ARTICLE 370 - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 07 Oct 2024 06:53:27 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg ARTICLE 370 - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 एससीओ बैठक में हिस्सा लेने पाकिस्तान जाएंगे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, 9 साल बाद पहली बार भारत का कोई मंत्री करेगा यात्रा https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/sco-meeting-in-part-lane/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/sco-meeting-in-part-lane/#respond Mon, 07 Oct 2024 06:53:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5237 भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर 15-16 को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) की होगी, जिसकी अध्यक्षता इस बार पाकिस्तान कर रहा है। इस बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इसलिए खास मानी जा …

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर 15-16 को पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) की होगी, जिसकी अध्यक्षता इस बार पाकिस्तान कर रहा है। इस बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि बीते 9 सालों में यह पहला मौका होगा जब भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेगा। इससे पहले, दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं, लेकिन उसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में काफी तनाव रहा है और कोई भी भारतीय मंत्री वहां नहीं गया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस यात्रा की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि यह दौरा एससीओ चार्टर के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “भारत एससीओ चार्टर को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और विदेश मंत्री की यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस चार्टर के तहत दिए गए दायित्वों को निभाना है।” साथ ही उन्होंने इस यात्रा को भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों के सुधार से जोड़कर देखने से मना कर दिया। उन्होंने साफ किया कि यह दौरा केवल एससीओ के संदर्भ में है और इसका कोई अन्य राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

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पाकिस्तान ने एससीओ की इस बैठक के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा था। अगस्त 2024 में पाकिस्तान की विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस बैठक के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा गया है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान दौरे को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस निमंत्रण पर स्पष्ट शब्दों में कहा था कि “पाकिस्तान से बातचीत का समय समाप्त हो चुका है”। जयशंकर ने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद अब इस मुद्दे का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है और भारत पाकिस्तान के साथ किसी प्रकार के रिश्ते पर विचार करने की स्थिति में नहीं है।

भारत और पाकिस्तान दोनों एससीओ के सदस्य देश हैं और इस संगठन के तहत दोनों देशों के अधिकारियों ने समय-समय पर बैठकें की हैं। पिछले साल जुलाई 2023 में भारत ने वर्चुअल माध्यम से एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑनलाइन हिस्सा लिया था। इसके अलावा मई 2023 में गोवा में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने हिस्सा लिया था। यह उनके भारत दौरे का दुर्लभ मौका था, लेकिन दोनों देशों के बीच कड़वाहट उस समय भी स्पष्ट थी।

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एससीओ का गठन 2001 में हुआ था और यह संगठन सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जाना जाता है। इसमें आठ स्थायी सदस्य देश हैं, जिनमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में इस संगठन के स्थायी सदस्य बने थे।

हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर और सीमा पर तनाव जैसे मुद्दों ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को और जटिल बना दिया है। इसके बावजूद एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंच पर दोनों देशों की भागीदारी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह दोनों देशों के अधिकारियों को एक साथ लाने का अवसर प्रदान करता है। इस बार पाकिस्तान द्वारा आयोजित की जा रही एससीओ बैठक में एस जयशंकर की भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत इस संगठन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से लेता है।

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जम्मू-कश्मीर के सांबा विधानसभा में सीएम मोहन यादव का कांग्रेस पर प्रहार, अनुच्छेद 370 और बंटवारे को ठहराया जिम्मेदार https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/samba-method-of-jammu-and-kashmir/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/samba-method-of-jammu-and-kashmir/#respond Mon, 23 Sep 2024 10:10:31 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5068 मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को जम्मू-कश्मीर के सांबा विधानसभा सीट पर आयोजित एक जनसभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार सुरजीत सिंह सलाथिया के समर्थन में जोरदार भाषण दिया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए राज्य में अनुच्छेद 370 लागू होने के लिए कांग्रेस की …

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को जम्मू-कश्मीर के सांबा विधानसभा सीट पर आयोजित एक जनसभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार सुरजीत सिंह सलाथिया के समर्थन में जोरदार भाषण दिया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए राज्य में अनुच्छेद 370 लागू होने के लिए कांग्रेस की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। डॉ. यादव ने कहा कि देश के विभाजन के समय कांग्रेस ने कई गलतियां कीं, जिनका खामियाजा आज तक देश को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने विशेष रूप से पंजाब के विभाजन को एक गंभीर त्रुटि बताया और कहा कि यह कांग्रेस के गलत फैसलों का परिणाम था कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू हुआ, जिसने राज्य की प्रगति में रोड़ा अटकाया।

