Aam admi party - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Tue, 24 Sep 2024 06:37:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Aam admi party - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 कुर्सी विवाद: आतिशी के फैसले पर बसपा नेता भड़के, बोले – खड़ाऊ से शासन करना संविधान का अपमान. https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/chair-dispute-atishi-ke-fais/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/chair-dispute-atishi-ke-fais/#respond Tue, 24 Sep 2024 06:37:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5089 दिल्ली की राजनीति में सोमवार, 23 सितंबर का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अरविंद केजरीवाल के पद छोड़ने के बाद, आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। परंतु, उनके शपथ ग्रहण समारोह में एक अनोखी घटना ने …

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दिल्ली की राजनीति में सोमवार, 23 सितंबर का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अरविंद केजरीवाल के पद छोड़ने के बाद, आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। परंतु, उनके शपथ ग्रहण समारोह में एक अनोखी घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। इस घटना का संबंध उस खाली कुर्सी से था जिसे आतिशी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के बगल में रखा और सार्वजनिक रूप से कहा कि यह अरविंद केजरीवाल की प्रतीकात्मक कुर्सी है, जो उनके वापस आने का प्रतीक है। शपथ ग्रहण के दौरान, आतिशी ने अपनी इस अनोखी पहल को पौराणिक संदर्भ से जोड़ते हुए कहा कि उनके दिल में वही भावना है जो भरत के मन में थी जब भगवान राम वनवास पर गए थे। आतिशी ने कहा, “जैसे भरत ने भगवान राम की खड़ाऊँ रखकर अयोध्या का शासन संभाला था, वैसे ही मैं 4 महीने दिल्ली की सरकार चलाऊँगी। इस कुर्सी को अरविंद केजरीवाल का इंतजार रहेगा।” आतिशी के इस बयान के बाद राजनीति में हड़कंप मच गया। जहाँ उनके समर्थक इस प्रतीकात्मक कदम की तारीफ कर रहे थे, वहीं विपक्षी दलों ने इसे सियासी प्रपंच करार दिया।

बसपा (बहुजन समाज पार्टी) के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने इस कदम की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि आतिशी का यह कृत्य न केवल संविधान का उल्लंघन है, बल्कि दिल्ली की जनता का भी अपमान है। आकाश आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अरविंद केजरीवाल की प्रतीकात्मक उपस्थिति दिखाना इस बात को साबित करता है कि आतिशी का विश्वास संविधान से अधिक केजरीवाल में है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संविधान का अपमान बताया। आकाश आनंद ने इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की तस्वीर लगाकर अरविंद केजरीवाल की खड़ाऊ रखकर अयोध्या के शासन का सपना देख रही आतिशी सिंह की यह तस्वीर गुमराह करने वाली है। यह संविधान की शपथ का उल्लंघन है, क्योंकि उनकी आस्था केजरीवाल जी के प्रति ज़्यादा दिख रही है न कि भारत के संविधान के प्रति।”

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आतिशी के इस प्रतीकात्मक कदम ने आम आदमी पार्टी की रणनीति को भी स्पष्ट किया है। आतिशी ने साफ किया कि वह केवल अगले विधानसभा चुनाव तक ही मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करेंगी। उनका यह बयान दर्शाता है कि अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक विरासत को बनाए रखने और उनकी गैरमौजूदगी में पार्टी की साख को मजबूत रखने का प्रयास किया जा रहा है। यह विवाद उस समय सामने आया जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले में जेल भेजा गया था, ने 17 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। आतिशी को पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से नया मुख्यमंत्री चुना।

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आतिशी की मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति के साथ ही यह बहस भी उठी कि लोकतांत्रिक प्रणाली में इस तरह की प्रतीकात्मकता का क्या स्थान है। भारतीय संविधान के तहत, एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए, न कि किसी नेता या पार्टी प्रमुख के प्रति। बसपा जैसे विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया। हालांकि, आतिशी के समर्थकों का मानना है कि उनका यह कदम अरविंद केजरीवाल के प्रति उनके समर्पण और पार्टी की एकता का प्रतीक है। इस तरह की प्रतीकात्मकता, भले ही विवादास्पद हो, पर यह दिखाती है कि आतिशी अपने नेता के प्रति निष्ठावान हैं और उनकी गैरमौजूदगी में भी पार्टी की विचारधारा को जीवित रखना चाहती हैं।

