allahabad high court - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 01 Aug 2024 11:06:56 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg allahabad high court - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय, मस्जिद पक्ष की अर्जियां खारिज https://chaupalkhabar.com/2024/08/01/shri-krishna-birthplace-royal/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/01/shri-krishna-birthplace-royal/#respond Thu, 01 Aug 2024 11:06:56 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4135 मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने मस्जिद पक्ष की तरफ से दायर अर्जियों को खारिज करते हुए मंदिर पक्ष के सिविल वादों को पोषणीय माना। इस फैसले को मंदिर पक्ष ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति की …

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मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने मस्जिद पक्ष की तरफ से दायर अर्जियों को खारिज करते हुए मंदिर पक्ष के सिविल वादों को पोषणीय माना। इस फैसले को मंदिर पक्ष ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। इस विवाद का इतिहास पुराना है और इसमें कई कानूनी मुद्दे जुड़े हुए हैं। मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, मियाद कानून, और वक्फ संपत्ति का हवाला देकर यह दावा किया था कि सिविल कोर्ट को इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। हालांकि, मंदिर पक्ष ने इन आपत्तियों को निराधार बताया और अपनी दलीलें मजबूती से रखीं।

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने इस फैसले को महत्वपूर्ण जीत करार दिया। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के सीपीसी के आदेश सात, रूल-11 के आवेदन को खारिज कर दिया है, जिससे मंदिर पक्ष के दावे को बल मिला है। मस्जिद पक्ष की तरफ से इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के संकेत दिए गए हैं, जिससे यह मामला और लंबा खिंच सकता है। मामले की पृष्ठभूमि में 18 सिविल वाद हैं, जिनमें से 15 की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने की थी। यह सभी वाद लगभग एक ही प्रकृति के थे। 31 मई 2024 को कोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था, लेकिन मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने सुनवाई के अधिकार की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया और 6 जून को मामले की पुनः सुनवाई की गई।

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मंदिर पक्ष की ओर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा सहित 18 पक्षकारों ने वाद दायर किया था। 26 मई 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन वादों को जिला न्यायालय मथुरा से मंगाकर हाई कोर्ट में चलाए जाने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर कोई स्टे नहीं दिया, जिससे हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रही। हाई कोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को विवादित संपत्ति के सर्वे के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ मस्जिद पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और स्टे की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट इलाहाबाद की कार्यवाही को जारी रखने के आदेश दिए थे। इसके बाद 7 नियम 11 की सुनवाई में कुल 32 तारीखें लगीं।

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मंदिर पक्ष का कहना है कि ईदगाह के पक्ष में कोई भी ठोस दस्तावेज विरोधी पक्ष के पास नहीं है, जिससे मंदिर पक्ष का दावा और मजबूत होता है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी, जिसमें दोनों पक्षों की दलीलों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। मस्जिद पक्ष की चुनौती और सुप्रीम कोर्ट में संभावित अपील इस मामले को और भी जटिल बना सकती है।

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SC ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, हिंदू पक्ष को झटका  SC ने कहा मथुरा शाही ईदगाह का सर्वे नहीं होगा https://chaupalkhabar.com/2024/01/16/sc-puts-stay-on-high-court-order-shock-to-hindu-side-sc-says-survey-of-mathura-shahi-idgah-will-not-be-done/ https://chaupalkhabar.com/2024/01/16/sc-puts-stay-on-high-court-order-shock-to-hindu-side-sc-says-survey-of-mathura-shahi-idgah-will-not-be-done/#respond Tue, 16 Jan 2024 07:30:14 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2156 सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिससे हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद और उत्तराधिकारिता के मुद्दे पर प्रकटता आई है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है, जिसमें शाही ईदगाह के सर्वे को लेकर आदेश दिया गया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि …

