Bangladesh - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 23 Sep 2024 11:21:40 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Bangladesh - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला, बुलडोजर, वक्फ संशोधन और बांग्लादेश पर उठाए गंभीर सवाल https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/owaisis-attack-on-modi-government/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/23/owaisis-attack-on-modi-government/#respond Mon, 23 Sep 2024 11:21:40 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5070 ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने मुसलमानों के खिलाफ जारी बुलडोजर कार्रवाई, वक्फ संशोधन बिल, और बांग्लादेश के मुद्दों को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओवैसी ने मध्य प्रदेश में बुलडोजर द्वारा …

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने मुसलमानों के खिलाफ जारी बुलडोजर कार्रवाई, वक्फ संशोधन बिल, और बांग्लादेश के मुद्दों को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओवैसी ने मध्य प्रदेश में बुलडोजर द्वारा मुसलमानों के घरों को गिराने के मामले पर बीजेपी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश पुलिस ने 20 हजार स्क्वायर फीट में बने एक मुस्लिम व्यक्ति का घर बुलडोजर से गिरा दिया। हाजी शहजाद अली की कोठी थी, जिसे बुलडोजर से तोड़ा गया। वह अपने नए घर में सामान रख रहे थे, लेकिन बीजेपी सरकार ने उनका घर तबाह कर दिया।”

ओवैसी का आरोप है कि बीजेपी सरकार जानबूझकर मुसलमानों के घरों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश का जिला अधिकारी (DM) साफ कहता है कि वह सिर्फ मुसलमानों के घरों को तोड़ेगा। महाराष्ट्र में भी ऐसी ही स्थिति है, जहां मस्जिद में घुसकर मारने की धमकी दी जा रही है।” ओवैसी ने बीजेपी की नीतियों की तुलना हिटलर के शासन से करते हुए कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत बिल्कुल वैसी ही है, जैसी यहूदियों के खिलाफ हिटलर के समय में थी। उन्होंने कहा, “हिटलर भी यहूदियों पर इसी तरह अत्याचार करता था। इसी प्रकार, आज मुसलमानों के घर तोड़े जा रहे हैं, उनकी दुकानें तबाह की जा रही हैं, और उनके खिलाफ पिक्चर बनाई जा रही हैं।”

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वक्फ संशोधन बिल को लेकर भी ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून लागू हो जाता है तो मुसलमानों की मस्जिदें और वक्फ की जमीनें छीन ली जाएंगी। ओवैसी ने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि राज्य में करीब 1 लाख 21 हजार वक्फ प्रॉपर्टीज हैं, जिनमें से 1 लाख 11 हजार के पास आवश्यक कागजात नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अगर वक्फ बाई यूजर कानून खत्म होता है, तो ये सारी संपत्तियां सरकार के कब्जे में चली जाएंगी।” इसके अलावा, ओवैसी ने वक्फ बोर्ड में हिंदू सदस्यों को शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जब हिंदू मंदिरों से जुड़े बोर्ड में कोई गैर हिंदू सदस्य नहीं हो सकता, तो वक्फ बोर्ड में गैर मुसलमानों को क्यों शामिल किया जा रहा है? ओवैसी ने साफ किया कि उन्हें हिंदू समुदाय से कोई व्यक्तिगत नफरत नहीं है, बल्कि यह धार्मिक और सांविधानिक सिद्धांत का मामला है।

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ओवैसी ने बांग्लादेश के मुद्दे पर भी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार बांग्लादेश के मामलों में ढुलमुल रवैया अपना रही है। ओवैसी ने पूछा, “बीजेपी वाले मुझसे पूछते हैं कि मैं बांग्लादेश पर क्यों नहीं बोलता। लेकिन सच्चाई यह है कि बांग्लादेश में हो रही घटनाओं के लिए मोदी सरकार ही जिम्मेदार है।”उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना को समर्थन दे रहे हैं, जबकि वहां से आतंकवाद फैलने की आशंका है। ओवैसी ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अगर उन्हें बांग्लादेश से इतनी समस्या है, तो वहां के साथ क्रिकेट मैच क्यों खेले जा रहे हैं?

