान ने इसे हसन नसरल्लाह की मौत का बदला बताया था। इजरायल ने भी ईरान के इस हमले का कड़ा जवाब देने की चेतावनी दी थी। दो दिन बाद ही, इजरायली सेना ने हसन नसरल्लाह के दामाद हसन जाफर अल-कासिर को मार गिराया, जिससे इजरायल ने एक बार फिर ईरान को चुनौती दी है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ईरान इस घटनाक्रम के बाद किस तरह प्रतिक्रिया करता है।

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सोमवार को इजरायली सेना ने लेबनान की सीमा में प्रवेश किया, जिससे संघर्ष और भीषण हो गया। दक्षिणी लेबनान में इजरायली सैनिकों और हिजबुल्लाह के बीच मुठभेड़ जारी है। इजरायली सेना का कहना है कि हिजबुल्लाह का अंत करना ही उनका अंतिम लक्ष्य है और इसी लक्ष्य को लेकर इजरायली सेना लेबनान पर लगातार हमले कर रही है। इस संघर्ष से पूरे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है। हिजबुल्लाह के शीर्ष नेताओं की मौत से संगठन को बड़ा झटका लगा है, लेकिन इसके बावजूद हिजबुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ हमले जारी रखने की कसम खाई है। इजरायल भी लगातार हमले तेज कर रहा है और हिजबुल्लाह के लड़ाकों को निशाना बना रहा है। अब सवाल यह है कि ईरान इस संघर्ष में किस हद तक शामिल होगा और इजरायल की आगे की रणनीति क्या होगी।

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इजरायल के पेजर हमले को सेना प्रमुख ने बताया मास्टरस्ट्रोक, भारत को रहना होगा सतर्क. https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/israeli-pager-attack-co-sen/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/israeli-pager-attack-co-sen/#respond Tue, 01 Oct 2024 11:11:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5182 17 सितंबर को इजरायल द्वारा लेबनान में किए गए पेजर हमलों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इस हमले में इजरायल ने एक साथ 5000 पेजरों का उपयोग किया, जिससे भारी तबाही हुई। रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में लगभग 4000 लोग घायल हुए, जबकि हिजबुल्लाह के करीब 1500 लड़ाकों ने अपने हाथ या आंखें …

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17 सितंबर को इजरायल द्वारा लेबनान में किए गए पेजर हमलों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इस हमले में इजरायल ने एक साथ 5000 पेजरों का उपयोग किया, जिससे भारी तबाही हुई। रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में लगभग 4000 लोग घायल हुए, जबकि हिजबुल्लाह के करीब 1500 लड़ाकों ने अपने हाथ या आंखें गंवाईं। इजरायल की इस अनोखी रणनीति ने कई देशों को सतर्क कर दिया है, और भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस हमले को एक “मास्टरस्ट्रोक” कहा है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को इजरायल के पेजर हमले से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए इस पूरी रणनीति की तारीफ की। उन्होंने बताया कि जिस पेजर की मदद से यह हमला किया गया, वह ताइवान की एक कंपनी द्वारा बनाया गया था। बाद में हंगरी की एक कंपनी ने इसका ब्रांड नाम उपयोग कर इन पेजरों की आपूर्ति हिजबुल्लाह को कर दी।

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इजरायल ने इसी सप्लाई चैन की कमजोरी का फायदा उठाकर हिजबुल्लाह के लड़ाकों को ही उनके अपने पेजरों से निशाना बना दिया। यह योजना अत्यंत ही गुप्त और लंबे समय से तैयार की जा रही थी। जनरल द्विवेदी ने कहा, “युद्ध की शुरुआत केवल लड़ाई वाले दिन से नहीं होती, बल्कि तब होती है जब योजना बनाना शुरू किया जाता है।” यह इजरायल की कई वर्षों की तैयारी का परिणाम था, जिसने उन्हें इतनी बड़ी कामयाबी दिलाई। इस पेजर हमले ने हिजबुल्लाह के लड़ाकों के बीच भयंकर नुकसान किया। इजरायल की तकनीक ने लड़ाई के मैदान में पारंपरिक हथियारों की जगह अत्याधुनिक और अप्रत्याशित उपकरणों का उपयोग किया। इस हमले के दौरान, हिजबुल्लाह के करीब 1500 लड़ाके घायल हुए, जिनमें से कई ने अपने हाथ-पैर या आंखें खो दीं।