सीएम यादव ने अपने भाषण में उन आलोचकों पर भी निशाना साधा जिन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद खून-खराबे की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा, “जो लोग कहते थे कि अनुच्छेद 370 हटेगा तो खून की नदियां बहेंगी, वे आज देख सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर कैसे शांति और विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में भारत नई ऊँचाइयों को छू रहा है और जम्मू-कश्मीर भी प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कांग्रेस की विफलताओं को भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कारण जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक विकास की मुख्यधारा से अलग रखा गया। कांग्रेस के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के लोग असुरक्षा और पिछड़ेपन का शिकार रहे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर को देश के अन्य हिस्सों से अलग रखा, जिसके कारण वहां की जनता को आवश्यक सुविधाएं और विकास के अवसर नहीं मिल पाए।

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जनसभा के दौरान सीएम मोहन यादव ने यह विश्वास व्यक्त किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अपने दम पर सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से बीजेपी काम कर रही है, उसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि जनता विकास, शांति और सुरक्षा के लिए बीजेपी को भारी समर्थन देगी।” उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब नव ऊर्जा के साथ विकास की नई गाथा लिखी जा रही है, और जनता ने बीजेपी को अपना आशीर्वाद देने का मन बना लिया है।

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सीएम यादव ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन पर तीखा हमला करते हुए कहा कि दोनों पार्टियां वही भाषा बोल रही हैं, जो पाकिस्तान बोल रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि इन दलों का रजिस्ट्रेशन भारत में है या पाकिस्तान में। यादव ने जोर देकर कहा कि ऐसे दलों से जम्मू-कश्मीर को कोई उम्मीद नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उनके एजेंडा में केवल सत्ता हासिल करना है, जबकि बीजेपी विकास, राष्ट्रवाद और शांति की बात करती है। सीएम मोहन यादव ने अपने ट्वीट के जरिए भी जनता को संबोधित किया। उन्होंने लिखा, “जम्मू-कश्मीर के घगवाल में सांबा विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी सुरजीत सिंह सलाथिया के समर्थन में आयोजित ‘विजय संकल्प सभा’ को संबोधित किया। कांग्रेस के गलत निर्णयों ने राज्य को प्रगति से दूर रखा, लेकिन आज जम्मू-कश्मीर नवीन ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार है।”

 

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कांग्रेस और एनसी पर PM मोदी का तीखा हमला कहा, जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के एजेंडे को लागू नहीं होने दिया जाएगा 370 की वापसी कोई भी शक्ति नहीं करवा सकती” https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/congress-and-nc-are-tough/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/congress-and-nc-are-tough/#respond Thu, 19 Sep 2024 12:04:07 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4991 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के कटड़ा में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया, जहां उन्होंने कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) पर जमकर हमला बोला। मोदी ने कहा कि दुनिया की कोई ताकत जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं करा सकती और पाकिस्तान के एजेंडे को राज्य में लागू नहीं …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के कटड़ा में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया, जहां उन्होंने कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) पर जमकर हमला बोला। मोदी ने कहा कि दुनिया की कोई ताकत जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं करा सकती और पाकिस्तान के एजेंडे को राज्य में लागू नहीं होने देंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में जम्मू-कश्मीर की बदलती तस्वीर की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि पहले लाल चौक पर आना और तिरंगा फहराना जोखिम भरा काम था, लेकिन अब वहां की स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। श्रीनगर के बाजारों में अब ईद और दीवाली दोनों की रौनक देखने को मिलती है और लाल चौक पर देर शाम तक चहल-पहल रहती है। इस क्षेत्र में रिकॉर्ड संख्या में टूरिस्ट भी आ रहे हैं।

मोदी ने जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने संसद में इस घोषणा को दोहराया और कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और एनसी पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान ने खुद इन पार्टियों की पोल खोल दी है, क्योंकि पाकिस्तान का समर्थन कांग्रेस और एनसी के एजेंडे के साथ मेल खाता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद आतंकवाद और अलगाववाद कमजोर पड़ गए हैं। उन्होंने माता के भक्तों पर हालिया हमले का भी जिक्र किया और शहीद विजय कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर अब स्थायी शांति की ओर बढ़ रहा है और आतंकवाद से पूरी तरह मुक्त होगा।

