aap - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 03 Oct 2024 06:54:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg aap - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नया ठिकाना, कहां रहेंगे परिवार के साथ? https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/ex-chief-minister-arvind/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/ex-chief-minister-arvind/#respond Thu, 03 Oct 2024 06:54:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5192 दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीते कुछ समय से लगातार सुर्खियों में हैं। पहले शराब नीति घोटाले में फंसने के बाद उनकी गिरफ्तारी, फिर जेल से रिहाई और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तक, केजरीवाल का राजनीतिक सफर पिछले कुछ महीनों में काफी घटनाओं से भरा रहा है। अब उनके सरकारी आवास छोड़ने की …

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीते कुछ समय से लगातार सुर्खियों में हैं। पहले शराब नीति घोटाले में फंसने के बाद उनकी गिरफ्तारी, फिर जेल से रिहाई और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तक, केजरीवाल का राजनीतिक सफर पिछले कुछ महीनों में काफी घटनाओं से भरा रहा है। अब उनके सरकारी आवास छोड़ने की खबरें भी मीडिया में जोर पकड़ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल अपने परिवार के साथ जल्द ही दिल्ली स्थित फिरोजशाह रोड पर बंगला नंबर 5 या 10 में रहने जा सकते हैं। यह दोनों बंगले आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसदों के आवास हैं। बंगला नंबर 5 अशोक मित्तल का है, जो कि पंजाब से AAP के राज्यसभा सांसद हैं, जबकि बंगला नंबर 10 एनडी गुप्ता का है, जो कि दिल्ली से राज्यसभा सांसद हैं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों सांसद इन आवासों में खुद नहीं रहते हैं। मित्तल दिल्ली में नहीं रहते जबकि एनडी गुप्ता राजधानी के गुलमोहर पार्क स्थित एक निजी आवास में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।

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आम आदमी पार्टी के सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता केजरीवाल को अपने घर में रहने की पेशकश कर चुके हैं। हालांकि, केजरीवाल ने इस संबंध में अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है कि वह किस आवास को चुनेंगे। उनका कहना था कि नवरात्रि के दौरान वह सीएम आवास खाली कर देंगे। केजरीवाल को करीब तीन महीने जेल में बिताने के बाद सुप्रीम कोर्ट से 13 सितंबर को जमानत मिली थी। जमानत के कुछ दिनों बाद, 17 सितंबर को उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और AAP नेता आतिशी को राजधानी की बागडोर सौंप दी। इस्तीफा देते वक्त केजरीवाल ने स्पष्ट किया था कि वह तब तक मुख्यमंत्री पद पर वापस नहीं आएंगे, जब तक दिल्ली की जनता उन्हें दोबारा चुनाव में नहीं जिताती। उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इससे संकेत मिलते हैं कि वह भविष्य में दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहेंगे।

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अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक स्थिति अभी अनिश्चित है, और उनके भविष्य के कदमों को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी बीच, उनके आवास को लेकर उठे सवालों ने दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। उनके समर्थकों का कहना है कि केजरीवाल एक साधारण जीवन जीते हैं और उन्हें किसी आलीशान आवास की जरूरत नहीं है। वहीं, उनके विरोधियों का कहना है कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बावजूद सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाना उनके सिद्धांतों के खिलाफ है। हालांकि, केजरीवाल ने साफ किया था कि वह सरकारी आवास नवरात्रि के दौरान खाली कर देंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह और उनका परिवार किस आवास में रहने का निर्णय लेते हैं। AAP के नेताओं और समर्थकों ने उन्हें आवास की पेशकश की है, लेकिन अंतिम फैसला केजरीवाल का होगा।

अरविंद केजरीवाल की अगली चाल क्या होगी, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं, खासकर जब वह अगले चुनावों में अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने की तैयारी कर रहे हैं।

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दिल्ली एमसीडी चुनाव विवाद, सिसोदिया का बीजेपी पर आरोप, संविधान की हत्या https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/delhi-mcd-election-viva/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/27/delhi-mcd-election-viva/#respond Fri, 27 Sep 2024 06:19:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5120 दिल्ली में नगर निगम (एमसीडी) के स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। गुरुवार को उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने अचानक चुनाव कराने का आदेश जारी किया, जिसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। आप के वरिष्ठ नेता …

