aimim - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 23 Sep 2024 11:21:40 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg aimim - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला, बुलडोजर, वक्फ संशोधन और बांग्लादेश पर उठाए गंभीर सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/owaisis-attack-on-modi-government/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/owaisis-attack-on-modi-government/#respond Mon, 23 Sep 2024 11:21:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5070 ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने मुसलमानों के खिलाफ जारी बुलडोजर कार्रवाई, वक्फ संशोधन बिल, और बांग्लादेश के मुद्दों को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओवैसी ने मध्य प्रदेश में बुलडोजर द्वारा …

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने मुसलमानों के खिलाफ जारी बुलडोजर कार्रवाई, वक्फ संशोधन बिल, और बांग्लादेश के मुद्दों को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओवैसी ने मध्य प्रदेश में बुलडोजर द्वारा मुसलमानों के घरों को गिराने के मामले पर बीजेपी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश पुलिस ने 20 हजार स्क्वायर फीट में बने एक मुस्लिम व्यक्ति का घर बुलडोजर से गिरा दिया। हाजी शहजाद अली की कोठी थी, जिसे बुलडोजर से तोड़ा गया। वह अपने नए घर में सामान रख रहे थे, लेकिन बीजेपी सरकार ने उनका घर तबाह कर दिया।”

ओवैसी का आरोप है कि बीजेपी सरकार जानबूझकर मुसलमानों के घरों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश का जिला अधिकारी (DM) साफ कहता है कि वह सिर्फ मुसलमानों के घरों को तोड़ेगा। महाराष्ट्र में भी ऐसी ही स्थिति है, जहां मस्जिद में घुसकर मारने की धमकी दी जा रही है।” ओवैसी ने बीजेपी की नीतियों की तुलना हिटलर के शासन से करते हुए कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत बिल्कुल वैसी ही है, जैसी यहूदियों के खिलाफ हिटलर के समय में थी। उन्होंने कहा, “हिटलर भी यहूदियों पर इसी तरह अत्याचार करता था। इसी प्रकार, आज मुसलमानों के घर तोड़े जा रहे हैं, उनकी दुकानें तबाह की जा रही हैं, और उनके खिलाफ पिक्चर बनाई जा रही हैं।”

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वक्फ संशोधन बिल को लेकर भी ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून लागू हो जाता है तो मुसलमानों की मस्जिदें और वक्फ की जमीनें छीन ली जाएंगी। ओवैसी ने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि राज्य में करीब 1 लाख 21 हजार वक्फ प्रॉपर्टीज हैं, जिनमें से 1 लाख 11 हजार के पास आवश्यक कागजात नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अगर वक्फ बाई यूजर कानून खत्म होता है, तो ये सारी संपत्तियां सरकार के कब्जे में चली जाएंगी।” इसके अलावा, ओवैसी ने वक्फ बोर्ड में हिंदू सदस्यों को शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जब हिंदू मंदिरों से जुड़े बोर्ड में कोई गैर हिंदू सदस्य नहीं हो सकता, तो वक्फ बोर्ड में गैर मुसलमानों को क्यों शामिल किया जा रहा है? ओवैसी ने साफ किया कि उन्हें हिंदू समुदाय से कोई व्यक्तिगत नफरत नहीं है, बल्कि यह धार्मिक और सांविधानिक सिद्धांत का मामला है।

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ओवैसी ने बांग्लादेश के मुद्दे पर भी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार बांग्लादेश के मामलों में ढुलमुल रवैया अपना रही है। ओवैसी ने पूछा, “बीजेपी वाले मुझसे पूछते हैं कि मैं बांग्लादेश पर क्यों नहीं बोलता। लेकिन सच्चाई यह है कि बांग्लादेश में हो रही घटनाओं के लिए मोदी सरकार ही जिम्मेदार है।”उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना को समर्थन दे रहे हैं, जबकि वहां से आतंकवाद फैलने की आशंका है। ओवैसी ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अगर उन्हें बांग्लादेश से इतनी समस्या है, तो वहां के साथ क्रिकेट मैच क्यों खेले जा रहे हैं?

