chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 28 Oct 2024 10:20:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 शिवपाल यादव का योगी सरकार पर हमला: ‘पीडीए ना बटेगा, ना कटेगा; अधिकारियों से वोट मांगती है बीजेपी’. https://chaupalkhabar.com/2024/10/28/shivpal-yadav-of-yogi-government/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/28/shivpal-yadav-of-yogi-government/#respond Mon, 28 Oct 2024 10:20:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5295 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर पलटवार किया। शिवपाल ने बयान दिया कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीडीए) ना बटेगी, ना कटेगी और जो ऐसा कहेगा, वो बाद में खुद ही पछताएगा। उन्होंने अधिकारियों पर दबाव डालने के भाजपा के आरोपों का ज़िक्र करते …

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर पलटवार किया। शिवपाल ने बयान दिया कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीडीए) ना बटेगी, ना कटेगी और जो ऐसा कहेगा, वो बाद में खुद ही पछताएगा। उन्होंने अधिकारियों पर दबाव डालने के भाजपा के आरोपों का ज़िक्र करते हुए कहा कि वे संविधान की रक्षा चाहते हैं और निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रयासरत हैं। शिवपाल यादव का कहना है कि भाजपा अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए अधिकारियों का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा, “भाजपा के लोग जनता से वोट नहीं मांगते बल्कि अधिकारियों के जरिए वोट मंगवाते हैं। जो सत्ता में होते हैं, वे जनता को धमकाते हैं ताकि उनके पक्ष में वोट डलवाए जा सकें।” शिवपाल ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा प्रशासनिक ताकत का गलत उपयोग कर रही है और अधिकारियों को जनता के साथ धोखा करने के लिए उकसाया जा रहा है।

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शिवपाल सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के प्रचार के लिए इटावा पहुंचे थे। वहां उन्होंने भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव को भगोड़ा बताया और कहा कि अब उनके साथ रिश्तेदारी भी समाप्त हो चुकी है। शिवपाल ने स्पष्ट कर दिया कि पार्टी में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं होगी जो अपने निष्ठा से भटक जाते है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने हाल ही में बयान दिया कि राम मंदिर के निर्माण के बाद ही दीपोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस पर शिवपाल यादव ने कहा कि दीपावली एक पारंपरिक त्योहार है, जो सभी धर्म और समुदायों में मनाया जाता है। शिवपाल ने कहा कि “हर व्यक्ति अपनी श्रद्धा अनुसार दीपक जलाता है और दीपावली के त्योहार में कोई रोकटोक नहीं होनी चाहिए।” साथ ही उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह दीपोत्सव का आयोजन करके इसे राजनीतिक रूप से भुनाने का प्रयास कर रही है।

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प्रशासन की तरफ से बीएसएफ की 13 बटालियन मंगाए जाने पर शिवपाल ने कहा कि चुनाव में प्रशासन का हस्तक्षेप निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करता है। शिवपाल ने चुनाव आयोग से अपील की कि वह संविधान के अनुसार कार्रवाई करे। उन्होंने अधिकारियों से संविधान का पालन करने और निष्पक्षता बनाए रखने की अपील की। शिवपाल यादव ने जनता से निष्पक्ष चुनाव में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सपा संविधान की रक्षा करना चाहती है, जबकि भाजपा जनता को धमकाने में लगी है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अधिकारी और प्रशासन निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करें ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो।

By Neelam singh.

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महाराष्ट्र चुनाव 2024: रिपब्लिकन पार्टी को सीट ना मिलने पर अठावले नाराज, फडणवीस से की शिकायत. https://chaupalkhabar.com/2024/10/28/maharashtra-election-2024-republic/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/28/maharashtra-election-2024-republic/#respond Mon, 28 Oct 2024 08:46:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5288 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख नजदीक आ रही है, पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद भी गहराता जा रहा है। मंगलवार, 29 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन है, लेकिन अब तक महायुती में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) को एक भी सीट …

