bjp - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com Mon, 28 Oct 2024 10:20:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://chaupalkhabar.com/wp-content/uploads/2024/08/cropped-Screenshot_2024-08-04-18-50-20-831_com.whatsapp-edit-32x32.jpg bjp - chaupalkhabar.com https://chaupalkhabar.com 32 32 शिवपाल यादव का योगी सरकार पर हमला: ‘पीडीए ना बटेगा, ना कटेगा; अधिकारियों से वोट मांगती है बीजेपी’. https://chaupalkhabar.com/2024/10/28/shivpal-yadav-of-yogi-government/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/28/shivpal-yadav-of-yogi-government/#respond Mon, 28 Oct 2024 10:20:17 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5295 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर पलटवार किया। शिवपाल ने बयान दिया कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीडीए) ना बटेगी, ना कटेगी और जो ऐसा कहेगा, वो बाद में खुद ही पछताएगा। उन्होंने अधिकारियों पर दबाव डालने के भाजपा के आरोपों का ज़िक्र करते …

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर पलटवार किया। शिवपाल ने बयान दिया कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीडीए) ना बटेगी, ना कटेगी और जो ऐसा कहेगा, वो बाद में खुद ही पछताएगा। उन्होंने अधिकारियों पर दबाव डालने के भाजपा के आरोपों का ज़िक्र करते हुए कहा कि वे संविधान की रक्षा चाहते हैं और निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रयासरत हैं। शिवपाल यादव का कहना है कि भाजपा अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए अधिकारियों का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा, “भाजपा के लोग जनता से वोट नहीं मांगते बल्कि अधिकारियों के जरिए वोट मंगवाते हैं। जो सत्ता में होते हैं, वे जनता को धमकाते हैं ताकि उनके पक्ष में वोट डलवाए जा सकें।” शिवपाल ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा प्रशासनिक ताकत का गलत उपयोग कर रही है और अधिकारियों को जनता के साथ धोखा करने के लिए उकसाया जा रहा है।

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शिवपाल सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के प्रचार के लिए इटावा पहुंचे थे। वहां उन्होंने भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव को भगोड़ा बताया और कहा कि अब उनके साथ रिश्तेदारी भी समाप्त हो चुकी है। शिवपाल ने स्पष्ट कर दिया कि पार्टी में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं होगी जो अपने निष्ठा से भटक जाते है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने हाल ही में बयान दिया कि राम मंदिर के निर्माण के बाद ही दीपोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस पर शिवपाल यादव ने कहा कि दीपावली एक पारंपरिक त्योहार है, जो सभी धर्म और समुदायों में मनाया जाता है। शिवपाल ने कहा कि “हर व्यक्ति अपनी श्रद्धा अनुसार दीपक जलाता है और दीपावली के त्योहार में कोई रोकटोक नहीं होनी चाहिए।” साथ ही उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह दीपोत्सव का आयोजन करके इसे राजनीतिक रूप से भुनाने का प्रयास कर रही है।

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प्रशासन की तरफ से बीएसएफ की 13 बटालियन मंगाए जाने पर शिवपाल ने कहा कि चुनाव में प्रशासन का हस्तक्षेप निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करता है। शिवपाल ने चुनाव आयोग से अपील की कि वह संविधान के अनुसार कार्रवाई करे। उन्होंने अधिकारियों से संविधान का पालन करने और निष्पक्षता बनाए रखने की अपील की। शिवपाल यादव ने जनता से निष्पक्ष चुनाव में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सपा संविधान की रक्षा करना चाहती है, जबकि भाजपा जनता को धमकाने में लगी है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अधिकारी और प्रशासन निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करें ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो।

By Neelam singh.

