ADR - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 24 May 2024 08:11:53 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg ADR - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 ADR की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी फटकार, सार्वजनिक हो वोटिंग डेटा. https://chaupalkhabar.com/2024/05/24/adr-on-appeal-to-supreme-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/24/adr-on-appeal-to-supreme-court/#respond Fri, 24 May 2024 08:07:01 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3403 सुप्रीम कोर्ट ने आज (24 मई) चुनाव आयोग को राहत देते हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के पूरे आंकड़े देरी से जारी होने पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने …

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सुप्रीम कोर्ट ने आज (24 मई) चुनाव आयोग को राहत देते हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के पूरे आंकड़े देरी से जारी होने पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग को लेकर एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि मतदान के 48 घंटे के भीतर प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े वेबसाइट पर डाले जाएं।

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एस.सी. शर्मा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सभी मतदान केंद्रों पर दर्ज वोटों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने से चुनावी प्रक्रिया में अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट में कहा कि फॉर्म 17C (जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों के आंकड़े दर्ज होते हैं) को वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं होगा। उन्होंने बताया कि फॉर्म 17C को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है, जो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आरोप चुनाव को बदनाम करने की कोशिश हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, चुनावी प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न होती है और मतदान के आंकड़े पहले से ही उपलब्ध कराए जाते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव के 5 चरण हो चुके हैं और इस समय चुनाव आयोग पर प्रक्रिया बदलने का दबाव डालना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग पर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का कोई आरोप साबित नहीं हुआ है। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि ADR का मकसद वोटरों को भ्रमित करना है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 26 अप्रैल को भी एक याचिका खारिज की थी जिसमें ADR की मंशा पर सवाल उठाए गए थे। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं और चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एस.सी. शर्मा की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए बिना ही याचिका का निपटारा कर दिया। एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि मतदान के आंकड़े देरी से जारी किए जाने के कारण चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। ADR ने मांग की थी कि चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाएं कि वह मतदान के 48 घंटे के भीतर सभी मतदान केंद्रों पर डाले गए वोटों के आंकड़े अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे।

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चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट में कहा कि फॉर्म 17C (जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों के आंकड़े दर्ज होते हैं) को वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं होगा।

चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों के आंकड़े फॉर्म 17C में दर्ज होते हैं और इन फॉर्म्स को स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाता है। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने से चुनावी प्रक्रिया में अराजकता फैल सकती है और यह उचित नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ADR की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी करना सही नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया पारदर्शी है और इस पर सवाल उठाना अनुचित है।

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कोर्ट ने कहा कि ADR द्वारा दायर याचिका में पर्याप्त सबूत नहीं हैं जो चुनाव आयोग की प्रक्रिया को गलत साबित कर सकें।  चुनाव आयोग पर आरोप लगाना और उसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को राहत देते हुए कहा कि मतदान के आंकड़ों को देरी से जारी करने के संबंध में चुनाव आयोग के खिलाफ कोई निर्देश जारी नहीं किए जाएंगे।

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कांग्रेस के सशक्त राज्यों में इलेक्टोरल बॉन्ड की अलग दिखी स्थिति, डेटा का विश्लेषण। https://chaupalkhabar.com/2024/03/15/congress-strong-state/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/15/congress-strong-state/#respond Fri, 15 Mar 2024 08:12:33 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2595 भारतीय राजनीति में चुनावी प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है जो नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है। चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच चंदा प्राप्ति के मामले में दर्शाया गया है कि कांग्रेस …

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भारतीय राजनीति में चुनावी प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है जो नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है। चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच चंदा प्राप्ति के मामले में दर्शाया गया है कि कांग्रेस कई राज्यों में अच्छी रफ़्तार से अपने नाम को बढ़ा रही है, जबकि बीजेपी ने विभिन्न राज्यों में चंदा प्राप्ति में वृद्धि दर्ज की है।

चुनावी चंदे के मामले में तमिलनाडु, पुडुचेरी, और केरल के चुनावी माहौल विशेष ध्यान वाले हैं, जहां कांग्रेस को स्थिति मजबूत रहती है। इन राज्यों में कांग्रेस ने बीजेपी को चंदा प्राप्ति में पीछे छोड़ा है। जनवरी 2021 और जुलाई 2021 के चरण 15 और 17 में, कांग्रेस ने बीजेपी को चंदा प्राप्ति में पीछे छोड़ा है। तमिलनाडु में, उसने 7.1 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया, जबकि पुडुचेरी में उसकी चंदा प्राप्ति 24.7 करोड़ रुपये थी। चुनावी चंदे के साथ-साथ, इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मामले में भी कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिखाई गई है। अक्टूबर 2023 के आसपास, कांग्रेस ने सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड्स हासिल किए, जब उसने बीजेपी को 401.9 करोड़ रुपये के मुकाबले 359 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। इस अवधि के दौरान, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, और मिजोरम में चुनाव हुए थे और इन राज्यों में कांग्रेस की प्रदर्शन की उम्मीद थी।

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चुनावी चंदे के मामले में कर्नाटक ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां कांग्रेस ने बीजेपी को पीछे छोड़ा। अप्रैल 2023 के चुनावों में, कांग्रेस ने 190.6 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया, जबकि बीजेपी ने 334 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। एक और अंतर्निहित चरण में, जुलाई 2022 में, कांग्रेस ने बीजेपी को पीछे छोड़ा और 57.5 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। चुनावी चंदे के अलावा, इलेक्टोरल बॉन्ड्स के डोलने के मामले में भी कांग्रेस ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अप्रैल 2019 में, चरण 9 में, कांग्रेस ने बीजेपी को 1064 करोड़ रुपये के मुकाबले 118 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। इसके अलावा, कांग्रेस ने बीजेपी को अप्रैल 2019 के चरण 9 के दौरान 707 करोड़ रुपये के चंदे का प्राप्त किया।

इस सभी डेटा के साथ-साथ, चुनावी चंदे के मामले में बीजेपी ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक इलेक्टोरल बॉन्ड्स प्राप्त किए हैं। चरण 9 में, अप्रैल 2019 में, बीजेपी ने कांग्रेस को 1064 करोड़ रुपये के मुकाबले 118 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया। चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, चुनावी चंदे के मामले में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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