bangladesh govt - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 19 Sep 2024 11:40:44 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg bangladesh govt - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 बांग्लादेश: सेना को मिली मजिस्ट्रेटी शक्तियां, कानून व्यवस्था सुधारने की कोशिश. https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/bangladesh-army-found-me/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/bangladesh-army-found-me/#respond Thu, 19 Sep 2024 11:40:44 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4988 बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से चल रही हिंसा और अस्थिर राजनीतिक हालातों के बीच, अंतरिम सरकार ने सेना को अस्थायी तौर पर मजिस्ट्रेटी शक्तियां प्रदान की हैं। यह फैसला कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने और विध्वंसक कृत्यों पर रोक लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। लोक प्रशासन मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना …

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बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से चल रही हिंसा और अस्थिर राजनीतिक हालातों के बीच, अंतरिम सरकार ने सेना को अस्थायी तौर पर मजिस्ट्रेटी शक्तियां प्रदान की हैं। यह फैसला कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने और विध्वंसक कृत्यों पर रोक लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। लोक प्रशासन मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, सेना के कमीशंड अधिकारियों को यह शक्तियां तत्काल प्रभाव से 17 सितंबर 2024 से अगले 60 दिनों के लिए दी गई हैं। यह फैसला तब आया है जब बांग्लादेश में लगातार बढ़ती हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास पर्याप्त संसाधनों और कर्मचारियों की कमी है। सेना को दी गई ये शक्तियां नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी समझी जा रही हैं ताकि देश में शांति और स्थिरता स्थापित की जा सके।

बांग्लादेश की स्वामित्व वाली बीएसएस समाचार एजेंसी के अनुसार, गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बुधवार को बताया कि पिछले कुछ हमलों के बाद से कई पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी पर लौट नहीं पाए हैं। इससे कानून व्यवस्था बनाए रखने में मुश्किलें आ रही हैं। चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि जो पुलिसकर्मी अब तक अपनी सेवाओं में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें अब ड्यूटी पर वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस स्थिति को देखते हुए, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सेना को मजिस्ट्रेटी शक्तियों से सशक्त किया है। ये शक्तियां सेना को गिरफ्तारी, हिरासत, और जरूरी स्थिति में बल प्रयोग की अनुमति देती हैं। इस कदम का उद्देश्य देश में फिर से हिंसा भड़कने की संभावनाओं को खत्म करना है।

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सेना को दी गई मजिस्ट्रेटी शक्तियों में गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने, और जरूरत पड़ने पर गोली चलाने का भी अधिकार शामिल है। सेना को ये शक्तियां कानून व्यवस्था सुधारने के लिए दी गई हैं, ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, बांग्लादेश की सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इन शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। बांग्लादेश के कानून सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा कि सेना के जवान इन शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करेंगे, और जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, इन शक्तियों की जरूरत नहीं रहेगी। सरकार ने यह भी कहा है कि यह कानून केवल 60 दिनों के लिए लागू रहेगा, और उसके बाद इसे खत्म कर दिया जाएगा।

हिंसा और अराजकता के बीच, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने संवैधानिक सुधार आयोग में भी बदलाव किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील शाहदीन मलिक की जगह बांग्लादेशी-अमेरिकी प्रोफेसर अली रियाज को इस आयोग का प्रमुख नियुक्त किया गया है। इस बदलाव की घोषणा मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के निर्देश पर की गई। यूनुस ने न्यायपालिका, चुनाव प्रणाली, प्रशासन, पुलिस, भ्रष्टाचार विरोधी आयोग और संविधान में व्यापक सुधार के लिए कुल छह आयोगों के गठन की घोषणा की थी। अली रियाज के नेतृत्व में संवैधानिक सुधार आयोग अब बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक ढांचे में सुधार के लिए काम करेगा।

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बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से आरक्षण के मुद्दे को लेकर छात्र आंदोलन कर रहे थे। यह आंदोलन देशभर में फैल गया था, जिसके चलते कई जगहों पर हिंसा और झड़पें देखने को मिलीं। बांग्लादेश की तत्कालीन सरकार ने इस स्थिति को संभालने के लिए सेना को तैनात किया था। 19 जुलाई 2024 की रात को पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद हिंसा की घटनाएं बढ़ती रहीं। 5 अगस्त 2024 को हुई भारी हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। उनके इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई थी।