पेजरों का यह हमला इसलिए भी अनोखा था क्योंकि यह बिल्कुल अप्रत्याशित था और इसने दुश्मन की संचार प्रणाली को ध्वस्त कर दिया। इजरायल ने इस तकनीक का प्रभावी ढंग से उपयोग कर हिजबुल्लाह की संचार प्रणाली को ठप कर दिया, जिससे उनके लड़ाकों की गतिविधियों पर असर पड़ा। इजरायल के इस हमले से भारतीय सेना को सतर्क रहने और अपनी सुरक्षा नीतियों में सुधार करने की जरूरत है। जब जनरल द्विवेदी से पूछा गया कि भारत ऐसी स्थितियों से कैसे निपट सकता है, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सप्लाई चैन में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “हमें सप्लाई चैन की सुरक्षा पर गहन ध्यान देना होगा। केवल तकनीकी नहीं, बल्कि मैनुअल स्तर पर भी सख्त जांच की जानी चाहिए।”

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इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी उपकरण या तकनीकी डिवाइस की आपूर्ति चैन की जांच पूरी तरह से की जाए ताकि ऐसी किसी भी घटना से बचा जा सके। जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह घटना एक सीख है कि आधुनिक युद्धों में केवल परंपरागत युद्धक हथियार ही नहीं बल्कि डिजिटल और तकनीकी उपकरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत, जो पहले से ही कई आतंकवादी और सीमा पार से होने वाले खतरों से जूझ रहा है, को इजरायल के इस पेजर हमले से सीखने की जरूरत है। यह हमला यह दिखाता है कि आज की युद्ध प्रणाली में साइबर हमले, संचार प्रणाली में हस्तक्षेप और तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल कितना महत्वपूर्ण हो गया है। भारत को अपने सिस्टम को मजबूत बनाने और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

इजरायल का यह पेजर हमला भारत के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसे “मास्टरस्ट्रोक” कहकर इजरायल की योजना की प्रशंसा की, लेकिन साथ ही उन्होंने भारत को सावधान रहने और अपनी सुरक्षा नीतियों को मजबूत करने की सलाह दी है।

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पीएम मोदी और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच दूसरी मुलाकात, शांति और सहयोग पर चर्चा https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/pm-modi-and-ukrainian-rash/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/pm-modi-and-ukrainian-rash/#respond Tue, 24 Sep 2024 06:11:23 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5086 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 32 दिनों के भीतर दूसरी बार यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की। यह महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता न्यूयॉर्क में पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान 25 सितंबर को हुई। इससे पहले 23 अगस्त को पीएम मोदी ने अपनी यूक्रेन यात्रा के दौरान जेलेंस्की से बातचीत की थी। इस मुलाकात के …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 32 दिनों के भीतर दूसरी बार यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की। यह महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता न्यूयॉर्क में पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान 25 सितंबर को हुई। इससे पहले 23 अगस्त को पीएम मोदी ने अपनी यूक्रेन यात्रा के दौरान जेलेंस्की से बातचीत की थी। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन संघर्ष को हल करने के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की और भारत द्वारा शांति और संघर्ष विराम की पहल पर जोर दिया गया।

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रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संघर्ष को हल कराने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय प्रयास किए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से वार्ता की, बल्कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी बातचीत की। रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत शांति और संघर्ष विराम की पहल करता रहा है और इसके लिए भारत ने हमेशा शांतिपूर्ण समाधान को प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर इस मुलाकात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से न्यूयॉर्क में मुलाकात हुई। हम द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए यूक्रेन यात्रा के दौरान हुए फैसलों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” पीएम मोदी ने संघर्ष के समाधान और शांति स्थापना में भारत के समर्थन को दोहराया।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा की सराहना की और युद्ध रोकने के लिए भारत के प्रयासों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के साथ यह हमारी तीसरी द्विपक्षीय बैठक है। हम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर मिलकर काम कर रहे हैं। जेलेंस्की ने आगे कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत का मुख्य विषय शांति सूत्र को लागू करना और अगले शांति शिखर सम्मेलन की तैयारी करना था। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों, खासकर संयुक्त राष्ट्र और जी-20 में यूक्रेन के मुद्दों पर भारत के साथ सहयोग पर भी जोर दिया।

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अक्टूबर में रूस के कजान शहर में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता की संभावना जताई जा रही है। इस मुलाकात में रूस-यूक्रेन संघर्ष पर और अधिक बातचीत की उम्मीद है। पीएम मोदी पहले भी पुतिन से स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है और शांति की बहाली के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने हाल ही में रूस का दौरा किया था, जहां उन्होंने पुतिन को प्रधानमंत्री मोदी का शांति संदेश दिया। इस मुलाकात का वीडियो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना। संभावना है कि साल के अंत तक राष्ट्रपति जेलेंस्की भी भारत की यात्रा कर सकते हैं।