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बांग्लादेश: सेना को मिली मजिस्ट्रेटी शक्तियां, कानून व्यवस्था सुधारने की कोशिश. https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/bangladesh-army-found-me/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/19/bangladesh-army-found-me/#respond Thu, 19 Sep 2024 11:40:44 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4988 बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से चल रही हिंसा और अस्थिर राजनीतिक हालातों के बीच, अंतरिम सरकार ने सेना को अस्थायी तौर पर मजिस्ट्रेटी शक्तियां प्रदान की हैं। यह फैसला कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने और विध्वंसक कृत्यों पर रोक लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। लोक प्रशासन मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना …

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बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से चल रही हिंसा और अस्थिर राजनीतिक हालातों के बीच, अंतरिम सरकार ने सेना को अस्थायी तौर पर मजिस्ट्रेटी शक्तियां प्रदान की हैं। यह फैसला कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने और विध्वंसक कृत्यों पर रोक लगाने के उद्देश्य से लिया गया है। लोक प्रशासन मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, सेना के कमीशंड अधिकारियों को यह शक्तियां तत्काल प्रभाव से 17 सितंबर 2024 से अगले 60 दिनों के लिए दी गई हैं। यह फैसला तब आया है जब बांग्लादेश में लगातार बढ़ती हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास पर्याप्त संसाधनों और कर्मचारियों की कमी है। सेना को दी गई ये शक्तियां नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी समझी जा रही हैं ताकि देश में शांति और स्थिरता स्थापित की जा सके।

बांग्लादेश की स्वामित्व वाली बीएसएस समाचार एजेंसी के अनुसार, गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बुधवार को बताया कि पिछले कुछ हमलों के बाद से कई पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी पर लौट नहीं पाए हैं। इससे कानून व्यवस्था बनाए रखने में मुश्किलें आ रही हैं। चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि जो पुलिसकर्मी अब तक अपनी सेवाओं में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें अब ड्यूटी पर वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस स्थिति को देखते हुए, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सेना को मजिस्ट्रेटी शक्तियों से सशक्त किया है। ये शक्तियां सेना को गिरफ्तारी, हिरासत, और जरूरी स्थिति में बल प्रयोग की अनुमति देती हैं। इस कदम का उद्देश्य देश में फिर से हिंसा भड़कने की संभावनाओं को खत्म करना है।

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सेना को दी गई मजिस्ट्रेटी शक्तियों में गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने, और जरूरत पड़ने पर गोली चलाने का भी अधिकार शामिल है। सेना को ये शक्तियां कानून व्यवस्था सुधारने के लिए दी गई हैं, ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, बांग्लादेश की सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इन शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। बांग्लादेश के कानून सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा कि सेना के जवान इन शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करेंगे, और जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, इन शक्तियों की जरूरत नहीं रहेगी। सरकार ने यह भी कहा है कि यह कानून केवल 60 दिनों के लिए लागू रहेगा, और उसके बाद इसे खत्म कर दिया जाएगा।

हिंसा और अराजकता के बीच, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने संवैधानिक सुधार आयोग में भी बदलाव किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील शाहदीन मलिक की जगह बांग्लादेशी-अमेरिकी प्रोफेसर अली रियाज को इस आयोग का प्रमुख नियुक्त किया गया है। इस बदलाव की घोषणा मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के निर्देश पर की गई। यूनुस ने न्यायपालिका, चुनाव प्रणाली, प्रशासन, पुलिस, भ्रष्टाचार विरोधी आयोग और संविधान में व्यापक सुधार के लिए कुल छह आयोगों के गठन की घोषणा की थी। अली रियाज के नेतृत्व में संवैधानिक सुधार आयोग अब बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक ढांचे में सुधार के लिए काम करेगा।

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बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से आरक्षण के मुद्दे को लेकर छात्र आंदोलन कर रहे थे। यह आंदोलन देशभर में फैल गया था, जिसके चलते कई जगहों पर हिंसा और झड़पें देखने को मिलीं। बांग्लादेश की तत्कालीन सरकार ने इस स्थिति को संभालने के लिए सेना को तैनात किया था। 19 जुलाई 2024 की रात को पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद हिंसा की घटनाएं बढ़ती रहीं। 5 अगस्त 2024 को हुई भारी हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। उनके इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई थी।

शेख हसीना के इस्तीफे के तीन दिन बाद, 8 अगस्त 2024 को मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। इस सरकार का मुख्य उद्देश्य देश में शांति और स्थिरता बहाल करना और संवैधानिक सुधारों को अमल में लाना है। हालांकि, अंतरिम सरकार के गठन के बावजूद, बांग्लादेश में स्थिति अभी भी अराजक बनी हुई है। देशभर में हिंसा और उपद्रव को नियंत्रित करने के लिए अब भी सेना के जवान तैनात हैं। अंतरिम सरकार का प्रयास है कि कानून व्यवस्था में सुधार किया जाए और देश को फिर से शांति की ओर ले जाया जाए।

