Arvind Kejriwal - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 03 Oct 2024 06:54:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Arvind Kejriwal - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नया ठिकाना, कहां रहेंगे परिवार के साथ? https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/ex-chief-minister-arvind/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/03/ex-chief-minister-arvind/#respond Thu, 03 Oct 2024 06:54:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5192 दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीते कुछ समय से लगातार सुर्खियों में हैं। पहले शराब नीति घोटाले में फंसने के बाद उनकी गिरफ्तारी, फिर जेल से रिहाई और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तक, केजरीवाल का राजनीतिक सफर पिछले कुछ महीनों में काफी घटनाओं से भरा रहा है। अब उनके सरकारी आवास छोड़ने की …

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीते कुछ समय से लगातार सुर्खियों में हैं। पहले शराब नीति घोटाले में फंसने के बाद उनकी गिरफ्तारी, फिर जेल से रिहाई और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तक, केजरीवाल का राजनीतिक सफर पिछले कुछ महीनों में काफी घटनाओं से भरा रहा है। अब उनके सरकारी आवास छोड़ने की खबरें भी मीडिया में जोर पकड़ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल अपने परिवार के साथ जल्द ही दिल्ली स्थित फिरोजशाह रोड पर बंगला नंबर 5 या 10 में रहने जा सकते हैं। यह दोनों बंगले आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसदों के आवास हैं। बंगला नंबर 5 अशोक मित्तल का है, जो कि पंजाब से AAP के राज्यसभा सांसद हैं, जबकि बंगला नंबर 10 एनडी गुप्ता का है, जो कि दिल्ली से राज्यसभा सांसद हैं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों सांसद इन आवासों में खुद नहीं रहते हैं। मित्तल दिल्ली में नहीं रहते जबकि एनडी गुप्ता राजधानी के गुलमोहर पार्क स्थित एक निजी आवास में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।

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आम आदमी पार्टी के सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता केजरीवाल को अपने घर में रहने की पेशकश कर चुके हैं। हालांकि, केजरीवाल ने इस संबंध में अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है कि वह किस आवास को चुनेंगे। उनका कहना था कि नवरात्रि के दौरान वह सीएम आवास खाली कर देंगे। केजरीवाल को करीब तीन महीने जेल में बिताने के बाद सुप्रीम कोर्ट से 13 सितंबर को जमानत मिली थी। जमानत के कुछ दिनों बाद, 17 सितंबर को उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और AAP नेता आतिशी को राजधानी की बागडोर सौंप दी। इस्तीफा देते वक्त केजरीवाल ने स्पष्ट किया था कि वह तब तक मुख्यमंत्री पद पर वापस नहीं आएंगे, जब तक दिल्ली की जनता उन्हें दोबारा चुनाव में नहीं जिताती। उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इससे संकेत मिलते हैं कि वह भविष्य में दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहेंगे।

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अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक स्थिति अभी अनिश्चित है, और उनके भविष्य के कदमों को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी बीच, उनके आवास को लेकर उठे सवालों ने दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। उनके समर्थकों का कहना है कि केजरीवाल एक साधारण जीवन जीते हैं और उन्हें किसी आलीशान आवास की जरूरत नहीं है। वहीं, उनके विरोधियों का कहना है कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बावजूद सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाना उनके सिद्धांतों के खिलाफ है। हालांकि, केजरीवाल ने साफ किया था कि वह सरकारी आवास नवरात्रि के दौरान खाली कर देंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह और उनका परिवार किस आवास में रहने का निर्णय लेते हैं। AAP के नेताओं और समर्थकों ने उन्हें आवास की पेशकश की है, लेकिन अंतिम फैसला केजरीवाल का होगा।

अरविंद केजरीवाल की अगली चाल क्या होगी, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं, खासकर जब वह अगले चुनावों में अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने की तैयारी कर रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल और आतिशी को राहत, मानहानि मामले की सुनवाई पर लगी रोक https://chaupalkhabar.com/2024/09/30/supreme-court-to-kejriwa-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/30/supreme-court-to-kejriwa-2/#respond Mon, 30 Sep 2024 10:55:41 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5166 सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी को एक मानहानि मामले में सोमवार को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रही ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह मामला बीजेपी नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने केजरीवाल और …

