Anti rape bill - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 06 Sep 2024 07:33:11 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Anti rape bill - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 पश्चिम बंगाल में अपराजिता बिल की मंजूरी में देरी, गवर्नर आनंद बोस ने ममता सरकार पर उठाए सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/undefeated-in-west-bengal/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/undefeated-in-west-bengal/#respond Fri, 06 Sep 2024 07:33:11 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4702 पश्चिम बंगाल के गवर्नर आनंद बोस ने ममता बनर्जी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सरकार ने अपराजिता बिल को मंजूरी देने में अनावश्यक देरी की है। गवर्नर के अनुसार, ममता सरकार ने इस बिल के साथ जरूरी तकनीकी रिपोर्ट नहीं भेजी है, जिससे इसे मंजूरी नहीं मिल …

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पश्चिम बंगाल के गवर्नर आनंद बोस ने ममता बनर्जी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सरकार ने अपराजिता बिल को मंजूरी देने में अनावश्यक देरी की है। गवर्नर के अनुसार, ममता सरकार ने इस बिल के साथ जरूरी तकनीकी रिपोर्ट नहीं भेजी है, जिससे इसे मंजूरी नहीं मिल पा रही है। इस समस्या के कारण बिल पेंडिंग है और यह समस्या पुरानी है, क्योंकि ममता सरकार पहले भी कई बार विधानसभा से पास हुए बिलों की तकनीकी रिपोर्ट राजभवन को नहीं भेजी है। राजभवन ने 5 सितंबर को जारी बयान में बताया कि गवर्नर आनंद बोस ममता सरकार के इस रवैये से नाखुश हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री की सरकार ने महिलाओं से जुड़े इस महत्वपूर्ण बिल की पूरी तैयारी नहीं की है। उनका आरोप है कि ममता सरकार ऐसी स्थिति उत्पन्न करती रही है, जिससे बिलों को मंजूरी मिलने में बाधा आती है और फिर इसका दोष राजभवन पर लगाया जाता है।

3 सितंबर को, ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक महत्वपूर्ण एंटी-रेप बिल पेश किया था। यह बिल विशेष रूप से कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उठे सवालों के संदर्भ में पेश किया गया था। इस घटना के बाद राज्य भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, जिसने सरकार को यह कदम उठाने पर मजबूर किया। एंटी-रेप बिल के अनुसार, पुलिस को रेप के मामलों की जांच 21 दिन के भीतर पूरी करनी होगी। विधानसभा में इस बिल को पास करने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद, यह बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही यह कानून में बदल सकेगा।

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गवर्नर आनंद बोस ने ममता सरकार पर साधा निशाना, यह आरोप लगाते हुए कि एंटी-रेप बिल आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश के बिलों की नकल है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे बिल पहले से राष्ट्रपति के पास पेंडिंग हैं और ममता बनर्जी धरना-प्रदर्शनों में भाग लेकर लोगों को धोखा दे रही हैं। उनका कहना है कि ममता सरकार ने विरोध प्रदर्शन की आड़ में कानून बनाने के मामले में वास्तविक प्रगति नहीं की है।

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गवर्नर के आरोपों और ममता सरकार के रवैये पर राजनीतिक हलकों में विवाद हो सकता है, और यह मुद्दा राज्य की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। ममता सरकार को अब तकनीकी रिपोर्टों को सही समय पर राजभवन भेजने की आवश्यकता है, ताकि अपराजिता बिल को मंजूरी मिल सके और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदम प्रभावी बन सकें।

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कोलकाता विधानसभा में पारित एंटी रेप बिल, सजा-ए-मौत सहित प्रमुख प्रावधानों की जानकारी. https://chaupalkhabar.com/2024/09/03/kolkata-assembly-in-across/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/03/kolkata-assembly-in-across/#respond Tue, 03 Sep 2024 10:24:56 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4596 पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने राज्य विधानसभा में एंटी रेप बिल, जिसे “अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024” नाम दिया गया है, को सफलतापूर्वक पारित कर दिया है। इस विधेयक को कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद विशेष सत्र के दौरान पेश किया गया। विधानसभा …

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पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने राज्य विधानसभा में एंटी रेप बिल, जिसे “अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024” नाम दिया गया है, को सफलतापूर्वक पारित कर दिया है। इस विधेयक को कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद विशेष सत्र के दौरान पेश किया गया। विधानसभा का यह सत्र खास तौर पर इस मुद्दे पर चर्चा और विधेयक के पारित करने के लिए बुलाया गया था। इस विधेयक के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में इस पर बोलते हुए देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2020 में 20 साल की दलित महिला के साथ रेप और बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में 2013 में एक कॉलेज छात्रा की रेप और बर्बर हत्या के मामलों का उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने जयपुर में हाल ही में एक सरकारी अस्पताल में एक बच्चे के साथ रेप की घटना को भी सामने रखा। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर असामान्य रूप से अधिक है, और वहां महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिम बंगाल की महिलाओं को न्याय मिलेगा और इस विधेयक के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को सख्त सजा मिले।

विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून तुरंत प्रभाव से लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि इस विधेयक को लागू किया जाए और इसका परिणाम दिखे। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान को सुनने की बात कही, लेकिन साथ ही यह भी मांग की कि इस बिल को बिना किसी देरी के लागू किया जाए।

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एंटी रेप बिल के प्रमुख प्रावधान

इस विधेयक में रेप और हत्या के दोषियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। प्रमुख बिंदुओं में शामिल हैं:

1. मौत की सजा:  रेप और हत्या के दोषियों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है।

2. चार्जशीट और सजा:  चार्जशीट दाखिल करने के 36 दिनों के भीतर दोषी को सजा-ए-मौत का प्रावधान है।

3. तेजी से जांच:  इस विधेयक के तहत 21 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी।

4. अपराधियों की मदद करने पर सजा:  अपराधियों की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान है।

5. स्पेशल टास्क फोर्स:  हर जिले में स्पेशल “अपराजिता टास्क फोर्स” का गठन किया जाएगा, जो रेप, एसिड अटैक और छेड़छाड़ के मामलों में तुरंत कार्रवाई करेगी।

6. एसिड अटैक पर सजा:  एसिड अटैक के दोषियों के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।

7. पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजा:  पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों को 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान है।

8. तेजी से सुनवाई:  विधेयक में BNSS प्रावधानों में संशोधन करते हुए सभी यौन अपराधों और एसिड अटैक की सुनवाई 30 दिनों में पूरी करने का प्रावधान शामिल है।

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विधेयक का कानून बनना

इस विधेयक के कानून बनने के लिए अब राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है। विधानसभा में इस बिल का पारित होना इसलिए आसान रहा क्योंकि 294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के पास 223 विधायकों का समर्थन है। लेकिन राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त करना कठिन हो सकता है। इसका उदाहरण 2019 के आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक और 2020 के महाराष्ट्र शक्ति विधेयक हैं, जिनमें सभी रेप मामलों के लिए सिर्फ मौत की सजा का प्रावधान था, लेकिन उन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी आज तक नहीं मिली है। इस विधेयक में BNSS और 2012 के पोक्सो अधिनियम के कुछ हिस्सों में संशोधन करते हुए, पीड़िता की उम्र चाहे जो भी हो, यौन उत्पीड़न के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की घटना के बाद जनता के गुस्से और न्याय की मांग के बीच, ममता बनर्जी ने इस एंटी रेप बिल को लाने का निर्णय लिया। अब इस विधेयक का कानून बनना इस पर निर्भर करेगा कि इसे राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलती है या नहीं।

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