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दिल्ली में नगर निगम (एमसीडी) के स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। गुरुवार को उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने अचानक चुनाव कराने का आदेश जारी किया, जिसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर तीखा हमला बोला और इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया।

मनीष सिसोदिया ने गुरुवार रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर सवाल उठाते हुए कहा कि एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर दिनभर हंगामा होता रहा। कई बार सदन को स्थगित करना पड़ा और अंततः मेयर ने तय किया कि पांच अक्टूबर को चुनाव कराया जाएगा। सदन स्थगित होने के बाद अधिकांश पार्षद अपने-अपने घर जा चुके थे। लेकिन शाम को अचानक आठ बजे उपराज्यपाल ने कमिश्नर को पत्र लिखकर आदेश दिया कि रात 10 बजे तक चुनाव कराए जाएं। सिसोदिया ने इस आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आखिर ऐसी क्या इमरजेंसी थी कि रात 10 बजे चुनाव कराने का आदेश जारी करना पड़ा? जब अधिकांश पार्षद अपने घर जा चुके थे, तो यह चुनाव कैसे हो सकता है?”

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सिसोदिया ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर भी निशाना साधा और कहा, “एलजी साहब जो अमेरिका या पता नहीं कहां बैठे हैं, वो रात के समय चुनाव करवाने का आदेश दे रहे हैं। इसका क्या मतलब है?” उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के आदेश से साफ है कि बीजेपी लोकतंत्र की मर्यादा को नजरअंदाज कर रही है। सिसोदिया ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के इशारे पर दिल्ली एमसीडी में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। आप नेता ने बीजेपी पर संविधान की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि जब अधिकांश पार्षद बाहर जा चुके थे, तब बीजेपी के पार्षद सदन में टिके हुए थे। उन्होंने कहा, “आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षद तो जा चुके थे, लेकिन बीजेपी के पार्षद वहां डटे रहे। सारे सांसद और पदाधिकारी वहीं मौजूद थे। यह साफ तौर पर संविधान की हत्या है।”

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सिसोदिया ने चंडीगढ़ में हुए मेयर चुनाव का जिक्र करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में बीजेपी की बेशर्मी सामने आई थी और अब दिल्ली में भी वही किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “अगर बीजेपी में थोड़ी भी शर्म है तो इस चिट्ठी को वापस लें। हालाँकि, मुझे उनसे कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन लोकतंत्र का थोड़ा सम्मान तो करना चाहिए।” एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव पहले से ही विवादों में रहा है। चुनाव की तिथि पहले भी कई बार स्थगित की जा चुकी है, और अब उपराज्यपाल के इस आदेश से राजनीतिक विवाद और गहरा हो गया है। जहां आम आदमी पार्टी इसे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ बता रही है, वहीं बीजेपी ने अभी इस पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है।इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि दिल्ली की राजनीति में एमसीडी चुनाव को लेकर अभी और गरमाहट देखने को मिल सकती है।

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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024, कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा और नए समीकरण https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/haryana-assembly-election-2024-a-3/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/haryana-assembly-election-2024-a-3/#respond Mon, 23 Sep 2024 11:39:52 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5073 हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है, और सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटे हैं। बीजेपी की ओर से जहां नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया है, वहीं कांग्रेस ने अब तक अपने मुख्यमंत्री चेहरे का आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। इस …

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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है, और सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटे हैं। बीजेपी की ओर से जहां नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया है, वहीं कांग्रेस ने अब तक अपने मुख्यमंत्री चेहरे का आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। इस बीच, कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सीएम उम्मीदवार को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिससे चुनावी माहौल में नई चर्चा शुरू हो गई है। रविवार को सिरसा पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कहा, “हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनना तय है। मुख्यमंत्री वही होगा जिसे विधायक चुनेंगे और इस पर अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान करेगा।” उनके इस बयान से साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस फिलहाल सामूहिक नेतृत्व के सिद्धांत पर चुनावी मैदान में उतर रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य में कांग्रेस की बढ़ती पकड़ पर भरोसा जताते हुए कहा, “हरियाणा की जनता ने मन बना लिया है कि इस बार राज्य में कांग्रेस की ही सरकार बनेगी।”