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बांग्लादेश में पाकिस्तान की मदद से परमाणु शक्ति बनने की मांग, बढ़ रहा भारत विरोध https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/bangladesh-in-pakistan/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/16/bangladesh-in-pakistan/#respond Mon, 16 Sep 2024 05:56:04 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4891 बांग्लादेश में हाल ही में भारत विरोधी भावना तेज़ी से उभर रही है, खासकर शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिदुज्जमां द्वारा की गई एक नई मांग ने इस भावना को और हवा दी है। उन्होंने अपने हालिया संबोधन में कहा कि बांग्लादेश को परमाणु शक्ति बनने के लिए पाकिस्तान …

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बांग्लादेश में हाल ही में भारत विरोधी भावना तेज़ी से उभर रही है, खासकर शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाहिदुज्जमां द्वारा की गई एक नई मांग ने इस भावना को और हवा दी है। उन्होंने अपने हालिया संबोधन में कहा कि बांग्लादेश को परमाणु शक्ति बनने के लिए पाकिस्तान के साथ संधि करनी चाहिए। उनका मानना है कि पाकिस्तान बांग्लादेश का सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद सहयोगी हो सकता है और भारत से मुकाबला करने के लिए यह आवश्यक है। एक सेमिनार में बोलते हुए, प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने बांग्लादेश को परमाणु संपन्न बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है, और इसके लिए पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि करना सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा, “हमें पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि करनी होगी। पाकिस्तान बांग्लादेश का सबसे भरोसेमंद सुरक्षा सहयोगी है, लेकिन भारत इस तथ्य को स्वीकार नहीं करना चाहता।”

प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि परमाणु संपन्न होने का मतलब यह नहीं कि बांग्लादेश को खुद परमाणु हथियार विकसित करने चाहिए। उनका कहना था कि पाकिस्तान की तकनीक और विशेषज्ञता का उपयोग करके बांग्लादेश को परमाणु सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत की वर्तमान स्थिति और सोच को चुनौती देने के लिए हमें परमाणु सक्षम बनने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। पाकिस्तान के साथ इस संदर्भ में सहयोग से हम अपनी सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।”

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प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि बांग्लादेश के पास पाकिस्तान के सहयोग के बिना भारत से मुकाबला करने की कोई ठोस रणनीति नहीं हो सकती। उनके अनुसार, पाकिस्तान की सैन्य ताकत और उसकी मिसाइल तकनीक बांग्लादेश के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत से निपटने के लिए पाकिस्तान का समर्थन आवश्यक है।

सबसे विवादास्पद टिप्पणी तब आई जब प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने पाकिस्तानी मिसाइलों को बांग्लादेश में तैनात करने की मांग की। उन्होंने कहा, “हमें पाकिस्तान से गौरी शॉर्ट-रेंज मिसाइलें हासिल करनी चाहिए और उन्हें उत्तरी बांग्लादेश और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात करना चाहिए। यह कदम भारत पर दबाव डालने का प्रभावी तरीका हो सकता है।”

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शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी बयानों की बाढ़ सी आ गई है। बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अब पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों की वकालत कर रहे हैं। शाहिदुज्जमां जैसे लोग अब खुलकर यह कह रहे हैं कि भारत के प्रभाव को रोकने के लिए पाकिस्तान ही एकमात्र विकल्प है। बांग्लादेश में इस बढ़ती भारत विरोधी भावना और पाकिस्तान समर्थक विचारधारा ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को एक नए मोड़ पर ला दिया है।

 

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भारत द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं पर बांग्लादेश की नई सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया: सहयोग जारी रहेगा. https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/financed-by-india/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/11/financed-by-india/#respond Wed, 11 Sep 2024 07:26:54 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4809 बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्तीय सलाहकार सलेहुद्दीन अहमद ने मंगलवार को भारतीय वित्तपोषित परियोजनाओं की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह परियोजनाएं “काफी महत्वपूर्ण” हैं और देश में नई प्रशासन व्यवस्था के बावजूद यह जारी रहेंगी। उन्होंने भारत के साथ चल रहे द्विपक्षीय सहयोग को और अधिक बढ़ाने की इच्छा जताई। यह …

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्तीय सलाहकार सलेहुद्दीन अहमद ने मंगलवार को भारतीय वित्तपोषित परियोजनाओं की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह परियोजनाएं “काफी महत्वपूर्ण” हैं और देश में नई प्रशासन व्यवस्था के बावजूद यह जारी रहेंगी। उन्होंने भारत के साथ चल रहे द्विपक्षीय सहयोग को और अधिक बढ़ाने की इच्छा जताई। यह बयान ऐसे समय में आया है जब शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद से भारत द्वारा संचालित परियोजनाओं की समय पर क्रियान्वयन को लेकर चिंताएं उठ रही थीं। अहमद ने कहा कि नई सरकार भी इन परियोजनाओं के प्रति प्रतिबद्ध है, और इन्हें रोका नहीं जाएगा। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि इन परियोजनाओं के लिए भारत द्वारा बांग्लादेश को प्रदान की जा रही ऋण सुविधा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत द्वारा वित्तपोषित इन परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाने पर सहमति बनी।

