BJP Strategy - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Thu, 24 Oct 2024 10:13:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg BJP Strategy - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 महाराष्ट्र में सत्ता की चाबी विदर्भ के हाथ, भाजपा और कांग्रेस की रणनीतियां क्या कहती हैं? https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/maharashtra-in-power-cha/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/24/maharashtra-in-power-cha/#respond Thu, 24 Oct 2024 10:13:28 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5284 महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र विधानसभा चुनावों में एक अहम भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र की 62 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें इसे राज्य की राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनाती हैं। कहा जाता है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिलता है, वह महाराष्ट्र की सत्ता के करीब पहुंच जाता है। इस बार फिर …

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महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र विधानसभा चुनावों में एक अहम भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र की 62 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें इसे राज्य की राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनाती हैं। कहा जाता है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिलता है, वह महाराष्ट्र की सत्ता के करीब पहुंच जाता है। इस बार फिर से कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता संघर्ष जारी है, और दोनों दल अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में हैं। विदर्भ का राजनीतिक इतिहास देखें तो यह इलाका हमेशा से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि, 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद यहां भाजपा ने भी अपनी मजबूत पैठ बनाई। भाजपा की पितृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय नागपुर में स्थित है, जिससे भाजपा को क्षेत्रीय स्तर पर बढ़त हासिल हुई। नागपुर से ही भाजपा के बड़े नेता नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस का उदय हुआ। नितिन गडकरी जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, वहीं फडणवीस 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे।

विदर्भ में भाजपा के इन दिग्गज नेताओं के चलते कई विकास कार्य हुए, जिन्हें जनता भी स्वीकार करती है। नागपुर समेत अन्य क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है, और गढ़चिरौली जैसे पिछड़े इलाके में उद्योगों की स्थापना ने रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं। बावजूद इसके, पिछले कुछ चुनावों में भाजपा की सीटें घटती हुई नजर आई हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने विदर्भ की 10 में से 10 सीटें जीती थीं, लेकिन 2019 में यह संख्या घटकर सिर्फ 2 रह गई। लोकसभा की तरह विधानसभा चुनावों में भी यही पैटर्न दिखा। 2014 में भाजपा को 62 विधानसभा सीटों में से 44 सीटें मिली थीं, जिसके बाद वह राज्य की सत्ता में आई। लेकिन 2019 के चुनावों में भाजपा की सीटें घटकर 29 रह गईं, और उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा।

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2024 के चुनावों में भाजपा एक बार फिर से अपने मजबूत विकास कार्यों को मुद्दा बना रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले खुद विदर्भ की कामटी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वे भाजपा सरकार के कामों का हवाला देते हुए दावा कर रहे हैं कि नागपुर जैसे बड़े नगरों में भाजपा के विकास को जनता देख रही है। साथ ही, गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उद्योगों का आना युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ा रहा है। भाजपा को उम्मीद है कि हाल ही में शुरू की गई मुख्यमंत्री लाडली बहिन योजना जैसे सामाजिक कल्याण के कार्यक्रम उसे फायदा पहुंचाएंगे। इसके अलावा, पार्टी ओबीसी समाज को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, जो इस क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण वोट बैंक है।

दूसरी तरफ, कांग्रेस भी पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में है। कांग्रेस का मानना है कि लोकसभा चुनावों में भाजपा को झटका देने के बाद, वह विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार जैसे बड़े नेता विदर्भ से ही चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस अपने जातीय समीकरणों पर भरोसा कर रही है। इस क्षेत्र में दलित और ओबीसी वोटर्स की संख्या अधिक है, जो कांग्रेस की जीत की कुंजी बन सकते हैं। मराठा कुनबी जैसे बड़े समूह भी कांग्रेस के समर्थन में माने जाते हैं।

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विदर्भ की राजनीति महाराष्ट्र की सत्ता के समीकरण तय करती रही है। 2014 से लेकर अब तक के चुनाव परिणामों ने यह दिखाया है कि जिस दल को विदर्भ का समर्थन मिला, वह सत्ता के करीब पहुंचा। इस बार फिर से कांग्रेस और भाजपा के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है। अब देखना होगा कि कौन सा दल विदर्भ को अपने पक्ष में कर महाराष्ट्र की सत्ता तक पहुंचता है।

By Neelam Singh.

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