हुड्डा ने नारा देते हुए कहा, “न जात पर न पात पर, मोहर लगेगी हाथ पर।” इस नारे के जरिए उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में लोगों के समर्थन की बात की और दावा किया कि 36 बिरादरी के लोग कांग्रेस के साथ खड़े हैं। उनका यह बयान पार्टी को विभिन्न समुदायों का समर्थन प्राप्त होने की ओर इशारा करता है, जो कांग्रेस के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। हरियाणा में आगामी 5 अक्टूबर 2024 को विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। चुनावी समीकरणों की बात करें तो राज्य में मुख्य रूप से कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। जहां बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को सीएम उम्मीदवार घोषित कर साफ संदेश दे दिया है कि पार्टी एक सशक्त नेतृत्व के साथ चुनाव लड़ने जा रही है, वहीं कांग्रेस ने सामूहिक नेतृत्व का भरोसा जताया है।

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इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) भी अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है। आप के राज्य में प्रवेश ने दोनों प्रमुख दलों की चिंताओं को बढ़ा दिया है, क्योंकि आप की चुनौती कांग्रेस और बीजेपी के पारंपरिक वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, चंद्रशेखर आजाद की आज़ाद समाज पार्टी (ASP) और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही हैं, जिससे राज्य के चुनावी समीकरणों में और बदलाव की संभावना है। जननायक जनता पार्टी (JJP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) के गठबंधन ने हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई चुनौती पेश की है। गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने से यह दल राज्य के पारंपरिक वोट बैंक को प्रभावित कर सकते हैं। यह गठबंधन मुख्य रूप से युवा और दलित वर्गों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिससे राज्य की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।

 

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दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही आतिशी, जानिए दिल्ली की सियासत में महिलाओं का सफर https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/third-woman-head-of-delhi/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/18/third-woman-head-of-delhi/#respond Wed, 18 Sep 2024 08:43:47 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4959 दिल्ली की राजनीति में आज का दिन एतिहासिक है। मौजूदा मंत्री आतिशी को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। लेकिन …

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दिल्ली की राजनीति में आज का दिन एतिहासिक है। मौजूदा मंत्री आतिशी को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में अब तक किन महिला नेताओं ने मुख्यमंत्री पद संभाला है और किस राजनीतिक दल से उनका जुड़ाव था? आइए, इस ऐतिहासिक सफर पर नज़र डालते हैं।

आतिशी दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रही तीसरी महिला नेता हैं। मौजूदा दिल्ली सरकार में सबसे अधिक विभागों का जिम्मा संभाल रही आतिशी आम आदमी पार्टी की एक प्रमुख चेहरा हैं। अरविंद केजरीवाल के नजदीकी सहयोगियों में से एक मानी जाने वाली आतिशी, समाजसेवा के क्षेत्र में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरकर आई थीं। उनके नाम की चर्चा अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद से ही हो रही थी, और आज आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से आतिशी को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया।

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आतिशी की शिक्षा और पृष्ठभूमि भी खासा ध्यान आकर्षित करती है। वह एक पंजाबी राजपूत परिवार से आती हैं और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता तब निखर कर सामने आई जब दिल्ली की शराब नीति के मामले में अरविंद केजरीवाल जेल गए थे और तब से आतिशी ने सरकार की जिम्मेदारी बखूबी संभाली। मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम के अलावा कैलाश गहलोत, गोपाल राय, और सौरभ भारद्वाज जैसे प्रमुख नेताओं के नाम भी सामने आए थे, लेकिन पार्टी ने अंततः आतिशी पर भरोसा जताया।

आतिशी से पहले, दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज थीं। साल 1998 में उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का जिम्मा सौंपा गया था। उस समय प्याज की बढ़ती कीमतों और भाजपा सरकार के खिलाफ बढ़ते असंतोष ने तब के मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था। भाजपा आलाकमान ने सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी, लेकिन उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। वह केवल 52 दिनों तक ही इस पद पर रहीं, क्योंकि विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। 1998 के चुनावों से पहले, 1993 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 49 सीटें जीती थीं। लेकिन 1998 में सत्ता विरोधी लहर के चलते पार्टी केवल 15 सीटों पर सिमट गई, और सुषमा स्वराज की जगह शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली।