भारत बांग्लादेश में विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और विकास परियोजनाओं के लिए ऋण सुविधा प्रदान कर रहा है। ये परियोजनाएं बांग्लादेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जिसमें सड़क निर्माण, रेलवे विस्तार और विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं। वित्तीय सलाहकार सलेहुद्दीन अहमद ने कहा कि यह परियोजनाएं बांग्लादेश की विकास प्रक्रिया के लिए बेहद जरूरी हैं और इन्हें बिना किसी रुकावट के पूरा किया जाएगा। भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा के साथ बैठक के दौरान, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा हुई। अहमद ने कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ अपने सहयोग को और अधिक व्यापक बनाना चाहता है, ताकि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हों और नए अवसरों का निर्माण हो सके।

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इस दौरान भारतीय उच्चायुक्त वर्मा ने बांग्लादेश को दी जा रही ऋण सुविधाओं पर जोर दिया और बताया कि भारत ने किसी भी ऋण सुविधा को रोका नहीं है। उन्होंने कहा, “ये परियोजनाएं बड़ी हैं और अलग-अलग स्थानों पर चल रही हैं, इसलिए ठेकेदार जल्द ही परियोजनाओं को फिर से शुरू करेंगे।” पिछले कुछ समय से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर संदेह उत्पन्न हुआ था। हालांकि, सलेहुद्दीन अहमद के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार इन परियोजनाओं को लेकर गंभीर है और उन्हें समय पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से चल रहे सहयोग ने दोनों देशों के विकास में योगदान दिया है। भारत द्वारा बांग्लादेश में चल रही परियोजनाओं को लेकर सकारात्मक रुख, दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और विकास की दिशा में आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नई अंतरिम सरकार के आने के बाद भी इन परियोजनाओं को बिना किसी रुकावट के पूरा करने की उम्मीद है, जिससे बांग्लादेश की विकास यात्रा को गति मिलेगी।

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भारत के लिए राहत की खबर! रोहिंग्या मुद्दे पर बांग्लादेश ने किया महत्वपूर्ण फैसला. https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/news-of-relief-for-india-roh/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/09/news-of-relief-for-india-roh/#respond Mon, 09 Sep 2024 06:14:59 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4744 बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख, मुहम्मद यूनुस ने रविवार को दक्षिण एशिया में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के पुनर्वास की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने की घोषणा की है। यह निर्णय म्यांमार और उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार हो रही हिंसा के चलते लिया गया है। हाल ही में म्यांमार में सत्तारूढ़ सेना …

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख, मुहम्मद यूनुस ने रविवार को दक्षिण एशिया में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के पुनर्वास की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने की घोषणा की है। यह निर्णय म्यांमार और उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार हो रही हिंसा के चलते लिया गया है। हाल ही में म्यांमार में सत्तारूढ़ सेना और एक शक्तिशाली बौद्ध जातीय मिलिशिया, अराकान आर्मी के बीच झड़पें और अधिक उग्र हो गई हैं। इन संघर्षों के परिणामस्वरूप करीब आठ हजार रोहिंग्या मुसलमान अपनी जान बचाने के लिए सीमा पार कर बांग्लादेश में शरण लेने पर मजबूर हुए हैं।

बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में पहले से ही दस लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं, जो 2017 में म्यांमार की सेना द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई के कारण वहां से भागने को मजबूर हुए थे। इन शिविरों में जगह की कमी और बुनियादी संसाधनों की भारी कमी के कारण स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की संभावनाएं बेहद कम नजर आती हैं, क्योंकि म्यांमार में उन्हें न केवल नागरिकता से वंचित रखा गया है, बल्कि उन्हें बुनियादी मानवाधिकार भी प्राप्त नहीं हैं। म्यांमार सरकार के इस रवैये के कारण, रोहिंग्या मुसलमानों का अपने देश लौट पाना बेहद कठिन हो गया है।

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इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश सरकार ने रोहिंग्या शरणार्थियों के पुनर्वास की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में तय किया गया कि बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों का पुनर्वास अब एक नियमित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा ताकि उन्हें स्थायी समाधान मिल सके। मुहम्मद यूनुस ने बैठक के बाद कहा कि “पुनर्वास प्रक्रिया को आसान, नियमित और सुचारू रूप से लागू करने की जरूरत है। हमारा उद्देश्य यह है कि इन शरणार्थियों को जल्द से जल्द स्थायी और सुरक्षित निवास मिल सके।”