आतिशी की चुनौती अब यह है कि वे आने वाले चार महीनों में दिल्ली की जनता का विश्वास कैसे जीतेंगी। उनकी राजनीतिक काबिलियत और नेतृत्व क्षमता का इम्तिहान अब विधानसभा चुनावों में होगा। अरविंद केजरीवाल की गैरमौजूदगी में पार्टी की नीतियों और उनकी कार्यशैली पर लोगों की नजरें होंगी।

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दिल्ली की 8वीं मुख्यमंत्री बनीं आतिशी, LG ने 5 अन्य मंत्रियों को भी दिलाई शपथ. https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/8th-chief-minister-of-delhi/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/8th-chief-minister-of-delhi/#respond Sat, 21 Sep 2024 12:11:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5052 आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी आज दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद यह सम्मान पाने वालीं। 43 वर्ष की आतिशी ने शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपने बेहतरीन काम की वजह से देशभर में पहचान …

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आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी आज दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद यह सम्मान पाने वालीं। 43 वर्ष की आतिशी ने शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपने बेहतरीन काम की वजह से देशभर में पहचान बनाई है और अब वह राष्ट्रीय राजधानी की सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में इतिहास रचने वाली हैं। शपथ समारोह से पहले आतिशी अपने आवास से निकलकर राजभवन के लिए रवाना हो चुकी हैं, वहीं, पार्टी के अन्य मंत्री और विधायक भी शपथ लेने के लिए तैयार हैं। दिल्ली सरकार के कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाली आतिशी का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प और चुनौतियों से भरा रहा है। साल 2013 में आतिशी ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और जल्द ही पार्टी की प्रमुख नेताओं में शामिल हो गईं। आतिशी की नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए सुधारों की पूरे देश में सराहना हुई।

2015 में, उन्होंने मध्य प्रदेश में जल सत्याग्रह में भाग लिया, जो उनकी समाज सेवा की भावना को प्रदर्शित करता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में, उन्हें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता गौतम गंभीर से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार को एक सीख के रूप में लिया और 2020 के विधानसभा चुनावों में कालकाजी सीट से शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को 11,000 से अधिक वोटों से हराया।

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आतिशी की शिक्षा और नीति-निर्माण में गहरी समझ और उनके अनुभव ने उन्हें दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत और प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया। अब, वह मुख्यमंत्री के रूप में नई जिम्मेदारियों को संभालने के लिए तैयार हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले मंगलवार को उपराज्यपाल (LG) को अपना इस्तीफा सौंपा था। इस्तीफे के बाद, आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। पार्टी के अंदर और बाहर आतिशी को इस भूमिका के लिए उपयुक्त नेता के रूप में देखा जा रहा है। आतिशी के साथ, पार्टी ने उनकी नई कैबिनेट में चार अन्य मंत्रियों को भी जगह दी है, जो उनके साथ काम करेंगे। इनमें गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन शामिल हैं, जो पूर्ववर्ती सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।

एक नए चेहरे के रूप में, सुल्तानपुर माजरा से विधायक मुकेश अहलावत को भी कैबिनेट में जगह दी गई है। मुकेश अहलावत अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और वह राजकुमार आनंद की जगह लेंगे। अब दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल छह मंत्रियों की टीम होगी। शपथ ग्रहण समारोह से पहले आतिशी, प्रस्तावित मंत्रियों के साथ, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके घर पहुंची थीं। यह मुलाकात नई सरकार के एजेंडे और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण थी। बैठक के बाद, आतिशी और अन्य मंत्री केजरीवाल के साथ राजनिवास के लिए निकल गए, जहां वह शपथ लेंगे।

दिल्ली के कैबिनेट मंत्री के रूप में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत शपथ लेंगे। इन मंत्रियों के साथ, दिल्ली की नई सरकार जनता के कल्याण और विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हुए अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। शपथ ग्रहण से पहले, आप नेता गोपाल राय ने कहा, “जनता के लिए काम करना हमारी प्राथमिकता है और दिल्ली की जनता ने हमें काम करने के लिए चुना है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार में बदलाव विशेष परिस्थितियों के कारण हुआ है, लेकिन उनका लक्ष्य बचे हुए महीनों में लंबित कामों को पूरा करना है।