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दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री और सबसे लंबे समय तक इस पद पर बनी रहीं शीला दीक्षित, कांग्रेस की एक प्रमुख नेता थीं। उन्होंने 1998 में भाजपा की हार के बाद दिल्ली की सत्ता संभाली। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 1998 के चुनावों में शानदार जीत दर्ज की और दिल्ली में स्थिर सरकार बनाई। शीला दीक्षित का राजनीतिक करियर बेहद प्रभावशाली रहा। 2003 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने फिर से सत्ता हासिल की, जब पार्टी को 47 सीटों पर जीत मिली, जबकि भाजपा को केवल 20 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इसके बाद, 2008 के चुनावों में भी कांग्रेस ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की और भाजपा को 23 सीटों पर सीमित कर दिया। शीला दीक्षित 1998 से लेकर 2013 तक, कुल 15 वर्षों तक लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं, जो अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है। उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली में बुनियादी ढांचे में सुधार, मेट्रो का विस्तार और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय विकास हुआ।

दिल्ली की राजनीति में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और आतिशी के मुख्यमंत्री बनने से यह परंपरा आगे बढ़ेगी। सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित जैसे नेताओं ने दिल्ली की राजनीति में महिलाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। जहां सुषमा स्वराज का कार्यकाल भले ही छोटा रहा हो, लेकिन उनके राजनीतिक योगदान को देशभर में सराहा जाता है। वहीं, शीला दीक्षित ने अपने लंबे कार्यकाल में दिल्ली को एक आधुनिक महानगर के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आतिशी का मुख्यमंत्री बनना न केवल आम आदमी पार्टी के लिए एक नई दिशा का संकेत है, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को भी मजबूती प्रदान करता है। उनके सामने कई चुनौतियां होंगी, लेकिन उनके शिक्षा और अनुभव के बल पर उम्मीद है कि वह इन चुनौतियों का सामना कर सकेंगी और दिल्ली को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।

 

 

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दिल्ली आबकारी नीति घोटाला: अरविंद केजरीवाल की जमानत पर फिर लटकी तलवार, अदालत ने सुनवाई 5 सितंबर तक टाली. https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/delhi-excise-policy-scam/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/delhi-excise-policy-scam/#respond Fri, 23 Aug 2024 07:20:44 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4386 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में अदालत से जमानत नहीं पा सके। सीबीआई द्वारा अधिक समय की मांग किए जाने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई को 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले में अदालत से जमानत नहीं पा सके। सीबीआई द्वारा अधिक समय की मांग किए जाने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई को 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सीबीआई ने केजरीवाल की जमानत का जोरदार विरोध किया, जिसके चलते मामले की सुनवाई को टालना पड़ा। इससे पहले 14 अगस्त को अदालत ने केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था और एजेंसी से अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। आज, सीबीआई ने अदालत में अपना जवाब पेश किया, लेकिन अदालत ने अभी तक कोई निर्णय नहीं दिया है। केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी नीति में घोटाला कर सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया।

आम आदमी पार्टी (AAP) ने अरविंद केजरीवाल को लेकर एक नया अभियान शुरू किया है। पार्टी ने दावा किया है कि “तानाशाह की जेल की दीवारें” केजरीवाल को रोक नहीं पाएंगी और वह जल्द ही बाहर आएंगे, जैसे मनीष सिसोदिया आए थे। इस अभियान में पार्टी ने एक नया नारा भी दिया है, “मनीष सिसोदिया आ गए, केजरीवाल आएंगे।” 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने मामले की गहन जांच के लिए इसे एक बड़ी पीठ को भेज दिया था, जिसमें केजरीवाल की गिरफ्तारी की आवश्यकता के सवाल पर विचार किया जाना था। हालांकि, सीबीआई द्वारा दायर घोटाले के मामले में वह अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।

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गौरतलब है कि केजरीवाल को सबसे पहले 21 मार्च को उनके मुख्यमंत्री आवास से गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के पीछे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मनी लॉन्ड्रिंग के तहत चल रही जांच थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत दे दी थी, लेकिन सीबीआई के मामले में उनकी जमानत अभी तक नहीं मिल सकी है। केजरीवाल की गिरफ्तारी और अदालती प्रक्रिया ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ता उनके समर्थन में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। पार्टी का मानना है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है और केजरीवाल के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। वहीं, सीबीआई और ईडी का दावा है कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं, जो इस घोटाले में केजरीवाल की संलिप्तता को साबित करते हैं।