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कॉक्स बाजार जैसे शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थी अमानवीय स्थितियों में जीवन जीने को मजबूर हैं। वहां की भीड़, सीमित संसाधन, और बीमारी फैलने का खतरा रोहिंग्या समुदाय के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है। ऐसे में पुनर्वास की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करना समय की मांग है। यह स्पष्ट है कि बांग्लादेश की सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए दीर्घकालिक समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का सहयोग भी इस प्रक्रिया में अनिवार्य रूप से जरूरी है।

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बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना को भारत से राजनीतिक बयान देने पर चेताया. https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/interim-sir-in-bangladesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/06/interim-sir-in-bangladesh/#respond Fri, 06 Sep 2024 11:07:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4709 बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ, मोहम्मद यूनुस ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में रहते हुए राजनीतिक बयान देने से मना किया है। यूनुस ने चेतावनी दी है कि हसीना के इस तरह के बयान भारत और बांग्लादेश के बीच के कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी …

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ, मोहम्मद यूनुस ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में रहते हुए राजनीतिक बयान देने से मना किया है। यूनुस ने चेतावनी दी है कि हसीना के इस तरह के बयान भारत और बांग्लादेश के बीच के कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे, ताकि वह वापस लौटने पर बांग्लादेश में कानूनी कार्यवाही का सामना कर सकें। यूनुस का कहना था कि अगर हसीना चुप रहतीं, तो संभवतः राजनीतिक स्थिति शांत हो जाती और जनता भी इसे भूल जाती। हालांकि, उनके निरंतर राजनीतिक बयानबाजी से बांग्लादेश में फिर से तनाव बढ़ सकता है और इससे क्षेत्रीय संबंध भी प्रभावित हो सकते हैं। अंतरिम चीफ ने चेतावनी दी कि यदि शेख हसीना ने अपनी बयानबाजी जारी रखी, तो इससे उनके व्यक्तिगत भविष्य और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट के बाद, शेख हसीना, जो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और आवामी लीग पार्टी की नेता हैं, भारत में निर्वासन में रहने लगीं। तख्तापलट के बाद हसीना ने संभावित कानूनी और राजनीतिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत में शरण ली थी। वर्तमान में वह भारत में रहते हुए बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति पर समय-समय पर बयान देती रहती हैं। ये बयान अक्सर विवाद का कारण बनते हैं, खासकर बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार और विपक्षी नेताओं के बीच। 13 अगस्त को, शेख हसीना ने बांग्लादेश में हुई हिंसा और हत्याओं की निंदा करते हुए इसे आतंकी घटना करार दिया था। इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल और गरम हो गया, और अंतरिम सरकार ने हसीना की राजनीति में हस्तक्षेप की आलोचना की। शेख हसीना के बयान के अलावा, मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों के मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने का दावा किया और कहा कि ये घटनाएं कुछ राजनीतिक समूहों द्वारा अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। यूनुस ने कहा कि हिंसा की घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन यह देश की वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शाती है।

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और हिंसा का मुद्दा हमेशा चिंता का विषय रहा है, और यूनुस की इस पर टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों के लिए तनाव पैदा कर सकती है। हालांकि, यूनुस का मानना है कि इसे राजनीतिक तौर पर गलत ढंग से पेश किया जा रहा है। मीडिया से बात करते हुए, यूनुस ने भारत और बांग्लादेश के बीच मजबूत कूटनीतिक संबंधों की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को प्राथमिकता देते हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, यूनुस ने भारत द्वारा बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टियों के प्रति नजरिए पर चिंता व्यक्त की। यूनुस का मानना है कि भारत अक्सर बांग्लादेश की किसी भी पार्टी को, जो आवामी लीग के अलावा हो, एक इस्लामिक चरित्र वाली पार्टी के रूप में देखता है, जो एक गलत दृष्टिकोण है। उन्होंने भारत से इस नजरिए को बदलने की अपील की, और कहा कि बांग्लादेश की राजनीतिक विविधता को समझना जरूरी है। यूनुस ने यह भी स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में आवामी लीग के अलावा किसी भी पार्टी की सरकार बनने पर देश अफगानिस्तान में तब्दील नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, चाहे जो भी पार्टी सत्ता में हो, अपनी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष परंपराओं को बनाए रखेगा।

भारत में शेख हसीना के ठहराव का मुद्दा बांग्लादेश में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर सहित विपक्षी नेताओं ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। आलमगीर ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंधों को सुधारने के लिए शेख हसीना का बांग्लादेश लौटना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अगर हसीना भारत में ही रहती हैं, तो इससे दोनों देशों के रिश्तों में और दरार आ सकती है। आलमगीर के बयान से यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश के विपक्षी दलों में हसीना की भारत में उपस्थिति को लेकर असंतोष है। उनका मानना है कि हसीना की वापसी से राजनीतिक मुद्दे सुलझ सकते हैं और दोनों देशों के बीच सकारात्मक कूटनीतिक वार्ता का रास्ता खुल सकता है।