शेख हसीना के इस्तीफे के तीन दिन बाद, 8 अगस्त 2024 को मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। इस सरकार का मुख्य उद्देश्य देश में शांति और स्थिरता बहाल करना और संवैधानिक सुधारों को अमल में लाना है। हालांकि, अंतरिम सरकार के गठन के बावजूद, बांग्लादेश में स्थिति अभी भी अराजक बनी हुई है। देशभर में हिंसा और उपद्रव को नियंत्रित करने के लिए अब भी सेना के जवान तैनात हैं। अंतरिम सरकार का प्रयास है कि कानून व्यवस्था में सुधार किया जाए और देश को फिर से शांति की ओर ले जाया जाए।

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बांग्लादेश में पाकिस्तान की मदद से परमाणु शक्ति बनने की मांग, बढ़ रहा भारत विरोध https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/bangladesh-in-pakistan/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/bangladesh-in-pakistan/#respond Mon, 16 Sep 2024 05:56:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4891 बांग्लादेश में हाल ही में भारत विरोधी भावना तेज़ी से उभर रही है, खासकर शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिदुज्जमां द्वारा की गई एक नई मांग ने इस भावना को और हवा दी है। उन्होंने अपने हालिया संबोधन में कहा कि बांग्लादेश को परमाणु शक्ति बनने के लिए पाकिस्तान …

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बांग्लादेश में हाल ही में भारत विरोधी भावना तेज़ी से उभर रही है, खासकर शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिदुज्जमां द्वारा की गई एक नई मांग ने इस भावना को और हवा दी है। उन्होंने अपने हालिया संबोधन में कहा कि बांग्लादेश को परमाणु शक्ति बनने के लिए पाकिस्तान के साथ संधि करनी चाहिए। उनका मानना है कि पाकिस्तान बांग्लादेश का सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद सहयोगी हो सकता है और भारत से मुकाबला करने के लिए यह आवश्यक है। एक सेमिनार में बोलते हुए, प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने बांग्लादेश को परमाणु संपन्न बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है, और इसके लिए पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि करना सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा, “हमें पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि करनी होगी। पाकिस्तान बांग्लादेश का सबसे भरोसेमंद सुरक्षा सहयोगी है, लेकिन भारत इस तथ्य को स्वीकार नहीं करना चाहता।”

प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि परमाणु संपन्न होने का मतलब यह नहीं कि बांग्लादेश को खुद परमाणु हथियार विकसित करने चाहिए। उनका कहना था कि पाकिस्तान की तकनीक और विशेषज्ञता का उपयोग करके बांग्लादेश को परमाणु सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत की वर्तमान स्थिति और सोच को चुनौती देने के लिए हमें परमाणु सक्षम बनने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। पाकिस्तान के साथ इस संदर्भ में सहयोग से हम अपनी सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।”

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प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि बांग्लादेश के पास पाकिस्तान के सहयोग के बिना भारत से मुकाबला करने की कोई ठोस रणनीति नहीं हो सकती। उनके अनुसार, पाकिस्तान की सैन्य ताकत और उसकी मिसाइल तकनीक बांग्लादेश के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत से निपटने के लिए पाकिस्तान का समर्थन आवश्यक है।

सबसे विवादास्पद टिप्पणी तब आई जब प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने पाकिस्तानी मिसाइलों को बांग्लादेश में तैनात करने की मांग की। उन्होंने कहा, “हमें पाकिस्तान से गौरी शॉर्ट-रेंज मिसाइलें हासिल करनी चाहिए और उन्हें उत्तरी बांग्लादेश और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात करना चाहिए। यह कदम भारत पर दबाव डालने का प्रभावी तरीका हो सकता है।”

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शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी बयानों की बाढ़ सी आ गई है। बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अब पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों की वकालत कर रहे हैं। शाहिदुज्जमां जैसे लोग अब खुलकर यह कह रहे हैं कि भारत के प्रभाव को रोकने के लिए पाकिस्तान ही एकमात्र विकल्प है। बांग्लादेश में इस बढ़ती भारत विरोधी भावना और पाकिस्तान समर्थक विचारधारा ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को एक नए मोड़ पर ला दिया है।