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आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे ने भी शपथ से पहले अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पूरी दिल्ली और देश ने देखा कि कैसे बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को तोड़ने के इरादे से संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया। उन्होंने ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के जरिए हमारे नेताओं को गिरफ्तार करने की कोशिश की। लेकिन अदालतों और संविधान ने हमें न्याय दिया।” मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी की प्राथमिकता दिल्ली की जनता के लिए बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सेवाओं को उपलब्ध कराना होगा। आतिशी का मानना है कि दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार और नई तकनीकों का उपयोग बेहद जरूरी है।

पार्टी के सूत्रों के अनुसार, आतिशी का कार्यकाल पार्टी के एजेंडे को और आगे ले जाने का प्रयास करेगा, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा में और सुधार और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर दिया जाएगा।

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आम आदमी पार्टी की मांग, राष्ट्रीय दलों के प्रमुख को मिलती है सरकारी सुविधाएं https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/common-man-party-demand-money/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/common-man-party-demand-money/#respond Sat, 21 Sep 2024 07:54:30 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5040 आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद राघव चड्ढा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मांग को उठाया। उन्होंने बताया कि देश के सभी राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों को सरकारी आवास और कार्यालय की सुविधा दी जाती है, लेकिन अभी तक आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को यह …

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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद राघव चड्ढा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मांग को उठाया। उन्होंने बताया कि देश के सभी राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों को सरकारी आवास और कार्यालय की सुविधा दी जाती है, लेकिन अभी तक आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को यह सुविधा नहीं मिली है। राघव चड्ढा ने कहा, “दिल्ली में कांग्रेस, बीजेपी, और बसपा जैसी सभी राष्ट्रीय पार्टियों के प्रमुखों को सरकारी आवास दिया गया है, लेकिन अरविंद केजरीवाल को अभी तक यह अधिकार नहीं मिला है।”

राघव चड्ढा ने बताया कि आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार को एक औपचारिक पत्र लिखकर अरविंद केजरीवाल के लिए सरकारी आवास की मांग करेगी। उन्होंने कहा, “हम विकास मंत्रालय से आग्रह करेंगे कि अरविंद केजरीवाल, जो एक राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक हैं, उन्हें भी सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाए। यह चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों का अधिकार है।”

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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केजरीवाल जल्द ही मुख्यमंत्री पद से संबंधित सभी सुविधाओं को छोड़ देंगे, लेकिन राष्ट्रीय संयोजक के नाते उन्हें कानूनी रूप से सरकारी आवास की सुविधा मिलनी चाहिए। राघव चड्ढा ने कहा, “यह चुनाव आयोग की तरफ से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों का कानूनी हक है, और हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार इस मांग को मान्यता देगी।”

आम आदमी पार्टी का तर्क है कि चूंकि पार्टी अब एक राष्ट्रीय दल है और देश के कई हिस्सों में इसकी उपस्थिति है, इसलिए इसके राष्ट्रीय संयोजक को भी अन्य दलों के प्रमुखों की तरह सरकारी आवास की सुविधा दी जानी चाहिए। राघव चड्ढा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करे और अरविंद केजरीवाल को उनके हक का आवास उपलब्ध कराए।

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जब मीडिया ने राघव चड्ढा से पूछा कि क्या अरविंद केजरीवाल तब तक सिविल लाइंस के आवास में रहेंगे, जब तक उन्हें सरकारी आवास नहीं मिल जाता, तो उन्होंने कहा कि केजरीवाल जल्द ही मुख्यमंत्री पद से मिलने वाली सभी सुविधाओं को छोड़ देंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को सरकारी आवास की सुविधा मिलनी चाहिए, और इसके लिए पार्टी केंद्र सरकार से औपचारिक रूप से संपर्क करेगी। इस प्रकार, आम आदमी पार्टी की यह मांग एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकती है, क्योंकि पार्टी अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है और वह अपने प्रमुख के लिए उन सुविधाओं की मांग कर रही है, जो अन्य राष्ट्रीय दलों को दी जाती हैं।

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‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर केजरीवाल और आप का विरोध, संजय सिंह ने भाजपा पर हमला बोला https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/one-nation-one-election-at-kejar/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/one-nation-one-election-at-kejar/#respond Thu, 19 Sep 2024 12:55:07 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4995 केंद्र की मोदी सरकार ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद देश में इस मुद्दे पर चर्चा और विवाद तेज हो गए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें पार्टी …