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सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिससे हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद और उत्तराधिकारिता के मुद्दे पर प्रकटता आई है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है, जिसमें शाही ईदगाह के सर्वे को लेकर आदेश दिया गया था।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह के बीच हुए विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने साफ किया है कि न्यायिक प्रक्रिया में स्थानीय सीमा को ध्यान में रखते हुए ही न्यायिक निर्णय लेना आवश्यक है। हिंदू पक्ष ने यह दावा किया कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और इसका सीधा संदेश है कि मस्जिद पहले हिंदू मंदिर थी। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को सटीक साक्षात्कार और साक्षायिक सबूतों की आवश्यकता होगी।

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वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की याचिका में यह प्रस्तुत किया गया कि जन्मस्थान पर कमल के आकार का स्तंभ है, जो हिंदू मंदिरों की विशेषता है। इसके अलावा, शेषनाग की छवि भी है, जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण देवता हैं। इससे स्पष्ट होता है कि जन्मस्थान पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी मौजूद हैं, जो मस्जिद के स्तंभों के निचले भाग पर पाए जाते हैं।

 

इस निर्णय से बातचीत में एक नया मोड़ आएगा, और सामाजिक सांघर्ता को सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर सही निर्णय देने का संकेत किया है। यह निर्णय दिखाता है कि न्यायिक प्रक्रिया में स्थानीय सामाजिक और धार्मिक संबंधों को ध्यान में रखना एक महत्वपूर्ण पहलू है, ताकि न्यायिक निर्णय सामाजिक सांघर्ता को बढ़ते विवादों से दूर रख सके। इस निर्णय के बाद, शाही ईदगाह के सर्वे के लिए अब एक न्यायिक कमीशन की नियुक्ति होगी, जिससे स्थानीय सामाजिक समृद्धि और सुरक्षा की दृष्टि से निर्णय लिया जा सके।

 

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय साफ रूप से बताता है कि न्यायिक प्रक्रिया में न्यायिक और सामाजिक मामलों को संतुलित रखना हमारे समाज के सुरक्षित और समृद्धिशील भविष्य की दिशा में एक प्रमुख कदम है।

 

By Neelam Singh

 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले मे मुस्लिम पक्ष को दिया बड़ा झटका https://chaupalkhabar.com/2023/12/19/allahabad-high-court-gave-a-big-blow-to-the-muslim-side-in-the-gyanvapi-case/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/19/allahabad-high-court-gave-a-big-blow-to-the-muslim-side-in-the-gyanvapi-case/#respond Tue, 19 Dec 2023 07:07:54 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2028 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले मे मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के 1991 के मुकदमे की ट्रायल की मंजूरी दे दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने पांच याचिकाएं भी खारिज कर दी हैं। काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जिसने 1991 के मुकदमे में ट्रायल की मंजूरी …

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मामले मे मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के 1991 के मुकदमे की ट्रायल की मंजूरी दे दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने पांच याचिकाएं भी खारिज कर दी हैं।

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जिसने 1991 के मुकदमे में ट्रायल की मंजूरी दी है, जो समाज में गहरी चर्चाओं का केंद्र बन गया है। यह फैसला न केवल भूमि स्वामित्व के विवाद को बढ़ा देगा, बल्कि समाज के सामाजिक-राजनीतिक रूपांतरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस निर्णय के परिणामस्वरूप, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं। इस मामले में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने मालिकाना हक विवाद के मुकदमों को चुनौती देने का साहस दिखाया है।

काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मामले की शुरुआत 1991 में हुई थी, जब पूजा स्थल के भूमि स्वामित्व पर विवाद शुरू हुआ था। इस विवाद में सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय जैसे वादी शामिल थे। तब से लेकर इस समय तक कई मोड़ आए, कई निर्णय लिए गए, लेकिन विवाद अभी भी जारी है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में विवादित मामलों में स्टे आदेश की वैधता की सीमा को निर्धारित किया था, जिससे इस मामले को अधिकारिक और निष्पक्ष तरीके से हल करने का मार्ग मिला। हालांकि, इस मामले में सर्वे का महत्त्वपूर्ण योगदान हो सकता है। विवादित स्थल पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मांग है कि वैज्ञानिक सर्वे द्वारा सत्यता का पता चले। इसके बाद ही विवाद का समाधान संभव होगा।

 