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बीजेपी ने की उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग, कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व को बताया कारण. https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/bjp-ruled-uttar-pradesh/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/18/bjp-ruled-uttar-pradesh/#respond Fri, 18 Oct 2024 09:26:03 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5260 उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीखों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव आयोग से विशेष मांग की है। बीजेपी ने प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखते हुए उपचुनाव की तारीख को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है। इसके पीछे मुख्य कारण 15 नवंबर को पड़ने …

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उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीखों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव आयोग से विशेष मांग की है। बीजेपी ने प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखते हुए उपचुनाव की तारीख को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है। इसके पीछे मुख्य कारण 15 नवंबर को पड़ने वाला कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व बताया गया है। बीजेपी के पत्र के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस पर्व पर बड़ी संख्या में लोग धार्मिक स्थलों पर स्नान और पूजा के लिए जाते हैं। पार्टी का कहना है कि मतदाता स्नान पर्व में भाग लेने के लिए 2-3 दिन पहले से ही यात्रा पर निकल जाएंगे, जिससे मतदान में बाधा उत्पन्न हो सकती है और बड़ी संख्या में मतदाता वोट नहीं दे पाएंगे।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तारीखों का ऐलान किया था। इसके मुताबिक, 18 नवंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी और 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। बीजेपी ने इसी कार्यक्रम पर आपत्ति जताते हुए मतदान की तारीख को पुनर्विचार करने की मांग की है ताकि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भाग लेने वाले मतदाताओं को असुविधा न हो।

इन नौ विधानसभा सीटों में मैनपुरी की करहल, अलीगढ़ की खैर, बिजनौर की मीरापुर, प्रयागराज की फूलपुर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मिर्जापुर की मझवां, अंबेडकरनगर की कटेहरी, संभल की कुंदरकी और कानपुर की सीसामऊ सीटें शामिल हैं। ये सभी सीटें किसी न किसी कारण से खाली हुई हैं, जिन पर उपचुनाव होना है।

बीजेपी का तर्क है कि चूंकि कार्तिक पूर्णिमा का पर्व उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों में से एक है, इसलिए मतदान की तारीख में बदलाव करना आवश्यक है ताकि अधिकतम संख्या में मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इस मांग पर क्या निर्णय लेता है।

 

By Neelam Singh.

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हरियाणा विधानसभा चुनाव: मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी का दावा – 8 अक्टूबर को बीजेपी बनाएगी पूर्ण बहुमत की सरकार https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/haryana-assembly-election-m/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/haryana-assembly-election-m/#respond Mon, 07 Oct 2024 08:52:03 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5246 हरियाणा विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद शनिवार (5 अक्टूबर) को आए एग्जिट पोल के नतीजों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। न्यूज चैनलों और सर्वे एजेंसियों के अनुमान के अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस की वापसी की संभावना जताई जा रही है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए एक दशक बाद …

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हरियाणा विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद शनिवार (5 अक्टूबर) को आए एग्जिट पोल के नतीजों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। न्यूज चैनलों और सर्वे एजेंसियों के अनुमान के अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस की वापसी की संभावना जताई जा रही है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए एक दशक बाद मुश्किल समय आने की बात कही जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है और कांग्रेस से कई बड़े नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, जो राज्य की कमान संभाल सकते हैं।

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हालांकि, मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने इन सभी अनुमानों को खारिज करते हुए रविवार को एक बड़ा दावा किया है। सैनी ने कहा कि 8 अक्टूबर को जब चुनावी नतीजे घोषित होंगे, तो बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी नतीजों के बाद ईवीएम (EVM) में गड़बड़ी का आरोप लगाने के लिए तैयार बैठी है, लेकिन जनता इसका उचित जवाब देगी। मुख्यमंत्री सैनी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने जनता को परेशान किया था और बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा था। सैनी ने कहा, “कांग्रेस के समय लोगों को गैस सिलेंडर तक के लिए चार-चार दिन इंतजार करना पड़ता था। हमारी सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से काम किया और लोगों तक राहत पहुंचाई।”

सैनी ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने समाज के हर वर्ग के लिए बिना किसी भेदभाव के काम किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हरियाणा के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई अहम योजनाएं लागू की हैं। डबल इंजन की सरकार (केंद्र और राज्य दोनों में बीजेपी की सरकार) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे राज्य में विकास की रफ्तार तेज हुई है। सैनी ने दावा किया, “हमने हर वर्ग के हित में काम किया है और लोगों के जीवन को सरल और सुगम बनाने के प्रयास किए हैं। 8 अक्टूबर को जनता इसका जवाब देगी और बीजेपी एक बार फिर से सरकार बनाएगी।”

