Article370 - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Fri, 23 Aug 2024 12:07:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Article370 - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन पर अमित शाह के तीखे सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/jammu-kashmir-assembly-ch/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/23/jammu-kashmir-assembly-ch/#respond Fri, 23 Aug 2024 12:06:55 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4402 जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तिथियों का ऐलान कर दिया गया है। इस चुनाव के लिए तीन चरणों में मतदान होगा और वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को की जाएगी। इस बीच, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन का ऐलान हुआ है, जिसे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने जम्मू-कश्मीर में अपनी यात्रा के दौरान …

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तिथियों का ऐलान कर दिया गया है। इस चुनाव के लिए तीन चरणों में मतदान होगा और वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को की जाएगी। इस बीच, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन का ऐलान हुआ है, जिसे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने जम्मू-कश्मीर में अपनी यात्रा के दौरान अंतिम रूप दिया। यह गठबंधन राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस गठबंधन को लेकर तीखे सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस सत्ता के लालच में देश की एकता और सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। अमित शाह ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन पर दस गंभीर सवाल उठाए हैं, जो निम्नलिखित हैं:

1. क्या कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू-कश्मीर के लिए अलग झंडे के वादे का समर्थन करती है?
अमित शाह ने इस सवाल के माध्यम से कांग्रेस के उस कथित समर्थन की ओर इशारा किया है जो जम्मू-कश्मीर के अलग झंडे की मांग करती है। उनका तर्क है कि यह देश की एकता को कमजोर करने का प्रयास हो सकता है।

2. क्या राहुल गांधी और कांग्रेस अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करते हैं?
अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर कांग्रेस की स्थिति को लेकर अमित शाह ने सवाल उठाया है। उनका कहना है कि इन अनुच्छेदों के पुनःस्थापन से जम्मू-कश्मीर में अशांति और आतंकवाद का माहौल लौट सकता है।

3. क्या कांग्रेस कश्मीर के युवाओं के बजाय पाकिस्तान के साथ बातचीत कर अलगाववाद को बढ़ावा देने का समर्थन करती है?
अमित शाह का यह सवाल कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की पाकिस्तान के साथ संभावित बातचीत को लेकर है। उनका कहना है कि ऐसा कदम जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा दे सकता है।

4. क्या कांग्रेस और राहुल गांधी पाकिस्तान के साथ ‘एलओसी व्यापार’ शुरू करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करती है?
एलओसी व्यापार के शुरू होने से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने की आशंका व्यक्त की जा रही है। अमित शाह ने कांग्रेस से पूछा कि क्या वे इस व्यापार का समर्थन करते हैं, जिससे आतंकवाद और उसकी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा।

5. क्या कांग्रेस आतंकवाद और पथराव में शामिल लोगों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में बहाल करने का समर्थन करती है?
अमित शाह ने यह सवाल उठाया है कि क्या कांग्रेस आतंकवाद और उग्रवाद में शामिल लोगों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में बहाल करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करती है, जो आतंकवाद के बढ़ने की संभावना को जन्म दे सकता है।

6. क्या गठबंधन ने कांग्रेस पार्टी के आरक्षण विरोधी रुख को उजागर किया है?
कांग्रेस के दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण को समाप्त करने के रुख पर भी सवाल उठाया गया है। अमित शाह ने पूछा कि क्या कांग्रेस इस आरक्षण को समाप्त करने का समर्थन करती है।

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7. क्या कांग्रेस चाहती है कि ‘शंकराचार्य हिल’ को ‘तख्त-ए-सुलेमान’ और ‘हरि हिल’ को ‘कोह-ए-मारन’ के नाम से जाना जाए?
यह सवाल जम्मू-कश्मीर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर पर नाम बदलने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रस्ताव को लेकर है। अमित शाह ने पूछा कि क्या कांग्रेस इस प्रकार के नाम बदलने का समर्थन करती है।

8. क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को फिर से भ्रष्टाचार में धकेलने और चुनिंदा पाकिस्तान समर्थित परिवारों को सौंपने की राजनीति का समर्थन करती है?
अमित शाह ने पूछा कि क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भ्रष्टाचार और पाकिस्तान समर्थित परिवारों के हाथ में सौंपने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रयासों का समर्थन करती है।

9. क्या कांग्रेस पार्टी जेकेएनसी की जम्मू और घाटी के बीच भेदभाव की राजनीति का समर्थन करती है?
अमित शाह ने जम्मू और घाटी के बीच भेदभाव की राजनीति पर भी सवाल उठाया है, यह पूछते हुए कि क्या कांग्रेस इस प्रकार की राजनीति का समर्थन करती है।

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10. क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी कश्मीर को स्वायत्तता देने की जेकेएनसी की विभाजनकारी राजनीति का समर्थन करते हैं?
अंत में, अमित शाह ने पूछा कि क्या कांग्रेस कश्मीर को स्वायत्तता देने की जेकेएनसी की विभाजनकारी राजनीति का समर्थन करती है, जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है। इन सवालों के माध्यम से अमित शाह ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन की नीतियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और यह आरोप लगाया है कि इस गठबंधन से देश की एकता और सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