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अभी देखना होगा कि 5 सितंबर को अदालत में क्या निर्णय होता है। अगर केजरीवाल को जमानत मिलती है, तो यह आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत होगी। वहीं, अगर जमानत नहीं मिलती, तो पार्टी के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इस मामले का असर आने वाले दिल्ली चुनावों पर भी पड़ सकता है, जहां आम आदमी पार्टी की साख दांव पर लगी हुई है।

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दिल्ली शराब नीति घोटाला, सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली अंतरिम जमानत, 23 अगस्त को होगी अगली सुनवाई. https://chaupalkhabar.com/2024/08/14/delhi-liquor-policy-scam-s/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/14/delhi-liquor-policy-scam-s/#respond Wed, 14 Aug 2024 06:55:34 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4304 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए CBI को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 23 …

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए CBI को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की है। दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट में यह सुनवाई हो रही थी। आम आदमी पार्टी (AAP) को उम्मीद थी कि मनीष सिसोदिया को अंतरिम जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल को भी जमानत मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने आज (14 अगस्त) को मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें हाई कोर्ट ने CBI द्वारा उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराया था।

यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया। जब सोमवार को अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया, तो शीर्ष अदालत ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 5 अगस्त को दिए गए अपने फैसले में मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि CBI की कार्यवाही में कोई दुर्भावना नहीं थी। हाई कोर्ट ने कहा कि CBI ने यह दिखाया है कि किस तरह अरविंद केजरीवाल गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, और उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाहों ने गवाही देने का साहस जुटाया।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और सबूत जुटाने के बाद उनके खिलाफ ‘लूप ऑफ एविडेंस’ को बंद कर दिया गया था और यह नहीं कहा जा सकता कि यह गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के या अवैध थी। हाई कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान इस तथ्य पर भी जोर दिया कि अरविंद केजरीवाल सिर्फ एक साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसेसे पुरस्कार विजेता और AAP के संयोजक हैं। कोर्ट ने कहा कि गवाहों पर उनका प्रभाव और नियंत्रण प्रथम दृष्ट्या इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि ये गवाह उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने के लिए तैयार हुए।

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इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि CBI की कार्रवाई में किसी प्रकार की दुर्भावना का संकेत नहीं मिलता है। हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जाने और अप्रैल 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अपराध के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन केजरीवाल के पद के कारण उनके प्रभाव के कारण गवाह सामने नहीं आ रहे थे। यह स्पष्ट किया गया कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए आगे आए।

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सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल इस मामले पर आगे की सुनवाई 23 अगस्त को होगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट उस दिन क्या फैसला सुनाती है, क्योंकि यह मामला दिल्ली की राजनीति और कानूनी प्रक्रियाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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स्वतंत्रता दिवस पर आतिशी को नहीं मिलेगा ध्वजारोहण का मौका, केजरीवाल के स्थान पर प्रस्ताव खारिज. https://chaupalkhabar.com/2024/08/13/independence-day-on-fireworks/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/13/independence-day-on-fireworks/#respond Tue, 13 Aug 2024 08:17:58 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4291 स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के मुद्दे ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना के बीच एक नए टकराव को जन्म दे दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से छत्रसाल स्टेडियम में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के लिए कैबिनेट मंत्री …

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स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के मुद्दे ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना के बीच एक नए टकराव को जन्म दे दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से छत्रसाल स्टेडियम में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के लिए कैबिनेट मंत्री आतिशी को अपनी जगह नामित करने का प्रस्ताव भेजा। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 6 अगस्त को तिहाड़ जेल से एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करने की जिम्मेदारी आतिशी को सौंपने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने जेल से यह पत्र दिल्ली सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (जीएडी) को भेजा था। हालांकि, यह पत्र विवाद का कारण बन गया क्योंकि जेल प्रशासन और दिल्ली के जीएडी विभाग ने इस पर आपत्ति जताई।