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जहां एग्जिट पोल कांग्रेस की वापसी का संकेत दे रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री सैनी ने इसे सिरे से नकारते हुए कहा कि वे रिपोर्ट्स के आधार पर कह सकते हैं कि बीजेपी ही जीत दर्ज करेगी। उन्होंने कहा, “हमने पिछले चुनावों में भी कड़ी टक्कर दी थी और इस बार भी हम अपने कामों के बल पर जीत दर्ज करेंगे।” सैनी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, “जब नतीजे घोषित होंगे तो कांग्रेस नेता ईवीएम को दोष देंगे, लेकिन जनता पहले ही अपना फैसला कर चुकी है।”

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किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर साधा निशाना, मुसलमानों से वोट बैंक की राजनीति पर किया सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/kiren-rijiju-by-congress/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/07/kiren-rijiju-by-congress/#respond Mon, 07 Oct 2024 07:13:30 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5240 केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए उसकी मुस्लिम वोट बैंक राजनीति पर सवाल उठाए। उन्होंने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी निशाने पर लिया और कांग्रेस के 60 सालों के शासन को देश की मुस्लिम आबादी की गरीबी के लिए जिम्मेदार ठहराया। आईएएनएस को दिए गए …

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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए उसकी मुस्लिम वोट बैंक राजनीति पर सवाल उठाए। उन्होंने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी निशाने पर लिया और कांग्रेस के 60 सालों के शासन को देश की मुस्लिम आबादी की गरीबी के लिए जिम्मेदार ठहराया। आईएएनएस को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कांग्रेस की नीतियों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा हिंदुओं को बांटने और मुसलमानों को खुश करने का काम किया है।

रिजिजू ने कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी ने हमेशा मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के लिए चुनाव सिर्फ मुसलमानों के वोट हासिल करने का जरिया रहा है। पार्टी मानती है कि 15 प्रतिशत मुस्लिम वोट उनका आरक्षित वोट बैंक है। यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है।”उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने कभी भी मुसलमानों के विकास की बात नहीं की, बल्कि उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया। रिजिजू का मानना है कि यह राजनीति मुसलमानों के हित में नहीं है और इससे समाज के इस हिस्से का समुचित विकास नहीं हो पाया है।

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राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए रिजिजू ने कहा, “राहुल गांधी को एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों की समस्याओं की ABCD भी नहीं आती, फिर भी वे हर वक्त इन समुदायों की बात करते रहते हैं। उन्हें इस तरह से बोलना सिखाया गया है, ताकि वह वोट बैंक की राजनीति कर सकें।” रिजिजू ने कांग्रेस पर और अधिक हमलावर होते हुए कहा, “मैं मुसलमानों से सवाल पूछना चाहता हूं कि पिछले 60 सालों में आपको किसने गरीब बनाया? यह कांग्रेस ही है जिसने आपको गरीबी की ओर धकेला। कांग्रेस ने हमेशा आपको वोट बैंक के रूप में देखा, न कि एक समुदाय के रूप में जिसकी प्रगति होनी चाहिए थी।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करती है। मोदी सरकार ने मुसलमानों के लिए बैंक खाते खोले, घर बनाए और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराईं। रिजिजू का दावा है कि पीएम मोदी की नीतियों का लाभ सभी को, विशेषकर गरीब और पिछड़े तबकों को मिला है। उन्होंने कहा, “तो फिर सभी मुस्लिम वोट कांग्रेस को क्यों मिलने चाहिए?”

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कांग्रेस को चेतावनी देते हुए रिजिजू ने कहा कि इस बार भाजपा सुनिश्चित करेगी कि कांग्रेस मुसलमानों को वोट बैंक न बना सके। उन्होंने कहा, “हम इस बार साफ संदेश लेकर लोगों के पास जाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों का दुरुपयोग न कर सके।”

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पीएम मोदी के लिए मंदिर बनाने वाले बीजेपी कार्यकर्ता ने दिया इस्तीफा, संगठन पर लगाए गंभीर आरोप. https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/temple-built-for-pm-modi/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/05/temple-built-for-pm-modi/#respond Sat, 05 Oct 2024 11:14:14 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5231 महाराष्ट्र के पुणे जिले में राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाने वाली एक बड़ी घटना सामने आई है। श्री नमो फाउंडेशन के मयूर मुंडे, जिन्होंने 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंदिर बनवाकर सुर्खियां बटोरी थी, अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। मुंडे ने आरोप लगाया है कि बीजेपी …