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महाराष्ट्र चुनाव के पहले विवादित बयानों से सियासत गरमाई, नितेश राणे के बयान पर वारिस पठान का कड़ा पलटवार https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/maharashtra-before-elections/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/maharashtra-before-elections/#respond Sat, 21 Sep 2024 08:20:45 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5039 महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं। चुनावी माहौल के बीच नेताओं की बयानबाजी ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। बीजेपी नेता नितेश राणे ने एक बार फिर ऐसा विवादित बयान दिया है, जिससे राज्य की राजनीति गरमा गई है। 20 सितंबर को …

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महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं। चुनावी माहौल के बीच नेताओं की बयानबाजी ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। बीजेपी नेता नितेश राणे ने एक बार फिर ऐसा विवादित बयान दिया है, जिससे राज्य की राजनीति गरमा गई है। 20 सितंबर को संगोली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राणे ने कहा, “अगर केवल 24 घंटे के लिए पुलिसकर्मियों को छुट्टी दे दी जाए, तो हम अपनी ताकत दिखा देंगे।” नितेश राणे का यह बयान तेजी से विवादों का केंद्र बन गया है। एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान ने इस पर पलटवार करते हुए बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता जानबूझकर इस तरह के विवादित बयान दे रहे हैं ताकि चुनाव से पहले राज्य का माहौल बिगाड़ा जा सके।

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वारिस पठान ने अपने बयान में कहा, “राणे ने पहले भी विवादित बयान दिए हैं। उन्होंने कहा था कि हम मुसलमानों को मस्जिद में घुसकर मारेंगे। मैं यह कहता हूं कि मस्जिद में आएगा दो टांगों पर, लेकिन वापस स्ट्रेचर पर जाएगा।” पठान ने नितेश राणे के हालिया बयान पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “अगर मैं (वारिस पठान) ऐसा बयान देता, तो मुझे जेल में डाल दिया जाता।” उन्होंने आगे कहा कि राणे का बयान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है, फिर भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। “पुलिस की चुप्पी यह दिखाती है कि बीजेपी राज्य में सांप्रदायिक तनाव और दंगे-फसाद भड़काना चाहती है। वह जानबूझकर ऐसा माहौल पैदा कर रही है ताकि लोगों का ध्यान असली मुद्दों से हटाया जा सके,” पठान ने कहा।

यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी नेताओं के विवादित बयानों पर सवाल उठे हैं। कुछ समय पहले रामगिरी ने भी एआईएमआईएम के नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उस समय भी एआईएमआईएम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वारिस पठान ने यह आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव के मद्देनजर राज्य में सांप्रदायिक विभाजन को भड़काने की कोशिश कर रही है, क्योंकि वह विकास के नाम पर कुछ नहीं कर पाई है।

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महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मी के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी भी बढ़ गई है। बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच तीखी नोकझोंक जारी है। जहां बीजेपी अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इस तरह के बयानों का सहारा ले रही है, वहीं विपक्ष इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश के रूप में देख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र में इस बार के चुनाव काफी संवेदनशील होंगे, जहां न केवल विकास के मुद्दे, बल्कि सांप्रदायिक और सामाजिक विभाजन भी प्रमुखता से सामने आएंगे।

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भाजपा विधायक नितेश राणे के खिलाफ नफरत भरे भाषण पर दो एफआईआर दर्ज, महाराष्ट्र में राजनीतिक तनाव बढ़ा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/bjp-mla-nitesh-rane-k/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/04/bjp-mla-nitesh-rane-k/#respond Wed, 04 Sep 2024 05:56:47 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4621 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक नितेश राणे के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के आरोप में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। नितेश राणे, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के पुत्र हैं, पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र के अहमदनगर (जिसे अब अहिल्या नगर कहा जाता है) जिले में एक धार्मिक समुदाय …

