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]]>हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं और राज्य में भाजपा पिछले पांच वर्षों से सत्ता में है। इस बार भी पार्टी अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। ऐसे में भाजपा की पहली सूची में करीब 21 पूर्व मंत्रियों के नाम शामिल हो सकते हैं। इन नेताओं में पलवल से गौरव गौतम, बल्लभगढ़ से मूलचंद शर्मा, लाडवा से नायब सिंह सैनी, फरीदाबाद ओल्ड से विपुल गोयल, रेवाड़ी से मंजू यादव, नांगल से चौधरी अभय सिंह यादव, होडल से हरेंद्र राम रतन, अटेली से आरती राव, बावल से संजय मेहरा, जगाधरी से कंवर पाल गुर्जर, अंबाला सिटी से असीम गोयल, तोशाम से श्रुति चौधरी, तिगांव से राजेश नागर, लोहारू से जेपी दलाल, जींद से महिपाल डांडा, पानीपत से प्रमोद विज, अंबाला कैंट से अनिल विज, सोहना से तेजपाल तंवर, जींद से कृष्ण मिड्डा, थानेसर से सुभाष सुधा और पृथला से दीपक डागर का नाम शामिल हो सकता है। ये सभी नेता अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावशाली माने जाते हैं और पार्टी का आधार मजबूत करने में सक्षम हैं।
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हालांकि, भाजपा के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव में विजय पथ इतना सरल नहीं है। पिछले कुछ समय से पार्टी को जाट समुदाय के मतों का समर्थन खोने का सामना करना पड़ा है, जिसका प्रमुख कारण किसान आंदोलन रहा है। किसान आंदोलन ने जाट मतदाताओं को भाजपा से दूर कर दिया है, जिसका असर आगामी चुनावों में देखा जा सकता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कुल 27 प्रतिशत जाट वोट प्राप्त किए थे, जबकि 23 प्रतिशत वोट उसके हाथ से निकल गए। इस वजह से पार्टी को पांच सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। वहीं, कांग्रेस ने 64 प्रतिशत जाट वोट हासिल किए, जिससे उसे 31 प्रतिशत का लाभ हुआ। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 36 सीटें ऐसी हैं जहां जाट वोट बैंक का सीधा प्रभाव है। ये सीटें बहुमत के आंकड़े से केवल 10 सीटें कम हैं, यानी जो भी पार्टी जाट वोट बैंक को अपने पक्ष में कर लेगी, उसकी सत्ता में वापसी की संभावना प्रबल हो जाएगी।
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भाजपा अपने खोए हुए जाट मतदाताओं को वापस लाने के लिए रणनीतिक कदम उठा रही है। पार्टी उन नेताओं को प्रमुखता दे रही है जो जाट समुदाय के बीच प्रभावशाली हैं और उनके समर्थन को वापस लाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, भाजपा गैर-जाट मतदाताओं को भी साधने की कोशिश कर रही है, ताकि चुनावों में उसे किसी प्रकार की कमी का सामना न करना पड़े।
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