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केंद्र की मोदी सरकार ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद देश में इस मुद्दे पर चर्चा और विवाद तेज हो गए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है। अरविंद केजरीवाल ने वीडियो में कहा कि भाजपा ने हाल ही में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का नया जुमला पेश किया है और उन्होंने सवाल किया कि क्या इसकी वास्तव में आवश्यकता है? केजरीवाल ने तंज करते हुए कहा कि जब चुनाव होते हैं, तब नेता अपने वादों और आश्वासनों के साथ लोगों के दरवाजे पर आते हैं। वे हर चुनाव के समय जनता के सामने आकर मीठी बातें करते हैं और यह जनप्रतिनिधियों की एक जिम्मेदारी होती है।

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केजरीवाल ने यह भी कहा कि भाजपा के ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव का मकसद केवल यह है कि नेताओं को लंबे समय तक जनता से दूर रहने का मौका मिले। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब सभी चुनाव एक साथ होंगे, तो नेता साढ़े चार साल तक ‘ऐश’ करेंगे और उसके बाद जनता को कुछ चुनावी लाभ देकर वोट मांगेंगे। उन्होंने इस स्थिति की तुलना एक तानाशाही से की, जिसमें नेताओं को बिना किसी सवाल के सत्ता में बने रहने का मौका मिलेगा। अरविंद केजरीवाल ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के बजाय ‘वन नेशन-वन एजुकेशन’ और ‘वन नेशन-वन इलाज’ की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों को समान शिक्षा और समान स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने यह सुझाव दिया कि सभी स्कूल और अस्पताल समान गुणवत्ता के हों, ताकि गरीब और अमीर के बीच भेदभाव समाप्त हो सके और हर किसी को बेहतर शिक्षा और इलाज मिल सके।

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आप ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के विरोध में बार-बार आवाज उठाई है। अब पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। संजय सिंह ने भाजपा पर भ्रष्टाचार और कमीशन के आरोप लगाए और कहा कि भाजपा ‘वन नेशन, वन करप्शन’ और ‘वन नेशन, वन कमीशन’ की पार्टी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अब देश में ऐसी तानाशाही चाहते हैं जहां पांच साल तक कोई उनसे सवाल न कर सके। संजय सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर चुनाव नहीं होते, तो यूपी में किसानों के लिए ‘काले कानून’ वापस नहीं लिए जाते और पेट्रोल, डीजल, LPG सिलेंडर की कीमतें भी नहीं घटतीं। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान नेताओं और पार्टियों की लाचारी जनता के हित में होती है, क्योंकि यह उन्हें काम करने और जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रेरित करता है।

इस प्रकार, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक बहस जारी है और विभिन्न दल अपनी-अपनी राय प्रस्तुत कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं का यह स्पष्ट कहना है कि इस प्रस्ताव के बजाय देश को शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में अधिक ध्यान देना चाहिए।

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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी, कैबिनेट में जातीय संतुलन की कवायद https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/new-chief-minister-of-delhi/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/new-chief-minister-of-delhi/#respond Thu, 19 Sep 2024 10:20:55 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4983 आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण है क्योंकि फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए AAP ने अपने रणनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संदर्भ में आतिशी की कैबिनेट को लेकर …

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आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण है क्योंकि फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए AAP ने अपने रणनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संदर्भ में आतिशी की कैबिनेट को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल इस बार मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे विभिन्न सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। सूत्रों के अनुसार, आतिशी की कैबिनेट में वर्तमान कैबिनेट के कुछ प्रमुख चेहरे जैसे गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन शामिल रहेंगे। इन सभी नेताओं का दिल्ली की राजनीति में गहरा प्रभाव है और ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखते हैं। इन चारों नेताओं ने पहले भी केजरीवाल कैबिनेट में प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं।

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इस बार चर्चा का एक प्रमुख विषय यह है कि आतिशी की कैबिनेट में एक दलित नेता को भी शामिल किया जा रहा है। नए चेहरों में सबसे प्रमुख नाम मुकेश अहलावत का सामने आया है। अहलावत सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं और दिल्ली में दलित समाज के बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं। वह 2020 में पहली बार विधायक बने थे, जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार राम चंदर चावड़िया को 74,573 वोटों से हराया था। जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 26,521 और कांग्रेस उम्मीदवार जय किशन को 9,033 वोट मिले थे।