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शेख हसीना के निर्वासन से बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है। उनकी अनुपस्थिति और भारत से उनकी निरंतर राजनीतिक भागीदारी ने देश में राजनीतिक स्थिरता को कठिन बना दिया है। अंतरिम सरकार, यूनुस के नेतृत्व में, कानून और व्यवस्था बनाए रखने और अल्पसंख्यक मुद्दों जैसे गंभीर मामलों पर ध्यान दे रही है। हालांकि, यूनुस द्वारा हसीना की राजनीतिक बयानबाजी के खिलाफ चेतावनी से यह स्पष्ट है कि स्थिति अब भी संवेदनशील बनी हुई है। हसीना के प्रत्यर्पण और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना देश में राजनीतिक अनिश्चितता को और बढ़ा सकती है। बांग्लादेश के राजनीतिक नेता इस मुद्दे का समाधान करने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन समाधान का रास्ता अभी भी अस्पष्ट है।

बांग्लादेश में वर्तमान राजनीतिक स्थिति अनिश्चित है, और शेख हसीना, अंतरिम सरकार और भारत के बीच के संबंध भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यूनुस जहां भारत के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने और बांग्लादेश को स्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की विदेश से जारी राजनीति ने इन प्रयासों को जटिल बना दिया है। हसीना की वापसी से स्थिति सुधर सकती है, लेकिन इससे राजनीतिक अस्थिरता का जोखिम भी बना रहेगा।

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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा, विहिप का प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री से करेगा मुलाकात, सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/bangladesh-in-hindus/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/05/bangladesh-in-hindus/#respond Thu, 05 Sep 2024 06:25:37 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4660 बांग्लादेश में हालिया हिंसा को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का एक प्रतिनिधिमंडल आज केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात करेगा। यह मुलाकात गृह मंत्री के निवास पर कृष्णा मेनन मार्ग पर होगी। विहिप के इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य बांग्लादेश में हो रहे हिंदू विरोधी हिंसा के मामलों पर भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करना है। …

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बांग्लादेश में हालिया हिंसा को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का एक प्रतिनिधिमंडल आज केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात करेगा। यह मुलाकात गृह मंत्री के निवास पर कृष्णा मेनन मार्ग पर होगी। विहिप के इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य बांग्लादेश में हो रहे हिंदू विरोधी हिंसा के मामलों पर भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करना है। प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री को एक ज्ञापन सौंपेगा, जिसमें वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार से आवश्यक कदम उठाने की मांग करेंगे प्रतिनिधिमंडल में कई प्रमुख धार्मिक हस्तियां और विहिप के वरिष्ठ सदस्य शामिल होंगे। महामंडलेश्वर बालकानंद, महंत नवल किशोर और बौद्ध संत राहुल भंते इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। इसके साथ ही विहिप दिल्ली के महामंत्री सुरेंद्र गुप्ता भी बैठक में उपस्थित रहेंगे।

बांग्लादेश में 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के बेदखल होने के बाद से देश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। खासकर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले, उनके घरों को जलाने, दुकानें लूटने, और यहां तक कि हत्या जैसे गंभीर अपराधों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। बुधवार को जारी एक मानवाधिकार समिति की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में केवल हिंदू समुदाय के खिलाफ 200 से अधिक हिंसा के मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें हिंदू महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म, गांवों से बहिष्कार, धमकाने, घरों और मंदिरों को जलाने, दुकानों की लूटपाट, हत्या, और नौकरी से जबरन इस्तीफा दिलाने जैसे मामले शामिल हैं।

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विहिप के अनुसार, इन हिंसात्मक घटनाओं में अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। इसीलिए भारत सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और बांग्लादेश की सरकार पर दबाव बनाना चाहिए ताकि वहां रहने वाले हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय सुरक्षित महसूस कर सकें। केरल के कन्नूर में संघ के समन्वय बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था। इस तीन दिवसीय बैठक में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों और धार्मिक उत्पीड़न के बारे में विस्तार से चर्चा हुई थी। इसमें समवैचारिक संगठनों ने इस विषय पर विचार-विमर्श किया और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए।

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विहिप और अन्य हिंदू संगठनों का मानना है कि भारत, जो बांग्लादेश का पड़ोसी और सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, को इस हिंसा को रोकने में अहम भूमिका निभानी चाहिए। ज्ञापन में भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि वह बांग्लादेश की सरकार से वार्ता करे और सुनिश्चित करे कि वहां के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान की जाए। हिंदू संगठनों ने बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों को मानवाधिकार उल्लंघन करार दिया है। उनके अनुसार, यह एक गंभीर समस्या है जिसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया जाना चाहिए।