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक नितेश राणे के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के आरोप में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। नितेश राणे, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के पुत्र हैं, पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र के अहमदनगर (जिसे अब अहिल्या नगर कहा जाता है) जिले में एक धार्मिक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए। ये घटनाएं रविवार को अहमदनगर जिले के श्रीरामपुर और तोफखाना इलाकों में सकल हिंदू समाज आंदोलन के आयोजनों के दौरान हुईं। एक वायरल वीडियो में, नितेश राणे को कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान देते हुए सुना गया, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय को महंत रामगिरी महाराज के खिलाफ कुछ भी न बोलने की चेतावनी दी। महंत रामगिरी महाराज पर हाल ही में पैगंबर मुहम्मद और इस्लाम के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणियां करने का आरोप लगा था। वीडियो में नितेश राणे ने कहा, “अगर आप अपने समुदाय की चिंता करते हैं, तो महाराज के बारे में एक शब्द भी न कहें।” इन आरोपों के आधार पर, श्रीरामपुर और तोफखाना पुलिस स्टेशनों में नितेश राणे और आयोजकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रवक्ता वारिस पठान ने इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर साझा किया और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से विधायक की गिरफ्तारी की मांग की। इसके अलावा, मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस आयुक्त विवेक फनसालकर से मुलाकात की और नितेश राणे और अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ भड़काऊ बयानों के लिए कार्रवाई की मांग की।

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा राज्य विधानसभा चुनाव से पहले दंगे भड़काना चाहती है। इस मामले पर नितेश राणे के पिता और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के सांसद नारायण राणे ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को फटकार लगाई है और उसे किसी भी धर्म को इस मामले में न घसीटने के लिए कहा है। मामला संवेदनशील होने के कारण प्रशासन ने इस पर कड़ी निगरानी रखी है। पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी में नितेश राणे पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही है।

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इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य में राजनीतिक माहौल को और भी गरम कर दिया है। जहां भाजपा ने अपने विधायक के बचाव में बयान दिया है, वहीं विपक्षी दलों ने इसे राज्य की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक गहमा-गहमी बढ़ने की संभावना है, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। इस मामले की जांच जारी है और पुलिस की ओर से इस पर जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट आने की उम्मीद है। महाराष्ट्र सरकार ने इस पर सख्त कदम उठाने का संकेत दिया है ताकि राज्य में किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक तनाव की स्थिति को टाला जा सके।

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वक्फ संशोधन विधेयक 2024: विपक्ष के विरोध और सरकार के तर्कों के बीच लोकसभा में पेश किया गया वक्फ संशोधन विधेयक. https://chaupalkhabar.com/2024/08/08/waqf-amendment-bill-2024-opposition/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/08/waqf-amendment-bill-2024-opposition/#respond Thu, 08 Aug 2024 09:16:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4216 केंद्रीय अल्पसंख्यक और कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया। लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते समय काफी हंगामा हुआ, जहां विपक्षी दलों ने इसे संविधान की बुनियादी धारणाओं पर हमला बताते हुए विरोध किया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP), और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) समेत …

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केंद्रीय अल्पसंख्यक और कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया। लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते समय काफी हंगामा हुआ, जहां विपक्षी दलों ने इसे संविधान की बुनियादी धारणाओं पर हमला बताते हुए विरोध किया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP), और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक को अस्वीकार्य बताते हुए सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के प्रमुख नेता केसी वेणुगोपाल ने इस विधेयक को संविधान की बुनियाद पर हमला करार दिया। उन्होंने लोकसभा में कहा, “हम हिंदू हैं, लेकिन हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह विधेयक महाराष्ट्र और हरियाणा में आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। पिछली बार जनता ने साफ संदेश दिया था, लेकिन सरकार ने उससे कुछ नहीं सीखा। यह विधेयक संघीय ढांचे पर सीधा आक्रमण है।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि इस विधेयक के जरिए सरकार वक्फ गवर्निंग काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान कर रही है, जोकि धर्म की स्वतंत्रता पर हमले को दर्शाता है। “इससे पहले आप ईसाइयों के पास जाएंगे, फिर जैनियों के पास। यह विधेयक विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा दे रहा है, जिसे भारत की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी,” वेणुगोपाल ने कहा। वहीं, सरकार ने इस विधेयक को मुस्लिम विरोधी मानने से इनकार किया है। जेडीयू और टीडीपी जैसी एनडीए की सहयोगी पार्टियों ने विधेयक का समर्थन किया। जेडीयू के सांसद ललन सिंह ने भी इस पर अपना पक्ष रखा और कहा, की “यह विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं है, बल्कि इस विधेयक को वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लाया गया है। विपक्ष इसे मंदिरों के मुद्दे से जोड़ रहा है, जो कि बिलकुल निराधार है। सरकार का अधिकार है कि वह किसी भी निरंकुश संस्था पर नियंत्रण के लिए कानून बनाए।”