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी को एक मानहानि मामले में सोमवार को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रही ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह मामला बीजेपी नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने केजरीवाल और अन्य ‘आप’ नेताओं पर मानहानि का आरोप लगाया था। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में तीन अक्टूबर को अरविंद केजरीवाल और आतिशी को पेश होने का आदेश दिया था। बब्बर की ओर से यह दावा किया गया था कि इन नेताओं द्वारा सार्वजनिक रूप से दिए गए बयानों के कारण भाजपा की छवि धूमिल हुई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी इस समन पर रोक लगाते हुए दोनों नेताओं को फिलहाल राहत दी है।

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इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल और आतिशी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने मानहानि के इस मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस फैसले के बाद, दोनों नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने बब्बर के आरोपों को पर्याप्त मानते हुए मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाने का फैसला किया था। राजीव बब्बर ने अरविंद केजरीवाल, आतिशी, आप नेता सुशील कुमार गुप्ता और मनोज कुमार के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। बब्बर का आरोप था कि इन नेताओं ने भाजपा को बदनाम करने की साजिश रची और 2020 के विधानसभा चुनावों से पहले गलत बयान दिए, जिसमें कहा गया था कि भाजपा ने दिल्ली की मतदाता सूची से 30 लाख मतदाताओं के नाम हटवा दिए हैं। इनमें विशेष रूप से बनिया, मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लोग शामिल थे।

फरवरी 2020 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले की कार्यवाही पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी, जिससे अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं को कुछ समय के लिए राहत मिली थी। लेकिन जब मामले को पुनः शुरू किया गया, तो राऊज एवेन्यू कोर्ट ने तीन अक्टूबर 2023 को पेशी का आदेश जारी किया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई इस रोक के बाद अब ट्रायल कोर्ट में इस मामले की सुनवाई तब तक नहीं होगी जब तक सुप्रीम कोर्ट इस पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता। केजरीवाल और आतिशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और इनका उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ लेना है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे क्या निर्णय लेता है। यह मामला दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि इस तरह के आरोप और कानूनी मामलों का सीधा असर आगामी चुनावों और राजनीतिक छवि पर पड़ सकता है।

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दिल्ली में वायु प्रदूषण के खिलाफ कड़े कदम, पटाखों पर प्रतिबंध और ऑड-ईवन योजना लागू https://chaupalkhabar.com/2024/09/26/metropolitan-magistrate-court/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/26/metropolitan-magistrate-court/#respond Thu, 26 Sep 2024 09:03:29 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5109 दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर हर साल गंभीर होता जा रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार पहले से ही कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इस वर्ष, दिल्ली की आतिशी सरकार ने प्रदूषण पर लगाम कसने के उद्देश्य से नए नियमों और योजनाओं की घोषणा की है। वायु …

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दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर हर साल गंभीर होता जा रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार पहले से ही कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इस वर्ष, दिल्ली की आतिशी सरकार ने प्रदूषण पर लगाम कसने के उद्देश्य से नए नियमों और योजनाओं की घोषणा की है। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार ने इस बार सख्त निर्णय लेते हुए राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने और ऑड-ईवन नियम को फिर से लागू करने का फैसला किया है। ये नियम 1 जनवरी 2025 तक लागू रहेंगे।

दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इस साल पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। राजधानी में हर साल दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जिसके चलते सांस लेने में परेशानी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पिछले साल भी केजरीवाल सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था, और इस साल भी यह फैसला लागू रहेगा। सरकार का मानना है कि इससे वायु प्रदूषण में गिरावट आएगी, जिससे शहर की आबोहवा साफ-सुथरी रहेगी और लोगों की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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दिल्ली में वाहनों की संख्या बढ़ने से वायु प्रदूषण में भी बढ़ोतरी होती है। इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन योजना को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत, निजी वाहनों के लिए अलग-अलग दिन तय किए गए हैं। ऑड-ईवन नियम के अनुसार, अगर वाहन की नंबर प्लेट का आखिरी अंक ऑड (विषम) है, तो वह ऑड (विषम) तारीखों पर चलेगा। वहीं, अगर नंबर प्लेट का आखिरी अंक ईवन (सम) है, तो वह ईवन (सम) तारीखों पर सड़कों पर चलाया जा सकेगा।

यह नियम 1 जनवरी 2025 तक प्रभावी रहेगा। इसके तहत सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होगी, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आने की संभावना है। इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, बल्कि यातायात की भीड़ में भी कमी आएगी और लोगों को आने-जाने में सहूलियत होगी। इसके अलावा, इस योजना से लोग सार्वजनिक परिवहन का भी अधिक उपयोग करने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे प्रदूषण को और कम किया जा सकेगा।