मुकेश अहलावत पार्टी के साथ-साथ अपने समाज में भी एक मजबूत पकड़ रखते हैं, जो उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है। पिछले कुछ समय से पार्टी में उन्हें एक महत्वपूर्ण भूमिका देने की अटकलें थीं, और अब वह आतिशी कैबिनेट में मंत्री के रूप में शामिल हो सकते हैं। दिल्ली की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से ही अहम भूमिका निभाते आए हैं। निवर्तमान अरविंद केजरीवाल सरकार में कोई दलित मंत्री शामिल नहीं था, जो विपक्ष के लिए आलोचना का एक प्रमुख कारण बना। पहले राजेंद्र पाल गौतम, जो दलित समाज के एक प्रमुख नेता थे, केजरीवाल कैबिनेट में मंत्री थे, लेकिन एक विवाद के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उनके बाद राज कुमार आनंद को मंत्री पद दिया गया था, लेकिन उन्होंने भी कुछ समय पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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अब जब आतिशी मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, तो यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कैबिनेट में दलित समुदाय को भी प्रतिनिधित्व मिले। पहले कुलदीप कुमार का नाम मंत्री पद के लिए सामने आया था, लेकिन अब मुकेश अहलावत इस दौड़ में उनसे आगे निकल गए हैं। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव भी महत्वपूर्ण हैं। इस संदर्भ में AAP की रणनीति यही है कि जातीय संतुलन और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संतुलन बना रहे। मुकेश अहलावत का नाम पहले नॉर्थ वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार के रूप में भी चर्चा में रहा था। हालांकि, गठबंधन के चलते यह सीट कांग्रेस के हिस्से में चली गई थी।

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अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को सौंपा इस्तीफा, संजय सिंह ने जनता के बीच रहने का किया दावा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/arvind-kejriwal-ne-upraj/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/arvind-kejriwal-ne-upraj/#respond Wed, 18 Sep 2024 06:41:31 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4950 दिल्ली के कार्यकारी मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को अपना इस्तीफा उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपा। इस इस्तीफे के बाद अब दिल्ली में सत्ता परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं। केजरीवाल के इस्तीफे के बाद राज्यसभा सांसद और आप नेता संजय सिंह ने बयान दिया कि …

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दिल्ली के कार्यकारी मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को अपना इस्तीफा उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपा। इस इस्तीफे के बाद अब दिल्ली में सत्ता परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं। केजरीवाल के इस्तीफे के बाद राज्यसभा सांसद और आप नेता संजय सिंह ने बयान दिया कि केजरीवाल जनता के बीच रहेंगे और उनके साथ काम करते रहेंगे। हालांकि, संजय सिंह ने यह साफ नहीं किया कि केजरीवाल कहां रहेंगे या क्या उनकी सुरक्षा को लेकर कोई विशेष इंतजाम किया जाएगा।

अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के साथ ही कहा है कि इस्तीफा स्वीकार होने के बाद वह आठ दिनों के भीतर अपना सरकारी आवास छोड़ देंगे। हालांकि, इस समय तक उनके निवास और भविष्य की योजनाओं को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है। वहीं, संजय सिंह ने यह स्पष्ट किया कि केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते केजरीवाल को सुरक्षा की जरूरत है, लेकिन इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

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अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के साथ ही दिल्ली की राजनीति में बड़ा फेरबदल होने की संभावना जताई जा रही है। नए मुख्यमंत्री के नाम के एलान के साथ ही दिल्ली कैबिनेट में भी कुछ नए चेहरों को शामिल किए जाने की अटकलें हैं। आप के नेतृत्व का मानना है कि दिल्ली के विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कैबिनेट में बदलाव आवश्यक है। इसके तहत आतिशी मार्लेना के कैबिनेट में दो नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट में तीन नए नेताओं के नाम चर्चा में हैं, जिन्हें शामिल किया जा सकता है। आम आदमी पार्टी नेतृत्व ने अभी तक इन नामों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन दिल्ली के विकास को लेकर उनकी योजनाएं साफ हैं। पार्टी चाहती है कि नए नेतृत्व के साथ शहर के विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति दी जाए, ताकि जनता को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।

