Bharatiya Nyaya Sanhita - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Sat, 04 May 2024 10:22:59 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg Bharatiya Nyaya Sanhita - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 संसद से पास हुए तीन नए आपराधिक कानून में सुप्रीम कोर्ट ने सुझाए कुछ बदलाव 1 जुलाई से क़ानून होंगे लागू https://chaupalkhabar.com/2024/05/04/three-new-laws-passed-by-parliament/ https://chaupalkhabar.com/2024/05/04/three-new-laws-passed-by-parliament/#respond Sat, 04 May 2024 10:22:59 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=3100 भारतीय न्याय प्रणाली में महिलाओं के खिलाफ झूठे आरोपों के खिलाफ एक सामर्थ्यपूर्ण तंत्र को स्थापित करने की बात को लेकर, सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्णय दिया है। यह निर्णय न केवल न्यायिक प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक प्रासंगिक सामाजिक मुद्दा भी है। इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने …

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भारतीय न्याय प्रणाली में महिलाओं के खिलाफ झूठे आरोपों के खिलाफ एक सामर्थ्यपूर्ण तंत्र को स्थापित करने की बात को लेकर, सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्णय दिया है। यह निर्णय न केवल न्यायिक प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक प्रासंगिक सामाजिक मुद्दा भी है। इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता में सुधार की जरूरत को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तियों ने इस विषय पर अपनी राय रखते हुए कहा कि झूठी शिकायतों के साथ खिलाफ़ी निवारण के लिए भारतीय न्याय संहिता में महत्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने इसे विधायिका के सम्मुख प्रस्तुत किया है ताकि सामान्य लोगों को न्याय और सुरक्षा की अधिक गारंटी मिल सके।

यह निर्णय न केवल सुप्रीम कोर्ट की उच्चतम अदालत के रूप में बल्कि समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। महिलाओं के खिलाफ झूठे आरोपों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो उन्हें संरक्षित और सुरक्षित महसूस कराएगी। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अपने फैसले में उजागर किया कि भारतीय न्याय संहिता में सुधार की आवश्यकता है, खासकर धारा 85 और 86 में। इन धाराओं में संशोधन करने से पहले इसे ध्यान से विचार करना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि न्याय प्रणाली में स्थिरता और न्याय की शानदारता बनी रहे।

बेंच ने कहा कि FIR और चार्जशीट यह इशारा करती है कि महिला के आरोप काफी अस्पष्ट, सामान्य और व्यापक हैं

फैसले के अनुसार, ये धाराएं अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, खासकर धारा 498 (ए) के समान। उन्होंने यह भी कहा कि विधायिका को नये कानून को प्रारंभ होने से पहले समय पर इस पर विचार करना चाहिए, ताकि समाज को विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा और समानता की ओर एक प्रासंगिक कदम मिल सके। धारा 85 में यह बताया गया है कि अगर कोई किसी महिला के साथ क्रूरता करता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। इसके साथ ही उसे नकद जुर्माना भी देना होगा। धारा 86 में ‘क्रूरता’ की परिभाषा विस्तार से बताई गई है। इसमें महिला के मानसिक और शारीरिक नुकसान को समाहित किया गया है।

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इस निर्णय के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा के प्रति अपनी संवेदनशीलता को दिखाया है। यह भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो महिलाओं को उनके अधिकारों की गारंटी प्रदान करेगा। इस निर्णय के बाद, सामाजिक संरक्षा और सुरक्षा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का महत्व बढ़ जाएगा। इससे महिलाओं को न्याय और सुरक्षा की अधिक गारंटी मिलेगी। यह निर्णय सामाजिक संवेदना और न्याय के प्रति भारतीय न्याय प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। इससे महिलाओं को उनके अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम मिलेगा।

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