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महाराष्ट्र के पुणे जिले में राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाने वाली एक बड़ी घटना सामने आई है। श्री नमो फाउंडेशन के मयूर मुंडे, जिन्होंने 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंदिर बनवाकर सुर्खियां बटोरी थी, अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। मुंडे ने आरोप लगाया है कि बीजेपी में पुराने वफादार कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है और दूसरी पार्टी से आए हुए लोगों को अधिक महत्व दिया जा रहा है।

मयूर मुंडे का नाम पुणे के राजनीतिक हलकों में तब उभर कर आया जब उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी का एक मंदिर बनवाया। इस कदम ने उन्हें पीएम मोदी के कट्टर समर्थकों में एक खास पहचान दिलाई। लेकिन अब उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद पार्टी के आंतरिक मामलों को लेकर अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त की है। मुंडे ने कहा, “मैंने कई सालों तक पार्टी के लिए निष्ठा से काम किया है, विभिन्न पदों पर रहते हुए मैंने ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। लेकिन अब पार्टी वफादार कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रही है और दूसरी पार्टी से आए लोगों को प्रमुख पद दिए जा रहे हैं।”

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मुंडे का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और मौजूदा विधायक, खासकर शिवाजीनगर से विधायक सिद्धार्थ शिरोले, पुराने कार्यकर्ताओं की राय को नजरअंदाज कर रहे हैं। मुंडे ने उन पर आरोप लगाया है कि वे पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं को विकास परियोजनाओं और अन्य गतिविधियों से दूर रख रहे हैं। मुंडे ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि पार्टी की पुणे इकाई में कोथरुड और खडकवासला के मौजूदा विधायकों पर उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि ये विधायक केवल उन कार्यकर्ताओं के क्षेत्रों में विकास निधि खर्च कर रहे हैं, जो दूसरी पार्टियों से आकर बीजेपी में शामिल हुए हैं। पार्टी के पुराने और वफादार कार्यकर्ताओं को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है।

मुंडे का यह भी आरोप है कि विधायक शिरोले ने पिछले पांच सालों में शिवाजीनगर विधानसभा क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं किया। उन्होंने कहा कि विधायक को परियोजनाओं के लिए धन मिला था, लेकिन उसे लागू करने में वे असफल रहे। मुंडे ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कट्टर समर्थक हूं और उनके लिए काम करता रहूंगा, लेकिन पार्टी में मेरे जैसे कार्यकर्ताओं के लिए अब कोई जगह नहीं बची है। इसलिए मैंने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा देने का फैसला किया है।”

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मुंडे के इस्तीफे से पहले बीजेपी की पुणे इकाई में अंदरूनी मतभेद सामने आ चुके थे। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इन मतभेदों ने पार्टी के भीतर असंतोष को और बढ़ा दिया है।

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चिराग पासवान का बड़ा बयान, “मैं सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा, पिता की तरह मंत्री पद छोड़ने को तैयार”. https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/big-statement-of-chirag-paswan/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/big-statement-of-chirag-paswan/#respond Tue, 01 Oct 2024 11:27:51 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5185 लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने स्पष्ट और सख्त राजनीतिक रुख का प्रदर्शन किया है। चिराग ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह अपने पिता, रामविलास पासवान, की तरह सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे और …

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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने स्पष्ट और सख्त राजनीतिक रुख का प्रदर्शन किया है। चिराग ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह अपने पिता, रामविलास पासवान, की तरह सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे और यदि आवश्यक हुआ, तो मंत्री पद छोड़ने में भी संकोच नहीं करेंगे। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है, और अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

चिराग पासवान ने साफ कहा कि वह अपने पिता के उदाहरण का पालन करते हुए, अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने भी उस समय मंत्री पद छोड़ दिया था, जब वह महसूस करते थे कि दलितों के हितों का उल्लंघन हो रहा है।” उनका इशारा स्पष्ट था कि वह भी उसी तरह का फैसला लेने के लिए तैयार हैं। चिराग ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे उनके पिता रामविलास पासवान ने यूपीए सरकार में दलितों के मुद्दों पर समझौता नहीं किया था और मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