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संजय सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल हमेशा जनता की सेवा में ईमानदारी से काम करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। उनके अनुसार, केजरीवाल का इस्तीफा जनता से दूर होने का संकेत नहीं है, बल्कि वह अब और भी करीब से जनता के बीच रहकर उनकी समस्याओं को समझेंगे और उन्हें हल करेंगे। सिंह ने कहा कि पार्टी के अंदर केजरीवाल की भूमिका हमेशा अहम रहेगी, चाहे वह सरकार में हों या नहीं।

 

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आतिशी होंगी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री, AAP विधायकों ने केजरीवाल के प्रस्ताव पर दी सर्वसम्मति से मंजूरी. https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/atishi-will-be-delhis-new-mother/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/17/atishi-will-be-delhis-new-mother/#respond Tue, 17 Sep 2024 06:55:53 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4922 आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक दल की एक महत्वपूर्ण बैठक में आतिशी को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई है। अरविंद केजरीवाल ने खुद आतिशी का नाम नए मुख्यमंत्री पद के लिए रखा, जिसे पार्टी के सभी विधायकों ने तुरंत समर्थन दे दिया। यह …

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आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक दल की एक महत्वपूर्ण बैठक में आतिशी को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई है। अरविंद केजरीवाल ने खुद आतिशी का नाम नए मुख्यमंत्री पद के लिए रखा, जिसे पार्टी के सभी विधायकों ने तुरंत समर्थन दे दिया। यह निर्णय उस समय आया जब केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया, जो पहले से ही कई अटकलों का विषय था।

बसे करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता है। वह वर्तमान में दिल्ली सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाल रही हैं। उनके काम करने का तरीका और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता के कारण उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे ऊपर रहा। उनके नाम पर आम आदमी पार्टी के भीतर न सिर्फ सहमति थी, बल्कि पार्टी के नेता भी उनकी योग्यता पर भरोसा करते हैं।

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यह बैठक 26 सितंबर को सुबह 11 बजे शुरू हुई, जिसमें सभी विधायकों की मौजूदगी थी। जैसे ही अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा, बैठक में मौजूद सभी विधायकों ने इसका समर्थन किया। यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था। इस बैठक में तय हुआ कि दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र 26-27 सितंबर को बुलाया जाएगा, जिसमें आतिशी का शपथ ग्रहण भी संभावित है।

अरविंद केजरीवाल शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगभग 5 महीने तक तिहाड़ जेल में बंद थे। हालांकि अब वह जमानत पर बाहर हैं, लेकिन अदालत ने उनके ऊपर कई पाबंदियां लगा दी हैं। जेल में रहते हुए भाजपा ने केजरीवाल पर नैतिक आधार पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया था। भाजपा का कहना था कि जेल में रहते हुए केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद पर बने रहना सही नहीं है। जब केजरीवाल जमानत पर बाहर आए, तो उन्होंने पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की।

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आतिशी के लिए यह पद एक बड़ी जिम्मेदारी है। दिल्ली जैसे बड़े और विविध शहर की मुख्यमंत्री के रूप में उनकी भूमिका में चुनौतियाँ होंगी। सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढ़ाना और सरकार की नीतियों को सफलतापूर्वक लागू करना होगा। इसके अलावा, विपक्षी दलों, विशेष रूप से भाजपा द्वारा उठाए गए सवालों और आरोपों का सामना करना भी उनकी जिम्मेदारियों में शामिल होगा।

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अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की अटकलें, दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन? https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/arvind-kejriwal-ke-isti/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/arvind-kejriwal-ke-isti/#respond Mon, 16 Sep 2024 06:26:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4893 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की चर्चा जोर पकड़ रही है, जिसे कई राजनीतिक विश्लेषक मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं। हालांकि, यह कदम कितना प्रभावी साबित होगा, इसका फैसला चुनाव के परिणामों के बाद ही सामने आएगा। फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर केजरीवाल पद छोड़ते हैं, तो उनकी जगह …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की चर्चा जोर पकड़ रही है, जिसे कई राजनीतिक विश्लेषक मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं। हालांकि, यह कदम कितना प्रभावी साबित होगा, इसका फैसला चुनाव के परिणामों के बाद ही सामने आएगा। फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर केजरीवाल पद छोड़ते हैं, तो उनकी जगह दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा? आम आदमी पार्टी (AAP) के भीतर इसको लेकर चर्चा तेज है, और कुछ प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं।