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प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने इस साल ‘वर्क फ्रॉम होम’ (WFH) को भी बढ़ावा देने का फैसला किया है। इससे सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम होगी, जिससे प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। दिल्ली में हर साल सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण में भारी बढ़ोतरी होती है, इसलिए इस बार सरकार आर्टिफिशियल बारिश की भी योजना बना रही है। इसके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को चिट्ठी लिखी गई है। आर्टिफिशियल बारिश से हवा में मौजूद प्रदूषक कण धरती पर गिर जाएंगे, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि प्रदूषण का असर सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे एनसीआर के राज्यों में भी इसका प्रभाव पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इस साल “विंटर एक्शन प्लान” के तहत सामूहिक प्रयासों की थीम “मिलकर चलें और प्रदूषण से लड़ें” रखी है। इस थीम के जरिए सरकार सभी संबंधित राज्य सरकारों से अपील कर रही है कि वे एक साथ मिलकर इस समस्या का समाधान करें। गोपाल राय ने यह भी कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए सभी सरकारों का संयुक्त प्रयास बेहद आवश्यक है। अगर दिल्ली और एनसीआर के राज्य मिलकर काम करेंगे, तो प्रदूषण को कम करने में आसानी होगी। इसलिए सामूहिक रूप से इस समस्या का सामना करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

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कुर्सी विवाद: आतिशी के फैसले पर बसपा नेता भड़के, बोले – खड़ाऊ से शासन करना संविधान का अपमान. https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/chair-dispute-atishi-ke-fais/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/24/chair-dispute-atishi-ke-fais/#respond Tue, 24 Sep 2024 06:37:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5089 दिल्ली की राजनीति में सोमवार, 23 सितंबर का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अरविंद केजरीवाल के पद छोड़ने के बाद, आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। परंतु, उनके शपथ ग्रहण समारोह में एक अनोखी घटना ने …

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दिल्ली की राजनीति में सोमवार, 23 सितंबर का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अरविंद केजरीवाल के पद छोड़ने के बाद, आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। परंतु, उनके शपथ ग्रहण समारोह में एक अनोखी घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। इस घटना का संबंध उस खाली कुर्सी से था जिसे आतिशी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के बगल में रखा और सार्वजनिक रूप से कहा कि यह अरविंद केजरीवाल की प्रतीकात्मक कुर्सी है, जो उनके वापस आने का प्रतीक है। शपथ ग्रहण के दौरान, आतिशी ने अपनी इस अनोखी पहल को पौराणिक संदर्भ से जोड़ते हुए कहा कि उनके दिल में वही भावना है जो भरत के मन में थी जब भगवान राम वनवास पर गए थे। आतिशी ने कहा, “जैसे भरत ने भगवान राम की खड़ाऊँ रखकर अयोध्या का शासन संभाला था, वैसे ही मैं 4 महीने दिल्ली की सरकार चलाऊँगी। इस कुर्सी को अरविंद केजरीवाल का इंतजार रहेगा।” आतिशी के इस बयान के बाद राजनीति में हड़कंप मच गया। जहाँ उनके समर्थक इस प्रतीकात्मक कदम की तारीफ कर रहे थे, वहीं विपक्षी दलों ने इसे सियासी प्रपंच करार दिया।

बसपा (बहुजन समाज पार्टी) के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने इस कदम की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि आतिशी का यह कृत्य न केवल संविधान का उल्लंघन है, बल्कि दिल्ली की जनता का भी अपमान है। आकाश आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अरविंद केजरीवाल की प्रतीकात्मक उपस्थिति दिखाना इस बात को साबित करता है कि आतिशी का विश्वास संविधान से अधिक केजरीवाल में है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संविधान का अपमान बताया। आकाश आनंद ने इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की तस्वीर लगाकर अरविंद केजरीवाल की खड़ाऊ रखकर अयोध्या के शासन का सपना देख रही आतिशी सिंह की यह तस्वीर गुमराह करने वाली है। यह संविधान की शपथ का उल्लंघन है, क्योंकि उनकी आस्था केजरीवाल जी के प्रति ज़्यादा दिख रही है न कि भारत के संविधान के प्रति।”

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आतिशी के इस प्रतीकात्मक कदम ने आम आदमी पार्टी की रणनीति को भी स्पष्ट किया है। आतिशी ने साफ किया कि वह केवल अगले विधानसभा चुनाव तक ही मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करेंगी। उनका यह बयान दर्शाता है कि अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक विरासत को बनाए रखने और उनकी गैरमौजूदगी में पार्टी की साख को मजबूत रखने का प्रयास किया जा रहा है। यह विवाद उस समय सामने आया जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले में जेल भेजा गया था, ने 17 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। आतिशी को पार्टी के विधायक दल ने सर्वसम्मति से नया मुख्यमंत्री चुना।