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मोदी ने रियासी और उधमपुर के लोगों को संबोधित करते हुए कांग्रेस, एनसी और पीडीपी पर आरोप लगाया कि इन पार्टियों ने चिनाब ब्रिज के निर्माण की फाइल को दबा दिया था। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय स्वीकृत हुआ यह पुल अब एक शानदार सुविधा और आकर्षण का केंद्र बन चुका है। कांग्रेस पर हमला करते हुए मोदी ने कहा कि यह पार्टी केवल वोट बैंक की राजनीति करती है और डोगरा विरासत पर हमला करने वाली है। उन्होंने कांग्रेस के शाही परिवार को भ्रष्ट करार दिया और कहा कि यह परिवार भारत में भ्रष्टाचार की जड़ है। मोदी ने कांग्रेस के शाही परिवार के एक सदस्य द्वारा विदेश में देवी-देवताओं के प्रति अपमानजनक बयान देने की भी आलोचना की।

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प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा की उपलब्धियों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भाजपा ही है जिसने दशकों से चले आ रहे भेदभाव को खत्म किया है और जम्मू-कश्मीर की आस्था और संस्कृति को सम्मान देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारें हमेशा वोटों के लिए आस्था और संस्कृति को दांव पर लगाती रही हैं। अंत में, मोदी ने जनता से कांग्रेस, पीडीपी और एनसी के खिलाफ मतदान करने की अपील की और कहा कि इन पार्टियों की राजनीतिक विरासत का सूर्य अस्त करना आवश्यक है। उन्होंने भाजपा को कमल के निशान को चुनने का आह्वान किया और कहा कि यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के भविष्य को तय करने का है।

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अनुच्छेद 370 पर ख्वाजा आसिफ के बयान से मचा राजनीतिक घमासान, भाजपा का कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर हमला https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/article-370-on-khwaja-asif-k/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/article-370-on-khwaja-asif-k/#respond Thu, 19 Sep 2024 10:00:36 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4981 पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान ने भारत की राजनीति में एक बार फिर से उथल-पुथल मचा दी है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के रुख का समर्थन करते हुए पाकिस्तान की ओर से खुला समर्थन दिया है। पाकिस्तान के इस …

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान ने भारत की राजनीति में एक बार फिर से उथल-पुथल मचा दी है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के रुख का समर्थन करते हुए पाकिस्तान की ओर से खुला समर्थन दिया है। पाकिस्तान के इस बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला किया है। भाजपा का कहना है कि इससे एक बार फिर साबित हो गया है कि कांग्रेस और पाकिस्तान का एजेंडा एक है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने यह बयान जियो न्यूज के शो ‘कैपिटल टॉक’ में दिया, जिसे वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर होस्ट करते हैं। इस शो में उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ खड़ा है। इसके जवाब में ख्वाजा आसिफ ने कहा कि “बिल्कुल, यहां तक ​​कि हमारी मांग भी यही है।” उनका यह बयान भारत की राजनीति में हलचल पैदा करने वाला था क्योंकि अनुच्छेद 370 और 35ए भारत के आंतरिक मामलों से जुड़ा हुआ है और इस पर पाकिस्तान का समर्थन भारतीय राजनीति में विवाद का विषय बन जाता है।

ख्वाजा आसिफ के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला बोला। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के इस बयान ने एक बार फिर कांग्रेस की “सच्चाई” को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का आर्टिकल 370 और 35ए पर कांग्रेस और JKNC के समर्थन की बात ने एक बार फिर कांग्रेस को एक्सपोज कर दिया है। इस बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस और पाकिस्तान के इरादे भी एक हैं और एजेंडा भी।” अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विशेष रूप से निशाना साधते हुए कहा, “राहुल गांधी पिछले कुछ वर्षों से भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े हैं। चाहे वह एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने की बात हो या भारतीय सेना के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने की बात, राहुल गांधी और कांग्रेस का पाकिस्तान से सुर हमेशा एक रहा है।”

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अनुच्छेद 370 और 35ए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता था, जिसे केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को हटाया था। इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया और इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। पाकिस्तान ने इस फैसले का हमेशा विरोध किया है और लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे उठाता रहा है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के फैसले की आलोचना की थी और इसे जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता पर हमला बताया था। हालांकि, भाजपा और केंद्र सरकार का तर्क है कि अनुच्छेद 370 और 35ए का हटाया जाना आवश्यक था ताकि जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा में लाया जा सके और वहां विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार के रहते जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस और पाकिस्तान यह भूल जाते हैं कि अब केंद्र में मोदी सरकार है। कश्मीर में न तो अनुच्छेद 370 वापस आएगा और न ही आतंकवाद।” इस पूरे विवाद के बीच कांग्रेस ने पाकिस्तान के बयान से खुद को अलग कर लिया है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर देश की संप्रभुता और अखंडता के साथ खड़ी है।