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पीएम मोदी ने पहली बार मुहम्मद यूनुस से फोन पर बातचीत की, हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर मिला भरोसा. https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/pm-modi-launched-the-campaign-for-the-first-time/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/16/pm-modi-launched-the-campaign-for-the-first-time/#respond Fri, 16 Aug 2024 11:46:26 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4339 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख, प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस से फोन पर बात की, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्वीट के माध्यम से दी। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने वर्तमान स्थिति पर अपने विचार साझा किए और एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को फिर …

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख, प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस से फोन पर बात की, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्वीट के माध्यम से दी। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने वर्तमान स्थिति पर अपने विचार साझा किए और एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन को फिर से स्पष्ट किया। इसके साथ ही, उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा का आश्वासन भी दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक हफ्ते में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के मुद्दे को दो बार उठाया है। सबसे पहले, आठ अगस्त को, जब प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला था, तब पीएम मोदी ने उन्हें बधाई दी थी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था।

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इसके बाद, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत के 140 करोड़ नागरिकों को बांग्लादेश के हिंदुओं की स्थिति की चिंता है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही वहां के हालात सामान्य होंगे।

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प्रधानमंत्री के इस बयान से साफ है कि भारत सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर प्रमुखता से उठा रही है। पीएम मोदी का यह कदम दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को बनाए रखने और मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर भारत सरकार की यह चिंता और पहल, दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाने में सहायक हो सकती है।

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अमेरिका ने शेख हसीना के इस्तीफे में हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज किया, कहा: ‘यह हास्यास्पद और झूठा है. https://chaupalkhabar.com/2024/08/14/america-has-sheikh-hasina-of-this/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/14/america-has-sheikh-hasina-of-this/#respond Wed, 14 Aug 2024 12:16:48 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4315 अमेरिका ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि शेख हसीना की सरकार को हटाने की साजिश में उसका कोई हाथ नहीं था। अमेरिकी विदेश विभाग ने शेख हसीना के आरोपों को ‘हास्यास्पद’ और ‘झूठा’ करार दिया है। शेख …

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अमेरिका ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि शेख हसीना की सरकार को हटाने की साजिश में उसका कोई हाथ नहीं था। अमेरिकी विदेश विभाग ने शेख हसीना के आरोपों को ‘हास्यास्पद’ और ‘झूठा’ करार दिया है। शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश छोड़ दिया था। उनके इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में कई हफ्तों तक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा देखने को मिली। इन प्रदर्शनों की वजह से उनकी सरकार पर दबाव बढ़ गया और अंततः उन्होंने इस्तीफा देने का निर्णय लिया।

हसीना ने आरोप लगाया था कि इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे अमेरिका का हाथ था और यह कि अमेरिका ने जानबूझकर इस स्थिति को उत्पन्न किया ताकि उनकी सरकार को गिराया जा सके। हसीना का कहना था कि अमेरिका ने इन प्रदर्शनों के जरिए उनके खिलाफ साजिश की और उन्हें सत्ता से हटाया।

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इसके जवाब में, अमेरिका के विदेश विभाग के प्रमुख उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने मंगलवार को बयान जारी करते हुए कहा कि ये आरोप पूरी तरह से गलत और हास्यास्पद हैं। पटेल ने कहा, “शेख हसीना के इस्तीफे में अमेरिका का कोई हाथ नहीं है। यह आरोप पूरी तरह से झूठा है।” उन्होंने यह भी कहा कि हाल के हफ्तों में कई गलत सूचनाएं फैलाई गई हैं और अमेरिका इस तरह की गलत सूचनाओं का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है। वेदांत पटेल ने यह भी बताया कि अमेरिका दक्षिण एशिया में अपने भागीदारों के साथ सूचना की गोपनीयता को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

अमेरिका ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात की है और राष्ट्रपति जो बाइडन ने मानवाधिकार के मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखने का आश्वासन दिया है। अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया कि वह बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर निगरानी रखेगा और इस बात पर जोर देगा कि मानवाधिकार और लोकतांत्रिक मानकों को बनाए रखा जाए।

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इस बीच, हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। इस अंतरिम सरकार का उद्देश्य बांग्लादेश में स्थिरता और शांति को बहाल करना है और आगामी चुनावों की तैयारी करना है। अमेरिका का यह बयान बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति को लेकर चल रही बहस के बीच आया है। अमेरिका ने बांग्लादेश में शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है और किसी भी प्रकार की बाहरी साजिश से इनकार किया है।