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने भी इस विधेयक को मुसलमानों के खिलाफ मानने से इनकार करते हुए कहा, “यह मुसलमानों के खिलाफ कैसे हो सकता है? यह कानून पारदर्शिता लाने के लिए बनाया जा रहा है। विपक्ष इसे मंदिरों के साथ तुलना कर रहा है और मुख्य मुद्दे से भटका रहा है।” लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस सांसदों की एक बैठक बुलाई जिसमें वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा की गई। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और हिबी ईडेन ने इस विधेयक का विरोध करने के लिए नियम 72 के तहत एक नोटिस भी दिया था।

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कांग्रेस का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के जरिए राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों को सीमित करने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमणों को हटाने के मुद्दों को प्रभावी ढंग से निपटाने के बजाय सरकार इन शक्तियों को कमजोर कर रही है। वेणुगोपाल ने कहा, “यह विधेयक संघीय ढांचे पर सीधा आक्रमण है और संविधान की बुनियाद पर चोट करता है।” सरकार का दावा है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमणों को हटाने के मुद्दों को हल करने के लिए यह विधेयक आवश्यक है। राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों को सीमित करने के उद्देश्य से इस विधेयक में कई प्रावधान किए गए हैं, जो वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माने जा रहे हैं।

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संशोधन विधेयक 2024 को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखा मतभेद देखने को मिल रहा है। जहां सरकार इसे वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक आवश्यक कदम मानती है, वहीं विपक्ष इसे धर्म की स्वतंत्रता और संविधान की मूल भावना पर हमला बताकर विरोध कर रहा है। इस विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा में माहौल गर्म रहा, और आने वाले दिनों में इस पर और अधिक बहस की संभावना है।

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केंद्र पर ओवैसी का प्रहार, देश के सबसे गरीब मुसलमान, सबसे वंचित मुस्लिम महिलाएं; सरकार उन्हें मानती है अछूत.. https://chaupalkhabar.com/2024/07/29/owaisis-attack-on-the-center/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/29/owaisis-attack-on-the-center/#respond Mon, 29 Jul 2024 12:56:58 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4097 असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद, ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। ओवैसी ने आरोप लगाया है कि देश में मुसलमान सबसे गरीब और मुस्लिम महिलाएं सबसे ज्यादा वंचित हैं। उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वह मुसलमानों को …

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असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद, ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। ओवैसी ने आरोप लगाया है कि देश में मुसलमान सबसे गरीब और मुस्लिम महिलाएं सबसे ज्यादा वंचित हैं। उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वह मुसलमानों को अछूत मानती है। देश की कुल जनसंख्या का 14.2% हिस्सा मुसलमान हैं, लेकिन उनके आर्थिक हालात बेहद खराब हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की रिपोर्ट के अनुसार, मुसलमानों का प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय 1070 रुपये है, जो अन्य धर्मों के मुकाबले सबसे कम है। देश के 25% मुसलमान गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय औसत के मुकाबले मुसलमानों की बेरोजगारी दर भी अधिक है।