दिल्ली के जीएडी विभाग ने 9 अगस्त को मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इसे कानूनी रूप से अमान्य करार दिया। जीएडी ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री के पास इस तरह का आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। विभाग ने मंत्री गोपाल राय को लिखे अपने पत्र में कहा कि आतिशी को स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह निर्णय कानूनी रूप से सही नहीं है।

जीएडी के इस कदम ने दिल्ली सरकार और राजनिवास के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। इससे पहले, 7 अगस्त को गोपाल राय ने तिहाड़ जेल में मुख्यमंत्री केजरीवाल से मुलाकात की थी और उनकी इच्छा के अनुसार जीएडी को आदेश जारी किया था। इसके बावजूद, जीएडी ने इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया। इस बीच, तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी केजरीवाल के इस कदम पर नाराजगी जताई। जेल प्रशासन ने कहा कि विचाराधीन कैदी होने के नाते केजरीवाल के पास जेल से बाहर किसी भी प्रकार का शासकीय निर्देश या निवेदन पत्र भेजने का अधिकार नहीं है। जेल प्रशासन ने इस कदम को जेल नियमावली का उल्लंघन बताते हुए इसे विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करार दिया।

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जेल संख्या-दो के अधीक्षक ने 9 अगस्त को केजरीवाल को एक पत्र भेजा, जिसमें इस मामले पर गंभीर आपत्ति दर्ज की गई। अधीक्षक ने लिखा कि विचाराधीन कैदी के रूप में मुख्यमंत्री केजरीवाल पर जेल के नियम लागू होते हैं, जो उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों को सीमित करते हैं। अधीक्षक ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि मुख्यमंत्री द्वारा 6 अगस्त को सौंपे गए पत्र की विषय-वस्तु बिना किसी अधिकार के बाहर लीक कर दी गई। जेल प्रशासन ने चेतावनी दी कि यदि विशेषाधिकारों का दुरुपयोग किया गया तो उन्हें कम कर दिया जाएगा।

वहीं, इस विवाद को लेकर भाजपा ने आम आदमी पार्टी की सरकार पर स्वतंत्रता दिवस समारोह को विवादित करने का आरोप लगाया। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि आप नेताओं ने जानबूझकर यह भ्रम फैलाया कि इस बार स्वतंत्रता दिवस पर आतिशी तिरंगा फहराएंगी। उन्होंने कहा कि तिहाड़ जेल अधीक्षक के पत्र ने आप नेताओं के झूठ को उजागर कर दिया है।

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सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री जेल से कोई भी शासकीय निर्देश या निवेदन पत्र नहीं भेज सकते, और इस सच्चाई के सामने आने के बाद भी मंत्री गोपाल राय असंवैधानिक आदेश जारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में संविधान विशेषज्ञों से राय लेकर उपराज्यपाल को निर्णय लेना चाहिए। यह पूरा मामला दिल्ली की राजनीति में एक नए अध्याय को जोड़ता है, जहां सरकार और उपराज्यपाल के बीच का संघर्ष एक बार फिर से उभर कर सामने आया है। स्वतंत्रता दिवस जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व पर इस प्रकार का विवाद, न केवल सरकार और राजनिवास के बीच के तनाव को दिखाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि दोनों पक्षों के बीच संवाद की कमी किस प्रकार से संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दे सकती है।

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सुप्रीम कोर्ट से मिली मनीष सिसोदिया को जमानत: 17 महीनों की कैद के बाद राहत, जानिए किन दलीलों पर आधारित है फैसला” https://chaupalkhabar.com/2024/08/10/money-received-from-supreme-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/10/money-received-from-supreme-court/#respond Sat, 10 Aug 2024 06:47:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4229 दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है, जिससे उन्हें 17 महीनों की लंबी कैद के बाद राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण दलीलें पेश की हैं। आइए, समझते हैं कि सुप्रीम …

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दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है, जिससे उन्हें 17 महीनों की लंबी कैद के बाद राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण दलीलें पेश की हैं। आइए, समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने किन आधारों पर सिसोदिया को जमानत दी है।

बिना सजा के लंबे समय तक कैद: सिसोदिया ने सीबीआई के मामले में 13 और ईडी के मामले में 14 याचिकाएं निचली अदालत में दाखिल की थीं। उन्होंने अदालत में तर्क दिया कि उन्हें बिना सजा के लंबे समय तक जेल में रखा गया है, जो कि कानून के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को बिना सजा के लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। यह स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है और किसी भी अभियुक्त को त्वरित न्याय पाने का अधिकार है।