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ख्वाजा आसिफ के इस बयान के बाद भारत में राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। भाजपा इसे कांग्रेस के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जबकि कांग्रेस अपने रुख को सही ठहराने की कोशिश कर रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर के हितों के लिए संघर्ष करती रहेगी, चाहे पाकिस्तान कुछ भी कहे। यह विवाद आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की राजनीति और राष्ट्रीय राजनीति पर असर डाल सकता है, खासकर जब 2024 के आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं।

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अमित शाह ने दी चुनौती, ‘बाबा मन्हास की कसम खाकर कहता हूं, धारा 370 की वापसी नहीं होने दूंगा’, राहुल गांधी पर साधा निशाना. https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/amit-shah-gave-challenge-baba/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/07/amit-shah-gave-challenge-baba/#respond Sat, 07 Sep 2024 08:03:14 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4726 जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दौरा हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, और इस बार भी वह अपने दो दिवसीय दौरे पर जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। जनसभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विकास और शांति का मुद्दा उठाया और विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने साफ़ कहा कि …

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जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दौरा हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, और इस बार भी वह अपने दो दिवसीय दौरे पर जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। जनसभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विकास और शांति का मुद्दा उठाया और विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने साफ़ कहा कि अगर विपक्ष सत्ता में आया, तो राज्य में विकास ठप हो जाएगा और आतंकवाद का खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास के प्रति प्रतिबद्ध है। अमित शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जैसी पार्टियों पर तीखे शब्दों में हमला करते हुए कहा कि उनके सत्ता में आने से आतंकवाद को फिर से बल मिलेगा। उन्होंने कहा, “अगर नेकां (नेशनल कॉन्फ्रेंस) सत्ता में आती है, तो आतंकवाद बढ़ेगा।” शाह ने फारूक अब्दुल्ला की पार्टी और कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधा बताया और कहा कि भाजपा ने राज्य को आतंकवाद की आग से बचाने के लिए कठोर कदम उठाए हैं।

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अमित शाह ने भाजपा के शासन में किए गए विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि जम्मू में हजारों करोड़ रुपये के विकास कार्य किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने आतंकियों का चुन-चुन कर सफाया किया है और श्री अमरनाथ यात्रा को भयमुक्त वातावरण में संपन्न कराने में सफलता पाई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सब भाजपा के शासन में संभव हुआ है और अगर विपक्ष सत्ता में आया तो आतंकवाद और अस्थिरता लौट आएगी। शाह ने धारा 370 पर कांग्रेस के वादों पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने राहुल गांधी की बात का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की बात कर रही है, लेकिन यह अधिकार केवल भारत सरकार और प्रधानमंत्री के पास है। उन्होंने यह भी कहा कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिया जाएगा, जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है।

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अमित शाह ने अपने भाषण में यह स्पष्ट किया कि जब तक जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित नहीं हो जाती, तब तक पाकिस्तान से किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं की जाएगी। उन्होंने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार ने जम्मू-कश्मीर को लूटने का काम किया है और राज्य की जनता को यह तय करना है कि उन्हें आतंकवाद चाहिए या विकास और शांति। गृहमंत्री ने अपने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि उन्हें केवल विपक्ष को हराना नहीं है, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त करानी है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहली बार धारा 370 के बिना चुनाव हो रहे हैं और यह भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे घर-घर जाकर भाजपा के विकास कार्यों को बताएं और अधिक से अधिक लोगों को मतदान केंद्र तक पहुंचाने का काम करें।

जनसभा के दौरान, मंच पर अमित शाह के साथ केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे। सभा स्थल भगवा रंग में रंगा हुआ था और भाजपा के झंडे लहराते हुए महिला कार्यकर्ता “भारत माता की जय” के नारे लगा रही थीं। पूरे कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं में गजब का जोश देखा गया, जिससे भाजपा के चुनावी अभियान को मजबूती मिली। अमित शाह के इस भाषण ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को और अधिक गर्म कर दिया है।