शैक्षणिक दृष्टि से भी मुसलमान पीछे हैं। मुसलमानों की साक्षरता दर 68.5% है, जबकि राष्ट्रीय साक्षरता दर 74% है। उच्च शिक्षा में भी मुसलमानों की भागीदारी काफी कम है। केवल 13.8% मुस्लिम युवा उच्च शिक्षा में दाखिला लेते हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 23.6% है। रोजगार के मामले में भी मुसलमानों की स्थिति दयनीय है। केवल 8% मुसलमान सरकारी नौकरियों में हैं, जबकि उनकी जनसंख्या 14.2% है। इसके अलावा, अधिकतर मुसलमान असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जहां वे न्यूनतम वेतन और सुविधाओं से वंचित रहते हैं।

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मुस्लिम महिलाओं की स्थिति और भी खराब है। उनकी साक्षरता दर केवल 51% है, जो कि राष्ट्रीय औसत 65% से काफी कम है। इसके अलावा, केवल 15% मुस्लिम महिलाएं कार्यरत हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 25% है। उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा में भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ओवैसी ने आरोप लगाया है कि सरकार की नीतियां मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू करने में सरकार ने कोताही बरती है। सच्चर कमिटी ने मुसलमानों की स्थिति सुधारने के लिए कई सिफारिशें की थीं, लेकिन उन्हें लागू करने में सरकार नाकाम रही है।

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ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत और भेदभाव बढ़ रहा है। उन्होंने मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का जिक्र किया, जिनमें मुसलमानों को निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार इन घटनाओं पर लगाम लगाने में असफल रही है। असदुद्दीन ओवैसी का यह बयान सरकार को चेतावनी है कि अगर मुसलमानों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है। मुसलमानों की आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार को गंभीरता से प्रयास करने होंगे। मुसलमानों की उन्नति के बिना देश की प्रगति संभव नहीं है। सरकार को मुसलमानों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी होगी और उनके विकास के लिए ठोस नीतियां बनानी होंगी।

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों के लिए नए निर्देश पर ओवैसी की कड़ी प्रतिक्रिया https://chaupalkhabar.com/2024/07/18/uttar-pradesh-government-gate/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/18/uttar-pradesh-government-gate/#respond Thu, 18 Jul 2024 12:07:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3944 कांवड़ यात्रा की शुरुआत अगस्त महीने से होने जा रही है, और इसके चलते उत्तर प्रदेश पुलिस ने कांवड़ रूट पर स्थित दुकानदारों के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली सभी दुकानों पर मालिक और वहां काम करने वाले कर्मचारियों के नाम स्पष्ट रूप …

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कांवड़ यात्रा की शुरुआत अगस्त महीने से होने जा रही है, और इसके चलते उत्तर प्रदेश पुलिस ने कांवड़ रूट पर स्थित दुकानदारों के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली सभी दुकानों पर मालिक और वहां काम करने वाले कर्मचारियों के नाम स्पष्ट रूप से लिखना अनिवार्य किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सावन महीने में होने वाली इस पवित्र यात्रा की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा और सुचारु यातायात के मद्देनजर यह निर्देश जारी किए हैं ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके। इसके बावजूद, इस निर्देश ने मुजफ्फरनगर में एक विवाद खड़ा कर दिया है।

इस विवाद को और अधिक तूल तब मिला जब एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस निर्देश की कड़ी निंदा की। ओवैसी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह अस्पृश्यता को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा, “यह निर्देश न केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि इससे सामाजिक विभाजन भी पैदा हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश के बाद, मुजफ्फरनगर की कई दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। यह निर्देश केवल एक समुदाय के खिलाफ काम करने का प्रतीक बन गया है।”

ओवैसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती देते हुए कहा, “अगर उनमें हिम्मत है, तो वे लिखित में यह आदेश जारी करें। यह निर्देश संविधान की मूल भावना के विपरीत है और इसके परिणामस्वरूप सामाजिक ताने-बाने को नुकसान हो सकता है।” दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि इस निर्देश का उद्देश्य केवल यात्रा मार्ग पर सुरक्षा सुनिश्चित करना है और इसमें किसी विशेष समुदाय के खिलाफ कोई पूर्वाग्रह नहीं है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह कदम यात्रा के दौरान किसी भी अव्यवस्था को रोकने के लिए उठाया गया है और इसका किसी धर्म या समुदाय से कोई संबंध नहीं है।

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कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु हरिद्वार के लिए प्रस्थान करते हैं। इस दौरान मार्ग में दुकानदारों की भागीदारी और उनके द्वारा दिए जाने वाले सहयोग को महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रशासन ने यह भी कहा है कि इस निर्देश का पालन न करने वालों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अगस्त में शुरू हो रही इस यात्रा को लेकर सरकार और प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन का मानना है कि इस निर्देश से यात्रा के दौरान सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और किसी भी प्रकार की अव्यवस्था को रोका जा सकेगा।

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“डोडा मुठभेड़ में पांच जवान शहीद, ओवैसी और महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना” https://chaupalkhabar.com/2024/07/16/doda-encounter-in-five-jawa/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/16/doda-encounter-in-five-jawa/#respond Tue, 16 Jul 2024 12:16:18 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3929 जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में रविवार देर रात आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना के पांच जवान बलिदान हो गए। सेना ने मंगलवार को इन बलिदानी जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस घटना के बाद, जम्मू क्षेत्र में बढ़ती आतंकी गतिविधियों पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने …

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जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में रविवार देर रात आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना के पांच जवान बलिदान हो गए। सेना ने मंगलवार को इन बलिदानी जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस घटना के बाद, जम्मू क्षेत्र में बढ़ती आतंकी गतिविधियों पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना को केंद्र सरकार की विफलता बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा, “मोदी जी आप तो कहते थे ‘घर में घुस कर मारेंगे’, फिर यह क्या है?” ओवैसी ने चेतावनी दी कि जम्मू में हालात बहुत खतरनाक होते जा रहे हैं और केंद्र सरकार आतंकवाद को नियंत्रित करने में असफल हो रही है।

सोमवार की रात 11 बजे के आसपास डोडा के देसा क्षेत्र के जंगल में सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें एक अधिकारी समेत पांच जवान बलिदान हो गए। यह मुठभेड़ पिछले 35 दिनों में डोडा क्षेत्र में चौथी मुठभेड़ थी। सोमवार को जम्मू और कठुआ जिलों में भी संदिग्ध गतिविधियां देखी गईं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पांच जवानों की जान जाने के बावजूद किसी की कोई जवाबदेही नहीं है। उन्होंने कहा, “अब तक तो सभी के सिर कट जाने चाहिए थे। डीजीपी को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था।” महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि मौजूदा डीजीपी राजनीतिक रूप से चीजों को ठीक करने में व्यस्त हैं और लोगों तथा पत्रकारों को परेशान किया जा रहा है।

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महबूबा मुफ्ती द्वारा भी आरोप लगाया गया है कि मौजूदा डीजीपी राजनीतिक रूप से चीजों को ठीक करने में व्यस्त हैं और लोगों तथा पत्रकारों को परेशान किया जा रहा है।

जो सैनिक मुठभेड़ में शहीद हुए है उन सैनिकों की पहचान कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी राजेश और सिपाही बिजेंद्र, सिपाही अजय के रूप में की गयी है। भारतीय सेना द्वारा अपने बलिदानी जवानों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की गयी और कहा कि सेना इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है। यह घटना कश्मीर घाटी के बाद अब जम्मू संभाग को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए जाने की बढ़ती घटनाओं का हिस्सा है। पिछले 32 महीनों में लगभग 50 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस बीच, सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखे हुए हैं, लेकिन राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है।