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आतिशी की मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति के साथ ही यह बहस भी उठी कि लोकतांत्रिक प्रणाली में इस तरह की प्रतीकात्मकता का क्या स्थान है। भारतीय संविधान के तहत, एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए, न कि किसी नेता या पार्टी प्रमुख के प्रति। बसपा जैसे विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया। हालांकि, आतिशी के समर्थकों का मानना है कि उनका यह कदम अरविंद केजरीवाल के प्रति उनके समर्पण और पार्टी की एकता का प्रतीक है। इस तरह की प्रतीकात्मकता, भले ही विवादास्पद हो, पर यह दिखाती है कि आतिशी अपने नेता के प्रति निष्ठावान हैं और उनकी गैरमौजूदगी में भी पार्टी की विचारधारा को जीवित रखना चाहती हैं।

आतिशी की चुनौती अब यह है कि वे आने वाले चार महीनों में दिल्ली की जनता का विश्वास कैसे जीतेंगी। उनकी राजनीतिक काबिलियत और नेतृत्व क्षमता का इम्तिहान अब विधानसभा चुनावों में होगा। अरविंद केजरीवाल की गैरमौजूदगी में पार्टी की नीतियों और उनकी कार्यशैली पर लोगों की नजरें होंगी।

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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी का बड़ा फैसला, केजरीवाल के लिए खाली रखी मुख्यमंत्री की कुर्सी, भाजपा ने उठाए सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/new-chief-minister-of-delhi-3/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/new-chief-minister-of-delhi-3/#respond Mon, 23 Sep 2024 08:15:48 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5065 दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने राजधानी की कमान संभालते ही एक अहम घोषणा की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अरविंद केजरीवाल के लिए खाली रखी जाएगी। आतिशी ने कहा कि वे दिल्ली की जिम्मेदारी जरूर संभालेंगी, लेकिन उनका मानना है कि यह कुर्सी असल में अरविंद केजरीवाल की है, …

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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने राजधानी की कमान संभालते ही एक अहम घोषणा की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अरविंद केजरीवाल के लिए खाली रखी जाएगी। आतिशी ने कहा कि वे दिल्ली की जिम्मेदारी जरूर संभालेंगी, लेकिन उनका मानना है कि यह कुर्सी असल में अरविंद केजरीवाल की है, और वही दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे। आतिशी ने कहा, “मेरे मन में वही भावना है, जैसी भगवान राम के वनवास पर जाने के बाद भरत के मन में थी। उन्होंने भगवान राम की खड़ाऊं रखकर शासन चलाया था। मैं भी उसी तरह से केजरीवाल के लिए यह कुर्सी खाली रखूंगी। उन्होंने जिस मर्यादा का पालन करते हुए इस्तीफा दिया, वह सराहनीय है। मुझे विश्वास है कि आगामी विधानसभा चुनावों में दिल्ली की जनता उन्हें फिर से भारी बहुमत से विजयी बनाएगी और वे दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे।”

आतिशी के इस फैसले पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आतिशी के इस कदम को संविधान और मुख्यमंत्री पद का अपमान करार दिया है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री की कुर्सी पर इस तरह से दोहरी स्थिति पैदा करना असंवैधानिक है। आतिशी जी का यह कदम आदर्श का पालन नहीं बल्कि साफ तौर पर चापलूसी है। इससे मुख्यमंत्री पद की गरिमा और दिल्ली की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है।” वीरेंद्र सचदेवा ने आप पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्या अरविंद केजरीवाल अब रिमोट कंट्रोल से दिल्ली की सरकार चलाना चाहते हैं? उन्होंने आगे कहा कि ऐसा करना सरकार की संस्थाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। भाजपा ने इस मामले में केजरीवाल से स्पष्ट जवाब की मांग की है।

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मुख्यमंत्री पद संभालने के साथ ही आतिशी ने 13 प्रमुख विभागों की जिम्मेदारी भी अपने पास रखी है। इनमें लोक निर्माण विभाग (PWD), बिजली, शिक्षा, राजस्व, वित्त, योजना, सेवाएं, सतर्कता और जल जैसे विभाग शामिल हैं। ये सभी ऐसे विभाग हैं जिनमें कामकाज की अधिकता होती है और इन विभागों का सीधा संबंध दिल्ली की जनता से है। आने वाले समय में इन विभागों में सुधार और गति लाना आतिशी के सामने बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, आतिशी के साथ मंत्रिमंडल में चार और वरिष्ठ और अनुभवी नेता शामिल हैं। इनमें गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत प्रमुख नाम हैं। मुकेश अहलावत सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं और पहली बार दिल्ली के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं। इन अनुभवी साथियों की मदद से आतिशी को दिल्ली के विकास और जनता से जुड़े मुद्दों पर काम करने का अवसर मिलेगा।