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सीएम योगी का कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन पर प्रहार, जम्मू-कश्मीर चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा पर उठाए गंभीर सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/08/24/cm-yogi-ka-congress-nesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/24/cm-yogi-ka-congress-nesh/#respond Sat, 24 Aug 2024 08:58:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4425 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला बोलते हुए जम्मू-कश्मीर में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35(A) को समाप्त करके प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनः स्थापित करने का …

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला बोलते हुए जम्मू-कश्मीर में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35(A) को समाप्त करके प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनः स्थापित करने का कार्य किया है, और अब जब चुनाव की तिथि घोषित हो चुकी है, तो यह चुनाव राज्य के नागरिकों और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह गठबंधन राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की एकता के लिए खतरा है। उन्होंने दावा किया कि हाल ही में नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जारी किए गए चुनावी घोषणा पत्र में कई ऐसे बिंदु हैं जो भारत की अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर अपने राष्ट्र विरोधी एजेंडे को फिर से उजागर किया है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जारी घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर के लिए अलग झंडे की बात की गई है, जो कि भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से सीधे सवाल पूछते हुए कहा कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस घोषणा का समर्थन करते हैं? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी धारा 370 और 35(A) को पुनः लागू करने के पक्ष में है, जिससे जम्मू-कश्मीर को फिर से आतंकवाद के दौर में धकेला जा सके? मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह जम्मू-कश्मीर के युवाओं की आकांक्षाओं को कुचलने का प्रयास कर रही है और पाकिस्तान के साथ वार्ता करके फिर से अलगाववादी ताकतों को समर्थन देने की योजना बना रही है। उन्होंने राहुल गांधी से सवाल किया कि क्या कांग्रेस पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा पाकिस्तान के साथ ‘एलओसी ट्रेड’ (LoC Trade) शुरू करने के निर्णय का समर्थन करती है, जिससे सीमा पार से आतंकवाद और उसके इकोसिस्टम को बढ़ावा मिल सकता है?

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योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का यह गठबंधन देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है। उन्होंने दावा किया कि इस गठबंधन से कांग्रेस का आरक्षण विरोधी चेहरा भी उजागर हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर के युवाओं और नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रही है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी पहले कांग्रेस से सवाल किए थे। उन्होंने कहा था कि यह गठबंधन राष्ट्रविरोधी ताकतों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है। अमित शाह ने कांग्रेस से पूछा था कि क्या वह नेशनल कॉन्फ्रेंस की उन नीतियों का समर्थन करती है जो जम्मू-कश्मीर को फिर से अशांति के दौर में धकेल सकती हैं?

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि भाजपा ने हमेशा जम्मू-कश्मीर की एकता और अखंडता के लिए काम किया है और पार्टी का उद्देश्य राज्य में शांति और विकास को सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अनुच्छेद 370 और 35(A) को समाप्त करके जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनः स्थापित करने का कार्य किया है और अब इस चुनाव में जनता को अपने भविष्य का निर्णय स्वयं लेना होगा। उन्होंने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को देश की सुरक्षा और एकता के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह गठबंधन राष्ट्रविरोधी ताकतों को मजबूत करने का प्रयास है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर की जनता इस चुनाव में सही निर्णय लेकर राष्ट्रविरोधी ताकतों को करारा जवाब देगी।

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जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किये वैष्णो देवी के दर्शन, 28 साल बाद की यात्रा, POK पर दिया बड़ा बयान https://chaupalkhabar.com/2024/06/26/jagadguru-rambhadracharya-na/ https://chaupalkhabar.com/2024/06/26/jagadguru-rambhadracharya-na/#respond Wed, 26 Jun 2024 06:45:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3735 तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य माता वैष्णो देवी के दर्शन करने पहुंचे थे। वे 28 साल बाद वैष्णो देवी के दर्शन करने आए थे। मां वैष्णो देवी के आधार शिविर कटड़ा में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने पीओके (PoK) को लेकर बड़ा बयान दिया। पत्रकारों से बातचीत के दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने आर्टिकल 370 और 35A के बारे …

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तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य माता वैष्णो देवी के दर्शन करने पहुंचे थे। वे 28 साल बाद वैष्णो देवी के दर्शन करने आए थे। मां वैष्णो देवी के आधार शिविर कटड़ा में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने पीओके (PoK) को लेकर बड़ा बयान दिया। पत्रकारों से बातचीत के दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने आर्टिकल 370 और 35A के बारे में भी अपनी बात को रखा। श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा मंगलवार शाम को मां वैष्णो देवी के दर्शन किए गए और देश में सुख-शांति के लिए प्रार्थना भी की ।इससे पहले कटड़ा में पत्रकारों से बात करते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि जम्मू-कश्मीर देश का मुकुट है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया और 35ए को खत्म किया गया, यह एक बहुत अच्छा निर्णय है। जो की काफी सूझ बुझ के साथ लिया गया और अब जब तक हम pok को हासिल नहीं कर लेते , तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