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख नजदीक आ रही है, पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद भी गहराता जा रहा है। मंगलवार, 29 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन है, लेकिन अब तक महायुती में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) को एक भी सीट नहीं दी गई है। आरपीआई प्रमुख रामदास अठावले ने इस पर नाराजगी जाहिर की है और इसे अपनी पार्टी के लिए बड़ा झटका बताया है। अठावले ने शिकायत की है कि सीट बंटवारे पर जितनी भी बैठके हुईं, उनमें आरपीआई को नजरअंदाज किया गया और उनकी पार्टी को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। अठावले ने इस संदर्भ में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और उन्हें एक पत्र भी सौंपा, जिसमें आरपीआई को सीट देने की मांग की गई है।
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आरपीआई प्रमुख रामदास अठावले ने कहा कि उनकी देवेंद्र फडणवीस से बातचीत हुई है और उन्हें भरोसा दिया गया है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कोटे से आरपीआई को एक विधानसभा सीट दी जाएगी। इसके अलावा फडणवीस ने एक विधान परिषद (एमएलसी) सीट देने का भी वादा किया है। अठावले का मानना है कि आरपीआई का महायुती में होना समाज के लिए एक बड़ी बात है, लेकिन उन्हें नजरअंदाज करना गलत है। उनका कहना है कि आरपीआई महायुती और एनडीए का अभिन्न हिस्सा है, और उन्हें सीटों का आवंटन न होना अनुचित है।
महायुती में इस बार सीटों का बंटवारा विभिन्न दलों के बीच इस प्रकार हुआ है:
•भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 121 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
•शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) को 65 सीटें मिली हैं।
•एनसीपी (अजित पवार गुट) ने 49 उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

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महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं, जिनके लिए आगामी 20 नवंबर को मतदान होगा, और 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। रामदास अठावले ने इसे अपनी पार्टी के लिए बड़ा झटका बताया और कहा कि इस नजरअंदाजी से पार्टी और उनके समाज को गहरा धक्का पहुंचा है। उनका मानना है कि अगर महायुती में शामिल अन्य दलों ने आरपीआई को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया, तो यह उनकी पार्टी के प्रति अनदेखी और समाज के प्रति अन्याय है। अठावले के मुताबिक, महायुती के अन्य नेताओं के लिए आरपीआई को नजरअंदाज करना सही नहीं है और इससे उनकी पार्टी के प्रति जनता में गलत संदेश जाएगा। वे चाहते हैं कि आरपीआई को महाराष्ट्र की राजनीति में उचित स्थान और प्रतिनिधित्व मिले।
महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में आरपीआई की भूमिका को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि फडणवीस के आश्वासन के बाद आरपीआई को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या वाकई उन्हें एक सीट मिलती है और वे इसे कैसे उपयोग में लाते हैं।
By Neelam Singh.
https://youtu.be/1bRj_y6QzV4?si=6kaeWVLdNCq-a9yH

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वायनाड उपचुनाव: प्रियंका गांधी और नाव्या हरिदास की शैक्षणिक पृष्ठभूमि की तुलना. https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/wayanad-by-election-priyanka/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/wayanad-by-election-priyanka/#respond Thu, 24 Oct 2024 10:23:39 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5276 वायनाड लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रियंका गांधी के खिलाफ नाव्या हरिदास को उम्मीदवार बनाया है। यह चुनाव 13 नवंबर 2024 को होना तय है, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी। आइए इस अवसर पर दोनों उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यताओं की तुलना करें और उनके राजनीतिक अनुभवों …

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वायनाड लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रियंका गांधी के खिलाफ नाव्या हरिदास को उम्मीदवार बनाया है। यह चुनाव 13 नवंबर 2024 को होना तय है, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी। आइए इस अवसर पर दोनों उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यताओं की तुलना करें और उनके राजनीतिक अनुभवों को समझने की कोशिश करें। कांग्रेस की प्रमुख नेता प्रियंका गांधी एक अनुभवी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। उनके द्वारा भरे गए नामांकन के दौरान प्रस्तुत हलफनामे के अनुसार, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कॉन्वेंट ऑफ जेसस एंड मैरी स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के जेसस एंड मैरी कॉलेज से साइकोलॉजी में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की। प्रियंका ने 2010 में बौद्ध अध्ययन में एमए की डिग्री भी प्राप्त की।