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यदि बहुमत नहीं मिला तो, क्या होगा भाजपा का प्लान बी? इस सवाल के जवाब में क्या बोले अमित शाह https://chaupalkhabar.com/2024/05/17/if-majority-not-got-then-why/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/17/if-majority-not-got-then-why/#respond Fri, 17 May 2024 10:59:12 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3275 लोकसभा चुनाव के चार चरणों का मतदान हो चुका है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दावा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगा। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन का कहना है कि 4 जून को भाजपा की विदाई निश्चित है। इस संदर्भ में एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह …

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लोकसभा चुनाव के चार चरणों का मतदान हो चुका है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दावा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगा। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन का कहना है कि 4 जून को भाजपा की विदाई निश्चित है। इस संदर्भ में एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पूछा गया कि यदि भाजपा बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाती तो क्या उसके पास कोई प्लान बी है? अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा, “प्लान बी तभी बनाया जाता है, जब प्लान ए के सफल होने की संभावना 60 प्रतिशत से कम हो। मुझे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारी बहुमत से सत्ता में वापसी कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि 60 करोड़ लाभार्थियों की एक मजबूत सेना पीएम मोदी के साथ खड़ी है। शाह ने जोर देकर कहा कि इन लाभार्थियों की कोई जाति या उम्र वर्ग नहीं है और जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है, वे जानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी क्या हैं और क्यों 400 सीटें देना चाहिए।

विपक्ष का आरोप है कि अगर भाजपा सत्ता में वापस आती है तो वह आरक्षण खत्म कर देगी। इस पर अमित शाह ने जोर देकर कहा, “हमने यह बिल्कुल साफ कर दिया है कि जब तक भाजपा का एक भी सांसद है, तब तक एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण को कोई हाथ भी नहीं लगा सकता। नरेंद्र मोदी से बड़ा एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का कोई समर्थक नहीं है।” अमित शाह ने अपनी सरकार की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए कहा, “जो अनुच्छेद 370 पर सवाल उठाते हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि कश्मीर में मतदान प्रतिशत 40 फीसदी को पार कर गया है और अनुच्छेद 370 हटाने की इससे बड़ी सफलता क्या हो सकती है।” शाह ने कहा कि सभी कट्टरपंथी समूह और नेता अब मतदान कर रहे हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि पहले कश्मीर में चुनाव बहिष्कार के नारे लगते थे, लेकिन आज शांतिपूर्ण चुनाव हो रहे हैं।

अमित शाह ने विपक्षी गठबंधन को निशाना बनाते हुए कहा कि INDI गठबंधन के सभी चरित्र मिलते-जुलते हैं, तभी वे साथ आए हैं। उन्होंने कहा, “ये सभी पार्टियां वंशवादी राजनीति पर आधारित हैं। ये सभी अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने की बात करती हैं और सभी तीन तलाक को भी वापस लाना चाहती हैं। ये सभी पार्टियां समान नागरिक संहिता और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध करती हैं। ये भ्रष्टाचार में डूबी हुई हैं। इसलिए INDI गठबंधन की एक साझा संस्कृति है।” चुनावी रणनीति पर चर्चा करते हुए अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने अपने कार्यकाल के दौरान विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा, “हमारी योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक पहुंचा है, चाहे वह उज्ज्वला योजना हो, जन धन योजना हो या प्रधानमंत्री आवास योजना। इन योजनाओं के माध्यम से हमने गरीबों और वंचितों को मुख्यधारा में शामिल किया है।”

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व देश के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने देश को एक नई दिशा दी है। उनकी नीतियों और योजनाओं ने देश के हर वर्ग को लाभ पहुंचाया है। मोदी जी के नेतृत्व में देश ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है, चाहे वह अंतर्राष्ट्रीय संबंध हों, सुरक्षा हो या आर्थिक विकास।” अगली सरकार की प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हुए अमित शाह ने कहा, “अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो हम अपने विकास के एजेंडे को जारी रखेंगे। हमारी प्राथमिकता होगी कि हर गरीब को घर मिले, हर घर में बिजली और पानी पहुंचे, और देश के सभी हिस्सों में बुनियादी ढांचा विकसित हो।

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विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए अमित शाह ने कहा, “विपक्ष केवल भाजपा को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगा रहा है। वे जानते हैं कि जनता भाजपा के साथ है और इसलिए वे झूठे प्रचार का सहारा ले रहे हैं। लेकिन जनता सच जानती है और वे हमारे काम की सराहना करते हैं।” समान नागरिक संहिता पर अमित शाह ने कहा, “हम समान नागरिक संहिता को लागू करना चाहते हैं ताकि सभी नागरिकों को समान अधिकार और कर्तव्य मिल सकें। यह देश की एकता और अखंडता के लिए आवश्यक है।”