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आतिशी का मुख्यमंत्री बनना दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में शिक्षा और बिजली के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है, जिससे उन्हें जनता के बीच एक पहचान मिली है। आतिशी के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली की सरकार को सुचारू रूप से चलाना और आगामी चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत सुनिश्चित करना है। वहीं दूसरी ओर, भाजपा और अन्य विपक्षी दलों की तीखी नजरें उन पर टिकी रहेंगी। भाजपा पहले ही आतिशी के इस फैसले को असंवैधानिक करार दे चुकी है, और आगे भी इस मामले पर राजनीतिक जंग छिड़ सकती है।

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दिल्ली की 8वीं मुख्यमंत्री बनीं आतिशी, LG ने 5 अन्य मंत्रियों को भी दिलाई शपथ. https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/8th-chief-minister-of-delhi/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/8th-chief-minister-of-delhi/#respond Sat, 21 Sep 2024 12:11:42 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5052 आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी आज दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद यह सम्मान पाने वालीं। 43 वर्ष की आतिशी ने शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपने बेहतरीन काम की वजह से देशभर में पहचान …

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आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी आज दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद यह सम्मान पाने वालीं। 43 वर्ष की आतिशी ने शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपने बेहतरीन काम की वजह से देशभर में पहचान बनाई है और अब वह राष्ट्रीय राजधानी की सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में इतिहास रचने वाली हैं। शपथ समारोह से पहले आतिशी अपने आवास से निकलकर राजभवन के लिए रवाना हो चुकी हैं, वहीं, पार्टी के अन्य मंत्री और विधायक भी शपथ लेने के लिए तैयार हैं। दिल्ली सरकार के कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाली आतिशी का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प और चुनौतियों से भरा रहा है। साल 2013 में आतिशी ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और जल्द ही पार्टी की प्रमुख नेताओं में शामिल हो गईं। आतिशी की नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए सुधारों की पूरे देश में सराहना हुई।

2015 में, उन्होंने मध्य प्रदेश में जल सत्याग्रह में भाग लिया, जो उनकी समाज सेवा की भावना को प्रदर्शित करता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में, उन्हें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता गौतम गंभीर से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार को एक सीख के रूप में लिया और 2020 के विधानसभा चुनावों में कालकाजी सीट से शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को 11,000 से अधिक वोटों से हराया।

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आतिशी की शिक्षा और नीति-निर्माण में गहरी समझ और उनके अनुभव ने उन्हें दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत और प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया। अब, वह मुख्यमंत्री के रूप में नई जिम्मेदारियों को संभालने के लिए तैयार हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले मंगलवार को उपराज्यपाल (LG) को अपना इस्तीफा सौंपा था। इस्तीफे के बाद, आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। पार्टी के अंदर और बाहर आतिशी को इस भूमिका के लिए उपयुक्त नेता के रूप में देखा जा रहा है। आतिशी के साथ, पार्टी ने उनकी नई कैबिनेट में चार अन्य मंत्रियों को भी जगह दी है, जो उनके साथ काम करेंगे। इनमें गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन शामिल हैं, जो पूर्ववर्ती सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।

एक नए चेहरे के रूप में, सुल्तानपुर माजरा से विधायक मुकेश अहलावत को भी कैबिनेट में जगह दी गई है। मुकेश अहलावत अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और वह राजकुमार आनंद की जगह लेंगे। अब दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल छह मंत्रियों की टीम होगी। शपथ ग्रहण समारोह से पहले आतिशी, प्रस्तावित मंत्रियों के साथ, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके घर पहुंची थीं। यह मुलाकात नई सरकार के एजेंडे और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण थी। बैठक के बाद, आतिशी और अन्य मंत्री केजरीवाल के साथ राजनिवास के लिए निकल गए, जहां वह शपथ लेंगे।

दिल्ली के कैबिनेट मंत्री के रूप में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत शपथ लेंगे। इन मंत्रियों के साथ, दिल्ली की नई सरकार जनता के कल्याण और विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हुए अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। शपथ ग्रहण से पहले, आप नेता गोपाल राय ने कहा, “जनता के लिए काम करना हमारी प्राथमिकता है और दिल्ली की जनता ने हमें काम करने के लिए चुना है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार में बदलाव विशेष परिस्थितियों के कारण हुआ है, लेकिन उनका लक्ष्य बचे हुए महीनों में लंबित कामों को पूरा करना है।