इस प्रकार, प्रियंका गांधी ने न केवल राजनीतिक परिवार से जुड़े होने का फायदा उठाया है, बल्कि उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता के मामले में भी एक गहरी रुचि दिखाई है। बौद्ध अध्ययन में एमए करने का उनका निर्णय उनके विचारशील और अध्ययनशील व्यक्तित्व को दर्शाता है। दूसरी तरफ, भाजपा की प्रत्याशी नाव्या हरिदास भी शिक्षा के मामले में किसी से कम नहीं हैं। उन्होंने 2007 में केएमसीटी इंजीनियरिंग कॉलेज, कालकीट यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री हासिल की। वो एक पेशेवर सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और इस क्षेत्र में उनका काफी अनुभव है। नाव्या के पति मैकेनिकल इंजीनियर हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका पारिवारिक माहौल भी तकनीकी ज्ञान से समृद्ध है।

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नाव्या की शिक्षा का तकनीकी क्षेत्र से जुड़ा होना और सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में उनका अनुभव उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में नई सोच और दृष्टिकोण के साथ सामने लाता है। जहां तक राजनीतिक अनुभव की बात है, प्रियंका गांधी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और कांग्रेस पार्टी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। गांधी परिवार की सदस्य होने के कारण उनकी राजनीति में प्रवेश स्वाभाविक था, लेकिन उन्होंने खुद को एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया है।

वहीं, नाव्या हरिदास का राजनीतिक सफर भी दिलचस्प है। वह दो बार कोझिकोड नगर निगम की पार्षद रह चुकी हैं। इसके अलावा, साल 2021 में उन्होंने कोझिकोड विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, हालांकि उस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। नाव्या भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा की राज्य महासचिव भी रह चुकी हैं और इस भूमिका में उन्होंने वायनाड समेत अन्य क्षेत्रों में काम किया है। उनका परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ा हुआ है, जो उनकी राजनीतिक विचारधारा को परिभाषित करता है।

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नाव्या हरिदास का मानना है कि वायनाड की समस्याओं को कांग्रेस के नेताओं द्वारा अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा, “मैं वायनाड को बहुत अच्छी तरह से जानती हूं और महिला मोर्चा के राज्य महासचिव के रूप में मैंने कई बार वायनाड का दौरा किया है। यहां की समस्याओं पर राहुल गांधी ने कभी ध्यान नहीं दिया।”

By Neelam Singh.
https://youtu.be/9FfQrfUAISE?si=Yekwqnvfr2Jl-Wrd

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महाराष्ट्र में सत्ता की चाबी विदर्भ के हाथ, भाजपा और कांग्रेस की रणनीतियां क्या कहती हैं? https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/maharashtra-in-power-cha/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/maharashtra-in-power-cha/#respond Thu, 24 Oct 2024 10:13:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5284 महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र विधानसभा चुनावों में एक अहम भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र की 62 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें इसे राज्य की राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनाती हैं। कहा जाता है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिलता है, वह महाराष्ट्र की सत्ता के करीब पहुंच जाता है। इस बार फिर …

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महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र विधानसभा चुनावों में एक अहम भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र की 62 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें इसे राज्य की राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनाती हैं। कहा जाता है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिलता है, वह महाराष्ट्र की सत्ता के करीब पहुंच जाता है। इस बार फिर से कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता संघर्ष जारी है, और दोनों दल अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में हैं। विदर्भ का राजनीतिक इतिहास देखें तो यह इलाका हमेशा से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि, 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद यहां भाजपा ने भी अपनी मजबूत पैठ बनाई। भाजपा की पितृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय नागपुर में स्थित है, जिससे भाजपा को क्षेत्रीय स्तर पर बढ़त हासिल हुई। नागपुर से ही भाजपा के बड़े नेता नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस का उदय हुआ। नितिन गडकरी जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, वहीं फडणवीस 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे।

विदर्भ में भाजपा के इन दिग्गज नेताओं के चलते कई विकास कार्य हुए, जिन्हें जनता भी स्वीकार करती है। नागपुर समेत अन्य क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है, और गढ़चिरौली जैसे पिछड़े इलाके में उद्योगों की स्थापना ने रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं। बावजूद इसके, पिछले कुछ चुनावों में भाजपा की सीटें घटती हुई नजर आई हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने विदर्भ की 10 में से 10 सीटें जीती थीं, लेकिन 2019 में यह संख्या घटकर सिर्फ 2 रह गई। लोकसभा की तरह विधानसभा चुनावों में भी यही पैटर्न दिखा। 2014 में भाजपा को 62 विधानसभा सीटों में से 44 सीटें मिली थीं, जिसके बाद वह राज्य की सत्ता में आई। लेकिन 2019 के चुनावों में भाजपा की सीटें घटकर 29 रह गईं, और उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा।