AAP में अरविंद केजरीवाल के बाद मनीष सिसोदिया को दूसरे नंबर का नेता माना जाता है। सामान्य परिस्थितियों में अगर केजरीवाल इस्तीफा देते हैं, तो सिसोदिया को दिल्ली की बागडोर सौंपना स्वाभाविक हो सकता था। लेकिन केजरीवाल ने साफ किया है कि सिसोदिया भी तब तक किसी पद पर नहीं आएंगे, जब तक जनता का फैसला नहीं आता। इसके चलते पार्टी के भीतर और बाहर यह सवाल उठ रहा है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। मौजूदा स्थिति में चार प्रमुख नेताओं के नाम चर्चा में हैं।

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केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी को मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। आतिशी पार्टी की सीनियर नेता हैं और अरविंद केजरीवाल की करीबी मानी जाती हैं। उन्होंने शिक्षा, जल, PWD, राजस्व, योजना और वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली है। आतिशी के कामकाज का अनुभव और उनकी विश्वसनीयता उन्हें इस पद के लिए प्रबल दावेदार बनाते हैं। केजरीवाल ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी आतिशी के नाम की सिफारिश की थी, हालांकि यह सिफारिश खारिज कर दी गई थी।

अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का नाम भी इस दौड़ में सामने आ रहा है। हालांकि, उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है और न ही वह विधायक हैं। इसके अलावा, अगर सुनीता को यह पद मिलता है, तो भाजपा इस पर परिवारवाद का आरोप लगा सकती है। ऐसे में उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना कम नजर आती है। दिल्ली सरकार में शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज भी इस दौड़ में शामिल हैं। जेल में केजरीवाल और सिसोदिया के होने के दौरान सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने पार्टी को मजबूती से संभाला है। युवा भारद्वाज की पार्टी में अच्छी साख है और वह कई महत्वपूर्ण कार्यों को संभाल चुके हैं। उनके कामकाज और अनुभव के चलते उनका नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में है।

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इसके साथ ही पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का नाम भी संभावित दावेदारों में शामिल है। गोपाल राय पार्टी के संकटमोचक नेता माने जाते हैं और कई बार उन्होंने पार्टी को कठिन हालात से निकाला है। वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, और उनकी नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें भी मुख्यमंत्री पद के लिए एक विकल्प माना जा रहा है। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का नाम भी इस सूची में है। वह जाट समुदाय से आते हैं, और अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो इसका हरियाणा के चुनावों में AAP को फायदा मिल सकता है। गहलोत की लो-प्रोफाइल छवि और उनके प्रशासनिक अनुभव के चलते पार्टी उन्हें भी मुख्यमंत्री पद के लिए एक संभावित उम्मीदवार मान सकती है।

 

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दिल्ली शराब नीति केस: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, जानिए किन शर्तों पर रिहा हुए https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/delhi-liquor-policy-case-main/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/13/delhi-liquor-policy-case-main/#respond Fri, 13 Sep 2024 06:26:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4837 दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महीनों तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद, केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि, कोर्ट ने …

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दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। महीनों तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद, केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी रिहाई के साथ कुछ सख्त शर्तें भी लगाई हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दी है। इसके अलावा, कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि इस मामले को लेकर केजरीवाल कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। अदालत ने निर्देश दिया कि केजरीवाल मुकदमे में पूरी तरह सहयोग करेंगे। इन शर्तों के तहत, केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, जमानत पर रहते हुए केजरीवाल को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा:
1.  जमानत के लिए केजरीवाल को 10 लाख के दो मुचलके जमा करने होंगे।
2.  केजरीवाल इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।
3. जमानत की अवधि में केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय नहीं जा पाएंगे।
4.  अदालत ने यह भी कहा है कि केजरीवाल को मामले की सुनवाई में पूरा सहयोग देना होगा।

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अरविंद केजरीवाल के वकीलों ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैर-कानूनी थी, क्योंकि सीबीआई ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी, उसके ठीक बाद सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने सुनवाई की थी। दोनों न्यायाधीशों की राय अलग-अलग थी, लेकिन जमानत के मामले में वे एकमत थे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का मानना था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत सही थी और इसमें कोई अनियमितता नहीं थी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के दौरान सीबीआई ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का पालन किया। दूसरी ओर, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी केवल मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केजरीवाल को मिली जमानत को विफल करने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि 22 महीने तक सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और फिर अचानक उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता को लेकर सवाल खड़े किए।