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‘हिंदू अगर जाग गए तो असद भाई के लिए ही दिक्कत होगी’, बोलीं हैदराबाद से चुनाव में उतरीं BJP उम्मीदवार…. https://chaupalkhabar.com/2024/03/05/%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%82-%e0%a4%85%e0%a4%97%e0%a4%b0-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%97-%e0%a4%97%e0%a4%8f-%e0%a4%a4%e0%a5%8b-%e0%a4%85%e0%a4%b8%e0%a4%a6-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%88/ https://chaupalkhabar.com/2024/03/05/%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%82-%e0%a4%85%e0%a4%97%e0%a4%b0-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%97-%e0%a4%97%e0%a4%8f-%e0%a4%a4%e0%a5%8b-%e0%a4%85%e0%a4%b8%e0%a4%a6-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%88/#respond Tue, 05 Mar 2024 07:04:16 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2442 तेलंगाना की हैदराबाद सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस बार डॉ. माधवी लता को उम्मीदवार घोषित किया है। इससे पहले, इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी ने AIMIM के रूप में उम्मीदवारी दी थी। इसके साथ ही, ओवैसी और माधवी लता के बीच संघर्ष की सीधी टक्कर की उम्मीद है। माधवी लता ने अपने …

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तेलंगाना की हैदराबाद सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस बार डॉ. माधवी लता को उम्मीदवार घोषित किया है। इससे पहले, इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी ने AIMIM के रूप में उम्मीदवारी दी थी। इसके साथ ही, ओवैसी और माधवी लता के बीच संघर्ष की सीधी टक्कर की उम्मीद है।

माधवी लता ने अपने वक्तव्य में ओवैसी को चुनौती देते हुए कहा कि वे अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाते हैं, लेकिन उनके निर्वाचन क्षेत्र में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। इसके बावजूद, क्या ओवैसी ने कभी इन अल्पसंख्यकों के हित में आवाज उठाई? उन्होंने धर्म के आधार पर नहीं, विकास के आधार पर काम करने का ऐलान किया है, खासकर महिलाओं के कल्याण के लिए। माधवी लता का पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं है, लेकिन उन्होंने हैदराबाद में समाज में बदलाव लाने के लिए काम किया है। वे तीन तलाक को खत्म करने के लिए मुस्लिम महिलाओं के साथ सहयोग करती रही हैं। इसके अलावा, माधवी लता भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साबित करती हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में भागवत राव को ओवैसी के खिलाफ उम्मीदवार घोषित किया गया था, जिससे बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा।

बीजेपी ने तेलंगाना में अपने वोट शेयर को बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भागवत राव को ओवैसी के खिलाफ उम्मीदवार घोषित किया गया था, जिससे बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा। माधवी लता का विरिंची नाम का अस्पताल है, जिसकी वह चेयरपर्सन हैं। उन्होंने अस्पताल के साथ- साथ स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है। वे लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लतामा फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। माधवी लता ने बेसहारा मुस्लिम महिलाओं के लिए एक छोटा सा कोष भी बनाया है और वह कई सांस्कृतिक संगठनों से भी जुड़ी रही हैं। उनकी सक्रियता और समाज सेवा के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें इस महत्वपूर्ण सीट पर उम्मीदवार बनाया है।

इस साथ ही, बीजेपी ने तेलंगाना में विकास के लिए उठाए गए कदमों को भी उजागर किया है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई योजनाओं के लाभ को पहुंचाने के लिए कई पहल की गई हैं। इस विकास के मामले में तेलंगाना के लोगों को भी समाहित किया जा रहा है, जिससे बीजेपी का वोट शेयर तेजी से बढ़ रहा है। इसी उत्साह के साथ माधवी लता को बीजेपी का उम्मीदवार बनाया गया है, जो कि एक नया चेहरा होने के साथ-साथ एक सक्रिय समाजसेविक भी हैं। इस रूप में, हैदराबाद सीट पर चल रहे चुनाव में माधवी लता की उम्मीद है कि वह विकास और समरसता के लिए एक सशक्त आवाज़ बनेंगी। उनकी सक्रिय सोशल सेवा के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए जनता की उम्मीदें भी उचित हैं कि वह इस सीट पर अपनी प्रगतिशील नीतियों के माध्यम से नया दिशा सूचित करेंगी।

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ज्ञानवापी मामले में ओवैसी का बड़ा बयान, “ज्ञानवापी सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद क्या होगा, कौन जानता है.. https://chaupalkhabar.com/2023/08/05/owaisi-statement-on-gyanvapi/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/05/owaisi-statement-on-gyanvapi/#respond Sat, 05 Aug 2023 07:27:49 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1347 पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा …

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पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि जब सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो कौन जानता है कि हालात कैसे होंगे?