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लेबनान में हिज़बुल्लाह के खिलाफ इजरायल की बड़ी कार्रवाई, 100 से ज्यादा मरे, 400 से अधिक घायल https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/hezbollah-in-lebanon/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/hezbollah-in-lebanon/#respond Mon, 23 Sep 2024 12:56:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5082 इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। सोमवार को इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर भारी बमबारी की, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 400 से अधिक लोग घायल हो गए। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस आंकड़े की पुष्टि की है। इजरायल द्वारा …

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इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। सोमवार को इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर भारी बमबारी की, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 400 से अधिक लोग घायल हो गए। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस आंकड़े की पुष्टि की है। इजरायल द्वारा किए गए ये हमले बीते एक साल में हिज़बुल्लाह के खिलाफ सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है। इजरायली सेना ने हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर हमला करते हुए कहा कि यह आतंकवादी संगठन देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। इजरायल ने दावा किया कि उसकी सेना ने लेबनान में हिज़बुल्लाह के 300 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया है। इजरायल की सेना ने अपनी कार्रवाई को “बड़े पैमाने की जवाबी कार्रवाई” बताया, जो हिज़बुल्लाह के लगातार हमलों का प्रतिशोध है।

इजरायली सेना ने अपने हमले की पहले ही घोषणा कर दी थी। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पहले ट्विटर) पर इजरायली सेना ने अपने प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हर्जी हलेवी का बयान साझा किया, जिसमें कहा गया कि इजरायल अब लेबनान में और भी बड़े हमलों के लिए तैयार है। बयान में यह भी कहा गया कि हिज़बुल्लाह आतंकवादी समूह को समाप्त करने के लिए इजरायल अपनी सैन्य कार्रवाई को और तेज करेगा। इजरायल ने दक्षिणी लेबनान के निवासियों से आग्रह किया है कि वे जल्द से जल्द अपने घरों को खाली कर दें। इजरायली सेना का आरोप है कि हिज़बुल्लाह ने इसी क्षेत्र में भारी मात्रा में हथियार जमा कर रखे हैं और यहां से ही इजरायल पर हमले करने की योजना बना रहा है।

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इजरायल द्वारा किए गए इस हमले को हिज़बुल्लाह के खिलाफ एक व्यापक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। इजरायल के अधिकारियों ने कहा है कि आने वाले दिनों में हिज़बुल्लाह के खिलाफ और भी कठोर कदम उठाए जाएंगे। लेफ्टिनेंट जनरल हलेवी ने यह भी संकेत दिया कि इजरायल इस लड़ाई को लंबे समय तक जारी रखेगा, जब तक हिज़बुल्लाह की ताकत को पूरी तरह खत्म नहीं कर दिया जाता। विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच यह टकराव और भी गंभीर हो सकता है। हालांकि दोनों पक्षों के बीच सीधा युद्ध छिड़ने की संभावना फिलहाल कम नजर आ रही है, लेकिन इजरायल के हालिया हमलों ने क्षेत्रीय स्थिति को बेहद तनावपूर्ण बना दिया है। लेबनान में पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता है, ऐसे में इन हमलों से देश की स्थिति और भी खराब हो सकती है।

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इस हमले के बाद लेबनान और इजरायल के बीच शांति की उम्मीदें कम हो गई हैं। लेबनान में हिज़बुल्लाह की पकड़ मजबूत है और यह संगठन अपने राजनीतिक और सैन्य नेटवर्क के जरिए लेबनान के कई हिस्सों में शासन करता है। इजरायल द्वारा किए गए हमलों से हिज़बुल्लाह की प्रतिक्रिया और भी आक्रामक हो सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ सकता है। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस स्थिति पर चिंता जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और शांति के लिए बातचीत की अपील की है।

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बांग्लादेश: सेना को मिली मजिस्ट्रेटी शक्तियां, कानून व्यवस्था सुधारने की कोशिश. https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/bangladesh-army-found-me/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/bangladesh-army-found-me/#respond Thu, 19 Sep 2024 11:40:44 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4988 बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से चल रही हिंसा और अस्थिर राजनीतिक हालातों के बीच, अंतरिम सरकार ने सेना को अस्थायी तौर पर मजिस्ट्रेटी शक्तियां प्रदान की हैं। यह फैसला कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने और विध्वंसक कृत्यों पर रोक लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। लोक प्रशासन मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना …