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हालांकि, चिराग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह वर्तमान में एनडीए गठबंधन के साथ बने रहेंगे, क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा, “जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, तब तक हम एनडीए का हिस्सा रहेंगे।” पीएम मोदी की तारीफ करते हुए चिराग ने मौजूदा सरकार को दलितों के प्रति संवेदनशील बताया। उनका कहना था कि मोदी सरकार ने दलितों की समस्याओं और उनकी चिंताओं को प्राथमिकता दी है। चिराग पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनकी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उनके पास पार्टी के 5 सांसदों का समर्थन है, जो उन्हें भाजपा के सहयोगी दल के रूप में मजबूती प्रदान करता है। हालांकि, इस बयान से यह संकेत मिलता है कि चिराग पासवान अपने राजनीतिक भविष्य के लिए स्वतंत्र रूप से सोच रहे हैं और अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

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पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान के इस बयान को उनकी राजनीतिक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि चिराग भाजपा नेतृत्व को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ भाजपा की बढ़ती नजदीकियों से पूरी तरह खुश नहीं हैं। यह भी संभव है कि चिराग अपनी पार्टी को भाजपा की छाया से बाहर निकालकर स्वतंत्र रूप से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल, शिवसेना (यूबीटी) और भाजपा की मुलाकातों पर उठे सवाल. https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/politics-of-maharashtra-2/ https://chaupalkhabar.com/2024/10/01/politics-of-maharashtra-2/#respond Tue, 01 Oct 2024 10:34:07 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5179 महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना (यूबीटी) के बीच संभावित मुलाकातों की चर्चाएं तेज हो गई हैं। वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) ने इन मुलाकातों पर बड़ा दावा किया है, जिससे राजनीतिक हलचल और बढ़ गई है। वीबीए के मुख्य प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले ने एक वीडियो में खुलासा करते हुए …

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महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना (यूबीटी) के बीच संभावित मुलाकातों की चर्चाएं तेज हो गई हैं। वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) ने इन मुलाकातों पर बड़ा दावा किया है, जिससे राजनीतिक हलचल और बढ़ गई है। वीबीए के मुख्य प्रवक्ता सिद्धार्थ मोकले ने एक वीडियो में खुलासा करते हुए दावा किया है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच गुप्त मुलाकातें हो चुकी हैं। साथ ही, शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। हालांकि, इन मुलाकातों की आधिकारिक पुष्टि भाजपा और शिवसेना (यूबीटी) की ओर से अब तक नहीं की गई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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सिद्धार्थ मोकले ने दावा किया है कि 25 जुलाई को रात 2 बजे संजय राउत ने दिल्ली स्थित ‘7 डी मोतीलाल मार्ग’ पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इसके बाद, 5 अगस्त को रात 12 बजे राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मातोश्री बंगले पर पहुंचे थे, जहां उनकी उद्धव ठाकरे से मुलाकात हुई। मोकले का दावा है कि यह मुलाकात दो घंटे तक चली। इस बैठक में सिर्फ फडणवीस और ठाकरे ही शामिल थे। वीबीए प्रवक्ता मोकले ने आगे कहा कि उद्धव ठाकरे को स्पष्ट करना चाहिए कि 6 अगस्त को दिल्ली दौरे के दौरान उनके साथ कौन-कौन था और उन्होंने किन लोगों से मुलाकात की। मोकले का यह बयान तब आया है जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन चल रहा है।

वीबीए के प्रवक्ता ने अपने बयान में राज्य के आरक्षण समर्थक मतदाताओं को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जो मतदाता आरक्षण के पक्षधर हैं, उन्हें शिवसेना (यूबीटी) और उद्धव ठाकरे का समर्थन मिला है, जबकि भाजपा और उसके सहयोगी दलों की नीतियां आरक्षण के खिलाफ मानी जाती हैं। मोकले ने कहा कि इन मुलाकातों को ध्यान में रखते हुए अगर भविष्य में कोई घटना होती है, तो राज्य के आरक्षण समर्थक मतदाता खुद को ठगा हुआ महसूस न करें।

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वीबीए का यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी के बीच सीटों का बंटवारा जल्द होने वाला है। ऐसे में वीबीए के दावे ने जनता के बीच राजनीतिक संशय पैदा कर दिया है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वीबीए विपक्षी गठबंधन में शामिल हो सकती है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। अब तक इन दावों पर भाजपा या शिवसेना (यूबीटी) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस तरह की मुलाकातें और गठजोड़ राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।