 

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“बांग्लादेश में आरक्षण की अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का हिंसक विरोध, 39 की मौत, 2500 घायल” https://chaupalkhabar.com/2024/07/19/reservation-in-bangladesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/07/19/reservation-in-bangladesh/#respond Fri, 19 Jul 2024 06:42:46 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3948 बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण की अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है, जिससे अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है। ढाका में हजारों छात्र लाठियों और पत्थरों से लैस होकर सशस्त्र पुलिस बलों से भिड़ गए, जिसमें 2500 से अधिक लोग घायल हो गए। हिंसा को नियंत्रित …

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बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण की अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है, जिससे अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है। ढाका में हजारों छात्र लाठियों और पत्थरों से लैस होकर सशस्त्र पुलिस बलों से भिड़ गए, जिसमें 2500 से अधिक लोग घायल हो गए। हिंसा को नियंत्रित करने के लिए, कई स्थानों पर मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। चटगांव में राजमार्ग को अवरुद्ध करने वाले छात्रों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। बढ़ती हिंसा के कारण अधिकारियों द्वारा गुरुवार दोपहर से ढाका आने-जाने वाली रेलवे सेवाओं और मेट्रो रेल सेवा को भी रोकना पड़ा।

प्रदर्शनकारी छात्रों की मुख्य मांगें क्या हैं और बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का कानून क्या है? बांग्लादेश में वर्तमान में आरक्षण प्रणाली के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं। जिसमे से 30 प्रतिशत आरक्षण 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए और 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए एवं 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और जिसमे से 1 प्रतिशत दिव्यांग लोगों के लिएभी आरक्षित हैबांग्लादेश में वर्तमान में आरक्षण प्रणाली के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं। जिसमे से 30 प्रतिशत आरक्षण 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए और 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए एवं 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और जिसमे से 1 प्रतिशत दिव्यांग लोगों के लिएभी आरक्षित हैइन आरक्षण प्रणालियों में सबसे विवादास्पद वह 30 प्रतिशत आरक्षण है, जो स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को दिया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रों का आरोप है कि सरकार इस आरक्षण का दुरुपयोग कर रही है और यह आरक्षण उन लोगों को दिया जा रहा है जो शेख हसीना की सरकार का समर्थन करते हैं। छात्रों का यह भी आरोप है कि सरकारी नौकरियां मेरिट के आधार पर नहीं दी जा रही हैं, जिससे योग्य उम्मीदवार वंचित रह जाते हैं।

इस हिंसा के बीच 300 से अधिक भारतीय, नेपाली और भूटानी नागरिक मेघालय में प्रवेश कर गए हैं। जिसमे से अधिकांश छात्र शामिल हैं। गृह विभाग ने बताया कि बांग्लादेश में हिंसा के कारण फंसे 310 भारतीय, नेपाली और भूटानी नागरिक डाउकी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के जरिए भारत आ गए हैं। इनमें 202 भारतीय, 101 नेपाली और सात भूटानी नागरिक शामिल हैं। इस स्थिति ने बांग्लादेश की सरकार को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है। सरकार पर आरोप है कि वह आरक्षण प्रणाली का दुरुपयोग कर रही है और योग्य उम्मीदवारों को नौकरियों से वंचित कर रही है। छात्रों की मांग है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार किया जाए और मेरिट के आधार पर नौकरियां प्रदान की जाएं।

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छात्रों का विरोध प्रदर्शन न केवल आरक्षण प्रणाली की अनियमितताओं को उजागर करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि बांग्लादेश में युवा वर्ग सरकार की नीतियों से कितना असंतुष्ट है। इस आंदोलन ने देश के कई हिस्सों में अशांति फैला दी है और सरकार को इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए मजबूर कर दिया है। सरकार को अब इस स्थिति का समाधान निकालना होगा ताकि देश में शांति और स्थिरता बनी रहे और योग्य उम्मीदवारों को उनका हक मिल सके। बांग्लादेश की इस स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भी नजर है और यह देखना होगा कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे करती है।

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