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बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से चल रही हिंसा और अस्थिर राजनीतिक हालातों के बीच, अंतरिम सरकार ने सेना को अस्थायी तौर पर मजिस्ट्रेटी शक्तियां प्रदान की हैं। यह फैसला कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने और विध्वंसक कृत्यों पर रोक लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। लोक प्रशासन मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, सेना के कमीशंड अधिकारियों को यह शक्तियां तत्काल प्रभाव से 17 सितंबर 2024 से अगले 60 दिनों के लिए दी गई हैं। यह फैसला तब आया है जब बांग्लादेश में लगातार बढ़ती हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास पर्याप्त संसाधनों और कर्मचारियों की कमी है। सेना को दी गई ये शक्तियां नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी समझी जा रही हैं ताकि देश में शांति और स्थिरता स्थापित की जा सके।

बांग्लादेश की स्वामित्व वाली बीएसएस समाचार एजेंसी के अनुसार, गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बुधवार को बताया कि पिछले कुछ हमलों के बाद से कई पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी पर लौट नहीं पाए हैं। इससे कानून व्यवस्था बनाए रखने में मुश्किलें आ रही हैं। चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि जो पुलिसकर्मी अब तक अपनी सेवाओं में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें अब ड्यूटी पर वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस स्थिति को देखते हुए, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सेना को मजिस्ट्रेटी शक्तियों से सशक्त किया है। ये शक्तियां सेना को गिरफ्तारी, हिरासत, और जरूरी स्थिति में बल प्रयोग की अनुमति देती हैं। इस कदम का उद्देश्य देश में फिर से हिंसा भड़कने की संभावनाओं को खत्म करना है।

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सेना को दी गई मजिस्ट्रेटी शक्तियों में गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने, और जरूरत पड़ने पर गोली चलाने का भी अधिकार शामिल है। सेना को ये शक्तियां कानून व्यवस्था सुधारने के लिए दी गई हैं, ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, बांग्लादेश की सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इन शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। बांग्लादेश के कानून सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा कि सेना के जवान इन शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करेंगे, और जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, इन शक्तियों की जरूरत नहीं रहेगी। सरकार ने यह भी कहा है कि यह कानून केवल 60 दिनों के लिए लागू रहेगा, और उसके बाद इसे खत्म कर दिया जाएगा।

हिंसा और अराजकता के बीच, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने संवैधानिक सुधार आयोग में भी बदलाव किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील शाहदीन मलिक की जगह बांग्लादेशी-अमेरिकी प्रोफेसर अली रियाज को इस आयोग का प्रमुख नियुक्त किया गया है। इस बदलाव की घोषणा मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के निर्देश पर की गई। यूनुस ने न्यायपालिका, चुनाव प्रणाली, प्रशासन, पुलिस, भ्रष्टाचार विरोधी आयोग और संविधान में व्यापक सुधार के लिए कुल छह आयोगों के गठन की घोषणा की थी। अली रियाज के नेतृत्व में संवैधानिक सुधार आयोग अब बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक ढांचे में सुधार के लिए काम करेगा।

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बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से आरक्षण के मुद्दे को लेकर छात्र आंदोलन कर रहे थे। यह आंदोलन देशभर में फैल गया था, जिसके चलते कई जगहों पर हिंसा और झड़पें देखने को मिलीं। बांग्लादेश की तत्कालीन सरकार ने इस स्थिति को संभालने के लिए सेना को तैनात किया था। 19 जुलाई 2024 की रात को पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद हिंसा की घटनाएं बढ़ती रहीं। 5 अगस्त 2024 को हुई भारी हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। उनके इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई थी।

शेख हसीना के इस्तीफे के तीन दिन बाद, 8 अगस्त 2024 को मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। इस सरकार का मुख्य उद्देश्य देश में शांति और स्थिरता बहाल करना और संवैधानिक सुधारों को अमल में लाना है। हालांकि, अंतरिम सरकार के गठन के बावजूद, बांग्लादेश में स्थिति अभी भी अराजक बनी हुई है। देशभर में हिंसा और उपद्रव को नियंत्रित करने के लिए अब भी सेना के जवान तैनात हैं। अंतरिम सरकार का प्रयास है कि कानून व्यवस्था में सुधार किया जाए और देश को फिर से शांति की ओर ले जाया जाए।

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