सीएए पर स्पष्टीकरण देते हुए अमित शाह ने कहा, “नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी भी भारतीय नागरिक के खिलाफ नहीं है। यह उन लोगों के लिए है जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने देश छोड़कर भारत आए हैं। हमने यह अधिनियम मानवीय आधार पर बनाया है और इसे लेकर किसी को भी चिंता नहीं करनी चाहिए।” भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते हुए अमित शाह ने कहा, “हमारी सरकार का लक्ष्य है कि भारत को 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जाए। इसके लिए हम विभिन्न क्षेत्रों में सुधार और विकास करेंगे, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके।

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“सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: अनुच्छेद 370 हटाने का केंद्रीय फैसला बरकरार’’ https://chaupalkhabar.com/2023/12/11/historical-decision-of-supreme-court-central-decision-to-remove-article-370-remains-intact/ https://chaupalkhabar.com/2023/12/11/historical-decision-of-supreme-court-central-decision-to-remove-article-370-remains-intact/#respond Mon, 11 Dec 2023 10:44:06 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=1953 कश्मीर के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला देश में काफी चर्चा में है। यह निर्णय समझौते की दिशा में भारी कदम बताता है। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ने सुबह 11 बजे इस मामले में फैसला पढ़ना …

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कश्मीर के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला देश में काफी चर्चा में है। यह निर्णय समझौते की दिशा में भारी कदम बताता है। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ने सुबह 11 बजे इस मामले में फैसला पढ़ना शुरू किया। इस पीठ में सीजेआई के अलावा, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल थे।

गौरतलब है कि सितंबर माह में लगातार 16 दिनों तक सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ फैसला सुनाने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पांच जजों के तीन अलग-अलग फैसले हैं। जिन तीन फैसलों को सुनाया जाना है, उस पर सभी एकमत हैं।

 

जम्मूचीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है। स्थिति के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति को शक्तियां हासिल हैं। उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है। संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए। अनुच्छेद 356 – राज्य सरकार भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने की बात करता है। राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र राज्य सरकार की जगह फैसले ले सकता है। संसद राज्य विधानसभा की जगह काम कर सकता है।

 

चीफ जस्टिस ने कहा कि जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए थे, तभी जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी। वह भारत के तहत हो गया। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है।

 

कश्मीर के इस ऐतिहासिक निर्णय के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में प्रमुख बिंदुओं को समझाने का प्रयास करते हैं। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था, जो अब संविधान के तहत समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह भी स्पष्ट होता है कि कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। यह फैसला केंद्र सरकार के पहले फैसले को बरकरार रखता है, जिसे 5 अगस्त 2019 को लागू किया गया था।

 

इस फैसले के बाद, देश में अब जल्द ही जम्मू-कश्मीर में नए चुनाव हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें सरकार को निर्देश दिया है, जो जल्दी से जल्दी नये आयाम में चुनावों को संभाल सकती है। इस ऐतिहासिक फैसले के पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 16 दिनों तक सुना। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल और अन्य पक्षों के विचारों को मध्यनजर रखा।

जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले कश्मीर को भारत के अन्न अंग के रूप में जोड़ने की प्रक्रिया को मजबूत किया गया है। इस निर्णय से कश्मीर के नागरिकों को भारत के संविधान और कानूनों का विश्वास और साथ मिलेगा। कश्मीर के इस ऐतिहासिक कदम से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत का संविधान सभी राज्यों और क्षेत्रों के लिए समान रूप से प्रभावी है। साथ ही, इससे कश्मीर में विकास और सुरक्षा की दिशा में भी नयी ऊर्जा मिलेगी।

 

यह फैसला भारतीय संविधान की महत्ता को दर्शाता है और देश की एकता और संविधानिक मूल्यों को मजबूती को बताता है। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय समाज में समाहित करने का अवसर भी मिलेगा। अब जब यह सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक  फैसला हो गया है, तो अब जम्मू-कश्मीर के विकास और सुरक्षा के मामले में नई दिशा में बदलाव देखने को मिल सकता है।

 

इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि भारत की सुप्रीम कोर्ट ने देश की संविधानिक मूल्यों और एकता को अपनी सर्वोच्चता मानते हुए इस मामले में न्याय दिया है। यह फैसला भारतीय संविधान के महत्त्व को दिखाता है और समान न्याय की प्राप्ति को सुनिश्चित करता है। इससे देश में सामाजिक समरसता और समानता के मूल्यों को मजबूती से बढ़ावा मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के साथ, अब जम्मू-कश्मीर में नए दिनों की आशा और नई उम्मीद की बातें हो सकती हैं। यह निर्णय देश के विकास और एकता के मामले में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

 

 

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