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आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे ने भी शपथ से पहले अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पूरी दिल्ली और देश ने देखा कि कैसे बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को तोड़ने के इरादे से संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया। उन्होंने ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के जरिए हमारे नेताओं को गिरफ्तार करने की कोशिश की। लेकिन अदालतों और संविधान ने हमें न्याय दिया।” मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी की प्राथमिकता दिल्ली की जनता के लिए बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सेवाओं को उपलब्ध कराना होगा। आतिशी का मानना है कि दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार और नई तकनीकों का उपयोग बेहद जरूरी है।

पार्टी के सूत्रों के अनुसार, आतिशी का कार्यकाल पार्टी के एजेंडे को और आगे ले जाने का प्रयास करेगा, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा में और सुधार और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर दिया जाएगा।

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आम आदमी पार्टी की मांग, राष्ट्रीय दलों के प्रमुख को मिलती है सरकारी सुविधाएं https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/common-man-party-demand-money/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/21/common-man-party-demand-money/#respond Sat, 21 Sep 2024 07:54:30 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5040 आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद राघव चड्ढा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मांग को उठाया। उन्होंने बताया कि देश के सभी राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों को सरकारी आवास और कार्यालय की सुविधा दी जाती है, लेकिन अभी तक आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को यह …

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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद राघव चड्ढा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मांग को उठाया। उन्होंने बताया कि देश के सभी राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों को सरकारी आवास और कार्यालय की सुविधा दी जाती है, लेकिन अभी तक आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को यह सुविधा नहीं मिली है। राघव चड्ढा ने कहा, “दिल्ली में कांग्रेस, बीजेपी, और बसपा जैसी सभी राष्ट्रीय पार्टियों के प्रमुखों को सरकारी आवास दिया गया है, लेकिन अरविंद केजरीवाल को अभी तक यह अधिकार नहीं मिला है।”

राघव चड्ढा ने बताया कि आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार को एक औपचारिक पत्र लिखकर अरविंद केजरीवाल के लिए सरकारी आवास की मांग करेगी। उन्होंने कहा, “हम विकास मंत्रालय से आग्रह करेंगे कि अरविंद केजरीवाल, जो एक राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक हैं, उन्हें भी सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाए। यह चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों का अधिकार है।”

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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केजरीवाल जल्द ही मुख्यमंत्री पद से संबंधित सभी सुविधाओं को छोड़ देंगे, लेकिन राष्ट्रीय संयोजक के नाते उन्हें कानूनी रूप से सरकारी आवास की सुविधा मिलनी चाहिए। राघव चड्ढा ने कहा, “यह चुनाव आयोग की तरफ से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों के प्रमुखों का कानूनी हक है, और हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार इस मांग को मान्यता देगी।”

आम आदमी पार्टी का तर्क है कि चूंकि पार्टी अब एक राष्ट्रीय दल है और देश के कई हिस्सों में इसकी उपस्थिति है, इसलिए इसके राष्ट्रीय संयोजक को भी अन्य दलों के प्रमुखों की तरह सरकारी आवास की सुविधा दी जानी चाहिए। राघव चड्ढा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करे और अरविंद केजरीवाल को उनके हक का आवास उपलब्ध कराए।

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जब मीडिया ने राघव चड्ढा से पूछा कि क्या अरविंद केजरीवाल तब तक सिविल लाइंस के आवास में रहेंगे, जब तक उन्हें सरकारी आवास नहीं मिल जाता, तो उन्होंने कहा कि केजरीवाल जल्द ही मुख्यमंत्री पद से मिलने वाली सभी सुविधाओं को छोड़ देंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को सरकारी आवास की सुविधा मिलनी चाहिए, और इसके लिए पार्टी केंद्र सरकार से औपचारिक रूप से संपर्क करेगी। इस प्रकार, आम आदमी पार्टी की यह मांग एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकती है, क्योंकि पार्टी अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है और वह अपने प्रमुख के लिए उन सुविधाओं की मांग कर रही है, जो अन्य राष्ट्रीय दलों को दी जाती हैं।