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2024 के चुनावों में भाजपा एक बार फिर से अपने मजबूत विकास कार्यों को मुद्दा बना रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले खुद विदर्भ की कामटी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वे भाजपा सरकार के कामों का हवाला देते हुए दावा कर रहे हैं कि नागपुर जैसे बड़े नगरों में भाजपा के विकास को जनता देख रही है। साथ ही, गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उद्योगों का आना युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ा रहा है। भाजपा को उम्मीद है कि हाल ही में शुरू की गई मुख्यमंत्री लाडली बहिन योजना जैसे सामाजिक कल्याण के कार्यक्रम उसे फायदा पहुंचाएंगे। इसके अलावा, पार्टी ओबीसी समाज को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, जो इस क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण वोट बैंक है।

दूसरी तरफ, कांग्रेस भी पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में है। कांग्रेस का मानना है कि लोकसभा चुनावों में भाजपा को झटका देने के बाद, वह विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार जैसे बड़े नेता विदर्भ से ही चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस अपने जातीय समीकरणों पर भरोसा कर रही है। इस क्षेत्र में दलित और ओबीसी वोटर्स की संख्या अधिक है, जो कांग्रेस की जीत की कुंजी बन सकते हैं। मराठा कुनबी जैसे बड़े समूह भी कांग्रेस के समर्थन में माने जाते हैं।

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विदर्भ की राजनीति महाराष्ट्र की सत्ता के समीकरण तय करती रही है। 2014 से लेकर अब तक के चुनाव परिणामों ने यह दिखाया है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिला, वह सत्ता के करीब पहुंचा। इस बार फिर से कांग्रेस और भाजपा के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है। अब देखना होगा कि कौन सा दल विदर्भ को अपने पक्ष में कर महाराष्ट्र की सत्ता तक पहुंचता है।

By Neelam Singh.

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जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने पर उमर अब्दुल्ला ने अमित शाह से की मुलाकात, 30 मिनट की बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा. https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/jammu-kashmir-state/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/jammu-kashmir-state/#respond Thu, 24 Oct 2024 09:09:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5278 जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मौजूदा सुरक्षा हालात और विकासात्मक योजनाओं पर चर्चा की। उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा पुनः बहाल करने की मांग करते हुए प्रदेश …

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मौजूदा सुरक्षा हालात और विकासात्मक योजनाओं पर चर्चा की। उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा पुनः बहाल करने की मांग करते हुए प्रदेश कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव से भी अमित शाह को अवगत कराया। इस बैठक की अवधि लगभग 30 मिनट रही, जिसमें जम्मू-कश्मीर के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। उनकी सरकार बनने के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक दिल्ली यात्रा है। इस बैठक में उमर अब्दुल्ला ने गृह मंत्री के समक्ष जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रदेश कैबिनेट के प्रस्ताव का जिक्र किया। यह प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर की विधानसभा द्वारा हाल ही में पारित किया गया था, जिसमें केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा दिया जाए।

गौरतलब है कि इस प्रस्ताव पर प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पहले ही अपनी स्वीकृति दे चुके हैं। अब उमर अब्दुल्ला को इस प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार के साथ चर्चा करने के लिए अधिकृत किया गया है। उमर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता को उम्मीद है कि केंद्र सरकार राज्य के दर्जे की बहाली के वादे को जल्द पूरा करेगी। बैठक के दौरान उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में चल रही विकासात्मक योजनाओं और परियोजनाओं की स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने गृह मंत्री से आग्रह किया कि केंद्र सरकार इन परियोजनाओं के लिए नियमित रूप से धनराशि प्रदान करती रहे, ताकि जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे का विकास सुचारू रूप से हो सके। इसके अलावा, उन्होंने सर्दियों के दौरान कश्मीर घाटी में बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र से सहयोग की मांग की।