ईडी की आपत्ति को खारिज करना: सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की इस आपत्ति को भी खारिज कर दिया कि सिसोदिया की जमानत याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। अदालत ने कहा कि 17 महीने की लंबी कैद और मुकदमे की प्रक्रिया शुरू ना होने के कारण सिसोदिया को उनके सुनवाई के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। अदालत ने यह भी माना कि इस मामले में 400 से अधिक गवाह हैं और ऐसे में मुकदमे का जल्द पूरा होना संभव नहीं है।

ट्रिपल टेस्ट का प्रभाव: सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले में “ट्रिपल टेस्ट” लागू नहीं होगा, क्योंकि यह मामला ट्रायल की देरी से संबंधित है। अदालत ने स्पष्ट किया कि लंबे समय तक कैद में रहने और ट्रायल शुरू ना होने के कारण सिसोदिया की जमानत दी गई है।

न्याय का मजाक नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सिसोदिया को वापस ट्रायल कोर्ट में भेजा जाता है, तो यह न्याय का मजाक उड़ाने जैसा होगा। अदालत ने यह भी कहा कि निचली अदालत ने त्वरित न्याय के अधिकार को अनदेखा करते हुए मेरिट के आधार पर जमानत नहीं दी थी।

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जेल अपवाद है, जमानत नियम है: अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि “जेल अपवाद है, जबकि जमानत नियम है।” अदालत ने लंबे समय तक सिसोदिया को जेल में रखे जाने पर भी विचार किया और माना कि आने वाले समय में भी ट्रायल पूरा होने की संभावना नहीं है।

अपीलकर्ता को बार-बार परेशान नहीं करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सिसोदिया को फिर से ट्रायल कोर्ट में भेजा जाता है, तो यह उनके साथ “सांप-सीढ़ी का खेल” खेलने जैसा होगा। अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, खासकर तब जब सुनवाई में देरी का कोई ठोस प्रमाण न हो।

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स्वतंत्रता का अधिकार सर्वोपरि: अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें सिसोदिया को दिल्ली के सीएम ऑफिस जाने से रोकने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि स्वतंत्रता का अधिकार हमेशा महत्वपूर्ण है और इसे किसी भी स्थिति में नकारा नहीं जा सकता है।

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सुप्रीम कोर्ट में बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई: कोर्ट की कड़ी फटकार, अगली सुनवाई 7 अगस्त को.. https://chaupalkhabar.com/2024/08/01/supreme-court-in-bibhav-ku/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/01/supreme-court-in-bibhav-ku/#respond Thu, 01 Aug 2024 08:21:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4132 सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। बिभव पर आम आदमी पार्टी (AAP) की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट का आरोप है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान …