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सपा विधायक के बयान से विवाद, मुस्लिम जनसंख्या और भाजपा पर टिप्पणी का वीडियो वायरल. https://chaupalkhabar.com/2024/09/30/%e0%a4%b8%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/30/%e0%a4%b8%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be/#respond Mon, 30 Sep 2024 10:46:46 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5163 उत्तर प्रदेश के अमरोहा से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक महबूब अली का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। विधायक ने बिजनौर में एक सभा के दौरान मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने और इसके परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के खत्म होने का दावा किया। इस बयान ने …

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उत्तर प्रदेश के अमरोहा से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक महबूब अली का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। विधायक ने बिजनौर में एक सभा के दौरान मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने और इसके परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के खत्म होने का दावा किया। इस बयान ने भाजपा समर्थकों के बीच नाराजगी पैदा कर दी है।

बिजनौर में आयोजित एक “संविधान सम्मान” सभा के दौरान सपा विधायक महबूब अली ने कहा कि मुसलमानों की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और यही वजह है कि आने वाले समय में भाजपा का राज खत्म हो जाएगा। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार को मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि से खतरा है। उनका यह बयान उस समय आया है जब देशभर में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण के मुद्दों पर हमले किए जा रहे हैं।

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भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने महबूब अली के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि सपा विधायक का यह बयान न सिर्फ भड़काऊ है बल्कि संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ भी है। मालवीय ने इसे भाजपा के खिलाफ एक “धमकी” करार दिया और कहा कि ऐसे बयान स्वीकार्य नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि महबूब अली का यह बयान राजनीतिक ध्रुवीकरण की कोशिश है, जो देश की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

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उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए इस तरह के बयान खासे महत्व रखते हैं। राज्य में भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मजबूत जनाधार तैयार किया है, जिसमें हिंदू मतदाताओं का प्रमुख योगदान रहा है। वहीं सपा मुस्लिम और पिछड़े वर्गों पर आधारित अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रही है।

विवादित बयान से राजनीतिक माहौल गरमा गया है और इसके संभावित परिणाम 2024 के चुनावों पर भी देखने को मिल सकते हैं। सपा विधायक का यह बयान उनके समर्थकों के बीच लोकप्रिय हो सकता है, लेकिन भाजपा इसे सांप्रदायिकता भड़काने के प्रयास के रूप में देख रही है।

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जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनावी संघर्ष, बीजेपी की कड़ी चुनौती https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/jammu-kashmir-and-haryana-m/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/jammu-kashmir-and-haryana-m/#respond Sat, 28 Sep 2024 09:53:43 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5149 जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इन चुनावों में खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि पार्टी को दोनों राज्यों में अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा …

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जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इन चुनावों में खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि पार्टी को दोनों राज्यों में अलग-अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा में 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए बीजेपी के सामने एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) का बड़ा संकट है। पिछले दस साल से राज्य में बीजेपी सत्ता में है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने बेरोजगारी, महंगाई, अग्निवीर योजना और किसान आंदोलन जैसे मुद्दों के जरिए बीजेपी पर प्रहार किया है। कांग्रेस लगातार राज्य में लोगों के सामने इन मुद्दों को उठा रही है और बीजेपी को इनका जवाब ढूंढने में अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।

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बीजेपी के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लगातार हरियाणा में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, लेकिन पार्टी को इस बार पहले से अधिक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। राज्य में भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए जनता को फिर से विश्वास में लेना होगा, खासकर तब जब कांग्रेस अपने अभियानों के जरिए लोगों के बीच प्रभाव बना रही है। जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पहले चरण का चुनाव 15 सितंबर को हो चुका है, जबकि दूसरा चरण 25 सितंबर को संपन्न हो रहा है। राज्य में तीसरे और आखिरी चरण का चुनाव 1 अक्टूबर को होगा। बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अकेले चुनाव लड़ रही है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस, इंडिया गठबंधन के तहत एक साथ चुनावी मैदान में हैं।

इंडिया गठबंधन ने सुरक्षा, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी को घेरने का प्रयास किया है, जिससे गठबंधन को बढ़त मिल रही है। अगर बीजेपी को इन मुद्दों पर प्रभावी जवाब नहीं मिलता, तो जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर हो सकता है, जिससे पार्टी को आगामी चुनावी राज्यों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस साल के अंत तक झारखंड और महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, जो बीजेपी के लिए अगली बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। झारखंड की 82 सीटों वाली विधानसभा में फिलहाल इंडिया गठबंधन की सरकार है। हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, बीजेपी को इस घटनाक्रम से थोड़ा फायदा हुआ है, लेकिन राज्य में इंडिया गठबंधन अभी भी मजबूत स्थिति में है।