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हरियाणा दौरे पर अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी के समर्थन के बिना सरकार बनना मुश्किल https://chaupalkhabar.com/2024/09/20/arvind-k-on-haryana-tour/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/20/arvind-k-on-haryana-tour/#respond Fri, 20 Sep 2024 11:25:11 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5015 दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आज हरियाणा दौरे पर हैं। यमुनानगर के जगाधरी में आयोजित जनसभा के दौरान वह पार्टी प्रत्याशी आदर्श पाल के लिए प्रचार कर रहे हैं। इस जनसभा और रोड शो को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। उनका रोड शो …

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आज हरियाणा दौरे पर हैं। यमुनानगर के जगाधरी में आयोजित जनसभा के दौरान वह पार्टी प्रत्याशी आदर्श पाल के लिए प्रचार कर रहे हैं। इस जनसभा और रोड शो को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। उनका रोड शो जगाधरी के झंडा चौक से शुरू होकर इंद्रा कॉलोनी तक जाएगा। केजरीवाल ने अपने भाषण में हरियाणा में राजनीतिक बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हरियाणा के लोग बदलाव चाहते हैं और इस बदलाव में आम आदमी पार्टी की अहम भूमिका होगी। हमने आकलन किया है, और मुझे यकीन है कि AAP के समर्थन के बिना हरियाणा में अगली सरकार नहीं बनेगी।”

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उन्होंने कहा कि दिल्ली में आप सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में जो काम किया है, वही मॉडल वह हरियाणा में लागू करना चाहते हैं। उन्होंने अपने रोड शो के दौरान जनता को यह विश्वास दिलाया कि हरियाणा में भी आप उसी तरह से काम करेगी जैसे उसने दिल्ली में किया है। रोड शो के दौरान अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की प्रमुख योजनाओं का उल्लेख किया और हरियाणा की जनता से वादा किया कि वे भी उन्हीं योजनाओं से लाभान्वित होंगे। इनमें प्रमुख रूप से पांच गारंटी शामिल हैं:

1.  हरियाणा में सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का वादा।
2.  मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं और मोहल्ला क्लीनिक का मॉडल लागू करने का आश्वासन।
3.  युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा करने की योजना।
4.  महिलाओं की सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विशेष कार्यक्रम।
5.  गरीबों और जरूरतमंदों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार।

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जगाधरी में रोड शो के बाद अरविंद केजरीवाल हरियाणा के अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। उनकी प्रचार यात्रा में डबवाली, रानिया, भिवानी, मेहम, पूंडरी, कलायत, रेवाड़ी, दादरी, असंध, बल्लभगढ़ और बादरा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन जगहों पर केजरीवाल पार्टी के स्थानीय उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाएंगे और जनता को आम आदमी पार्टी की नीतियों और योजनाओं से अवगत कराएंगे।

 

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‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर केजरीवाल और आप का विरोध, संजय सिंह ने भाजपा पर हमला बोला https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/one-nation-one-election-at-kejar/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/one-nation-one-election-at-kejar/#respond Thu, 19 Sep 2024 12:55:07 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4995 केंद्र की मोदी सरकार ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद देश में इस मुद्दे पर चर्चा और विवाद तेज हो गए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें पार्टी …

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केंद्र की मोदी सरकार ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद देश में इस मुद्दे पर चर्चा और विवाद तेज हो गए हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है। अरविंद केजरीवाल ने वीडियो में कहा कि भाजपा ने हाल ही में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का नया जुमला पेश किया है और उन्होंने सवाल किया कि क्या इसकी वास्तव में आवश्यकता है? केजरीवाल ने तंज करते हुए कहा कि जब चुनाव होते हैं, तब नेता अपने वादों और आश्वासनों के साथ लोगों के दरवाजे पर आते हैं। वे हर चुनाव के समय जनता के सामने आकर मीठी बातें करते हैं और यह जनप्रतिनिधियों की एक जिम्मेदारी होती है।

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केजरीवाल ने यह भी कहा कि भाजपा के ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव का मकसद केवल यह है कि नेताओं को लंबे समय तक जनता से दूर रहने का मौका मिले। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब सभी चुनाव एक साथ होंगे, तो नेता साढ़े चार साल तक ‘ऐश’ करेंगे और उसके बाद जनता को कुछ चुनावी लाभ देकर वोट मांगेंगे। उन्होंने इस स्थिति की तुलना एक तानाशाही से की, जिसमें नेताओं को बिना किसी सवाल के सत्ता में बने रहने का मौका मिलेगा। अरविंद केजरीवाल ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के बजाय ‘वन नेशन-वन एजुकेशन’ और ‘वन नेशन-वन इलाज’ की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों को समान शिक्षा और समान स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने यह सुझाव दिया कि सभी स्कूल और अस्पताल समान गुणवत्ता के हों, ताकि गरीब और अमीर के बीच भेदभाव समाप्त हो सके और हर किसी को बेहतर शिक्षा और इलाज मिल सके।