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जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि इससे पहले वे वर्ष 1996 में मां वैष्णो देवी के दर्शन करने आए थे। इस बार वे दोपहर को आधार शिविर कटड़ा पहुंचे और थोड़ी देर एक निजी होटल में विश्राम करने के बाद बैटरी कार से मां वैष्णो देवी के भवन के लिए रवाना हुए। उन्होंने शाम को भवन पर मां वैष्णो देवी की दिव्य आरती में शामिल होकर आराधना की और इसके उपरांत पवित्र गुफा में माथा टेका। जगद्गुरु रामभद्राचार्य रात को भवन पर ही रुके और बुधवार सुबह कटड़ा वापस आकर जम्मू के लिए रवाना हो जाएंगे। उन्होंने पिछले वर्ष श्री अमरनाथ यात्रा भी की थी और पवित्र गुफा में माथा टेका था। जगद्गुरु ने कहा कि वे देश में सुख-शांति और समृद्धि के लिए हमेशा प्रार्थना करते हैं।

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मां वैष्णो देवी के दर्शन के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें इस पवित्र यात्रा से बहुत शांति और संतुष्टि मिली। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भी माता के दर्शन करें और देश में शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। इस यात्रा के दौरान उन्होंने देश के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और लोगों को प्रेरित किया। जगद्गुरु रामभद्राचार्य का यह दौरा उनके अनुयायियों और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था। उन्होंने अपने प्रवचनों और बातों से सभी को प्रेरित किया और देश के लिए अपने समर्पण को प्रकट किया। इस दौरान उन्होंने माता वैष्णो देवी के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और विश्वास को भी व्यक्त किया।

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पूर्व प्रधानमंत्री को लेकर अमित शाह ने कि टिप्पणी, जम्मू-कश्मीर को लेकर पंडित नेहरू ने की थी सबसे बड़ी गलती. https://chaupalkhabar.com/2024/04/02/ex-prime-minister/ https://chaupalkhabar.com/2024/04/02/ex-prime-minister/#respond Tue, 02 Apr 2024 06:14:46 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=2807 अमित शाह ने राजस्थान के जोधपुर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जिक्र किया। उन्होंने आगे  कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म न करके पंडित नेहरू ने जो  गलती की थी उसे  मोदी सरकार द्वारा  ठीक किया गया । इसके बाद उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार ने राम …

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अमित शाह ने राजस्थान के जोधपुर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जिक्र किया। उन्होंने आगे  कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म न करके पंडित नेहरू ने जो  गलती की थी उसे  मोदी सरकार द्वारा  ठीक किया गया । इसके बाद उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार ने राम मंदिर का न केवल शिलान्यास किया बल्कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा भी की।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर, अनुच्छेद 370 और जवाहरलाल नेहरू का जिक्र किया। इस गलती को केंद्र की मोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 को खत्म किया और जम्मू कश्मीर में तिरंगा फहराया। अमित शाह ने आगे कहा कि कांग्रेस द्वारा हमेशा राम मंदिर के मुद्दे को नजरअंदाज किया गया, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का वादा पूरा किया। उन्होंने कहा, ”70 साल तक कांग्रेस पार्टी ‘राम जन्मभूमि’ पर राम मंदिर के मुद्दे से भटकती रही, लेकिन पीएम मोदी ने न केवल शिलान्यास किया, बल्कि 22 जनवरी को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ भी की।

‘कुछ महीने पहले लोकसभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि नेहरू ने “दो गलतियां” कीं। पहली गलती की जम्मी कश्मीर में पाकिस्तान के खिलाफ पूरी जीत हासिल किए बिना युद्धविराम की घोषणा कर दी। दूसरी यह कि कश्मीर (1948 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान) और कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में भी ले गये।

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शाह ने कहा कि अगर नेहरू ने सही कदम उठाया होता तो पीओके आज भारत का अभिन्न अंग होता। अमित शाह मंगलवार को कर्नाटक दौरे पर जाने वाले हैं। उनके दिन भर के व्यस्त कार्यक्रम में एक रोड शो भी शामिल है। शाह मंगलवार सुबह बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में शक्ति केंद्र प्रमुख सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस आयोजन का उद्देश्य लोकसभा चुनाव से पहले जमीनी स्तर पर नेतृत्व और संगठनात्मक ताकत को मजबूत करना है।