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उमर ने जम्मू-कश्मीर के रेल संपर्क की भी चर्चा की, जिसमें श्रीनगर-बनिहाल-कटरा-जम्मू-दिल्ली रेल लाइन को जल्द बहाल करने की आवश्यकता जताई। इसके साथ ही, उन्होंने जैड मोड़ सुरंग परियोजना के उद्घाटन संबंधी मुद्दों को भी अमित शाह के समक्ष रखा। मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह केवल एक शिष्टाचार भेंट थी, जिसमें राज्य के दर्जे पर भी चर्चा हुई। हालांकि, उन्होंने यह साफ किया कि यह कोई औपचारिक राजनीतिक बैठक नहीं थी, बल्कि यह मुलाकात सरकार और जनता के हितों से संबंधित मुद्दों को सामने रखने के लिए थी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वह गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात कर सकते हैं और राज्य के दर्जे पर उनसे भी चर्चा करेंगे।

बैठक में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा की गई। हाल ही में गांदरबल के गगनगीर क्षेत्र में हुए आतंकी हमले में सात लोगों की जान चली गई थी, जिसमें एक डॉक्टर भी शामिल थे। उमर अब्दुल्ला ने इस हमले की निंदा करते हुए गृह मंत्री से इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए और मजबूत सुरक्षा इंतजाम करने की मांग की। यह महत्वपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद से पुलिस और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं, और ऐसे में इस बैठक में सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा होना अपेक्षित था।

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बैठक के दौरान उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर में विकास और सुरक्षा के लिए निरंतर सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता को राज्य का दर्जा बहाल होने की उम्मीद है, ताकि वहां का प्रशासनिक ढांचा फिर से सशक्त हो सके और विकास की गति तेज हो सके। उल्लेखनीय है कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे, जिसमें नेकां और कांग्रेस गठबंधन ने बहुमत हासिल किया था। गठबंधन की जीत के बाद उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था। उनकी सरकार की पहली मंत्रिमंडल बैठक में ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पास किया गया था।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उमर अब्दुल्ला और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच होने वाली मुलाकात में क्या निर्णय लिए जाते हैं। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का मुद्दा राजनीतिक और जनभावनाओं के स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण बन चुका है, और इसका समाधान जल्द होना प्रदेश की जनता के लिए एक बड़ी राहत हो सकता है।

By Neelam Singh.

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उत्तर प्रदेश उपचुनाव: बीजेपी ने 9 सीटों पर जारी की प्रत्याशियों की लिस्ट, 13 नवंबर को होगा मतदान. https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/uttar-pradesh-by-election-seeds/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/uttar-pradesh-by-election-seeds/#respond Thu, 24 Oct 2024 08:39:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5273 उत्तर प्रदेश में उपचुनावों की तैयारी जोरों पर है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आगामी उपचुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। राज्य में कुल 9 सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होगा, जिसके परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इन उपचुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि …

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उत्तर प्रदेश में उपचुनावों की तैयारी जोरों पर है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आगामी उपचुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। राज्य में कुल 9 सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होगा, जिसके परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इन उपचुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर तय की गई है, जबकि नाम वापस लेने की आखिरी तिथि 30 अक्टूबर है।
बीजेपी की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा
बीजेपी ने 24 अक्टूबर को अपने सात प्रत्याशियों की सूची जारी की। पार्टी ने गाजियाबाद सीट से संजीव शर्मा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कुंदरकी सीट पर रामवीर सिंह ठाकुर को मौका दिया गया है। अन्य प्रत्याशियों में करहल से अनुजेश यादव, खैर (अजा) से सुरेंद्र दिलेर, कटेहरी से धर्मराज निषाद, फूलपुर से दीपक पटेल, और मझवां से सुचिस्मिता मौर्या का नाम शामिल है। पार्टी ने इन सभी प्रत्याशियों पर भरोसा जताते हुए उपचुनाव में जीत का लक्ष्य तय किया है।
समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से प्रत्याशी घोषित
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सपा ने बीजेपी से पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। पार्टी ने 6 उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी की थी, जिसमें मिल्कीपुर सीट से अजीत प्रसाद को टिकट दिया गया था। अजीत प्रसाद सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं, और यह सीट उनके सांसद बनने के बाद रिक्त हुई थी। हालांकि, चुनाव आयोग ने फिलहाल मिल्कीपुर सीट पर चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है। इस कारण वर्तमान उपचुनाव में यह सीट शामिल नहीं है।
उपचुनाव की तिथियां और मतदान प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश में कुल 10 सीटों पर उपचुनाव होने थे, लेकिन चुनाव आयोग ने फिलहाल 9 सीटों पर उपचुनाव कराने का निर्णय लिया है। इन 9 सीटों में शामिल सीटें इस प्रकार हैं:
1.करहल (मैनपुरी)
2.सीसामऊ (कानपुर)
3.कटेहरी (अंबेडकरनगर)
4.कुंदरकी (मुरादाबाद)
5.खैर (अलीगढ़)
6.गाजियाबाद
7.फूलपुर (प्रयागराज)
8.मंझवा (मीरजापुर)
9.मीरापुर (मुजफ्फरनगर)
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इन उपचुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया 25 अक्टूबर तक जारी रहेगी। 13 नवंबर को इन सीटों पर मतदान होगा, जिसके बाद 23 नवंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे। उम्मीदवारों के पास नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है। उत्तर प्रदेश में इन उपचुनावों का महत्व राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम है। यह चुनाव आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। राज्य में विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए यह उपचुनाव एक परीक्षा के समान है, क्योंकि इनके परिणाम आने वाले आम चुनावों की रणनीतियों को प्रभावित कर सकते हैं। बीजेपी और सपा के अलावा अन्य दलों की भी नजरें इन उपचुनावों पर टिकी हुई हैं। उपचुनावों का परिणाम बतलाएगा कि राज्य की जनता किस दिशा में जा रही है और कौन सी पार्टी जनता के मुद्दों पर खरी उतर रही है।
https://youtu.be/3h3nXKrOdPg?si=NAlpJk7f57cvT_xv
By Neelam Singh.