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जमानत मिलने के बावजूद, केजरीवाल की कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई का आदेश दिया है, और यह भी कहा गया है कि निकट भविष्य में मुकदमे का अंत होता नहीं दिख रहा। हालांकि, अदालत ने इस बात पर ध्यान दिया कि मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है, इसलिए जमानत दी जा सकती है। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ईडी के मामले में जमानत पर लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। यानी केजरीवाल को प्रशासनिक कामकाज से दूर रहना होगा।

अरविंद केजरीवाल की जमानत की खबर के बाद आम आदमी पार्टी के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसे न्याय की जीत बताया है। हालांकि, केजरीवाल के ऊपर लगे आरोप गंभीर हैं और अब आगे की कानूनी प्रक्रिया पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान केजरीवाल ने खुद पर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था और दावा किया था कि यह केंद्र सरकार की साजिश है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देखना यह होगा कि आगे की सुनवाई में क्या दिशा मिलती है।

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हरियाणा विधानसभा चुनाव: गठबंधन की अड़चनों के बीच AAP सभी 90 सीटों पर उतरेगी, कांग्रेस ने जारी की 32 उम्मीदवारों की सूची. https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/haryana-assembly-election-c/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/haryana-assembly-election-c/#respond Sat, 07 Sep 2024 12:32:08 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4741 हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में पूरी तरह जुट चुकी है। पार्टी के प्रवक्ता ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि आम आदमी पार्टी प्रदेश की हर सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और जल्द ही प्रत्याशियों की सूची भी जारी …

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में पूरी तरह जुट चुकी है। पार्टी के प्रवक्ता ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि आम आदमी पार्टी प्रदेश की हर सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और जल्द ही प्रत्याशियों की सूची भी जारी की जाएगी। संभवतः 1 या 2 दिनों में पार्टी अपने उम्मीदवारों की सूची का ऐलान कर सकती है। चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर सवाल पूछे गए थे, जिस पर प्रियंका गांधी ने जवाब दिया, “बातचीत चल रही है। अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।” प्रियंका ने संकेत दिए कि गठबंधन की संभावनाओं पर बातचीत हो रही है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने भी हरियाणा में सक्रियता बढ़ा दी है और प्रदेशभर में संगठन को मजबूत करने का काम जारी है।

आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि वह सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और पार्टी का ग्राउंड लेवल संगठन भी मजबूत स्थिति में है। पार्टी प्रवक्ता के अनुसार, जल्द ही पार्टी अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी, और उन्हें उम्मीद है कि बातचीत के किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा।

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हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन को लेकर सीटों के बंटवारे और क्षेत्रों के निर्धारण में समस्या आ रही है। 6 अगस्त को यह रिपोर्ट सामने आई थी कि दोनों पार्टियों के बीच सीटों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। AAP के सूत्रों के अनुसार, पार्टी को कांग्रेस की शर्तें स्वीकार्य नहीं हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि यदि कांग्रेस अपनी शर्तों में बदलाव नहीं करती, तो गठबंधन का होना संभव नहीं होगा।गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 12 सितंबर है, जिसके चलते समय तेजी से बीत रहा है। ऐसे में दोनों पार्टियों को जल्द से जल्द निर्णय लेना होगा, वरना उन्हें स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 32 प्रत्याशियों के नाम शामिल किए गए हैं। जुलाना से कांग्रेस ने प्रसिद्ध पहलवान विनेश फोगाट को मैदान में उतारा है, जबकि गढ़ी सांपला-किलोई से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह, नूंह से आफताब अहमद, होडल से उदय भान और बादली से मौजूदा विधायक कुलदीप वत्स को टिकट मिला है।

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कांग्रेस की पहली सूची में 31 प्रत्याशी घोषित किए गए थे, लेकिन बाद में बलबीर सिंह का नाम भी इसराना सीट से जोड़ा गया, जिससे अब कुल 32 उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं। चुनाव के नजदीक आते ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावनाएं धुंधली होती जा रही हैं। जहां AAP सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है, वहीं कांग्रेस पहले से ही अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करने में लगी हुई है। ऐसे में अगर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं हो पाता, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी को जनता का ज्यादा समर्थन मिलता है। हरियाणा के चुनावी मैदान में यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा कि आम आदमी पार्टी किस तरह से अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारती है और किस तरह के चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच पहुंचती है।

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