 

 

“ज्ञानवापी को लेकर एएसआई की रिपोर्ट जब सार्वजनिक की जाएगी तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी?” असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया। उम्मीद है कि 23 दिसंबर या 6 दिसंबर की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी।याद रखें कि 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा बाबरी परिसर में “प्रकट” हुई। वहीं 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित भवन को गिरा दिया।

AIMIM प्रमुख ने लिखा, “अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए।” उम्मीद है कि हजारों बाबरी द्वार नहीं खुलेंगे।’

बता दें की, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की एक टीम ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक अध्ययन कर रही है। यह सर्वे मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाने का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। मस्जिद के वजूखाना में स्थित एक ढांचे को छोड़कर पूरी मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाएगा। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि यह निर्माण शिवलिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही वजूखाने में स्थित संरचना को सर्वेक्षण से सुरक्षित कर लिया है।

 

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

पूजा स्थल अधिनियम देश भर में 15 अगस्त 1947 को बनाए गए किसी भी पूजा स्थल को बनाए रखने या बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून किसी पूजा स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक अलग धार्मिक संप्रदाय में बदलने पर रोक लगाता है, यहां तक कि एक अलग विभाग में भी बदल देता है। राम जन्मभूमि विवाद और उससे संबंधित मुकदमे को इस कानून की धारा 5 के प्रावधानों से बचाया गया था।

2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर निर्णय दिया तो कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की भी प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो संविधान का मूल चरित्र है।

Brajesh Kumar

 

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पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने अदालत के आदेश के बाद ज्ञानवापी क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया है। AMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। शनिवार को ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में की गई टिप्पणी का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि जब सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो कौन जानता है कि हालात कैसे होंगे?

 

 

“ज्ञानवापी को लेकर एएसआई की रिपोर्ट जब सार्वजनिक की जाएगी तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी?” असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट किया। उम्मीद है कि 23 दिसंबर या 6 दिसंबर की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी।याद रखें कि 23 दिसंबर 1949 को रामलला की प्रतिमा बाबरी परिसर में “प्रकट” हुई। वहीं 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित भवन को गिरा दिया।

AIMIM प्रमुख ने लिखा, “अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए।” उम्मीद है कि हजारों बाबरी द्वार नहीं खुलेंगे।’

बता दें की, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की एक टीम ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक अध्ययन कर रही है। यह सर्वे मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाने का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। मस्जिद के वजूखाना में स्थित एक ढांचे को छोड़कर पूरी मस्जिद का सर्वेक्षण किया जाएगा। हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि यह निर्माण शिवलिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही वजूखाने में स्थित संरचना को सर्वेक्षण से सुरक्षित कर लिया है।

 

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

पूजा स्थल अधिनियम देश भर में 15 अगस्त 1947 को बनाए गए किसी भी पूजा स्थल को बनाए रखने या बदलने पर प्रतिबंध लगाता है। यह कानून किसी पूजा स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक अलग धार्मिक संप्रदाय में बदलने पर रोक लगाता है, यहां तक कि एक अलग विभाग में भी बदल देता है। राम जन्मभूमि विवाद और उससे संबंधित मुकदमे को इस कानून की धारा 5 के प्रावधानों से बचाया गया था।

2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या विवाद पर निर्णय दिया तो कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की भी प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो संविधान का मूल चरित्र है।

Brajesh Kumar

 

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