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कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव, पार्टी के भीतर उठ रही विरोध की आवाजें. https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/canadian-prime-just/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/canadian-prime-just/#respond Thu, 24 Oct 2024 08:20:29 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5270 कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। हाल ही में खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के साथ बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच ट्रूडो सरकार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इस विवाद के बाद कनाडा में प्रधानमंत्री …

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। हाल ही में खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के साथ बढ़ते राजनयिक विवाद के बीच ट्रूडो सरकार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इस विवाद के बाद कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की स्थिति कमजोर हो गई है, और अब पार्टी के कई सांसद उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देने का सुझाव दे रहे हैं। भारत से बिगड़ते रिश्तों के कारण जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के लिए राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। हाल ही में हुए कई सर्वेक्षणों से पता चला है कि लिबरल पार्टी का समर्थन तेजी से घट रहा है, जबकि विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी की लोकप्रियता बढ़ रही है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यदि अभी चुनाव होते हैं, तो कंजरवेटिव पार्टी जीत के करीब होगी, जबकि लिबरल पार्टी पिछड़ जाएगी।

23 अक्टूबर को लिबरल पार्टी के सांसदों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री ट्रूडो के नेतृत्व पर गंभीर चर्चा की गई। बैठक के दौरान दर्जनों सांसदों ने ट्रूडो से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की। सांसदों का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो पार्टी को अगले चुनावों में जीत दिलाने में सक्षम नहीं होंगे, इसलिए उन्हें समय रहते पद छोड़ देना चाहिए। लिबरल पार्टी के सांसद केन मैकडोनाल्ड ने खुले तौर पर ट्रूडो को सलाह दी कि उन्हें जनता की बातें सुननी चाहिए और पार्टी के भविष्य के बारे में विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “लोकप्रियता में हो रही गिरावट के चलते ट्रूडो को अगले चुनाव से पहले अपना पद छोड़ देना चाहिए।” मैकडोनाल्ड उन 20 सांसदों में शामिल हैं जो ट्रूडो के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

हालांकि, जस्टिन ट्रूडो ने अपने बयान में पार्टी को एकजुट रखने की बात कही और पार्टी के सांसदों से समर्थन बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह समय पार्टी को और अधिक मजबूत और संगठित करने का है, न कि विभाजन का। लेकिन पार्टी के भीतर बगावत के संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं। लगभग 20 सांसदों ने ट्रूडो के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और वह चाहते हैं कि ट्रूडो चौथे कार्यकाल के लिए अपनी दावेदारी पेश न करें। ट्रूडो की स्थिति इस समय काफी मुश्किल भरी है। वे एक तरफ अगले चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी के अंदर से ही इस्तीफे की आवाजें तेज हो रही हैं। कनाडा के राजनीतिक समीकरणों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रूडो पार्टी के भीतर हो रहे इस विरोध को समय रहते संभाल नहीं पाए, तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

कनाडा में जस्टिन ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण समय आ गया है। भारत के साथ राजनयिक विवाद और गिरती लोकप्रियता ने ट्रूडो की सरकार की स्थिरता को खतरे में डाल दिया है। पार्टी के कई सांसद अब ट्रूडो को इस्तीफा देने के लिए कह रहे हैं, और यदि यह दबाव जारी रहा तो आगामी चुनावों में लिबरल पार्टी की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।

By Neelam Singh.