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जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक और आरक्षण संशोधन विधेयक https://chaupalkhabar.com/2023/12/11/detail-of-jammu-kashmir-reorganization-amendment-bill-and-reservation-amendment-bill/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/11/detail-of-jammu-kashmir-reorganization-amendment-bill-and-reservation-amendment-bill/#respond Mon, 11 Dec 2023 13:13:27 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1955 हाल ही में, लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 को ध्वनिमत से पारित किया गया है। यह विधेयक वर्गों के परिभाषाओं में बदलाव लाने के साथ-साथ राज्य के नए नेतृत्व के प्रावधानों को भी समाहित करता है । इससे आरक्षण के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग समुदायों को समानता …

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हाल ही में, लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 को ध्वनिमत से पारित किया गया है। यह विधेयक वर्गों के परिभाषाओं में बदलाव लाने के साथ-साथ राज्य के नए नेतृत्व के प्रावधानों को भी समाहित करता है । इससे आरक्षण के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग समुदायों को समानता का मार्ग दिखाया गया है, यह विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को संशोधित करके लाया गया है संशोधित विधेयक जम्मू और कश्मीर राज्य के संघ में पुनर्गठन का प्रावधान करता है। जिसमें जम्मू और कश्मीर (विधानमंडल के साथ), लद्दाख (विधानमंडल के बिना) के क्षेत्र शामिल हैं।

चुनाव से ठीक पहले इन दोनों विधेयकों के लोकसभा में पास हो जाने के बाद सत्ता के गलियारों में चर्चा होने लगी कि केंद्र सरकार इस विधेयक के जरिए जम्मू-कश्मीर की भाजपा इकाई के हाथ मजबूत करना चाहती है।

जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 के द्वारा पहले “कमज़ोर और वंचित वर्ग (सामाजिक जाति)” के रूप में जाने जाने वाले समुदायों को “अन्य पिछड़ा वर्ग” के रूप में परिभाषित किया गया है। इससे समाज में वर्गवाद के खिलाफ एक सार्थक कदम उठाया गया है। इस विधेयक के माध्यम से गुज्जरों को पहाड़ियों के समुदाय के साथ अनुसूचित जनजाति जाने का प्रावधान किया गया है, जिससे समाज में उन्हें समानता की दिशा में बढ़ावा मिलेगा।

 

 

इसी तरह, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 ने राज्य के नए प्रशासनिक संरचना को स्थापित किया है। इससे विभाजित होकर बने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को संघ में शामिल किया गया है। इसमें कश्मीर घाटी, जम्मू-कश्मीर विधानमंडल के साथ और लद्दाख विधानमंडल के बिना शामिल हैं।

यहां तक कि पुनर्गठन विधेयक ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा की सीटों की संख्या को बढ़ाकर 90 कर दिया है। इससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान किया गया है। इस संशोधन के तहत कुल सीटें 119 हो जाएंगी, जिनमें से खाली रहेंगी 24 सीटें वे हैं, जो पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के हैं।

 

साथ ही, इस विधेयक में विस्थापित कश्मीरी पंडितों और पाक अधिकृत कश्मीर के विस्थापितों के लिए भी सीटों की आरक्षण की गई है। इससे वे भी सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में अपनी भूमिका निभा सकेंगे।

हालांकि, इस विधेयक को लेकर विभिन्न धारावाहिकों में अलग-अलग धारणाएं हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों को सकारात्मक बताया है, जबकि कुछ नेताओं ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ माना है ।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेता मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी ने इस विधेयरों के पारित किए जाने पर सवाल पूछते हुए कहा, ”गृहमंत्री ने चर्चा के दौरान लोगों को उनका अधिकार दिलाने की बात की है, तो मैं ये पूछना चाहता हूं कि जम्मू -कश्मीर में पिछले पांच सालों से चुनाव नहीं हो रहे हैं, क्या ये लोगों के अधिकार का हनन नहीं है?” बीजेपी जम्मू कश्मीर के जिन लोगों को मजबूत करने की बात कर रही है, वो उनके हित में नहीं है। बीजेपी की सीटों में पिछले दरवाज़े से गिनती बढ़ाना कश्मीरी पंडितों के फायदे के तक़ाज़े के मुताबिक नहीं है।

 