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सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। बिभव पर आम आदमी पार्टी (AAP) की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट का आरोप है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान बिभव कुमार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि एक महिला के साथ ऐसा बर्ताव करते हुए उन्हें शर्म नहीं आई? बिभव कुमार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि जिस आदेश को उन्होंने चुनौती दी है, उसके बाद चार्जशीट दाखिल हुई है। उन्होंने आगे कहा कि एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज की गई, जबकि स्वाति मालीवाल पहली बार पुलिस स्टेशन गई थीं, लेकिन बिना एफआईआर दर्ज कराए लौट आईं। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि क्या मालीवाल ने 112 पर कॉल किया था? अगर ऐसा हुआ, तो यह बिभव के दावे को झूठा साबित करता है कि मालीवाल ने कोई मनगढ़ंत कहानी गढ़ी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर बिभव की जमानत याचिका पर जवाब मांगा है और अगली सुनवाई सात अगस्त को निर्धारित की है। कोर्ट ने यह भी कहा कि घटनाक्रम जिस तरह से हुआ है, उससे वह स्तब्ध है। कोर्ट ने पूछा, “क्या मुख्यमंत्री का सरकारी आवास निजी संपत्ति है? क्या यह उचित है कि इस तरह के गुंडों को वहां रखा जाए? यह सवाल हमें चिंतित करता है कि यह सब कैसे हुआ?” स्वाति मालीवाल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि बिभव कुमार अचानक कमरे में घुस आए और बिना किसी उकसावे के उन पर चिल्लाने और गाली-गलौज करने लगे। उन्होंने बिभव से शांत रहने और मुख्यमंत्री को बुलाने के लिए कहा, लेकिन बिभव ने उनकी बात नहीं मानी। इस घटना के बाद मालीवाल ने तीन दिन बाद एफआईआर दर्ज करवाई।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 जुलाई को बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बिभव का राजनीतिक प्रभाव काफी है, और यदि उन्हें जमानत दी जाती है, तो गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका हो सकती है। कोर्ट ने इस आधार पर बिभव की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिंघवी ने बिभव की जमानत के पक्ष में तर्क दिया और अन्य मामलों का हवाला देते हुए कहा कि कई मामलों में जमानत दी गई है, जिसमें हत्या के आरोपियों को भी जमानत मिली है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वे उन मामलों का जिक्र न करें, क्योंकि यह मामला अलग है और यहां जिस तरह की घटनाएं हुई हैं, वे हमारी चिंता का कारण हैं। कोर्ट ने बिभव से सवाल किया कि उन्हें महिला से इस तरह का व्यवहार करते समय शर्म क्यों नहीं आई?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह मामला मामूली या गंभीर चोट का नहीं है, बल्कि नैतिक दृढ़ता का है। कोर्ट ने कहा, “क्या आपको नहीं लगा कि उस कमरे में मौजूद कोई भी व्यक्ति बिभव कुमार के खिलाफ कुछ कहने की हिम्मत करेगा?”

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बिभव कुमार को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिल पाई थी, और अब सुप्रीम कोर्ट में भी उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं बनता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी इस पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की अगली सुनवाई सात अगस्त को होगी, जिसमें दिल्ली पुलिस द्वारा बिभव कुमार की जमानत याचिका पर अपना जवाब प्रस्तुत किया जाएगा।

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“आम आदमी पार्टी ने लगाया आरोप, बीजेपी और उपराज्यपाल वीके सक्सेना रच रहे हैं अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में मारने की साजिश” https://chaupalkhabar.com/2024/07/22/common-man-party-imposed-r/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/22/common-man-party-imposed-r/#respond Mon, 22 Jul 2024 06:20:50 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3985 आम आदमी पार्टी (AAP) ने फिर से पुष्टि की है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना “मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में मारने की साजिश रच रहे हैं”। मेडिकल रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए, उन्होंने चेतावनी दी कि जेल में किसी भी समय आप सुप्रीमो के साथ कुछ भी …

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आम आदमी पार्टी (AAP) ने फिर से पुष्टि की है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना “मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में मारने की साजिश रच रहे हैं”। मेडिकल रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए, उन्होंने चेतावनी दी कि जेल में किसी भी समय आप सुप्रीमो के साथ कुछ भी हो सकता है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, आप सांसद संजय सिंह ने कहा, “आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस इस बात पर है कि बीजेपी और दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जान के साथ खेल रहे हैं और उन्हें जेल में मारने की साजिश रच रहे हैं… अरविंद केजरीवाल की मेडिकल रिपोर्ट यह बताने के लिए पर्याप्त है कि जेल में किसी भी समय उनके साथ कुछ भी हो सकता है और जिस तरह से दिल्ली के उपराज्यपाल और बीजेपी अरविंद केजरीवाल के स्वास्थ्य पर गलत बयान दे रहे हैं, यह हमारे शक की पुष्टि करता है…,” आप नेता ने कहा।

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शनिवार को, आप ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना की संचार को लेकर आलोचना की, उन पर आरोप लगाया कि वह कह रहे थे कि केजरीवाल “जानबूझकर” खुद को बीमार बना रहे हैं। उन्होंने आगे बीजेपी पर “AAP नेता को मारने की एक दुष्ट योजना” का आरोप लगाया। शुक्रवार को उपराज्यपाल के कार्यालय से मुख्य सचिव को एक पत्र में कहा गया कि सक्सेना को चिंता है कि केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत के दौरान अपनी निर्धारित चिकित्सा आहार और दवाइयों का सेवन नहीं किया है। उन्होंने अधिकारियों को इस के पीछे के कारणों की जांच करने का निर्देश दिया।

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