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देश की बागडोर छोड़ी, लेकिन मुश्किलें नहीं… शेख हसीना पर हत्या का मामला दर्ज. https://chaupalkhabar.com/2024/08/13/left-the-reins-of-the-country-but/ https://chaupalkhabar.com/2024/08/13/left-the-reins-of-the-country-but/#respond Tue, 13 Aug 2024 11:58:00 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=4298 हाल के दिनों में बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल ने गंभीर मोड़ लिया है, जब हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ने की नौबत आ गई। 76 वर्षीय शेख हसीना को 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा, और तब से वे भारत में रह …

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हाल के दिनों में बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल ने गंभीर मोड़ लिया है, जब हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ने की नौबत आ गई। 76 वर्षीय शेख हसीना को 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा, और तब से वे भारत में रह रही हैं। उनके लिए मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं, क्योंकि एक ओर उन्हें किसी देश में शरण नहीं मिल पा रही है, और दूसरी ओर उनके खिलाफ बांग्लादेश में हत्या का मामला दर्ज हुआ है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में किराने की एक दुकान के मालिक की हत्या के मामले में शेख हसीना और उनके 6 सहयोगियों के खिलाफ अदालत में सुनवाई शुरू हो चुकी है। यह मामला 19 जुलाई को मोहम्मदपुर में हुई एक हिंसक झड़प के दौरान पुलिस फायरिंग से जुड़ा हुआ है, जिसमें अबू सईद नामक एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। अबू सईद की मौत के बाद उनके परिचित आमिर हमजा शातिर ने शेख हसीना और अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था।

शेख हसीना के साथ-साथ इस मामले में अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर, तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून, पूर्व डीबी प्रमुख हारुन रशीद, पूर्व डीएमपी आयुक्त हबीबुर रहमान और पूर्व डीएमपी संयुक्त आयुक्त बिप्लब कुमार सरकार को भी आरोपी बनाया गया है। यह मामला ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में दर्ज हुआ है, और अब इसे लेकर कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई है। शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में हिंसा की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी हुई है। बांग्लादेश के अखबार ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार , 5 अगस्त को हसीना सरकार के गिरने के तुरन्त बाद देशभर में जो हिंसा फैली है उसमे अब तक 230 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यह हिंसा तब से शुरू हुई जब जुलाई के मध्य में नौकरी में आरक्षण की विवादास्पद व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आंदोलन और उसके बाद की हिंसा में अब तक कुल 560 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

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हसीना सरकार पर मानव अधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप भी लग रहे हैं, जिसमें हजारों राजनीतिक विरोधियों की हत्या के आरोप शामिल हैं। उनकी सरकार पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान विपक्ष को दबाने के लिए कठोर कदम उठाए और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की। शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद, बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। 84 वर्षीय मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाया गया है। यूनुस एक नोबेल पुरस्कार विजेता हैं, जिन्हें 2006 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है।

इस बीच, बांग्लादेश सरकार के एक शीर्ष सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा है कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हुसैन ने कहा कि ढाका हमेशा नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश करेगा और दोनों देशों के हितों को एक व्यक्ति से प्रभावित नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध दोनों देशों के आपसी हितों पर आधारित हैं और इसे किसी भी राजनीतिक घटना से प्रभावित नहीं होना चाहिए।बांग्लादेश में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और देश की राजनीतिक स्थिति बेहद अस्थिर है। शेख हसीना के जाने के बाद, उनकी पार्टी अवामी लीग भी कमजोर पड़ गई है और अब यह देखना होगा कि बांग्लादेश की राजनीति किस दिशा में जाती है। हसीना पर चल रहे हत्या के मामले की सुनवाई और मानव अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से उनका राजनीतिक करियर गंभीर संकट में है।

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शेख हसीना, जो एक समय बांग्लादेश की सबसे ताकतवर नेता थीं, अब देश छोड़ने के बाद एक अज्ञात भविष्य का सामना कर रही हैं। उनकी गिरफ्तारी की संभावना और उनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच, उनके जीवन और करियर के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती है। उनके खिलाफ दर्ज यह पहला मामला है, और यह देखना बाकी है कि आगे आने वाले समय में उनके खिलाफ और क्या कानूनी कार्रवाई की जाती है।बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति बेहद संवेदनशील है, और देश के अंदर और बाहर दोनों जगह इसे लेकर बड़ी चिंता है। हसीना के खिलाफ उठाए गए कानूनी कदम और देश में फैली हिंसा ने बांग्लादेश के भविष्य को अनिश्चित कर दिया है। यह देखना होगा कि देश के राजनीतिक और सामाजिक हालात किस दिशा में बढ़ते हैं, और शेख हसीना का भविष्य क्या होता है।

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