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दूसरी तरफ, महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर बीजेपी की अगुआई वाली महायुति सरकार है। राज्य में महाविकास आघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना-उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी) का मनोबल लोकसभा चुनाव के अच्छे प्रदर्शन के बाद ऊंचा है। अगर बीजेपी जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में बेहतरीन प्रदर्शन नहीं करती है, तो इसका सीधा असर महाराष्ट्र और झारखंड में पार्टी के चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। इन चार राज्यों के चुनाव बीजेपी के लिए बड़े राजनीतिक संकेत हो सकते हैं।

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संसदीय समितियों का गठन, राहुल गांधी रक्षा समिति के सदस्य, शशि थरूर को विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/constitution-of-parliamentary-committees/ https://chaupalkhabar.com/2024/09/28/constitution-of-parliamentary-committees/#respond Sat, 28 Sep 2024 06:46:34 +0000 https://chaupalkhabar.com/?p=5142 केंद्र सरकार ने हाल ही में 24 संसदीय समितियों का गठन किया है। ये समितियां विभिन्न विभागों के कामकाज की निगरानी और समीक्षा का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं, जिससे संसद के समक्ष आने वाले विषयों पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श हो सके। इस नई समिति संरचना में विभिन्न प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है, …

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केंद्र सरकार ने हाल ही में 24 संसदीय समितियों का गठन किया है। ये समितियां विभिन्न विभागों के कामकाज की निगरानी और समीक्षा का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं, जिससे संसद के समक्ष आने वाले विषयों पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श हो सके। इस नई समिति संरचना में विभिन्न प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है, जिनमें राहुल गांधी, शशि थरूर, असदुद्दीन ओवैसी, और अखिलेश यादव जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को रक्षा समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है। यह समिति देश की रक्षा से जुड़ी विभिन्न नीतियों और मुद्दों की समीक्षा करेगी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता राधा मोहन सिंह को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है, जबकि इस समिति का अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर को नियुक्त किया गया है।

संसदीय समितियां सरकार के कामकाज की निगरानी और संसद में पेश किए जाने वाले विधेयकों पर सुझाव देने का कार्य करती हैं। यह समितियां संसद को सलाह और दिशा निर्देश देने के साथ-साथ विभिन्न विभागों के कार्यों की समीक्षा भी करती हैं, ताकि नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। संसदीय समितियों का गठन दो प्रकार का होता है: स्थाई समितियां और तदर्थ समितियां। स्थाई समितियों का कार्यकाल एक साल का होता है, जबकि तदर्थ समितियों का गठन विशेष मुद्दों पर विचार के लिए किया जाता है, और उनका कार्यकाल उस मुद्दे के निपटारे तक ही सीमित होता है।

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समितियों की इस नई संरचना में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन समिति का सदस्य बनाया गया है। यह समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर काम करेगी। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी स्थाई समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। संचार और आईटी समिति में भी नए चेहरों को जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता अनिल बलूनी को इस समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी को कृषि मंत्रालय से संबंधित स्थाई समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

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यह भी उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को किसी भी संसदीय समिति में शामिल नहीं किया गया है। यह फैसला संसद के भीतर और बाहर विभिन्न चर्चाओं का विषय बना हुआ है, क्योंकि सोनिया गांधी लंबे समय से भारतीय राजनीति की प्रमुख हस्ती रही हैं। इन समितियों का महत्व इस बात में निहित है कि ये न केवल संसद के कार्यभार को बांटने में मदद करती हैं, बल्कि सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की समीक्षा करके संसद को महत्वपूर्ण सुझाव देती हैं। इस प्रकार, ये समितियां संसदीय कार्यवाही के कुशल संचालन में एक अहम भूमिका निभाती हैं। इस गठन के साथ, सभी नेताओं से उम्मीद की जा रही है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सकारात्मक योगदान देंगे और समितियों के माध्यम से देश की नीतियों में सुधार लाने में मदद करेंगे।

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