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आप ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के विरोध में बार-बार आवाज उठाई है। अब पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। संजय सिंह ने भाजपा पर भ्रष्टाचार और कमीशन के आरोप लगाए और कहा कि भाजपा ‘वन नेशन, वन करप्शन’ और ‘वन नेशन, वन कमीशन’ की पार्टी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अब देश में ऐसी तानाशाही चाहते हैं जहां पांच साल तक कोई उनसे सवाल न कर सके। संजय सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर चुनाव नहीं होते, तो यूपी में किसानों के लिए ‘काले कानून’ वापस नहीं लिए जाते और पेट्रोल, डीजल, LPG सिलेंडर की कीमतें भी नहीं घटतीं। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान नेताओं और पार्टियों की लाचारी जनता के हित में होती है, क्योंकि यह उन्हें काम करने और जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रेरित करता है।

इस प्रकार, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक बहस जारी है और विभिन्न दल अपनी-अपनी राय प्रस्तुत कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं का यह स्पष्ट कहना है कि इस प्रस्ताव के बजाय देश को शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में अधिक ध्यान देना चाहिए।

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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी, कैबिनेट में जातीय संतुलन की कवायद https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/new-chief-minister-of-delhi/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/new-chief-minister-of-delhi/#respond Thu, 19 Sep 2024 10:20:55 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4983 आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण है क्योंकि फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए AAP ने अपने रणनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संदर्भ में आतिशी की कैबिनेट को लेकर …

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आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रही हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण है क्योंकि फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए AAP ने अपने रणनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संदर्भ में आतिशी की कैबिनेट को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल इस बार मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे विभिन्न सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। सूत्रों के अनुसार, आतिशी की कैबिनेट में वर्तमान कैबिनेट के कुछ प्रमुख चेहरे जैसे गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन शामिल रहेंगे। इन सभी नेताओं का दिल्ली की राजनीति में गहरा प्रभाव है और ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखते हैं। इन चारों नेताओं ने पहले भी केजरीवाल कैबिनेट में प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं।

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इस बार चर्चा का एक प्रमुख विषय यह है कि आतिशी की कैबिनेट में एक दलित नेता को भी शामिल किया जा रहा है। नए चेहरों में सबसे प्रमुख नाम मुकेश अहलावत का सामने आया है। अहलावत सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं और दिल्ली में दलित समाज के बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं। वह 2020 में पहली बार विधायक बने थे, जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार राम चंदर चावड़िया को 74,573 वोटों से हराया था। जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 26,521 और कांग्रेस उम्मीदवार जय किशन को 9,033 वोट मिले थे।

मुकेश अहलावत पार्टी के साथ-साथ अपने समाज में भी एक मजबूत पकड़ रखते हैं, जो उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है। पिछले कुछ समय से पार्टी में उन्हें एक महत्वपूर्ण भूमिका देने की अटकलें थीं, और अब वह आतिशी कैबिनेट में मंत्री के रूप में शामिल हो सकते हैं। दिल्ली की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से ही अहम भूमिका निभाते आए हैं। निवर्तमान अरविंद केजरीवाल सरकार में कोई दलित मंत्री शामिल नहीं था, जो विपक्ष के लिए आलोचना का एक प्रमुख कारण बना। पहले राजेंद्र पाल गौतम, जो दलित समाज के एक प्रमुख नेता थे, केजरीवाल कैबिनेट में मंत्री थे, लेकिन एक विवाद के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उनके बाद राज कुमार आनंद को मंत्री पद दिया गया था, लेकिन उन्होंने भी कुछ समय पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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अब जब आतिशी मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, तो यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कैबिनेट में दलित समुदाय को भी प्रतिनिधित्व मिले। पहले कुलदीप कुमार का नाम मंत्री पद के लिए सामने आया था, लेकिन अब मुकेश अहलावत इस दौड़ में उनसे आगे निकल गए हैं। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव भी महत्वपूर्ण हैं। इस संदर्भ में AAP की रणनीति यही है कि जातीय संतुलन और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संतुलन बना रहे। मुकेश अहलावत का नाम पहले नॉर्थ वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार के रूप में भी चर्चा में रहा था। हालांकि, गठबंधन के चलते यह सीट कांग्रेस के हिस्से में चली गई थी।

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