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सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद किया, बंधक बनाने का आरोप झूठा पाया. https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/supreme-court-ne-isha-foun/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/supreme-court-ne-isha-foun/#respond Fri, 18 Oct 2024 10:13:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5266 सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दो महिलाओं को बंधक बनाए जाने के मामले में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज ने दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर स्थित आश्रम में जबरन बंधक बनाकर रखा …

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सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दो महिलाओं को बंधक बनाए जाने के मामले में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज ने दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर स्थित आश्रम में जबरन बंधक बनाकर रखा गया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों महिलाएं बालिग हैं और अपनी स्वेच्छा से आश्रम में रह रही हैं। इस मामले में कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण पाया कि दोनों बेटियों, गीता और लता, की उम्र क्रमशः 42 और 39 वर्ष है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वे बिना किसी बाहरी दबाव के आश्रम में रह रही हैं। गीता और लता ने अपनी ओर से दिए गए बयान में यह स्पष्ट किया कि वे स्वेच्छा से ईशा फाउंडेशन के साथ जुड़ी हैं और वहां रहना उनका व्यक्तिगत निर्णय है। इस बयान के बाद, कोर्ट ने पिता के आरोपों को निराधार मानते हुए मामले को बंद कर दिया।

एस कामराज ने आरोप लगाया था कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी दोनों बेटियों को मानसिक रूप से प्रभावित (ब्रेनवॉश) किया है, जिसके चलते वे अपनी मर्जी से परिवार से दूर रह रही हैं। उन्होंने 30 सितंबर को मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस मामले की जांच की मांग की थी। कामराज का कहना था कि उनकी बेटियों को जबरन आश्रम में रोका गया है और उन्हें परिवार से संपर्क करने से भी रोका जा रहा है। मद्रास उच्च न्यायालय ने कामराज के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए तमिलनाडु पुलिस को ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद, 150 पुलिसकर्मियों की एक टीम ने ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर स्थित आश्रम में जांच की। पुलिस की इस जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि आश्रम में कोई गैरकानूनी गतिविधि तो नहीं हो रही है और वहां रहने वाले लोग अपनी मर्जी से रह रहे हैं या नहीं।

ईशा फाउंडेशन ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और दावा किया कि गीता और लता आश्रम में अपनी मर्जी से रह रही हैं। फाउंडेशन ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया कि पुलिस जांच अनावश्यक और बिना किसी ठोस आधार के की जा रही है। तीन अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस जांच पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, सुनवाई के दौरान दोनों बहनों ने एक बार फिर से यह कहा कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं और किसी भी प्रकार का दबाव उन पर नहीं है। उन्होंने अपने पिता पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले आठ सालों से वे उन्हें परेशान कर रहे हैं।

सभी तथ्यों और बयानों को सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए केस को बंद कर दिया कि दोनों महिलाएं बालिग हैं और अपनी मर्जी से जहां रहना चाहें, रह सकती हैं। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में बंधक बनाने या किसी प्रकार के जबरदस्ती का कोई प्रमाण नहीं है। इस निर्णय से ईशा फाउंडेशन को बड़ी राहत मिली है, और यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों महिलाएं बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही थीं।

By Neelam Singh.

