All India Congress Committee (AICC) - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 28 Sep 2024 09:53:43 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg All India Congress Committee (AICC) - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनावी संघर्ष, बीजेपी की कड़ी चुनौती https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/jammu-kashmir-and-haryana-m/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/jammu-kashmir-and-haryana-m/#respond Sat, 28 Sep 2024 09:53:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5149 जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इन चुनावों में खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि पार्टी को दोनों राज्यों में अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा …

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जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इन चुनावों में खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि पार्टी को दोनों राज्यों में अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा में 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए बीजेपी के सामने एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) का बड़ा संकट है। पिछले दस साल से राज्य में बीजेपी सत्ता में है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने बेरोजगारी, महंगाई, अग्निवीर योजना और किसान आंदोलन जैसे मुद्दों के जरिए बीजेपी पर प्रहार किया है। कांग्रेस लगातार राज्य में लोगों के सामने इन मुद्दों को उठा रही है और बीजेपी को इनका जवाब ढूंढने में अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।

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बीजेपी के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लगातार हरियाणा में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, लेकिन पार्टी को इस बार पहले से अधिक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। राज्य में भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए जनता को फिर से विश्वास में लेना होगा, खासकर तब जब कांग्रेस अपने अभियानों के जरिए लोगों के बीच प्रभाव बना रही है। जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पहले चरण का चुनाव 15 सितंबर को हो चुका है, जबकि दूसरा चरण 25 सितंबर को संपन्न हो रहा है। राज्य में तीसरे और आखिरी चरण का चुनाव 1 अक्टूबर को होगा। बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अकेले चुनाव लड़ रही है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस, इंडिया गठबंधन के तहत एक साथ चुनावी मैदान में हैं।

इंडिया गठबंधन ने सुरक्षा, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी को घेरने का प्रयास किया है, जिससे गठबंधन को बढ़त मिल रही है। अगर बीजेपी को इन मुद्दों पर प्रभावी जवाब नहीं मिलता, तो जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर हो सकता है, जिससे पार्टी को आगामी चुनावी राज्यों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस साल के अंत तक झारखंड और महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, जो बीजेपी के लिए अगली बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। झारखंड की 82 सीटों वाली विधानसभा में फिलहाल इंडिया गठबंधन की सरकार है। हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, बीजेपी को इस घटनाक्रम से थोड़ा फायदा हुआ है, लेकिन राज्य में इंडिया गठबंधन अभी भी मजबूत स्थिति में है।

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दूसरी तरफ, महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर बीजेपी की अगुआई वाली महायुति सरकार है। राज्य में महाविकास आघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना-उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी) का मनोबल लोकसभा चुनाव के अच्छे प्रदर्शन के बाद ऊंचा है। अगर बीजेपी जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में बेहतरीन प्रदर्शन नहीं करती है, तो इसका सीधा असर महाराष्ट्र और झारखंड में पार्टी के चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। इन चार राज्यों के चुनाव बीजेपी के लिए बड़े राजनीतिक संकेत हो सकते हैं।

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पश्चिम बंगाल कांग्रेस में बदलाव, अधीर रंजन की जगह शुभंकर सरकार बने नए अध्यक्ष. https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/west-bengal-congress/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/west-bengal-congress/#respond Mon, 23 Sep 2024 06:49:00 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5061 पश्चिम बंगाल कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक बदलाव हुआ है। कांग्रेस आलाकमान ने अधीर रंजन चौधरी को हटाकर शुभंकर सरकार को राज्य कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। शुभंकर सरकार, जो अभी …

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पश्चिम बंगाल कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक बदलाव हुआ है। कांग्रेस आलाकमान ने अधीर रंजन चौधरी को हटाकर शुभंकर सरकार को राज्य कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। शुभंकर सरकार, जो अभी तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सचिव पद पर कार्यरत थे, अब पश्चिम बंगाल कांग्रेस की कमान संभालेंगे। हालिया लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की स्थिति निराशाजनक रही। राज्य में पार्टी सिर्फ एक सीट, मालदा दक्षिण, पर जीत दर्ज कर सकी। अधीर रंजन चौधरी, जो बंगाल कांग्रेस के प्रमुख थे, खुद अपनी बहरामपुर सीट से हार गए। कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अधीर रंजन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस प्रदर्शन के बाद से ही उनके पद से हटने की अटकलें तेज हो गई थीं।

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अधीर रंजन चौधरी का ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ संबंध तनावपूर्ण रहा। वह ममता बनर्जी के कट्टर आलोचक माने जाते हैं, और इसी कारण टीएमसी के साथ कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो सका। माना जाता है कि उनके इस रुख के कारण राज्य में कांग्रेस को टीएमसी के साथ हाथ मिलाने का मौका नहीं मिला, जो पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर भारी पड़ा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी चुनाव के दौरान अधीर रंजन की इस नकारात्मक भूमिका पर उन्हें सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई थी। शुभंकर सरकार को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में उनकी गिनती होती है। शुभंकर का कांग्रेस में लंबा अनुभव रहा है, और उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं। इस साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया था और साथ ही अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, और मिजोरम का प्रभारी भी नियुक्त किया गया था। इससे पहले 2013 से 2018 तक वह कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और ओडिशा राज्य के प्रभारी के रूप में कार्यरत थे। उनकी संगठनात्मक क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही उन्हें अब पश्चिम बंगाल कांग्रेस की जिम्मेदारी दी गई है।

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शुभंकर सरकार के नेतृत्व में कांग्रेस को उम्मीद है कि वह पश्चिम बंगाल में पार्टी को एक नई दिशा दे सकेंगे और पार्टी के गिरते ग्राफ को रोकने के लिए नए सिरे से रणनीति बना सकेंगे। उनकी नियुक्ति को कांग्रेस की ओर से राज्य में संगठन को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति सुधारनी है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए शुभंकर सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। राज्य में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होने के कारण कांग्रेस की जमीन खिसकती जा रही है। ऐसे में शुभंकर सरकार को न केवल पार्टी के आंतरिक ढांचे को मजबूत करना होगा, बल्कि कार्यकर्ताओं में जोश और विश्वास भी भरना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह टीएमसी और ममता बनर्जी के साथ संबंधों को किस तरह से संभालते हैं, क्योंकि राज्य की राजनीति में टीएमसी का वर्चस्व है।

इस बड़े फेरबदल से कांग्रेस आलाकमान ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि पार्टी पश्चिम बंगाल में फिर से खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित करने की कोशिश करेगी। शुभंकर सरकार की नियुक्ति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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