इन विधेयकों के माध्यम से राज्य में समानता और सामाजिक न्याय का संदेश दिया गया है, जो समृद्धि और सहयोग की राह पर अग्रसर होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही, राजनीतिक विवादों का रुख भी है, जो लोकतंत्रिक मूल्यों के संरक्षण में सवाल उठा रहे हैं।

यह विधेयक सिर्फ नई संरचना की रचना नहीं कर रहा, बल्कि समाज में समानता और विकास के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसे समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के साथ-साथ सही राजनीतिक संरचना में उनकी भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

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“सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्रीय फैसला बरकरार’’ https://chaupalkhabar.com/2023/12/11/historical-decision-of-supreme-court-central-decision-to-remove-article-370-remains-intact/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/11/historical-decision-of-supreme-court-central-decision-to-remove-article-370-remains-intact/#respond Mon, 11 Dec 2023 10:44:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1953 कश्मीर के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला देश में काफी चर्चा में है। यह निर्णय समझौते की दिशा में भारी कदम बताता है। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ने सुबह 11 बजे इस मामले में फैसला पढ़ना …

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कश्मीर के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला देश में काफी चर्चा में है। यह निर्णय समझौते की दिशा में भारी कदम बताता है। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ने सुबह 11 बजे इस मामले में फैसला पढ़ना शुरू किया। इस पीठ में सीजेआई के अलावा, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल थे।

गौरतलब है कि सितंबर माह में लगातार 16 दिनों तक सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ फैसला सुनाने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पांच जजों के तीन अलग-अलग फैसले हैं। जिन तीन फैसलों को सुनाया जाना है, उस पर सभी एकमत हैं।

 

जम्मूचीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है। स्थिति के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति को शक्तियां हासिल हैं। उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है। संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए। अनुच्छेद 356 – राज्य सरकार भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने की बात करता है। राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र राज्य सरकार की जगह फैसले ले सकता है। संसद राज्य विधानसभा की जगह काम कर सकता है।

 

चीफ जस्टिस ने कहा कि जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए थे, तभी जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी। वह भारत के तहत हो गया। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है।

 

कश्मीर के इस ऐतिहासिक निर्णय के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में प्रमुख बिंदुओं को समझाने का प्रयास करते हैं। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था, जो अब संविधान के तहत समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह भी स्पष्ट होता है कि कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। यह फैसला केंद्र सरकार के पहले फैसले को बरकरार रखता है, जिसे 5 अगस्त 2019 को लागू किया गया था।

 

इस फैसले के बाद, देश में अब जल्द ही जम्मू-कश्मीर में नए चुनाव हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें सरकार को निर्देश दिया है, जो जल्दी से जल्दी नये आयाम में चुनावों को संभाल सकती है। इस ऐतिहासिक फैसले के पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 16 दिनों तक सुना। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल और अन्य पक्षों के विचारों को मध्यनजर रखा।

जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले कश्मीर को भारत के अन्न अंग के रूप में जोड़ने की प्रक्रिया को मजबूत किया गया है। इस निर्णय से कश्मीर के नागरिकों को भारत के संविधान और कानूनों का विश्वास और साथ मिलेगा। कश्मीर के इस ऐतिहासिक कदम से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत का संविधान सभी राज्यों और क्षेत्रों के लिए समान रूप से प्रभावी है। साथ ही, इससे कश्मीर में विकास और सुरक्षा की दिशा में भी नयी ऊर्जा मिलेगी।

 

यह फैसला भारतीय संविधान की महत्ता को दर्शाता है और देश की एकता और संविधानिक मूल्यों को मजबूती को बताता है। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय समाज में समाहित करने का अवसर भी मिलेगा। अब जब यह सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक  फैसला हो गया है, तो अब जम्मू-कश्मीर के विकास और सुरक्षा के मामले में नई दिशा में बदलाव देखने को मिल सकता है।

 

इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि भारत की सुप्रीम कोर्ट ने देश की संविधानिक मूल्यों और एकता को अपनी सर्वोच्चता मानते हुए इस मामले में न्याय दिया है। यह फैसला भारतीय संविधान के महत्त्व को दिखाता है और समान न्याय की प्राप्ति को सुनिश्चित करता है। इससे देश में सामाजिक समरसता और समानता के मूल्यों को मजबूती से बढ़ावा मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के साथ, अब जम्मू-कश्मीर में नए दिनों की आशा और नई उम्मीद की बातें हो सकती हैं। यह निर्णय देश के विकास और एकता के मामले में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

 

 

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