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‘जीवनसाथी चुनने का अधिकार छिनता है, बाल विवाह पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी’ https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/right-to-choose-life-partner/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/right-to-choose-life-partner/#respond Fri, 18 Oct 2024 09:45:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5263 शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह निषेध अधिनियम को लेकर सुनवाई करते हुए इस विषय पर गंभीर चिंता जताई। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने कहा कि बाल विवाह की घटनाएँ न केवल कानून का उल्लंघन करती हैं, बल्कि यह …

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शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह निषेध अधिनियम को लेकर सुनवाई करते हुए इस विषय पर गंभीर चिंता जताई। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने कहा कि बाल विवाह की घटनाएँ न केवल कानून का उल्लंघन करती हैं, बल्कि यह व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा और पसंद के जीवनसाथी चुनने के अधिकार का भी हनन करती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को व्यक्तिगत कानूनों से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी को अपने जीवनसाथी को चुनने का अधिकार है और यह अधिकार हर व्यक्ति को संविधान के तहत प्राप्त है। इस सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह रोकने के लिए कई दिशानिर्देश भी जारी किए। पीठ ने कहा कि कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए यह आवश्यक है कि संबंधित अधिकारियों को बाल विवाह के अपराधियों को दंडित करते समय नाबालिगों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

समुदाय-आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर जोर दिया कि निवारक रणनीतियाँ विभिन्न समुदायों के अनुसार बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बाल विवाह निषेध कानून तभी सफल होगा जब बहु-क्षेत्रीय समन्वय हो। इसके लिए कानून प्रवर्तन अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है।

कानून में खामियां
कोर्ट ने यह भी माना कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में कुछ खामियां हैं। यह अधिनियम बाल विवाह को रोकने और समाज से इसके उन्मूलन के लिए बनाया गया था, जो पहले के 1929 के बाल विवाह निरोधक अधिनियम की जगह आया।

वैवाहिक दुष्कर्म पर चर्चा
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म के संबंध में भी चर्चा की। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के उन प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर विचार करने का निर्णय लिया, जो पति को अपनी पत्नी (जो नाबालिग नहीं है) को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने पर अभियोजन से छूट प्रदान करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश
बाल विवाह नियंत्रण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए:

अधिकारियों की विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए।
हर समुदाय के लिए अलग तरीके अपनाए जाएं।
केवल दंडात्मक तरीके से सफलता नहीं मिलती।
लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
समाज की वास्तविक स्थिति को समझते हुए रणनीति बनाई जाए।
बाल विवाह निषेध कानून को व्यक्तिगत कानूनों से ऊपर रखने का मसला संसद में विचाराधीन है।

By Neelam Singh.

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बीजेपी ने की उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग, कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व को बताया कारण. https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/bjp-ruled-uttar-pradesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/bjp-ruled-uttar-pradesh/#respond Fri, 18 Oct 2024 09:26:03 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5260 उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीखों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव आयोग से विशेष मांग की है। बीजेपी ने प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखते हुए उपचुनाव की तारीख को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है। इसके पीछे मुख्य कारण 15 नवंबर को पड़ने …

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उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीखों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव आयोग से विशेष मांग की है। बीजेपी ने प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखते हुए उपचुनाव की तारीख को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है। इसके पीछे मुख्य कारण 15 नवंबर को पड़ने वाला कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व बताया गया है। बीजेपी के पत्र के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस पर्व पर बड़ी संख्या में लोग धार्मिक स्थलों पर स्नान और पूजा के लिए जाते हैं। पार्टी का कहना है कि मतदाता स्नान पर्व में भाग लेने के लिए 2-3 दिन पहले से ही यात्रा पर निकल जाएंगे, जिससे मतदान में बाधा उत्पन्न हो सकती है और बड़ी संख्या में मतदाता वोट नहीं दे पाएंगे।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तारीखों का ऐलान किया था। इसके मुताबिक, 18 नवंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी और 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। बीजेपी ने इसी कार्यक्रम पर आपत्ति जताते हुए मतदान की तारीख को पुनर्विचार करने की मांग की है ताकि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भाग लेने वाले मतदाताओं को असुविधा न हो।

इन नौ विधानसभा सीटों में मैनपुरी की करहल, अलीगढ़ की खैर, बिजनौर की मीरापुर, प्रयागराज की फूलपुर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां, अंबेडकरनगर की कटेहरी, संभल की कुंदरकी और कानपुर की सीसामऊ सीटें शामिल हैं। ये सभी सीटें किसी न किसी कारण से खाली हुई हैं, जिन पर उपचुनाव होना है।

बीजेपी का तर्क है कि चूंकि कार्तिक पूर्णिमा का पर्व उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों में से एक है, इसलिए मतदान की तारीख में बदलाव करना आवश्यक है ताकि अधिकतम संख्या में मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इस मांग पर क्या निर्णय लेता है।

 

By Neelam Singh.

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