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इसमें उल्लेखनीय बात यह है कि इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया में समर्थन और विरोध दोनों ही पक्षों ने अपनी पक्षधरता को अच्छी तरीके से प्रस्तुत किया है। न्यायिक संस्था ने दोनों पक्षों की बात सुनी और समर्थन की दृष्टि से निर्णय देने का प्रयास किया है।

इस कठिनाई और विवाद से भरे मामले को ध्यान में रखते हुए, न्यायिक संस्थाओं को उच्चतम सतर्कता और निष्पक्षता से काम करना होगा। इसके साथ ही, समाज को भी शांति और सामंजस्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए संवेदनशीलता और समझदारी का होना जरूरी है।

विवादों के समाधान में न्यायिक संस्थाओं का योगदान महत्वपूर्ण होता है, परंतु समाज के भीतर सहयोग और समझौता बनाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अगली सुनवाई में जो भी निर्णय हो, उससे समाज को सामंजस्य, विश्वास और अधिक सहमति की दिशा में बढ़ने की उम्मीद है। इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से संचालन होना चाहिए।

सर्वे के परिणाम का इंतजार है, जो इस मामले को नए मोड़ पर ले जा सकता है। निष्कर्ष यह है कि न्यायिक प्रक्रिया की दिशा में बढ़ते हुए, समाज में भी सद्भावना और समझौता बढ़ाना आवश्यक है।

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वरुण गांधी ने अमेठी में संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के यूपी सरकार के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक की सराहना की https://chaupalkhabar.com/2023/10/06/varun-gandhi-share-happiness-allahabad-hc-stay-on-up-govt-order-licence-sanjay-gandhi-hospital-amethi/ https://chaupalkhabar.com/2023/10/06/varun-gandhi-share-happiness-allahabad-hc-stay-on-up-govt-order-licence-sanjay-gandhi-hospital-amethi/#respond Fri, 06 Oct 2023 08:51:41 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1825 भाजपा सांसद वरुण गांधी ने गुरुवार को अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने की सराहना की और जिले के लोगों के साथ-साथ अस्पताल के कर्मचारियों को उनकी “कड़ी मेहनत” से मिली जीत पर बधाई दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट …

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भाजपा सांसद वरुण गांधी ने गुरुवार को अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने की सराहना की और जिले के लोगों के साथ-साथ अस्पताल के कर्मचारियों को उनकी “कड़ी मेहनत” से मिली जीत पर बधाई दी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने सर्जरी के बाद 22 वर्षीय महिला की मौत पर अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के सरकार के आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल के खिलाफ जांच जारी रहेगी और राज्य सरकार से अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा।

 

एक्स पर एक पोस्ट में वरूण गांधी ने कहा: “उच्च न्यायालय ने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन पर रोक लगा दी है। मैं अमेठी के लोगों और अस्पताल के सैकड़ों कर्मचारियों को उनकी कड़ी मेहनत से मिली जीत पर बधाई देता हूं।” उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद ने कहा, “आप सभी के लिए मेरी कामना है कि आपका अपना संजय गांधी अस्पताल कई वर्षों तक सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित रहे।”

 

न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के खिलाफ अस्पताल के मुख्य परिचालन अधिकारी अवधेश शर्मा द्वारा दायर एक रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया है।

 

Brajesh Kumar

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ASI ने ज्ञानवापी क्षेत्र पर सर्वे शुरू किया, विवादित स्थानों को लेकर हो सकते हैं बड़े खुलासे https://chaupalkhabar.com/2023/08/04/asi-starts-survey-today-in-gyanvapi/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/04/asi-starts-survey-today-in-gyanvapi/#respond Fri, 04 Aug 2023 05:55:08 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1327 वाराणसी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी मस्जिद की जांच फिर से शुरू की है। क्या यह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाया गया था, यह जानने की कोशिश जारी है। सुप्रीम कोर्ट में सर्वे को मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।   1.गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ मंजूर कर दिया, …

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वाराणसी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी मस्जिद की जांच फिर से शुरू की है। क्या यह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाया गया था, यह जानने की कोशिश जारी है। सुप्रीम कोर्ट में सर्वे को मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।

 

1.गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ मंजूर कर दिया, क्योंकि यह न्याय के हित में आवश्यक था।

2. पीठ ने 16 पेज के फैसले में कहा, “न्यायालय की राय में, प्रस्तावित वैज्ञानिक सर्वेक्षण/जांच न्याय के हित में आवश्यक है और इससे वादी और प्रतिवादी दोनों को समान लाभ होगा और न्यायोचित निर्णय पर पहुंचने में ट्रायल कोर्ट को मदद मिलेगी।” (ट्रायल) कोर्ट का विवादग्रस्त आदेश पारित करना उचित है,’

 

3.बीजेपी के कई नेताओं ने हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अब उस स्थान पर मंदिर के बारे में “सच्चाई” सामने आ जाएगी।

 

 

4.मस्जिद समिति ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जो आज बाद में सुनवाई होगी।

5.हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर कहा कि इस मामले में उनका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए।

6.हिंदू याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था, लेकिन 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब ने इसे ध्वस्त कर दिया।

7.सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी मस्जिद परिसर में किसी भी जांच पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मस्जिद का ‘वज़ुखाना’, जहां याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि वह संरचना ‘शिवलिंग’ थी, नए सर्वेक्षण के दायरे में नहीं आएगा।

8. 21 जुलाई को वाराणसी जिला अदालत ने एक “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” का आदेश दिया जब चार महिलाओं ने एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि ऐतिहासिक मस्जिद को एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था या नहीं।

 

Brajesh Kumar 

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ASI सर्वे जारी रहेगा, ज्ञानवापी मामले में बड़ा फैसला, मुस्लिम पक्ष को झटका, https://chaupalkhabar.com/2023/08/03/alllahabad-high-court-allows-asi-to-start-gyanvapi-survey/ https://chaupalkhabar.com/2023/08/03/alllahabad-high-court-allows-asi-to-start-gyanvapi-survey/#respond Thu, 03 Aug 2023 06:01:35 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1317 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई का सर्वे को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को हरी झंडी दे दी है।  दरअसल, 21 जुलाई को वाराणसी जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी …

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई का सर्वे को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को हरी झंडी दे दी है। 

दरअसल, 21 जुलाई को वाराणसी जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे का आदेश दिया था।उसके बाद  मस्जिद कमिटी ने सर्वे के फैसले को सुप्रीम कोर्ट और फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी । 

 

मुस्लिम पक्ष के अपील को अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सर्वे न्यायहित में आवश्यक है। इसे कुछ शर्तों के साथ लागू करना आवश्यक है।

 

वाराणसी जिला जज एके विश्वेश ने पिछले दिनों मस्जिद के आसपास एक वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था। चार अगस्त तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट को सौंपनी थी। जिला अदालत के आदेश के बाद सोमवार को एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण करने पहुंची। लेकिन सर्वे का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 

 

मस्जिद कमिटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया। जिसके बाद मुसलमान पक्ष हाईकोर्ट पहुंचा। मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उसे खारिज कर दिया  है। 

 

कोर्ट में दलील देते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील एसएफए नकवी ने ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से मूल ढांचे को नुकसान पहुंचने की आशंका व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि देश अयोध्या के बाबरी मसले से पीड़ित है। सिविल वाद में पोषणीयता का मुद्दा निर्धारित किये बिना जल्दबाजी में खोदाई और सर्वेक्षण करना घातक हो सकता है।

 

ASI ने मुस्लिम पक्ष की दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सर्वेक्षण की तकनीक मूल ज्ञानवापी संरचना को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और सौरभ तिवारी ने कहा कि वे ज्ञानवापी की सच्चाई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण के जरिए पता लगाना चाहते हैं।

सुनवाई के दौरान प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कहा कि राज्य सरकार याचिका में पक्षकार नहीं है, लेकिन सर्वेक्षण होने पर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी लेने को तैयार है।

Brajesh Kumar

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